Author Topic: Dhoni Uttarakhand Tiger mission ambassador- धौनी ब्रांड अंबेसडर बाघ संरक्षण  (Read 12540 times)

हलिया

  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 717
  • Karma: +12/-0


उत्तराखंड का बाघ बचाने का वादा,पोखरियाल और धोनी,साबास पोखरियाल जी बढे चलो,ऐसे ही कारनामे करते रहो,उत्तराखंड का विकास ऐसे ही होगा,बागो को बचाओ और इंसानों को मारो तभी आप और आपके बाघ बचेंगें !

उत्तराखंड का बाघ बचाने का वादा





जाखी जी आपका पोस्ट किया हुआ वीडिओ देखा, अहा! क्या आनंद आरहा है हो महाराज|  हैं, लान मैं बैठे हैं, एक बहुत बड़े पत्रकार हैं एक बहुत बड़े क्रिकेट खिलाड़ी हैं और एक हमारे बहुत ही सुयोग्य मुख्य मंत्री जी, इस प्रेस कांफ्रेंस का खर्चा केवल कुछ हजार रुपये ही हुआ होगा ना?  तो क्या हुआ बाघों को बचाने के लिए कुछ हजार यूं ही खर्च भी कर दिए तो?  कोइ आफत तो नहीं आ गयी, पहाड़ों में जंगल के चौकीदार को ६००/- महीना तनखा और वो भी टाइम पर कभी नहीं मिलती तो क्या हुआ?  जब धौनी भैया क्रिकेट के मैदान से आवाज देंगे "बाघ बचाओ होssssss " तो बाघ अपने आप बचेंगे कि नहीं? गाँव वाले या जंगल के नजदीक रहने वाले क्या जाने बाघों को कैसे बचाया जाता है?  बात जो करते हैं. 

Devbhoomi,Uttarakhand

  • MeraPahad Team
  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 13,048
  • Karma: +59/-1
बिलकुल सही कहा अपने हालिया जी गांवों मैं जो चोकीदार होता है उसको ६०० महिना मिलता है और वो समय पर नहीं मलता है,अगर यही कुछ हजार रूपये माननीय मुख्यमंत्री जी उन चोकी दरो के ऊपर खर्चा किये होता तो सायद वो धौनी से लाख गुना अच्छी तरह से बाघों की देख रेख करता और और गांवों मैं जो बाघों का आतंक फैला हुआ है वो भी कम हो जाता !

अगर कभी धौनी का रात के अँधेरे में किसी घ्नाघोर जंगल में बाघ से सामना हो गया तो धौनी भाई और माननीय मुख्यमंत्री साहब दोनों की पतलून गीली हो जाएगी और धौनी साहब तो किरकेट ही खेलना भूल जायेंगें !

सत्यदेव सिंह नेगी

  • Moderator
  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 771
  • Karma: +5/-0
times of india news  TV footage shows tigers thriving in Himalayas  A documentary titled " Lost Land of the Tiger" has provided the first real evidence that tigers can thrive and breed in the foothills of the Himalayas, which are more than 13,000 feet above sea level.

A team from the BBC Natural History Unit captured the images using hidden cameras wedged into gullies and trees over six weeks during an expedition to Bhutan.

Wildlife cameraman Gordon Buchanan said he was reduced to tears the first time he saw the footage.

He was quoted as saying: "It was beyond words, pretty overwhelming. We were there about six weeks. For me the whole purpose of the expedition was to film evidence of the tigers living in Bhutan so all the effort and everything we did came down to a few seconds of footage."

He added, "This is such a significant discovery for tiger survival. The tigers' behaviour suggests they are breeding and I am convinced that there must now be cubs somewhere on this mountain. At current rates tigers will become extinct in around 15 years."

Conservationist Dr Alan Rabinowitz said the discovery took them one step closer to an ambitious plan to link up isolated tiger populations across Asia with a "corridor" where they are safe from humans. The team also captured film of the elusive snow leopard

Read more: TV footage shows tigers thriving in Himalayas - The Times of India http://timesofindia.indiatimes.com/india/TV-footage-shows-tigers-thriving-in-Himalayas/articleshow/6596143.cms#ixzz108n5WKlt

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
Dhoni to be honorary wildlife warden of Uttarakhand

DEHRADUN: Indian cricketer Mahendra Singh Dhoni has been appointed as first honorary wildlife warden of Uttarakhand, which also declared him as the brand ambassador of its save the tiger campaign.

