Author Topic: Election 2012 in Uttarakhand Vs Development-उत्तराखंड में चुनाव २०११ बनाम विकास  (Read 43430 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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बड़ी दुःख की बात है उत्तराखंड में लोग चुनाव चल रहे है लेकिन उत्तराखंड की हितो की बात करने वाले पार्टियों के चुनाव घोषणा पत्र में उत्तराखंड की राजधानी गैरसैंन करने की कोई बात नहीं कही गयी है !

Devbhoomi,Uttarakhand

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डेढ़ दशक में तीन किमी सड़क, वह भी अधूरी


मोटर मार्ग की खस्ताहालत से नाराज हैं डुंगर-सेमाला के ग्रामीणरुद्रप्रयाग। ऊखीमठ ब्लॉक मुख्यालय के निकट निर्माणाधीन पठाली-पल्द्वाड़ी मोटर मार्ग के लिए  डेढ दशक में सिर्फ तीन किमी ही बन पाई, वह भी आधी-अधूरी। डेढ किमी तक छोटे वाहन भी मुश्किल से चल पाते हैं। जनता ने कई बार सड़क निर्माण पूरा करने की मांग को लेकर आंदोलन किया, लेकिन सड़क की स्थिति नहीं बदली। पठाली-पल्द्वाड़ी मार्ग का निर्माण 1998 में शुरू हुआ था। प्रथम चरण में सेमाला गांव तक तीन किमी सड़क को स्वीकृति मिली। इसके बाद सेमाला गांव से पल्द्वाड़ी तक दो किमी मार्ग और पुल की मंजूरी भी मिल चुकी है। समस्या यह है कि इन 14 वर्षों में सड़क का निर्माण सेमाला गांव तक भी ठीक से नहीं हो पाया है। सड़क के शुरूआत में ही चट्टान वाहनों से टकराती है। कई स्थानों पर रोड कटिंग होना बाकी है। पिछले वर्ष बरसात से कई स्थानों पर पुश्ते क्षतिग्रस्त हो गए थे। चालक जान जोखिम में डालकर डेढ किमी तक वाहन ला रहे हैं। सड़क की स्थिति सुधारने और निर्माण के लिए लोगाें ने ऊखीमठ में चक्का जाम किया था। लेकिन सड़क का निर्माण नहीं हो पाया।  -जय लाल, प्रधान डुंगर-सेमालायदि सड़क पर वाहन चलते, तो ग्रामीणों की परेशानी कम हो जाती। हाल में लोनिवि ने मजदूर लगाकर अधूरा काम निपटाना शुरू किया है। लेकिन वो भी कछुवा गति से। -यशवंत चौधरी अध्यक्ष युवक मंगल दल


Source Amarujal
 

Devbhoomi,Uttarakhand

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झंगोरा खाएंगे’ को किया साकार
उत्पाद को शिक्षिका दे रही नया आयाम


श्रीनगर। बेरोजगार युवाओं को स्थानीय उत्पादन के महत्व तथा इससे पैदा हो रहे रोजगार के अवसरों का पाठ डा. नीलम बिष्ट बखूबी पढ़ा रही हैं। किचन में काम करने की अभिरुचि पर किए गए नए प्रयोगों ने उन्हें आज पहाड़ी उत्पादनों से तैयार होने वाले व्यंजनों की बेहतर सैफ के रूप में प्रतिष्ठित करने का काम किया है।
स्वाडू़ में शिक्षिका डा. नीलम बिष्ट ने उत्तराखंड आंदोलन के समय में दिए गए नारे कोदा-झंगोरा खाएंगे, उत्तराखंड बनाएंगे को साकार कर दिखाया है।

 उनकी रसोई में तैयार मंडुए का केक और झंगोरे की इडली खाकर हर कोई वाह करने को मजबूर हो जाता है। अपने इस हुनर को वह हर रविवार को युवतियां के लिए वे निशुल्क टीचिंग क्लास भी चलाती हैं।

