Author Topic: COW Protection गौ संरक्षण  (Read 38322 times)

विनोद सिंह गढ़िया

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COW Protection गौ संरक्षण
« on: August 15, 2010, 04:05:05 PM »
आदरणीय,
         सज्जनों, हिंदू धर्म में जिस गाय को मनुष्य के जन्म से मृत्यु तक का मोक्ष का मुख्य माध्यम बताया गया है वह गाय आज दर दर भटक कर लोगों के क्रोध का शिकार बन रही है। राज्य में गो संरक्षण कानून लागू होने के बाद पर्वतीय क्षेत्र में गोवंश का अस्तित्व समाप्त होने की कगार पर है। बिकवाली के अभाव में लोग अनुपयोगी जानवरों को छोड़ दे रहे हैं जिससे इनकी दुर्गति हो रही है। यह आवारा जानवर काश्तकारों की फसलों को भी नुकसान पहुंचा रहे हैं। इससे पहाड़ के कई इलाकों में नई समस्या उठ खड़ी हुई हैं।
पर्वतीय इलाकों में गाय, बछड़े आदि पालना पुरानी परंपरा रही है। दुधारू पशु और बैलों की जोड़ी को पहाड़ के किसानों की संपन्नता से भी जोड़ कर देखा जाता था। लोग इन्हें बड़ी तमन्ना से पाला करते थे और इनके व्याध पर घर में खुशी का इजहार होता था लेकिन आज गो वंश के यह पशु दर दर भटकने को मजबूर हो गए हैं। वर्ष 2007 में प्रदेश सरकार ने गो संरक्षण कानून लाकर गो वंश के पशुओं को संरक्षण देने की बात कही लेकिन इस कानून के आने के बाद सबसे अधिक त्रासदी गायों को ही झेलनी पड़ी।
उत्तराखंड को देवभूमि कहा जाता है।  देवभूमि अर्थात "देवताओं का निवास स्थान"। यहाँ कण-कण में देवी-देवताओं का वास  है।  यहाँ हर समय कहीं-कहीं देवी-देवताओं की, किसी न किसी  रूप में पूजा की जाती है ।  इस पूजा को संपन्न कराने में हमारी "गौ माता" अर्थात गाय अपना मुख्य स्थान रखती है।  "गौ माता" का दूध से लेकर गोबर, "गौमूत्र" तक हमारे देवी-देवताओं की पूजा में काम आता है , इनके बिना उत्तराखंड में देवी-देवताओं की  पूजा असंभव  है।



 
 

 उत्तराखंड एक पशु प्रधान प्रदेश है, यहाँ के लोगों का आय का मुख्य स्रोत भी पशु-पालन ही है।  आज भी हमारे माता-पिता किसी न किसी रूप से पशु-पालन से जुड़े हुए हैं।   परन्तु वर्तमान में पशु-पालन में काफी उदासीनता दिख रही है, जिस कारण दिन-प्रतिदिन यहाँ पालतू पशुओं की कमी देखी जा रही है।  जिसमें प्रमुख स्थान में हमारी गौ माता एवं उसका वंश आ रहा है।  इसी बात को ध्यान में रखकर मैं "गौ-संरक्षण" विषय पर चर्चा के लिए आप सभी को आमंत्रित कर रहा हूँ, इस विषय के अन्तर्गत हम गौ महिमा, उत्तराखंड में गाय का स्थान, वर्तमान में उत्तराखंड में गाय की स्थिति एवं उसके संरक्षण के उपाय आदि पर अपने विचार रखने की कोशिश करेंगे।  मुझे आशा है कि आप इस विषय पर अपना अमूल्य योगदान देंगे।     

धन्यवाद           

विनोद सिंह गड़िया

विनोद सिंह गढ़िया

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Re: COW Protection गौ संरक्षण
« Reply #1 on: August 15, 2010, 04:07:48 PM »
उत्तराखंड में प्राचीन काल से ही गाय को पाला जा रहा है, यही हमारी आजीवका का साधन थी। हमारे उत्तराखंड में होने वाले धार्मिक क्रिया-कलापों में गाय की अहम भूमिका है। साथ ही उत्तराखंड में शुरू से ही गाय दूध  उपार्जन का साधन रही है। बालक अपनी   माँ के दूध पीने के पश्चात गाय का ही दूध पी के बड़े होते थे। गाय के दूध में अन्य पशुओ के दूध के मुकाबले ज्यादा  पोष्टिकता और पवित्रता पाई जाती है। गाय से दूध, दही मक्खन तो मिलता ही है , गाय का मूत्र और गोबर भी पर्याप्त उपयोगी है। गाय के गोबर और मूत्र को ओषधियाँ बनाने में किया जाता है।      
    गाय प्राचीन काल से ही भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग रही है। गाय , गीता , गंगा और गायत्री ये भारतीय संस्कृति के चार आधार बताये गए हैं।  गाय को माता मानने की प्रष्ठभूमि है गाय के भीतर के वो हजारों  गुण जिन्हें वस्तुतः हम जानते नहीं हैं। गाय में के अन्दर समाहित कुछ आश्चर्य जनक गुण हैं  जिनके आधार पर गाय को माता की संज्ञा दी गयी है।   परन्तु आज उत्तराखंड में गाय कुछ उपेक्सित सी लग रही है, क्योंकि आज यहाँ गाय घरों में कम नज़र आने लगी है। पहले उत्तराखंड के हर एक घर में एक गाय या उसका बछड़ा अवश्य मिलता था परन्तु आज यह स्थिति नहीं दिखाई दे रही है, इसका क्या कारण है, इसे हमने अवश्य जानना है, ताकि उत्तराखंड को  गौ विहीन होने से बचाया जा सके ।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Re: COW Protection गौ संरक्षण
« Reply #2 on: August 15, 2010, 09:05:57 PM »