The Uttarakhand government has issued a notification regarding appointment of Dhoni as the wildlife warden of the hill state on Sep 27, Additional Secretary, Forest, Sushant Patnaik said today.

Dhoni's appointment letter would shortly be dispatched to him, he added.

Last month, Dhoni had come to Dehradun as part of 'Save the Tiger' campaign and Chief Minister Ramesh Pokhariyal Nishank announced his nomination as the honorary wildlife warden of the state.

Nishank also declared Dhoni as brand ambassador of save the tiger campaign in the state which houses two major national parks -- Jim Corbett and Rajaji.

"I am delighted to accept the honorary wildlife warden post which has been offered to me by the Uttarakhand Chief Minister," The Indian skipper had said.

http://economictimes.indiatimes.com/news/news-by-industry/et-cetera/Dhoni-to-be-honorary-wildlife-warden-of-Uttarakhand/articleshow/6748234.cms

Charu Tiwari

  • MeraPahad Team
  • Jr. Member
  • *****
  • Posts: 69
  • Karma: +6/-0
बहुत बिलंब से उत्तराखंड में बाघ बचाने वाली पोस्ट को देख पाया। बहुत से मित्रा हैं जो भावनात्मक रूप से अपनी माटी से जुड़े रहते हैं। उन्हें हर पहाड़ी में एक उम्मीद दिखाई देती है, वह चाहे मुख्यमंत्राी निशंक हों या महेन्दz सिंह धैनी। एक राजनीति का सौदागर एक बाजार का सौदागर। निशंक ने तो ठान ली है कि हम गंगा से लेकर जंगलों को बाजार के रूप में स्थापित करेंगे। उसके खरीददारों को लुभानें के लिये कभी हेमा मालिनी तो कभी महेन्दz सिंह धैनी को आगे किया जा रहा है। किसी अच्छी मंशा से नहीं, बल्कि भारी पैसा देकर। साथियों को यह पूछना चाहिये कि किसी का बाzंड एम्बेसडर बनने के लिये इनको कितना पैसा दिया जाता है। पिछले दिनों हम लोग आपदा राहत कार्यो के लिये पहाड़ के दो जिलों में गये थे। टिहरी और अल्मोड़ा में। टिहरी में हम जिस वन विभाग के रेस्ट हाउस में रुके उसमें काम करने वाले व्यक्ति ने बताया कि वह कई वर्षो से दैनिक वेतनभोगी के रूप में काम कर रहा है। पहले उसे दो हजार दो सौ रुपये मिलते थे, अब 3200 मिलते हैं। अब विभाग ने उसे हटाने का अल्टीमेटम दे दिया है। इससे पहले हम बागेश्वर के वजूला और पौड़ी के चौबटाखाल के रेस्ट हाउसों में कम करने वाले कर्मचारियों की व्यथा सुन चुके हैं। राज्य में वन विभाग में अधिकारियों की बड़ी पफौज है। इन पर प्रतिवर्ष भारी पैसा खर्च किया जाता है। कर्मचारियों के नाम पर अस्थाई कर्मचार ंबे समय से काम कर रहे हैं। इनका लंबे समय से राज्य सरकार के खिलापफ आदोलन भी चल रहा है।
   असल में बाघों को बचाने के बहाने सरकार हमेशा ऐसे कुकर्म करती रहती है। पिफर निशंक जैसे हल्के और छिछोरे लोगो के लिये विकास का यही मायने होता है। जिस धैनी को अभी बिल्ली पालने की तमीज भी न हो वह बाघ के संरक्षण की क्या बात करेगा। असल में जिस चीज का संरक्षण जो कर सकता है उसे आगे लाना चाहिये। धैनी यदि उत्तराखंड में खेलों के विकास के लिये कुछ करना चाहते हैं तो वह स्वागत योग्य है, लेकिन उसकी लोकप्रियता का मतलब यह नहीं है कि उसे हमारी हर चीज का खरीददार बना दिया जाये। अच्छा होता कि सरकार वहां वन विभाग को मजबूत बनाती। वहां कर्मचारियों को वन्य प्राणियों को बचाने के लिये उचित प्रशिक्षण की व्यवस्था करती। बड़े शहरों की सड़कों पर आंखों में महंगे पफैशनेबल चश्मे, टीशर्ट और पाWश कालोनियों में रहने वाले लोगों के साथ रेस लगाकर या मंहगे कपड़ो, महंगी सैडलों और मुस्कराते हुये चेहरे से पफोटो खिंचाने वाले अपने को सबसे गरीब का बेटा बताने वाले मुख्यमंत्राी की मखमली घास वाले लाWन में शूटिंग करने से बाघ नहीं बचते। आखिर बाघ जंगलों में रहते हैं। यह प्रकृति का नियम है कि बाघ को बचाने के लिये आदमी का बचना जरूरी है। दुर्भाग्य से जंगलों के बीच रहने वाली जनता को खदेड़ा जा रहा। जिस झारखंड के धैनी रहने वाले हैं या जिनमा पैतृक घर उत्तराखंड में है वहो की जनता को मुनापफाखोरों के हाथो बच जा रहा है। ऐसे में धैनी भी उसी सत्ता का साथ पैसा कमाने के लिये दे रहे हैं। इसलिये धैनी के बारे में भावनात्मक होने की जरूरत नहीं है। वह एक बाजार के आदमी हैं। हमारे-आपके वह कभी नहीं हो सकते।