कहती हैं कि स्थानीय कृषि उत्पादों पर मेरे प्रयोग खत्म नहीं हुए हैं। नई-नई डिश बनाने के लिए जुटी हुई हूं। इससे प्रेरित होकर कोई बेरोजगार स्वरोजगार स्थापित करे, तो उसे बड़ी सफलता मानूंगी।

Source Amar ujala

Devbhoomi,Uttarakhand

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झील के किनारे, फिर भी प्यासेजाखणीधार प्रखंड के नौ गांवों में पेयजल संकट


नई टिहरी। टिहरी बांध की झील के किनारे बसे जाखणीधार प्रखंड के नौ गांवों में पीने के पानी का संकट बना हुआ है। सर्द मौसम में ग्रामीणों को पानी के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है। जल संस्थान ने कुछ गांवों के पास हैंडपंप तो लगाए लेकिन वे भी ग्रामीणों की प्यास बुझाने में नाकाम साबित हो रहे हैं। पिछले दस सालों में इन गांवों को पर्याप्त पानी मुहैया कराने के लिए कोई पेयजल योजना नहीं बनाई गई है। इससे ग्रामीणों में आक्रोश है।


टिहरी बांध से उत्पादित बिजली और पानी देश के दूसरे राज्याें को तो लाभान्वित कर रहा है लेकिन झील किनारे बसे गडोलिया, छोलगांव, नंदगांव, उठड, खादी, बड़कोट और टिपरी आदि गांवों में 10 वर्षों से पेयजल किल्लत है। गर्मी में तो इन गांवों में पानी के लिए हाहाकार मचता है लेकिन इस बार सर्दी में भी लोगों को पानी की किल्लत से जूझना पड़ रहा है। ग्रामीणों का ज्यादातर समय पानी की व्यवस्था जुटाने में बीत रहा है।

ज्यादा समस्या मवेशियों के लिए पानी जुटाने में होती है। झील से न तो पानी लाया जा सकता है और न ही मवेशियों को पानी पिलाने वहां ले जाया जा सकता है। नंदगांव और छोलगांव में तो लोगों को हैंडपंप पर ही रहना पड़ रहा है। क्षेत्रवासियों में आक्रोश है कि झील बनने के बाद भी उनके गांवों के लिए कोई नई पेयजल लाइन नहीं बनाई गई।

जाखणीधार प्रखंड के अंतर्गत झील और सड़क किनारे बसे गांवों में पेयजल किल्लत को देखते हुए अलग-अलग स्थानों पर हैंडपंप लगाए गए हैं। विभाग को आजकल पानी के संकट की कोई शिकायत नहीं मिली है। यदि समस्या है तो गांवों में विभागीय कर्मियों को भेजकर व्यवस्था चाक-चौबंद कर दी जाएगी।    - जीपी डिमरी, ईई, जल संस्थान

झील बनने के कारण गांव की पुरानी पेयजल लाइन क्षतिग्रस्त हो गई थी। 10 वर्षों से उसकी मरम्मत तक नहीं की गई। हैंडपंप तो है लेकिन 20 से 25 परिवारों को सुबह-शाम पानी भरने के लिए लाइन लगानी पड़ती है।

विनोद सिंह गढ़िया

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वोट जरुर दिया, जो हमर गौंक, इलाकक, प्रदेशक विकास करल; वीकें वोट जरुर दिया। जब हम भल मैंस कैं जितून, तबै हम सब लोग अघिल बडुल।  लियो तुमर लिजी एक कविता प्रस्तुत छू.........

