Author Topic: Election 2012 in Uttarakhand Vs Development-उत्तराखंड में चुनाव २०११ बनाम विकास  (Read 42756 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Dosto,

As you are aware the Assembly Elections may be held Uttarakhand in Oct-Nov 2011 or in Jan & Feb 2012. All the political parties are on their toe for election preparation. One way the ruling party BJP is doing “Antotay Yatra” on another hand National & opposition Party Congress is doing “Satyagrah Yaatra” to entice the Voters.

However, the moot point remains the same i.e. development.

 उत्तराखंड राज्य का सबसे बड़े मुद्दे वही के वही है ! चाहे वो विकास का मुद्दा, राजधानी का सवाल, पलायन, बेरोजगारी, पर्यटन आदि! ये सारी की सारी समस्या वही की वही है! आंखिर क्या बदला - इन दस सालो में ?  क्या उत्तराखंड राज्य बनाने के पीछे जो बबुत बड़ी लडाई लड़ी गयी थी, उसके पीछे यही भ्रष्टाचार देखना था जो आज उत्तराखंड राज्य में चरम में है !   इस टोपिक में हम चुनाव और विकास के  बारे में विस्तार से चर्चा करगे ! क्या राष्टीय पार्टियों को सिर्फ ५ साल के लिए कुर्सी ही चाहिए!   पहाड़ की भोली भाली जनता को कब तक ये ठगते रहंगे ?  चुहाव जीतने के लिए सिर्फ शिलानाश, घोषणा ही घोषणा.. किये जाते रहंगे... ?  उठना होगा जन मानुष को .... अपने विकास के लिए..  उन ४२ शहीदों के सपनो के सपनों के उत्तराखंड के लिए जिन्होंने पहाड़ के विकास के लिए अपने प्राणों के आहुति दी थी!  याद करो मुजफ्फर नगर का wah गोली कांड! So wee are looking forward views on the subject.. Election Vs Development in Uttarakhand.

Regards,

M S Mehta

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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I was just going through the news below. You can see how easily political people are befooling simple people of Uttarakhand. Nobody is talking about the water crisis in most of the District of Uttarakhand. They need vote only and 5 yrs terms.

Thousands of un-employed youth can be seen agitating for job at various Districts Uttarakhand but the ruling Govt is just for preparation election in 2012.

If a fair survey is done on development. I am sure that these parties will lose their grounds. 
 
Both the national level parties, BJP
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   प्रशिक्षित बेरोजगारों ने एक घंटे गौरीकुंड हाइवे जाम     May 08, 08:15 pm   बताएं            अगस्त्यमुनि(रुद्रप्रयाग), निज प्रतिनिधि : बीएड, बीपीएड प्रशिक्षित बेरोजगारों ने अपनी मांगों को लेकर गौरीकुंड राष्ट्रीय राजमार्ग रविवार को एक घंटे जाम किए रखा। बाद में तहसीलदार के साथ वार्ता के बाद ही मार्ग खोला गया। वहीं जाम लगने से भगवान केदारनाथ के दर्शनों को जा रहे तीर्थयात्रियों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा।  =======
 
  मिशन 2012 के लिए एकजुट हों कार्यकर्ता     May 09, 06:58 pm   बताएं              पोखरी, जागरण कार्यालय : जैसे-जैसे चुनावी मिशन 2012 का समय नजदीक आने लगा है, वैसे ही सियासी गतिविधियां भी तेज होने लगने लगी है। इसी गतिविधि को लेकर सूबे के पंचायतीराज मंत्री व आगामी विधान सभा चुनाव में बदरीनाथ विधान सभा से विधायक के प्रबल दावेदार राजेन्द्र भंडारी ने अपने कार्यकर्ता सम्मेलन शुरू कर दिए हैं।
सोमवार को मोहनखाल में आयोजित काबीना मंत्री के कार्यकर्ता सम्मेलन में कार्यकर्ताओं ने एक स्वर से यह कहा अबकी बारी, राजू भंडारी। वे चाहे किसी पार्टी से लड़े या निर्दलीय चुनाव लड़े हम सब उनके साथ है। पंचायतीराज मंत्री राजेन्द्र भंडारी ने कहा कि उन्होंने अपने विधान सभा के अंतिम छोर तक विकास योजनाएं पहुंचायी है। उन्होने कहा कि उनका प्रयास है कि हर गांव मोटर मार्ग से जुड़े, भंडारी ने सरमोला- रानौं मोटर मार्ग के खूनीगाड गांव से विनगढ तल्ला होते हुए उडामाण्डा को मोटर मार्ग से जोड़ने की घोषणा की।
कार्यकर्ता सम्मेलन में कौशल्यादेवी रावत, माधोसिंह, नरेन्द्रसिंह असवाल, दानसिंह असवाल, संगीता असवाल, मंदोधरीदेवी पंत, कमला चौधरी, माहेश्वरीदेवी नेगी, मधु बतर्वाल, सुदर्शनसिंह बत्र्वाल, दर्शनसिंह बतर्वाल नन्दनसिंह पंवार, बासंदेवप्रसाद मलेठा, बुद्धिलाल, बांकेलाल, प्रबललाल, शिशुापालसिंह बत्र्वाल, देवराम पंत, महिधर प्रसाद पंत, डॉ. बृजेन्द्र गुसांई, सुरेन्द्रप्रसाद मलेठा शामिल थे।
 
