वोट जरुर दिया, जो हमर गौंक, इलाकक, प्रदेशक विकास करल; वीकें वोट जरुर दिया। जब हम भल मैंस कैं जितून, तबै हम सब लोग अघिल बडुल। लियो तुमर लिजी एक कविता प्रस्तुत छू.........
‘‘वोट दी दिया’’
ऐ गईं चुनाव, जरा बात सुनिया,
दाज्यू तुम जरूर, आपण वोट दी दिया।
दादा, चाचा, भाई तुम वोट दी दिया।
दीदी, बैणी, भाई तुम वोट दी दिया,
ये यज्ञ में वोट डालि पुण्य ली लिया,
दाज्यू तुम जरूर, आपण वोट दी दिया।
पांच सालैं हैं चुनी जांछी, नेताओं फसल,
बेईमानों जिताला तो, खूब होली टसल।
सोचि-समझी, आपण मतैक दान करिया,
जन सोचिया म्यार वोटे लै, कि पडौ फरक।
यक बोटै लै जीत हुछी, बड़ पड़ौ फरक,
वोट हुंछ गुप्त जरा, ओट करिया,
दाज्यू तुम जरूर, आपण वोट दी दिया।
हमर-तुमर वोटों लै यो, चुनी जानी नेता,
भल मकान बनौन हैं लै, धुली चैंछ रेता।
ईमानदार, बेदागी, आपण नेता चुनिया,
दाज्यू तुम जरूर, आपण वोट दी दिया।
जन पड़िया वोटे लीजि, कैकै लै चक्कर में तुम,
पैसा-पांई, दवा दारू, कैकै लै चक्कर में तुम,
वोट छूं अनमोल, जन, मोल करिया
दाज्यू तुम जरूर, आपण वोट दी दिया॥
वोट दिनौक छ धर्म, प्रजातंत्रै राज में,
वोटों लै सरकार बनैछी, प्रजातंत्रै राज में,
आपण वोटक तुम सही, उपयोग करिया,
दाज्यू तुम जरूर, आपण वोट दी दिया।
भल नेता के जिताला तो, भल ही लो राज,
योग्य, सदाचारी, उम्मीदवार चुनिया,
दाज्यू तुम जरूर, आपण वोट दी दिया।
वोट दिन हैं ली जाया तुम, आपण पहिचान पत्र,
वोट दिया वी कनी तुम, जै को भल चरित्र,
जै लै देला तुम आपण, वोट दी दिया,
दाज्यू तुम जरूर, आपण वोट दी दिया।
- केशव दत्त जोशी, शिक्षक, राइका मोतीनगर (हल्द्वानी)
साभार : अमर उजाला