गाड़िया जी,

यह बहुत अच्छा विषय है! सरकार के आलावा लोगो को इस विषय पर गंभीर होकर सोचना चाहिए! वैसे उत्तराखंड देश का पहला राज्य है जहाँ पर गोमूत्र को दवा बनाने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है!

गायो के संरक्षण के लिए जागरूकता अभियान जी भी जरुरत है !


विनोद सिंह गढ़िया

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Re: COW Protection "गौ संरक्षण"
« Reply #3 on: August 15, 2010, 10:04:07 PM »
उत्तराखंड  में  योग गुरु स्वामी रामदेव के पतंजलि योगपीठ हरिद्वार में गोमूत्र के अर्क तथा जड़ी-बूटियों से कई रोगों की दवाइयां बनाई जा रही  हैं।  उनके केंद्र ने गोमूत्र के अर्क तथा जड़ी-बूटियों से हृदयरोग के लिए गोतीर्थ हृदयरक्षक, उच्च तथा निम्न रक्तचाप के लिए गोतीर्थ रक्तचाम नियंत्रक, मधुमेह के लिए गोतीर्थ मधुमेहहारि, शरीर के भीतरी तथा बाहरी अंगों की सूजन दूर करने के लिए गोतीर्थ शोधहर, मोटापा घटाने के लिए गोतीर्थ मेदोहर अर्क, जोड़ों के दर्द, गठिया, आर्थराइटिस के लिए गोतीर्थ पीडाहर, पेट के विकारों के लिए गोतीर्थ उदर रोग हर, खुजली और फोड़े, फुंसियों, दाद, रिंगवर्म तथा रक्त दोष जन्य विकारों के लिए गोतीर्थ अर्क, गुर्दो की कार्यप्रणाली तथा गुर्दे के रोगों के लिए गोतीर्थ लीवर टानिक, एड्स और यौन रोगों के लिए गोतीर्थ यौवन रक्षक अर्क एवं बवासीर के लिए गोतीर्थ बवासीर नाशक सहित लगभग 24 औषधियों का निर्माण किया जा रहा है।

इन बातों से स्पष्ट हो रहा है कि "गौ माता" हमारे लिए कितनी उपयोगी है | मैं मानता हूँ कि उत्तराखंड में गौ माता अर्थात गाय को सम्मान से देखा जाता है, उसकी सेवा की जाती है | इसी भावना को हम उत्तराखंडियों को बनाये रखना आवश्यक है ताकि हमारा राज्य एक आदर्श राज्य बन सके |

विनोद सिंह गढ़िया

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Re: COW Protection गौ संरक्षण
« Reply #4 on: August 16, 2010, 06:36:00 PM »
गौमूत्र के सेवन से शरीर में विद्यमान कीटाणुओं का नाश होता है, इसी कारण उत्तराखंड में लोग बीमार होने या शरीर में खाज-खुजली होने पर गौमूत्र का सेवन करते हैं | यहाँ तक कि जब उत्तराखंड की महिलाएं मासिक धर्मं से गुजर रही होती हैं वे भी रोजाना ५ दिन तक गौमूत्र का सेवन करती हैं |

ब्रिटेन के डा. सिमर्स के अनुसार गोमूत्र खून में मौजूद दूषित कीटाणुओं का नाश करता है तथा पुराने घावों बढ़ते हुए मवाद [पीब] को रोकता है और यह बालों के लिए एक कंडीशनर की तरह उपयोगी है। दिल संबंधित रोगों, टीबी, और पेट की बीमारियों तथा गुर्दे संबंधी खराबियों में गोमूत्र और गाय के गोबर का मिश्रित इस्तेमाल काफी लाभकारी है। गुर्दे में पथरी के लिए 21 दिनों तक लगातार गोमूत्र का सेवन बड़ा लाभकारी सिद्ध होता है।
 
अमेरिका के डा. क्राफोड हैमिल्टन का दावा है कि गोमूत्र के प्रयोग से हृदयरोग दूर होते हैं और पेशाब खुलकर आता है। उनका कहना है कि कुछ दिन गोमूत्र के सेवन से धमानियां प्रसारित होती हैं, जिससे रक्त का दबाव स्वाभाविक होने लगता है। गोमूत्र से भूख बढ़ती है और पुराने गुर्दा रोग [रीनल फेल्योर व किडनी फेल्योर] की कारगर दवा है।