http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_7699479.html

Himalayan Warrior /पहाड़ी योद्धा

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उत्तराखंड राज्य अब तक जो विकास हुवा है, यहाँ विकास नहीं सिर्फ कुर्सी के लिए घमासान हुवा! भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस दोनों ने पहाड़ की जनता के साथ बहुत बड़ा खिलवाड़ किया !  कभी.. नौछमी साब ने,, कभी मूछो वाले साब ने और अब नोबेल पुरूस्कार के अभिलाषी. महान कवी निशक जी.. ! एक महान भाव .. कोशियारी साब सिर्फ पार्टी के इस्तेमाल करनी की गोटी रह गये !

किसी को भी एक विकास पुरुष के छवि में नहीं देखा गया! निशक साब के २ के शाशन में तो घोटालो की झड़ी लगी है! अब ये यात्रा करने में लगे है ... जनता को बकूब बनाने के लिए!   अगर आपने विकास किया तो जनता बतायेगी, आप महराज.. हर समय सुर्खियों में छाये रहने के आदी है !

जनता सिर्फ विकास के सपने देखते रही वो सपने आजतक पूरे नहीं हुए! इस परिवेश में एक लाइन सही बैठती है"
"हमें तो अपने नो लूटा, गैरो में कहाँ दम था" .... यानी... उत्तराखंड के लोगो ने ही उत्तराखंड को लूटा! ये सिर्फ हेलीकाप्टर में घुमते रहते है, वहां से पहाड़ देखते है!

हेलीकाप्टर से पहाड़ के सूखे हुए पानी के क्ष्रोत नहीं दिखते, वो उजड़े गाव नहीं दिखते जो पलायान का दंश झेल रहे है !

आज पहाड़ में कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी जैसे राष्टीय पार्टिया सिर्फ कुर्सी के लिए राजनीती कर रहे है ! विकास के मुद्दे किसी के भी अजंडे में नहीं !

मेरे हिसाब से अब उत्तराखंड के वोटर इन पार्टियों को दर किनार करना चाहिए !

राजधानी जैसे मुद्दे इन पार्टियों के कोई मायने नहीं रखते !

निशक साब..... हरक सिह रावत जी... और यशपाल आर्य जी..   अन्तोतय यात्रा और सत्याग्रह यात्रा से जनता को कितने बेकूफ बनावोगे !
??/




Bel Singh Mehar

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Dear पंडित to day our Pahad is going on barran because we are choose MLA and MP but when they won their election all those person are forgot their well wishes. Therefor we should always aware and elect those person who is fully supported and doing some thing for our Pahad. Today all Parties like Cogress, BJP, UKD and so alls leader is standing in one line. Now the time is coming soon when they will seeing in the Pahad and for five years you forgot them. It is our duty that which person is fully belong to our problems and raised in Vidhansabha and Parliament with forcely. Now the discussing for Capital and Panchayati Raj. First BJP has dropped the those point and then congress came in position and Pt Tiwari set as CM he was fully political and realsiom and fantoos person. But Tiwari was not touch the matter of Capital but Panchayati Raj has been made but some problems raise by their MLA and not implement in the state. Then BJP Comes in Position and Honest CM Mr. General B.C. Khanduri is retired and Mr Nishan who is fully Corrupted is made a drama for Capital IN Gairsain or Dehradun but fail. because he was not interested to develop the Pahad. When Pahad will Develop then where he go. Panchayati Raj is not implement for good governance.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Dear Mehar Ji,

I will endorse your views.