‘‘वोट दी दिया’’
ऐ गईं चुनाव, जरा बात सुनिया,
दाज्यू तुम जरूर, आपण वोट दी दिया।
दादा, चाचा, भाई तुम वोट दी दिया।
दीदी, बैणी, भाई तुम वोट दी दिया,
ये यज्ञ में वोट डालि पुण्य ली लिया,
दाज्यू तुम जरूर, आपण वोट दी दिया।
पांच सालैं हैं चुनी जांछी, नेताओं फसल,
बेईमानों जिताला तो, खूब होली टसल।
सोचि-समझी, आपण मतैक दान करिया,
जन सोचिया म्यार वोटे लै, कि पडौ फरक।
यक बोटै लै जीत हुछी, बड़ पड़ौ फरक,
वोट हुंछ गुप्त जरा, ओट करिया,
दाज्यू तुम जरूर, आपण वोट दी दिया।
हमर-तुमर वोटों लै यो, चुनी जानी नेता,
भल मकान बनौन हैं लै, धुली चैंछ रेता।
ईमानदार, बेदागी, आपण नेता चुनिया,
दाज्यू तुम जरूर, आपण वोट दी दिया।
जन पड़िया वोटे लीजि, कैकै लै चक्कर में तुम,
पैसा-पांई, दवा दारू, कैकै लै चक्कर में तुम,
वोट छूं अनमोल, जन, मोल करिया
दाज्यू तुम जरूर, आपण वोट दी दिया॥
वोट दिनौक छ धर्म, प्रजातंत्रै राज में,
वोटों लै सरकार बनैछी, प्रजातंत्रै राज में,
आपण वोटक तुम सही, उपयोग करिया,
दाज्यू तुम जरूर, आपण वोट दी दिया।
भल नेता के जिताला तो, भल ही लो राज,
योग्य, सदाचारी, उम्मीदवार चुनिया,
दाज्यू तुम जरूर, आपण वोट दी दिया।
वोट दिन हैं ली जाया तुम, आपण पहिचान पत्र,
वोट दिया वी कनी तुम, जै को भल चरित्र,
जै लै देला तुम आपण, वोट दी दिया,
दाज्यू तुम जरूर, आपण वोट दी दिया।
- केशव दत्त जोशी, शिक्षक, राइका मोतीनगर (हल्द्वानी)
साभार : अमर उजाला

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Well written by Bhatt Ji..

We should definitely use our right to cast vote but for right candidate.

वोट जरुर दिया, जो हमर गौंक, इलाकक, प्रदेशक विकास करल; वीकें वोट जरुर दिया। जब हम भल मैंस कैं जितून, तबै हम सब लोग अघिल बडुल।  लियो तुमर लिजी एक कविता प्रस्तुत छू.........

‘‘वोट दी दिया’’
ऐ गईं चुनाव, जरा बात सुनिया,
दाज्यू तुम जरूर, आपण वोट दी दिया।
दादा, चाचा, भाई तुम वोट दी दिया।
दीदी, बैणी, भाई तुम वोट दी दिया,
ये यज्ञ में वोट डालि पुण्य ली लिया,
दाज्यू तुम जरूर, आपण वोट दी दिया।
पांच सालैं हैं चुनी जांछी, नेताओं फसल,
बेईमानों जिताला तो, खूब होली टसल।
सोचि-समझी, आपण मतैक दान करिया,
जन सोचिया म्यार वोटे लै, कि पडौ फरक।
यक बोटै लै जीत हुछी, बड़ पड़ौ फरक,
वोट हुंछ गुप्त जरा, ओट करिया,
दाज्यू तुम जरूर, आपण वोट दी दिया।
हमर-तुमर वोटों लै यो, चुनी जानी नेता,
भल मकान बनौन हैं लै, धुली चैंछ रेता।
ईमानदार, बेदागी, आपण नेता चुनिया,
दाज्यू तुम जरूर, आपण वोट दी दिया।
जन पड़िया वोटे लीजि, कैकै लै चक्कर में तुम,
पैसा-पांई, दवा दारू, कैकै लै चक्कर में तुम,
वोट छूं अनमोल, जन, मोल करिया
दाज्यू तुम जरूर, आपण वोट दी दिया॥
वोट दिनौक छ धर्म, प्रजातंत्रै राज में,
वोटों लै सरकार बनैछी, प्रजातंत्रै राज में,
आपण वोटक तुम सही, उपयोग करिया,
दाज्यू तुम जरूर, आपण वोट दी दिया।
भल नेता के जिताला तो, भल ही लो राज,
योग्य, सदाचारी, उम्मीदवार चुनिया,
दाज्यू तुम जरूर, आपण वोट दी दिया।
वोट दिन हैं ली जाया तुम, आपण पहिचान पत्र,
वोट दिया वी कनी तुम, जै को भल चरित्र,
जै लै देला तुम आपण, वोट दी दिया,
दाज्यू तुम जरूर, आपण वोट दी दिया।
- केशव दत्त जोशी, शिक्षक, राइका मोतीनगर (हल्द्वानी)
साभार : अमर उजाला


