Author Topic: Election 2012 in Uttarakhand Vs Development-उत्तराखंड में चुनाव २०११ बनाम विकास  (Read 79243 times)

विकास के नाम पर कुछ मित्रों के टिप्पणी यहां पड़कर खुशी हुई....मैं जानता था और जानता भी हूं...कि मेरे लिखने के यहां क्या मायने आप लोग निकाल सकते है...विचार व्यक्त करने की हर किसी को आज़ादी होती है....सो मै कर रहा हूं....मैं इसलिए भी विकास के मायने बता रहा हूं कि...शायद हम उन चिजों पर ज्यादा गौर करते है...जो हमने देखी नहीं होती है....हम विकास के मायने मैदानों में रहकर तय करते है...।
मित्रों मुझे इस बात का दुख नहीं हैं कि आप मेरे लेख पर क्या टिप्पणी कर रहे है...और क्यों कर रहे है....मैं ना ही कांग्रेस का दलाल हूं...ना ही...बीजेपी का...मैं पहाड़ से हूं और पहाड़ बहुत ऊंचे होते है....उनकी ऊंचाई हर कोई नहीं नाप सकता है...।
मैंने पत्रकारिता के मायने 15 सालों से देखे है...और देख भी रहा हूं...मैं उन लोगों के सथ खड़ा रहा हूं...जो पत्रकारिता का अर्थ समझते है....आज निरा राडीया जैसे मामले के बाद पत्रकारिता के मायन क्या हैं...शायद आप जनाते भी होगे....यदि आप वास्त में पत्रकारिता के मायने जानते है।
मेरा कहना सिर्फ इतना हैं कि जो लोग आज निशंक को लेकर या फिर तमाम दूसरी पार्टियों के काम-काज को लेकर पत्रकारिता के नाम पर टिपा-टिप्पणी कर रहे है....मैने इनमें से अधिकांश लोगों को निशंक के दरबार में और नारायण दत्त तिवारी से लेकर...कोश्यारी के दरबार तक हाजरी लगते हुए देखा है...और आज भी लगाते है...। मैंने सच को पल भर में झूठ बनते देखा है....।
मेरा कहना हैं कि विकास की बात करने वाले लोग पहले अपने अंदर झाक कर देखें...कि वह कितने साफ सुथारे है....मैने यह भी कहां है कि राजनीति में किसी का दमान साफ नहीं है....। मैने खुद पर सवाल उठाए है...लेकिन हमें सिर्फ दो लाईन पढ़कर भाषण देने की आदत है...हम शहर में रहकर ऐसी कमरों में बैठकर...पहाड़ के विकास की बात करना जानते है....।
मुझे इंतजार रहेगा उस दिन का जिस दिन निशंक के बाद एक कोई आपके हमारे बीच का चेहरा उत्तराखंड के विकास की बात करने आएगा....।
जीवित रहा तो....मैं उत्तराखंड में विकास के मायने फिर से पूछुंगा.....। एक लेख फिर से प्रकाशित कर रहा हूं। उम्मीद है...आपकी टिप्पणी मिलेगी...एक और चालीस पर ..।
जगमोहन आज़ाद


Jagmohan Ji.... Your favorite CM is out now due to spate of scam allegation. Now you seems to be praising Mr Khanduri...

Why this Kolabari ?????



The Election date for Uttarahand is on 30 Jan 2012. Now the political weather has started warming up in UK. There are many parties in UK which have started compaigning for election.

Uttarakhand ke pahado me vikas kee ganga Baha dange... ... so many false promises which never come true...

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Political Drama
  उत्तराखंड में भाजपा को झटका, मंत्री ने दिया इस्तीफा          Dec 29, 01:58 am    बताएं                   देहरादून [जागरण ब्यूरो]। खंडूड़ी कैबिनेट के सदस्य पंचायती राज, वैकल्पिक ऊर्जा एवं कारागार मंत्री राजेंद्र भंडारी ने बुधवार को मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया।
 चुनाव से ठीक पहले हुए इस घटनाक्रम से सत्तारूढ़ भाजपा को झटका लगा है। वर्ष 2007 के विधानसभा चुनाव में राजेंद्र भंडारी चमोली जिले की नंप्रदयाग विधानसभा सीट से निर्दलीय विधायक बने थे। सुविधाजनक बहुमत न मिलने के कारण भाजपा ने भंडारी व दो अन्य निर्दलीय विधायकों को पार्टी को समर्थन देने के लिए मनाने की कोशिश की, जिसमें उसे सफलता भी मिली। भाजपा ने इसकी एवज में भंडारी को कैबिनेट मंत्री बना दिया। माना जा रहा है कि भाजपा से टिकट न मिलता देख भंडारी ने यह फैसला किया है।
 कांग्रेस से जुड़े सूत्रों के मुताबिक गुरुवार को भंडारी दिल्ली में कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं।
http://www.indiaeveryday.in/fullnews----------1288-3401604.htm



