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भर्ती कर लो फिर देख लेंगे
Dec 30, 01:18 pm
बताएं
-एसटीएच की इमरजेंसी में कॉल के बाद भी ड्यूटी पर नहीं आते चिकित्सक
-कई बार इमरजेंसी में एसआर व जेआर तक भी नहीं मिलते
::::::::स्वस्थ समाज:::::
:::मुसीबत:::
जासं, हल्द्वानी: सुशीला तिवारी राजकीय चिकित्सालय की इमरजेंसी में सही समय पर जरूरतमंद को चिकित्सा विशेषज्ञ उपलब्ध हो पाएं, इसकी उम्मीद करना बेमानी होगा। स्थिति का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि कई बार इमरजेंसी से मरीज को निराश लौटना पड़ता है या तो कॉल करने के बाद भी एक्सपर्ट नहीं पहुंचते हैं। मरीज तड़पने को मजबूर रहता है।
केस एक : एक सप्ताह पहले एसटीएच की इमरजेंसी में ऊधमसिंह नगर से 30 वर्षीय मो. इमरान पहुंचा। वह पेट दर्द से तड़प रहा था। फिजीशियन व सर्जन से परामर्श लेना था। स्थिति यह थी कि मरीज को जैसे-तैसे भर्ती तो कर लिया गया, लेकिन न ही मेडिसिन विभाग के वरिष्ठ फिजीशियन पहुंचे और न ही सर्जन। सीनियर रेजिडेंट भी मौजूद नहीं थे।
केस दो : बागेश्वर से 25 वर्षीय पार्वती भी यहां उपचार कराने पहुंची। तेज बुखार से ग्रस्त थी। साथ ही कान में तेज दर्द हो रहा था। इसके लिए फिजीशियन व इएनटी स्पेशलिस्ट को बुलाया जाना था। इमरजेंसी में कार्यरत डाक्टर ने अपनी सलाह पर ही मरीज को भर्ती कर दिया।
यह तो बानगी भर है। एसटीएच की इमरजेंसी में इस तरह की स्थिति आये दिन रहती है। इसके बाद भी कालेज प्रशासन का ध्यान इस ओर नहीं जा रहा है। मरीज शिकायत करते रहता है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं होती है। अगर शाम के समय कई बार इमरजेंसी में मरीज पहुंचता है तो उसे दूसरे दिन ओपीडी में आने को कह दिया जाता है। इस बावत प्राचार्य प्रो. एनएस ज्याला से बात करने का प्रयास किया गया, लेकिन उनका फोन रिसीव नहीं हुआ। चिकित्सा अधीक्षक डा. बीसी चौधरी का फोन बंद था और सहायक जन संपर्क अधिकारी अवकाश पर थे।
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वेतन की मार संविदा कर्मियों पर ही क्यों!
-एसटीएच कर्मियों को करना पड़ रहा दो से तीन माह का इंतजार
-कालेज प्रशासन के पास नहीं ठोस जवाब
:::आफत:::
जासं, हल्द्वानी: डा. सुशीला तिवारी राजकीय चिकित्सालय व राजकीय मेडिकल कालेज में उपनल के 650 से अधिक कर्मचारी समय पर वेतन नहीं मिलने से परेशान हैं। पिछले तीन महीने से कर्मियों को वेतन नहीं मिल रहा है।
जून 2011 से एसटीएच व मेडिकल कालेज में संविदा पर कार्यरत प्रयोगशाला तकनीशियन, क्लर्क, अटेंडेंट व सफाई कर्मचारियों को उपनल के माध्यम से वेतन मिलने लगा। तब से ही कालेज प्रबंधन के पास बजट का अभाव होने लगा। पहले तीन महीने के बाद वेतन दिया गया। फिर वेतन के लाले पड़ गये हैं। आये दिन इस तरह की समस्या से कर्मचारी आजिज आ चुके हैं। एसटीएच प्रशासन सुनने को तैयार नहीं हो रहा है। कर्मचारियों ने उच्चाधिकारियों से कई बार गुहार लगा दी है, लेकिन उनकी समस्या का समाधान नहीं हो पा रहा है। कर्मचारियों का कहना है कि बजट का अभाव केवल उन्हीं के लिए क्यों हो रहा है, यह समझ में नहीं आता है।
(Source- Dainik Jagran)