पराशर कृषि ग्रंथ।
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उषा बिज्लवाण-देहरादून।
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पराशर नामक मुनि द्वारा रचित ग्रंथों मां कृषि संग्रह , ऋषि पराशर और पराशर तंत्र गिणाए जांदन। लेकिन युमन मूल ग्रंथ कृषि पराशर ही छा। यह ग्रंथ का रचीयता मुनि पराशर कु छा ये मां अभी मतभेद छ। ग्रंथ की शैली का आधार पर यू आठ वीं शदी का पैली को नी माने जान्दू। कृषि पर आ शर्मा कृषि पर ग्रह नक्षत्रों कू प्रभाव बादलौं और वैकी जातियां, बरखा माप, बरखा कू अनुमान,अलग अलग टैम पर बरखा कू प्रभाव, कृषि की देखभाल, बल्दौंकी सुरक्षा, मोल की खाद, हल, लवार्त मन्डवार्त कु टैम ,बल्दौं कू चुनाव, , रोपणी,धान कू संग्रह आदि विषयों पर किए गैन। ग्रंथ का अध्ययन से पता चलदू कि पराशर का मन मा कृषि का प्रति अपूर्व सम्मान छौ। किसान कन होयूं चैंदू, पशुओं तैं कन रख्यूं चैंदू,मोल की खाद कन तैयार कर्यूं चैंदू, और खेतों में खाद कू क्या फायदा होंदू आदि विषयों कू वर्णन यीं ग्रंथ मां मिल्दू। हलों का संबंध मां लिख्यूं छा कि ईशा, शहल, हलस्थाणू,निर्याल, पाशिका,अड्डचल्ल,तथा पंचनी यू हल का ८रूप छन। पांच हाथ की हरीस, ढाई हाथ कू हलस्थाणू, डेढ़ हाथ कू फार और चार हाथ कू जुवा होण चैंदू।ये ग्रंथसे पता चलदू की पराशर का काल मां कृषि अत्यंत पुष्ट कर्म छै।