   

Devbhoomi,Uttarakhand

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कर्णप्रयाग। सड़कों की हालात सुधर नहीं पा रहे हैं। गैरसैंण विकासखंड के दिवालीखाल-भराड़ीसैंण मोटर मार्ग पर एक साल एक माह में भी डामरीकरण कार्य पूरा नहीं हो पाया है।

राष्ट्रीय राजमार्ग कर्णप्रयाग-ज्यूलीकोट के दिवाली खाल से महज चार किमी दूर भराड़ीसैंण है। पशु प्रजनन केंद्र व प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर भराड़ीसैंण के लिए वर्षों पहले  मोटर मार्ग तो बना, लेकिन इसकी मरम्मत के लिए प्रयास नहीं हुए। 14 नवंबर 2010 को तत्कालीन मुख्यमंत्री डा. रमेश पोखरियाल निशंक ने मार्ग के डामरीकरण के लिए 81.60 लाख की राशि अवमुक्त करते हुए कार्य का शिलान्यास किया।


लेकिन डामरीकरण तो दूर एक साल बाद भी विभाग अभी कटिंग, कलवर्ट निर्माण व सोलिंग के लिए सामग्री ही एकत्रित कर रहा है। दीवार बंदी भी अभी नहीं हो पाई है। ऐसे में मार्ग का डामरीकरण कब पूरा होगा, यह सवाल उठना लाजमी है। लोगों का कहना हैं कि मार्ग के खस्ताहाल होने से भारी दिक्कतें होती हैं।

लोनिवि के अधिशासी अभियंता प्रत्यूष कुमार का कहना है कि पहले यह हल्का वाहन मोटर मार्ग  था। अब इसे मोटर मार्ग में बदला गया। जिससे कई स्थानों पर कटिंग का कार्य किया गया। सड़क का डामरीकरण कार्य शुरू कर दिया गया है। जून से पहले यह कार्य पूरा कर दिया जाएगा। पहले यह था हल्का वाहन मोटर मार्ग, अब           इसे किया गया है उच्चीकृत




Amarujala

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Now the assembly election is scheduled for 30 Jan 2011. A lot of promises would be made by Political parties but the ground realities are different.

It seems that the purpose of making separate Uttarakhand state defeated.

Astonishingly,... the migration has become just double from Uttarakhand. This is obvious that development is missing ..


अब देखिये मजा....

झूठ बोलने वालो की जमात खड़ी हो जायेगी !  ये नहीं करने वाले उत्तराखंड का विकास! उनको को आदत है चोरी करने की!


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अब देखिये मजा....

झूठ बोलने वालो की जमात खड़ी हो जायेगी !  ये नहीं करने वाले उत्तराखंड का विकास! उनको को आदत है चोरी करने की!





चोरों की आदत है  चोरी करने की और चोरी से अपने  पेट भरने की ,जो लोग खुद का पेट चोरी से भरते है वो क्या ख़ाक विकास करेंगें

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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This is the scene of development in uttrakhand.