The common people of Uttarakhand today asks where there development. The families of 42 martyrs who scarified their lives for sake of development of pahad.

These politicians have become like dead body which no sensitivity. They are least bothered for development of Uttarakhand. Everybody is busy in making money and providing all the benefits from Govt.

None of the National Parties ever publicly cleared their stand on Capital issue of Uttarakhand.

The corruption cases are touching sky in Uttarakhand.

Was it the objective behind formation for new state. ?


 

Dear पंडित to day our Pahad is going on barran because we are choose MLA and MP but when they won their election all those person are forgot their well wishes. Therefor we should always aware and elect those person who is fully supported and doing some thing for our Pahad. Today all Parties like Cogress, BJP, UKD and so alls leader is standing in one line. Now the time is coming soon when they will seeing in the Pahad and for five years you forgot them. It is our duty that which person is fully belong to our problems and raised in Vidhansabha and Parliament with forcely. Now the discussing for Capital and Panchayati Raj. First BJP has dropped the those point and then congress came in position and Pt Tiwari set as CM he was fully political and realsiom and fantoos person. But Tiwari was not touch the matter of Capital but Panchayati Raj has been made but some problems raise by their MLA and not implement in the state. Then BJP Comes in Position and Honest CM Mr. General B.C. Khanduri is retired and Mr Nishan who is fully Corrupted is made a drama for Capital IN Gairsain or Dehradun but fail. because he was not interested to develop the Pahad. When Pahad will Develop then where he go. Panchayati Raj is not implement for good governance.

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Garhwal Kumaon Peoples Frontपहाड़ के यूथ को समूह ग की २१०० भर्तियों.. में नही मिल सकती जगह..

भाजपा सरकार ने ढूँढा नया रास्ता..

१) ५०० रु का फार्म हर एक ग्रुप के लिए.. कुल २७ ग्रुप..
अर्थात अगर आपको ५ अलग पोस्ट के लिए फार्म भरना है
तो २५०० रु फीस लगेगी..
पहाड़ के बेरोजगार युवक कहाँ से लायेंगे इतने रुपये..

२) २ मील की दौड़ १५ मिनट में..
पहाड़ के लोग इसमें अव्वल रहेंगे

3) ४ मील की साइकल दौड़ १५ मिनट में..
पहाड़ के अभ्यर्थी साईकिल चलाना जानते नहीं..तो अपने आप बाहर हो जायेंगे..

४) घुड़सवारी में दक्षता RDO/BDO की पोस्ट के लिए..

अब आप ही बताइए की पहाड़ के यूथ को ये नौकरियां कैसे मिलेंगीon Wednesday · Like ·  · Subscribe

Himalayan Warrior /पहाड़ी योद्धा

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This is post from Facebook.

One journalist seems to be hired by CM who has always been praising about Nishank..See.

This kind of inferior journalism is in our Devbhoomi . this is the post of Merapahadforum Community in Facebook.
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Narayan Pargain
2012 में भाजपा की सत्ता में वापसी तय-निशंक .देश के हिमालयी बेल्ट में सबसे तेजी से विकसित होने और छोटे राज्य केबावजूद कई मामलों में देश का नंबर वन राज्य बन चुके ,लेकिन 2012 मेंचुनावी महाभारत झेलने को तैयार,उत्तराखंड को 2020 तक देश का माॅडलस्टेट बनाने का संकल्प जताने वाले प्रदेश के मुख्यमंत्री डा. रमेश पोखरियालनिशंक ने इन्ही सब मुद्दांे पर बातचीत की। जिसके संक्षिप्त अंश यहां पेश हैं।

प्रश्न-1ः सरकार के चार साल पूरे हो गए है अब उसे फिर से चुनाव मैदान मेंजाना है उसकी क्या तैयारियां हैं।