इन बातों से स्पष्ट होता है कि गौमूत्र कितना लाभकारी है |

सत्यदेव सिंह नेगी

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Re: COW Protection गौ संरक्षण
« Reply #5 on: August 16, 2010, 06:41:09 PM »
सच में गोमूत्र पवित्र है और इसे हमारे धर्म में गंगाजल सा स्थान प्राप्त है
गौमूत्र के सेवन से शरीर में विद्यमान कीटाणुओं का नाश होता है, इसी कारण उत्तराखंड में लोग बीमार होने या शरीर में खाज-खुजली होने पर गौमूत्र का सेवन करते हैं | यहाँ तक कि जब उत्तराखंड की महिलाएं मासिक धर्मं से गुजर रही होती हैं वे भी रोजाना ५ दिन तक गौमूत्र का सेवन करती हैं |

ब्रिटेन के डा. सिमर्स के अनुसार गोमूत्र खून में मौजूद दूषित कीटाणुओं का नाश करता है तथा पुराने घावों बढ़ते हुए मवाद [पीब] को रोकता है और यह बालों के लिए एक कंडीशनर की तरह उपयोगी है। दिल संबंधित रोगों, टीबी, और पेट की बीमारियों तथा गुर्दे संबंधी खराबियों में गोमूत्र और गाय के गोबर का मिश्रित इस्तेमाल काफी लाभकारी है। गुर्दे में पथरी के लिए 21 दिनों तक लगातार गोमूत्र का सेवन बड़ा लाभकारी सिद्ध होता है।
 
अमेरिका के डा. क्राफोड हैमिल्टन का दावा है कि गोमूत्र के प्रयोग से हृदयरोग दूर होते हैं और पेशाब खुलकर आता है। उनका कहना है कि कुछ दिन गोमूत्र के सेवन से धमानियां प्रसारित होती हैं, जिससे रक्त का दबाव स्वाभाविक होने लगता है। गोमूत्र से भूख बढ़ती है और पुराने गुर्दा रोग [रीनल फेल्योर व किडनी फेल्योर] की कारगर दवा है।

इन बातों से स्पष्ट होता है कि गौमूत्र कितना लाभकारी है |

विनोद सिंह गढ़िया

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Re: COW Protection गौ संरक्षण
« Reply #6 on: August 16, 2010, 06:56:50 PM »
चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार टीबी जैसे रोग में इन दवाओं के साथ गोमूत्र का उपयोग करने पर न केवल दवा की कम मात्रा से ही रोग नष्ट हो जाता है, बल्कि औषधि लेने के कार्यकाल में भी काफी कमी आ जाती है जिससे समय और धन दोनों की बचत होती है।

गोमूत्र के तरह गोबर में भी अनेक औषधीय गुण मौजूद हैं।इटली के अधिकांश सेनेटारियमों में गोबर का प्रयोग किया जाता है वहां हैजा तथा अतिसार के रोगियों में ताजा पानी में गोबर का रस घोलकर देना दोषरहित चिकित्सा मानी जाती है। जिस तालाब में हैजे के कीटाणु हो जाते हैं, उसमें गोबर डालने से उनका सफाया हो जाता है।  इंग्लैंड के प्रसिद्ध वैज्ञानिक प्रो जीई बीगेंड ने गोबर के अनेक प्रयोगों से सिद्ध कर दिया है कि गाय के ताजे गोबर में तपेदिक तथा मलेरिया के कीटाणु मर जाते हैं।  ताजे गोबर का रस पंचगव्य का मुख्य अंश है जिसके प्रयोग से देह, मन और बुद्धि के विकारों का नाश होता है।  गोपालन के द्वारा उनके दूध, घी, मक्खन तथा उनसे बने पदार्थो एवं गोमूत्र और गोबर से बनी औषधियों से देश के करोड़ लोग स्वस्थ्य और निरोग बनने के साथ ही इनके व्यवसाय से उत्तराखंड के लोगों की आर्थिकी मजबूत होगी साथ ही देश भी अंतरराष्ट्रीय अंतर पर इन औषधियों का व्यवसाय कर आर्थिक रूप से मजबूत हो सकेगा।

विनोद सिंह गढ़िया

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Re: COW Protection गौ संरक्षण
« Reply #7 on: August 17, 2010, 05:03:09 PM »
हमारे शास्त्रों में भी गौ माता के गुणों का बखान किया गया है और गौ माता की सेवा को ही सबसे बड़ा धर्मं बताया गया है |

"यद् गृहे दुखिता गावः, स येति नरके नरः"

अर्थात : जिस घर में गाय दुखी रहती है, उसको सताया जाता है, उस घर के मनुष्य नरक के भोगी होती हैं |

सत्यदेव सिंह नेगी

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Re: COW Protection गौ संरक्षण
« Reply #8 on: August 17, 2010, 05:24:34 PM »

सत्यदेव सिंह नेगी

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Re: COW Protection गौ संरक्षण
« Reply #9 on: August 17, 2010, 05:27:15 PM »

 

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