Devbhoomi,Uttarakhand

  • MeraPahad Team
  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 13,048
  • Karma: +59/-1
बहुत बिलंब से उत्तराखंड में बाघ बचाने वाली पोस्ट को देख पाया। बहुत से मित्रा हैं जो भावनात्मक रूप से अपनी माटी से जुड़े रहते हैं। उन्हें हर पहाड़ी में एक उम्मीद दिखाई देती है, वह चाहे मुख्यमंत्राी निशंक हों या महेन्दz सिंह धैनी। एक राजनीति का सौदागर एक बाजार का सौदागर। निशंक ने तो ठान ली है कि हम गंगा से लेकर जंगलों को बाजार के रूप में स्थापित करेंगे। उसके खरीददारों को लुभानें के लिये कभी हेमा मालिनी तो कभी महेन्दz सिंह धैनी को आगे किया जा रहा है। किसी अच्छी मंशा से नहीं, बल्कि भारी पैसा देकर। साथियों को यह पूछना चाहिये कि किसी का बाzंड एम्बेसडर बनने के लिये इनको कितना पैसा दिया जाता है। पिछले दिनों हम लोग आपदा राहत कार्यो के लिये पहाड़ के दो जिलों में गये थे। टिहरी और अल्मोड़ा में। टिहरी में हम जिस वन विभाग के रेस्ट हाउस में रुके उसमें काम करने वाले व्यक्ति ने बताया कि वह कई वर्षो से दैनिक वेतनभोगी के रूप में काम कर रहा है। पहले उसे दो हजार दो सौ रुपये मिलते थे, अब 3200 मिलते हैं। अब विभाग ने उसे हटाने का अल्टीमेटम दे दिया है। इससे पहले हम बागेश्वर के वजूला और पौड़ी के चौबटाखाल के रेस्ट हाउसों में कम करने वाले कर्मचारियों की व्यथा सुन चुके हैं। राज्य में वन विभाग में अधिकारियों की बड़ी पफौज है। इन पर प्रतिवर्ष भारी पैसा खर्च किया जाता है। कर्मचारियों के नाम पर अस्थाई कर्मचार ंबे समय से काम कर रहे हैं। इनका लंबे समय से राज्य सरकार के खिलापफ आदोलन भी चल रहा है।
   असल में बाघों को बचाने के बहाने सरकार हमेशा ऐसे कुकर्म करती रहती है। पिफर निशंक जैसे हल्के और छिछोरे लोगो के लिये विकास का यही मायने होता है। जिस धैनी को अभी बिल्ली पालने की तमीज भी न हो वह बाघ के संरक्षण की क्या बात करेगा। असल में जिस चीज का संरक्षण जो कर सकता है उसे आगे लाना चाहिये। धैनी यदि उत्तराखंड में खेलों के विकास के लिये कुछ करना चाहते हैं तो वह स्वागत योग्य है, लेकिन उसकी लोकप्रियता का मतलब यह नहीं है कि उसे हमारी हर चीज का खरीददार बना दिया जाये। अच्छा होता कि सरकार वहां वन विभाग को मजबूत बनाती। वहां कर्मचारियों को वन्य प्राणियों को बचाने के लिये उचित प्रशिक्षण की व्यवस्था करती। बड़े शहरों की सड़कों पर आंखों में महंगे पफैशनेबल चश्मे, टीशर्ट और पाWश कालोनियों में रहने वाले लोगों के साथ रेस लगाकर या मंहगे कपड़ो, महंगी सैडलों और मुस्कराते हुये चेहरे से पफोटो खिंचाने वाले अपने को सबसे गरीब का बेटा बताने वाले मुख्यमंत्राी की मखमली घास वाले लाWन में शूटिंग करने से बाघ नहीं बचते। आखिर बाघ जंगलों में रहते हैं। यह प्रकृति का नियम है कि बाघ को बचाने के लिये आदमी का बचना जरूरी है। दुर्भाग्य से जंगलों के बीच रहने वाली जनता को खदेड़ा जा रहा। जिस झारखंड के धैनी रहने वाले हैं या जिनमा पैतृक घर उत्तराखंड में है वहो की जनता को मुनापफाखोरों के हाथो बच जा रहा है। ऐसे में धैनी भी उसी सत्ता का साथ पैसा कमाने के लिये दे रहे हैं। इसलिये धैनी के बारे में भावनात्मक होने की जरूरत नहीं है। वह एक बाजार के आदमी हैं। हमारे-आपके वह कभी नहीं हो सकते।