उत्तर- भाजपा सरकार ने चार साल पूरी मेहनत से प्रदेश की जनता के हित केलिए कार्य किया है। जिसका परिणाम है कि जनता का भरोसा हमारी सरकार मेंबढा है। जहां तक बात चुनावी तैयारियों की है तो हमने शपथ ग्रहण करनेके दिन से ही जनता का कार्य किया है। जनता का दुख दर्द महसूस किया है औरप्राकृतिक आपदा रही हो या अन्य कोई भी अवसर हमने सीधे जनता से संवादस्थापित किया है। जिसका उदाहरण हमारी अन्त्योदय विकास यात्रा है जिसके तहतअभी तक मैं स्वंय 34 विधानसभा क्षेत्रों में जा चुका हूं और वहांभाषण देने की बजाय सीधे उनकी समस्याओं को सुनता हूं और उनका वहींपर निस्तारण करने की भी कोशिश करता हूं। प्रशासनिक स्तर की लापरवाहीको मैने कभी बर्दास्त नहीं किया और जिस अफसर के खिलाफ शिकायत मिलतीहै उसे तत्काल सबक सिखाता हूं। इस अभियान के तहत अभी तक सवा तीन लाखलोगों से संवाद स्थापित कर चुका हूं। सभी 70 विधानसभा सीटों के सातलाख लोगों संवाद स्थापित करने का लक्ष्य है। मेरी विकास यात्राओं मेंजनता की अच्छी खासी भीड जुट रही है। जिससे सरकार को लेकर जनता का रवैयास्पष्ट दिखता है। रही बात चुनाव की तो 2012 में भाजपा की हर हाल मेंसत्ता में वापसी सुनिश्चित है।

प्रश्न-2ः सरकार पर लगातार हो रहे न्यायिक हमलों के बारे में आपका क्या कहना है।

उत्तर-देखिए ये राजकाज है। हर सरकार को ऐसे हमले झेलने पडते है कुछ तत्वऐसे होते है जो सरकार को ऐसे कार्यो में उलझाए रखना चाहते है।लेकिन सरकार ऐसे कुत्सित प्रयत्नों से लडने के लिए हमेशा तैयार रहती है।आप देख सकते है अभी तक सरकार को जिन-जिन मामलों में न्यायालय मेंघसीटा गया,उस पर झूठे और बेबुनियाद आरोप लगाए गए उन सबका न्यायालयमें क्या हश्र हुआ। लेकिन इसके बाद भी सरकार को बराबर ऐसे मामलों मेंउलझा कर रखने की कोशिश की जा रही है तो इसका हम बुरा भी नहीं मानतेठीक है ये लोकतंत्र है इसमें सबको हमारे कामकाज पर उंगली उठाने का हक है।हम ऐसे आरोपों का व्यक्तिगत स्तर से लेकर न्यायालय तक तथ्यात्मक जवाब देनेके लिए तैयार है और इससे हमारा मनोबल नहीं गिरने वाला है।

प्रश्न-3ः सत्ता में वापसी को लेकर आप में जो आत्मविश्वास दिख रहा हैउसका क्या आधार है।

उत्तर- देखिए 2009 में हुए लोकसभा चुनाव में पार्टी की हार के बाद आमकार्यकर्ता मायूस और निराश था। लेकिन आज सभी की कडी मेहनत के बादवहीं कार्यकर्ता पूरे आत्मविश्वास और जोश से भरा हुआ है। कार्यकर्ताओंका यही जज्बा हमारी वापसी का मुख्य आधार है। इसके साथ ही कम समय मेंसरकार ने प्रदेश का जैसा विकास किया और जनहित की जो योजनाएं लागू कीजैसे स्वास्थ्य के क्षेत्र में 108 ने विश्वकीर्तिमान बनाया,अटल खाद्यान्नयोजना,अटल आदर्श गांव,मिनी सचिवालय,गौरादेवी कन्या धन योजना,संस्कृतको द्वितिय राजभाषा,आयुष ग्राम की स्थापना,आॅटोमोबाइल क्षेत्र मेंउत्तराखंड एशिया का नंबर वन राज्य, देश की सबसे बडी फार्मासिटी उत्तराखंडमें, पूरे देश में उत्तराखंड पहला ऐसा राज्य जहां मात्र 15 हजार रूप्ए मेंकोई भी होनहार युवक चिकित्सा की पढाई क र सकता है। प्रदेश केसिडकुल,पिटकुल आदि क्षेत्र मुंबई को भी पीछे छोड रहे है। इन कार्यो कालाभ हमें चुनावों में मिलना तय है।