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aa gaye hai daju.. Chunav prachaar me...

Pahchan kaun.... ?????



एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Now Aeri Saab.

Deepak Garbyal जय भारत जय उत्तराखंड
 समस्त धारचूला मुनस्यारी क्षेत्र की जनता से अपील
 सम्मानित मतदाताओ, आज समय आ गया है आपके पास इक ऐसा जनप्रतिनिधि चुनने का जो कि योग्य इमानदार और बुद्धिजीवी हो, एक ऐसा नेता चुनने का जो कि इस क्षेत्र ,जो की जातिगत राजनीति के चलते विकास की प्रक्रिया मे कई साल पीछे छूट गया है , की आवाज को प्रखरता से विधानसभा मे उठा सके और इस क्षेत्र को अन्य क्षेत्रो की तरह विकास की राह पर लाकर और भी आगे ले जाये. अगर आप सभी बारह उम्मीदवारों की छवि और योग्यता का आंकलन करेंगे तो अवश्य आप की अंतरात्मा से एक आवाज आयेगी कि "श्री काशी सिंह ऐरी जी के सामान योग्य , बुद्धिजीवी और ईमानदार उम्मीदवार कोई नहीं है ". साथियो जिस व्यक्ति ने अपना पूरा जीवन इस पर्वतीय राज्य के आन्दोलन मे लगाया और अंततः राज्य अलग कर के यह साबित कर दिया है कि दृढ संकल्प और संघर्ष से कुछ भी हासिल किया जा सकता है.यह सोचने कि बात है कि जो व्यक्ति पृथक राज्य के संकल्प को अपने मुकाम तक पंहुचा सकता है तो क्या वह इस क्षेत्र के विकास को उचाईयों तक नहीं पंहुचा सकता?आज इस क्षेत्र को भी जरुरत है ऐसे नेतृत्व कि जो इसे विकास के नए आयाम तक पहुचा सके.
 अतः मित्रो आपसे हम सभी का पुनः निवेदन है कि मतदान के दिन अपनी अंतरात्मा की आवाज सुने और "कप प्लेट" जो की पहले नंबर पर है उसके आगे का बटन दबाकर श्री काशी सिंह ऐरी जी को विजयी बनाकर इस क्षेत्र के विकास मे अपनी भागीदारी सुनिश्चित करे .

हुक्का बू

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मैं येशी पार्टी को भोट दूंगा, जैका हाईकमान सिर्फ उत्तराखण्ड की जनता हो, येशा नहीं कि यू०पी० में चुनाव हैं, वहां सरकार है तो पानी-बिजली सप्प वहां, येशा भी नै कि जैसा पार्टी का नेशनल अजेण्डा हो, वैशे ही स्टेट भी अपनी नीति बणाये। ये जो नेशनल पार्टी हैं, उन्होंने ही हमारे प्रदेश का बंटाधार करके रखा हुआ है। कोई दिल्ली से तो कोई कहीं से गवर्न होता है, हमारे यहां से तो १२ साल से कोई गवर्न ही नहीं हुआ ठैरा। हमारे बुनियादी सवाल आज भी जहां के तहां ही ठैरे...हर कर्मचारी को कोटद्वार, देरादूण और हल्द्वानी ही रहना है, अस्पतालों में डाक्टर नहींं, स्कूलों में मास्टर नहीं, राशन की दुकान में ताला, नल है पर पानी नहीं, रोड़ टूट गई तो पैं टूट ही गई, लैट नहीं आई तो नहीं आ रही, कोई सुनने वाला नहीं, कोई देखने वाला नहीं। फटी पैंट पहनकर भोट मांगने आना वाला आज ५ साल बाद पजेरो में भैटकर भोट मांग रहा है।