भर्ती कर लो फिर देख लेंगे
Dec 30, 01:18 pm
बताएं

-एसटीएच की इमरजेंसी में कॉल के बाद भी ड्यूटी पर नहीं आते चिकित्सक

-कई बार इमरजेंसी में एसआर व जेआर तक भी नहीं मिलते

::::::::स्वस्थ समाज:::::

:::मुसीबत:::

जासं, हल्द्वानी: सुशीला तिवारी राजकीय चिकित्सालय की इमरजेंसी में सही समय पर जरूरतमंद को चिकित्सा विशेषज्ञ उपलब्ध हो पाएं, इसकी उम्मीद करना बेमानी होगा। स्थिति का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि कई बार इमरजेंसी से मरीज को निराश लौटना पड़ता है या तो कॉल करने के बाद भी एक्सपर्ट नहीं पहुंचते हैं। मरीज तड़पने को मजबूर रहता है।

केस एक : एक सप्ताह पहले एसटीएच की इमरजेंसी में ऊधमसिंह नगर से 30 वर्षीय मो. इमरान पहुंचा। वह पेट दर्द से तड़प रहा था। फिजीशियन व सर्जन से परामर्श लेना था। स्थिति यह थी कि मरीज को जैसे-तैसे भर्ती तो कर लिया गया, लेकिन न ही मेडिसिन विभाग के वरिष्ठ फिजीशियन पहुंचे और न ही सर्जन। सीनियर रेजिडेंट भी मौजूद नहीं थे।

केस दो : बागेश्वर से 25 वर्षीय पार्वती भी यहां उपचार कराने पहुंची। तेज बुखार से ग्रस्त थी। साथ ही कान में तेज दर्द हो रहा था। इसके लिए फिजीशियन व इएनटी स्पेशलिस्ट को बुलाया जाना था। इमरजेंसी में कार्यरत डाक्टर ने अपनी सलाह पर ही मरीज को भर्ती कर दिया।

यह तो बानगी भर है। एसटीएच की इमरजेंसी में इस तरह की स्थिति आये दिन रहती है। इसके बाद भी कालेज प्रशासन का ध्यान इस ओर नहीं जा रहा है। मरीज शिकायत करते रहता है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं होती है। अगर शाम के समय कई बार इमरजेंसी में मरीज पहुंचता है तो उसे दूसरे दिन ओपीडी में आने को कह दिया जाता है। इस बावत प्राचार्य प्रो. एनएस ज्याला से बात करने का प्रयास किया गया, लेकिन उनका फोन रिसीव नहीं हुआ। चिकित्सा अधीक्षक डा. बीसी चौधरी का फोन बंद था और सहायक जन संपर्क अधिकारी अवकाश पर थे।

::::::::::::::

वेतन की मार संविदा कर्मियों पर ही क्यों!

-एसटीएच कर्मियों को करना पड़ रहा दो से तीन माह का इंतजार

-कालेज प्रशासन के पास नहीं ठोस जवाब

:::आफत:::

जासं, हल्द्वानी: डा. सुशीला तिवारी राजकीय चिकित्सालय व राजकीय मेडिकल कालेज में उपनल के 650 से अधिक कर्मचारी समय पर वेतन नहीं मिलने से परेशान हैं। पिछले तीन महीने से कर्मियों को वेतन नहीं मिल रहा है।

जून 2011 से एसटीएच व मेडिकल कालेज में संविदा पर कार्यरत प्रयोगशाला तकनीशियन, क्लर्क, अटेंडेंट व सफाई कर्मचारियों को उपनल के माध्यम से वेतन मिलने लगा। तब से ही कालेज प्रबंधन के पास बजट का अभाव होने लगा। पहले तीन महीने के बाद वेतन दिया गया। फिर वेतन के लाले पड़ गये हैं। आये दिन इस तरह की समस्या से कर्मचारी आजिज आ चुके हैं। एसटीएच प्रशासन सुनने को तैयार नहीं हो रहा है। कर्मचारियों ने उच्चाधिकारियों से कई बार गुहार लगा दी है, लेकिन उनकी समस्या का समाधान नहीं हो पा रहा है। कर्मचारियों का कहना है कि बजट का अभाव केवल उन्हीं के लिए क्यों हो रहा है, यह समझ में नहीं आता है।

(Source- Dainik Jagran)

Devbhoomi,Uttarakhand

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तार पर झूलती जिंदगी टौंस नदी पार करने को बस तार का ही सहारा
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करीब 13 गांवों के सैकड़ों लोगों की जिंदगी एक तार पर झूल रही है। इन लोगों को प्रतिदिन टौंस नदी पार करने के लिए लोहे की तार का सहारा लेना पड़ता है। उस पार जाने का यह साधन इतना खतरनाक है कि बीते छह साल में सात लोगों की जान चली गई और 12 लोग घायल हो गए।

 ग्रामीण कहते हैं कि हर चुनाव में नेता झूला पुल बनवाने का आश्वासन देते हैं लेकिन उसके बाद पलटकर नहीं देखते। ग्रामीणों का कहना है कि देखते हैं नेता जी इस बार क्या आश्वासन देते हैं?