प्रश्न-4ः प्रदेश में पर्यटन और उद्योग के विकास के लिए सरकार क्या कर रही है।

उत्तर- प्रदेश में पर्यटन और उद्योग के विकास के लिए सरकार पूरी तरह सेगंभीर है। पहले भी हमने बताया कि कई क्षेत्रों में आज छोटे राज्य होनेके बावजूद हम पूरे देश में नंबर वन है। इसके बावजूद सरकार ने पर्यटन औरउद्योग के विकास के लिए अलग अलग योजनाएं बनाईं है। अभी पिछले दिनोंनरेन्द्र नगर में केन्द्रीय पर्यटन मंत्री आए थे उनसे भी हमारी वार्ता हुईऔर उन्होंने हमारे प्रस्तावों पर सहमति प्रदान की है। हमारी योजनाउत्तराखंड को धरती के स्वर्ग के रूप में विकसित करने और प्रचारित करने कीहै। प्रदेश में साहसिक पर्यटन को बढावा देने के लिए 107 निजी औरसार्वजनिक क्षेत्र की रिवर राफ्टिंग कंपनियों को परमिट दिया गया है। औलीको विश्वस्तरीय शीतक्रीडा का केन्द्र बनाया गया है और टिहरी मेंअन्तर्राष्ट्रीय स्तर का जल क्रीडा केन्द्र बनाया जा रहा है। इसके साथ ही पर्यटनग्राम,वीरचंद्र सिंह गढवाली पर्यटन स्वरोजगार योजना,जापान इंटरनेशनलआॅपरेशन एजेंसी के सहयोग से चारों धामों तथ हेमकुंड साहिब यात्राएवं कैलाश मानसरोवर यात्रा में आधारभूत सुविधाओं के निर्माण औरविकास के लिए 25172.55 लाख रूपए की योजनाएं प्रस्तावित है। प्रदेश में कईनए पर्यटन सर्किटों की स्थापना का भी कार्य तेजी से चल रहा है। सरकार नेपर्यटन को रोजगार से जोडा है और पूरे साल देश विदेशी पर्यटकों कोआकर्षित करने के लिए टै्रकिंग,रीवर राफ्टिंग,स्कीइंग जैसे साहसिक क्रीडा केकार्यक्रमों को प्रोत्साहित कर रही है।सांस्कृतिक पर्यटन के अन्तर्गत इस क्षेत्रमें आयोजित होने वाले मेले,त्यौहारों,कुंभ मेला,अद्र्वकुंभ मेला,कावंडमेला,नन्दादेवी राजजात,आदि आयोजनों के व्यापक प्रचार प्रसार से पर्यटकोंको आकर्षित किया जा रहा है। पिछले साल हरिद्वार में सपन्न हुए महाकुंभ नेराज्य को पूरी दुनिया में एक अलग पहचान दी है। सरकार के ऐसे प्रयासों सेहम जल्द भारत के नंबर वन पर्यटन राज्य बन जाएंगे।

प्रश्न-5ः सरकार के विजन-2020 की बहुत चर्चा है। इसके बारे में कुछ बताएं।

उत्तर- भाजपा सरकार का लक्ष्य उत्तराखंड को वर्ष 2020 में देश का माॅडलस्टेट बनान है। जिसके लिए सरकार पांच सूत्रों समृ़़ध्द उत्तराखंड,शिक्षितउत्तराखंड, स्वस्थ उत्तराखंड,सुस्ंकृत उत्तराखंड और हरित उत्तराखंड कोलक्ष्य मानकर कार्य कर रही है। इसके साथ ही हमने कुछ बिंदु तय किये हैजिसको विकास का आधार बनाया गया है। जैसे नई पहचान,बढासम्मान,उत्तराखंड शासन सस्ता राशन,विकास के शिवालय ग्राम सचिवालय,रोजगारके खुले द्वार,सबकी रक्षा सबको सुरक्षा,मां-बेटियों का मान असली सम्मान,तनचंगा,मन गंगा,आयुर्वेद और स्पर्श गंगा,देववाणी के सम्मान से बढादेवभूमि का मान,विकास के द्वारा खोलती सरकार,आओं मिलजुल कर देंआकार,सुराज का संकल्प करें साकार,उत्तरोत्तर बृद्वि बढी समृद्वि और संस्कृतिके साथ संस्कार भी। इन विंदुओं को ध्यान में रखकर सरकार आगे बढ रहीहै।