वाह वाह चारू सर क्या बात कही आपने,मजा आ गया पड़कर,ये नेता या बड़े  लोग कुकर्म करते हैं,और भुगतना पड़ता है वेचारी भोली -भाली जनता को,जितने पैसे इन लोगोने  धोनी की ऊपर या किसी हेमा मालिनी या मनिका गाँधी की ऊपर खर्चा किये है,कास अगर ये कुकर्मी लोग उन कर्मचारियों का वेतन बढ़ते जो की वेचारे इनके जंगलो की रक्षा कर रहे है तो बाघ ही क्या ये कुकर्मी बभी बच जाते ये सब ढोंगी कुकर्मी हैं दुसरे की आड़ में अपनी तिजोरी भरने की हौड लगी रहेती है इनको बस कहाँ से आयेगा और कहाँ  भरू,बस यही है राजनीति ये राजनीति के कुकर्मियों का भगवान् ही मालिक हैं लेकिन इतना तो जरूर है की जो जैसा करेगा उसको इस दुनियां से जाने पहेल हिसाब यही देना पड़ता है !

Anil Arya / अनिल आर्य

  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 1,547
  • Karma: +26/-0
M.S Dhoni has not yet stated publicly that his parents are from Almora, Uttarakhand.

This is a very good news for Uttarakhand. Alteast Dhoni has started doing something for this state.

God job!

Devbhoomi,Uttarakhand

  • MeraPahad Team
  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 13,048
  • Karma: +59/-1
धोनी ने अभी तक कभी किसी समय मिडिया में कहीं किसी के सामने या किसी को ये बताया है की उसका या उसके माता पिता का उत्तराखंड से कोई सम्बन्ध है !क्या कभी किसी ने सुना है ?

हाँ सुना है तो सिर्फ पोख्रिताली जी ने सुना है और सुनते है बोखला गए है, और कुकर्म करने शुरू कर दिए,साबास निशंक जी,मुख्यमंत्री के म्याने भी मालुम नहीं है और अभी से कुकर्म करने शुरू हो,जय देवभूमि उत्तराखंड ऐसे ही मुख्यमंत्रियों की पैदावार बढ़ते रहो !

Anil Arya / अनिल आर्य

  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 1,547
  • Karma: +26/-0
Dear Devbhoomi Ji,
 
Apne mere dil ki baat kah dee. Dhoni ko jo bhi khyati mil rahi hai wo Uttarakhand ke devi devetaon ke aashirvaad se hai. 
 
Dhoni ke mukh se maine nahi suna hai.
 
 

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0

But situation is different ground level.
=========================


Leopard found dead in Uttarakhand
 
   
A leopard was found dead in Gangolihaat area of Uttarakhand's Pithoragarh district, the third such incident in the state during the past one week, forest officials said on Thursday.


The carcass of 20-year-old leopard was spotted by the locals at Gangolihaat yesterday, who informed the forest officials, Pithoragarh Divisional Forest Officer (DFO) DTG Sambandham said.

Earlier, two leopards were found dead in two separate incidents in Soni reserved forest of Almora district. The postmortem reports of the animals revealed that they had died of pneumonia.
http://english.samaylive.com/regional-news/uttarakhand-news/676479173/dehra-dun-uttarakhand-regional-news-leopard-forest-officer.html

 

Sitemap 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22