उत्तराखण्ड की जब मांग उठी थी तो हमारे यहां चुनाव में एक पार्टी वाले आते थे और कहते थे कि वोट दो, नोट दो और रहने के लिये गोठ दो, वे बेचारे आज भी वैसे ही है, उनकी सोच उन्हीं के दिमाग में कुलबुला रही है...जिन्दगी इस प्रदेश के लिये खपा कर आज बेगाने हो गये, हिल कौंसिल, उत्तरांचल, विकसित भारत में नया उत्तराखण्ड जैसी बरगलाने वाली बातें कर आन्दोलन को कमजोर करने वाले कुछ लोग या तो मुख्यमंत्री बन गये हैं या बनने की कतार में हैं।

उत्तराखण्ड का जनमान्स उद्वेलित तो है लेकिन समझ में बहीं आता कि इतनी प्रबुद्ध और समझदार जनता भोट देते समय क्यों गजबजा जाती है।  भाई मैं तो ठैरा अनपढ़ गंवार, जैशा ले समझ में आया लिख दिया हां भोट तो यूकेडी को ही ठैरा

हुक्का बू

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बीजेपी का नारा है- खंडूड़ी हैं जरुरी त भाई हमने कब बोला गैर जरुरी, तुम्ही ने कहा था गैरजरुरी हटा के निशंक को लाये.......तुम्हारा भी यार अन्दाज नहीं आने वाला ठैरा हो......कार्यकाल डेढ साल का हो या पांच साल का मुख्यमंत्री बदल कर प्रदेश का विकास तो ठप्प करना ही ठैरा पांच साल से अपनी ही गद्दी के पीछे लगे रहते हो कभी प्रदेश की भी सोचो

भाजपा और कांग्रेस से कुछ सवाल

मुजफ्फरनगर कांड के हत्यारों को सजा दिलाने के सवाल पर मौन क्यों हो?
गैरसैंण राजधानी बनाने पर मौन क्यों हो?
पलायन रोकने के लिये नियोजित नीति बनाने पर चुप्प क्यों हो?
पहाड़ में औद्योगिक विकास पर मौन क्यों हो?
पहाड़ के अस्पताल में डाक्टर और स्कूल में मास्टर देने पर मौन क्यों हो?
उत्तराखण्ड की करोंड़ो की परिसम्पत्ति उ०प्र० से लाने के मसले पर मौन क्यों हो?
बांधों से हो रहे नुकसान पर मौन क्यों हो?
नेशनल पार्कों की आड़ में निरीह जनता के हो रहे शोषण पर मौन क्यों हो?
उत्तराखण्ड में पैर पसार रहे माफियाओं पर मौन क्यों हो?
खडिया-बजरी-पत्थर के अवैध चुगान पर मौन क्यों हो?
वनों के अवैध कटान पर मौन क्यों हो?
बांध की सुरंगों के ऊपर बसे गांवों की असुरक्षा पर मौन क्यों हो?
घर के अंदर तक घुस आये बाघ-भालू-हाथी पर मौन क्यों हो?
सामाजिक, आर्थिक, व्यवसायिक और राजनीतिक रुप से पिछड़ते जाते पहाड़ पर मौन क्यों हो?
बेरोजगारों की बड़ती जाती फौज पर मौन क्यों हो?
शराब की मार से हर पल मरती महिलापर मौन क्यों हो?
उजड़ते पहाड़ और दम तोड़ते गांवों पर मौन क्यों हो?

होगा तुम्हारी थैली को भरने के लिये खंडूरी या कोई और जरुरी, लेकिन भुला दम है तो मेरे सवालों पर अपनी चुप्पी जरुर तोड़ना

 

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