प्रश्न-6ः प्रदेश में नदियों के संरक्षण को लेकर सरकार कितनी सक्रिय है।

उत्तर- सरकार गंगा,यमुना समेत प्रदेश की छोटी नदियों के संरक्षण के लिएभी गंभीर है। स्पर्श गंगा अभियान के माध्यम से हमने सभी नदियों कोस्वच्छ करने का बीडा उठाया है। इसमें जनसहभागिता भी हो तो लक्ष्य जल्दी मिलसकता है। सरकार ने इस अभियान को आम जनता से जोडने के लिए पूरा प्रयासकिया है। इसके साथ ही शासन ने हिमालय की उपत्यका में 50 लाख रूपए कीलागत से हिमालयी संास्कृतिक केन्द्र बनाने की योजना बनाई है। उत्तरकाशीमें आयुर्वेद की विशिष्ट चिकित्सा पद्वति पंचकर्म,क्षारसूत्र आदि से सुसज्जितनवीन पंचकर्म चिकित्सा भवन के निर्माण के साथ ही अत्याधुनिक उपकरण भीउपलब्ध कराएं हैं। आयुष ग्राम की स्थापना का उद्देश्य प्रदेश को हर्बल हबबनाना और उससे रोजगार का श्रृजन करना है। सरकार ने गौवंश के संरक्षणके लिए गोसेवा आयोग बनाया है और गौ आधारित उत्पादों के लिएविशेष छूट प्रदान कर रही है। गौ संरक्षण को रोजगार से भी जोडा जारहा हैै।

प्रश्न-7ः पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर सरकार ने कईयोजनाएं चला रखी है इसका कोई विशेष कारण।

उत्तर- पूर्व प्रधानमंत्री पंडित अटल बिहारी वाजपेयी एक ऐसे प्रधानमंत्री रहेजिन्होंने उत्तराखंड आन्दोलन को भरपूर समर्थन और सहयोग दिया।प्रधानमंत्री बनने पर उन्होंने ही इस राज्य के गठन को मंजूरी दी। उत्तराखंडसरकार उनके इस योगदान के लिए कृतज्ञ है और इसी वजह से वह इन योजनाओंको उनका नाम देकर कृतज्ञता जताती है।

प्रश्न-8ः पार्टी में गुटबाजी चर्चाएं अक्सर होती रहती है इस पर आपकी क्याप्रतिक्रिया है।

उत्तर- पार्टी में किसी भी तरह की कोई गुटबाजी नहीं है। इसी का परिणाहै कि हमनें लगातार उपचुनावों में विजय पाई है। कुछ लोग ऐसी अफवाहेंफैलाते रहते है जिसपर मैं ध्यान नहीं देता। जहां परिवार बडा होता है वहांकभी कभी कोई छोटी मोटी घटना हो भी जाती है तो उसे गुटबाजी कहनाठीक नहीं होता। पार्टी पूरी तरह एकजुट है हमारे वरिष्ठ नेता लगातार जनताके संपर्क में है और सरकार भी उनके मार्गदर्शन में उनसे मिलने वालेसुझावों पर कार्य करने में कोई कसर नहीं छोड रही है।

प्रश्न-9ः पार्टी विधानसभा चुनाव किसके नेतृत्व में लडेगी और उसकीतैयारियां क्या है।

उत्तर- देखिए मैं आपसे पहले भी कह चुका हूं कि हमें चुनावी तैयारियोंकी जरूरत ही नहीं है। हम निरन्तर और पुूरी ईमानदारी से जनता का कार्य कररहे हैं और हमारा काम ही जनता के कार्य को अंजाम देना है। जवाब तोजनता देगी। जहां तक बात किसके नेतृत्व में चुनाव लडन की है तो मैं तोमानता हूं कि चुनाव का नेतृत्व स्वयं जनता करती है। बात भाजपा की करें तोहमारी पार्टी अटल-आडवाणी-गडकरी के नेतृत्व में विश्वास करती है औरइन्हीें लोगों के मार्गदर्शन में चुनाव लडा जाएगा।
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        Mahipal Singh Mehta
        Hi hi hi hi.. Daju.... what i write in this response. Can't Mr Nishank see the un-employment.. paani ke liye tadafte log.. playan. Kya Chunav jeetna hi ek maksat hai. Kyar bachhe sirf 108 ambulance me hi paida honge.. kahan hai hospital. Ka...See More
        May 9 at 11:30pm · Like ·  4 people
        Sunil Navprabhat Facebook bhi rajneeti ki chpet me........rham karo bhai......khi to mukt hava me sans lene do logo ko.......chanv me chsme ka kya kaam.....utar bhi do.....nangi aankho se duniya ke asli rang dikhai dete hai.......
        Tuesday at 8:38pm · Like ·  1 person
        Mahipal Singh Mehta Bahut sahi.. Sunil g.. that is why i am requesting Narayan ji please stop this Nishank Chaleesa. Public knows everything..
        Tuesday at 9:02pm · Like
        Udaya Pant Baat Bahadur hone se kya hoga Nishank ji???:(:(
        Tuesday at 9:40pm · Like
        Mahipal Singh Mehta Uttarakhand me X Y Z mukhya mantri bane.. but we need only development.. Vikas karange to Nishak ji ko Nobel Prize mil jayega automatically by public. .. He was asking for noble after kubh..
        Tuesday at 10:02pm · Like
        Manoj Bhauryal Agar es baar Harish Rawat "congress" ka bane tho kaisa hai..
        Tuesday at 10:26pm · Like
        Mahipal Singh Mehta No BJP no Congress.. need some third party... Harish rawat itne saal MP rahe.. 30 yrs.. and minister in center. Uttarakhand ke liye koi khas nahi kiya. i know him personally... Koi vision nahi unka bhi ..
        Tuesday at 10:29pm · Like ·  1 person