आजादी के इतने दशक बाद भी त्यूनी तहसील के हनोल, भ्यूलाड़, कुपा, मैंद्ररथ, भट्टा, कोटी, कुणा गांव और उत्तरकाशी जिले के मोरी प्रखंड के भंखवाड़, रुणसूण, सतोरी, उदूडा, बेलका, डडियार आदि गांवों के लोगों के लिए टौंस नदी पार करने के लिए एक झूला पुल नहीं बन पाया। मोरी प्रखंड के गांवों का नजदीकी बाजार त्यूनी है। ग्रामीणों को खरीदारी के लिए यहां आना पड़ता है।


क्या कहते हैं लोग भंखवाड़ गांव के प्रधान राजेंद्र सिंह पंवार का कहना है कि झूला पुल नहीं होने से ग्रामीणों को खुद ही यह व्यवस्था करनी पड़ी। सतोरी गांव के मोहन सिंह का कहना है कि बीमार लोगों को उपचार के लिए इसी तार के सहारे लाना पड़ता है।

अर्जुन सिंह का कहना है कि तार टूटने के कारण कई लोग जान गंवा चुके हैं। हनोल के अनिल बैराक्टा का कहना है कि चुनाव के समय तो नेता पुल बनवाने का आश्वासन देते हैं लेकिन जीत जाने के बाद आते ही नहीं।

इस स्थान पर झूला पुल की जरूरत है। पुल नहीं होने से ग्रामीणों को परेशानी उठानी पड़ रही है। अभी तक किसी भी जनप्रतिनिधि की ओर से पुल बनाने का प्रस्ताव नहीं मिला। क्षेत्र के जनप्रतिनिधि प्रस्ताव भेजें तो विचार किया जा सकता है।




Source Amarujal





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रोड नहीं तो वोट नहीं
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पाटन गांव को जोड़ने के लिए पांच वर्ष पूर्व स्वीकृत तीन किमी सड़क का निर्माण कार्य अभी तक पूरा नही हो पाया हैं। जिससे ग्रामीणों में राजनीतिक दलों के खिलाफ गहरा आक्रोश व्याप्त हैं। ग्रामीणों ने रोड नही तो वोट नही के नारे के साथ विभिन्न दलों के प्रत्याशियों का विरोध करने का मन बनाया हैं। उल्लेखनीय हो कि विकास के तमाम वायदे करने वाले राजनीतिक दलों की कार्यप्रणाली से क्षुब्ध होकर ग्रामीणों ने अब रोड़ नही तो वोट नही का मान बनाया हैं। ग्रामीणों का कहना हैं कि सड़क न होने के कारण लोहाघाट नगर से लगें इस गांव के लोगों को आज भी स्वास्थ सुविधा आदि से वंचित रहना पड़ता हैं।


 गम्भीर बीमारी व प्रसव के दौरान महिलाओं को आज भी मुख्य सड़क तक लाने के लिए डोली का प्रयोग करना पड़ता हैं। कई बार राजनीतिक दलों के लोगों को सड़क की समस्या से अवगत कराया गया हैं लेकिन कोई सुध लेने की जरूरत नही समझता हैं।



जिस से क्षुब्ध होकर अब ग्रामीणों ने विधान सभा चुनाव में वोट न डालने का मन बनाया हैं। गांव के पुष्कर, मदन, जीवन, शेखर, प्रदीप, विपिन, किशोर, अमित कुमार, विक्रम आदि का कहना है कि शासन द्वारा पांच वर्ष पूर्व तीन किमी सड़क की स्वीकृति दी थी।



कार्यदायी संस्था लोनिवि द्वारा दो किमी सड़क काट कर अधूरे में कार्य छोड़ दिया। जिस कारण रखरखाव के अभाव में सड़क यत्र-तत्र क्षतिग्रस्त हो गयी हैं। विभागीय अधिकारियों का कहना हैं कि वन अधिनियम के पेंच के कारण सड़क का कार्य पूरा नही हो पाया हैं।




Source Dainik Jagran

 

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