Jagmohan Azad

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क्या ये उत्तराखंड के विकास के मायने है?
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आज उत्तराखंड हर तरफ विकास की बात की जा रही है। निश्चित तौर पर इस समय उत्तराखंड जिस विकास के धरातल पर चल
रहा है। इस वजह से दुनिया में भी इस नवोदित राज्य को नये क्षितिज पर देखा जा रहा है। दस वर्षों की अपनी छोटी से यात्रा में इस राज्य ने कई परिवर्तन देख लिए है। फिर चाहे वह राजनैतिक स्तर पर या फिर किसी दूसरे स्तर पर,हमने परिवर्तन के तौर पर एक नयी सीमा खुद के लिए तय की है।
 
लेकिन इधर की बात करें तो ऐसा दिखायी नहीं देता है। आज स्थितियों इतर है। जो व्यक्ति विकास की बात कर रहा है। जो व्यक्ति विकास की योजनाओं पर काम कर रहा हैं। उस व्यक्ति को एक तीसरा व्यक्ति घेरने के काम में लगा है। इस परिपेक्ष में यदि उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक की बात की जाएं तो,उनके विरोधी और उनसे जुड़े हुए उनके ही कुछ अपने लोग इस दिशा में हर संभव प्रयास कर रहे हैं,कि निशंक की उपलब्धियों को किसी भी किमत पर सफलता के मुकाम तक नहीं पहुंचने दिया जाएं। इसके लिए हर तरह से इन दिनों उत्तराखंड में कोशिशे जारी है। यहां सवाल यह उठता हैं कि क्या ऐसे में होगा उत्ताखंड का विकास?
उत्तराखंड आज सुराज की ओर बढ़ रहा है। हमारी  राष्ट्रीय आर्थिक विकास दर 7.2./. हैं। यदि उत्तराखंड की बात की जाएं तो उत्तराखंड की आर्थिक विकास दर 9.4./. है। बी.पी.एल के तह्त गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले परिवारों को प्रतिमाह दो रुपए किलों गेहूं और तीन रुपए किलो चावल देने की घोषणा की गयी। ए.पी.एल के तह्त गरीबी रेखा से ऊपर जीवन यापन करने वाले परिवारों को प्रतिमाह चार रुपए किलो गेहूं तथा छैः रुपए किलो चावल दिए जाने की घोषणा की गयी और दिया भी जा रहा है। लेकिन बीजेपी के विरोधियों ने इस में अपनी टांग अड़ाई और प्रदेश भर में राशन दुकानदारों से मिलकर दुकाने बंद करा दी। डॉ.निशंक ने स्पर्श गंगा  के माध्यम से एक ऐतिहासिक एवं स्वप्निल परियोजना के तहत गंगा के अमृत स्वरुप जल की नैसर्गिकता बनाये रखने को धरातल पर युद्धस्तर पर अभियान चलाया तो लोगों ने इस पर हो-हल्ला मचाया। जिस महाकुंभ ने उत्तराखंड को पूरे विश्व में एक नयी पहचान दिलायी। हमारे कुछ हितैषियों ने उसी पर सवाल खड़े कर दिए। इसी के साथ उत्तराखंड में सरकार द्वार प्रदेश की जनता के लिए चलायी जा रही हर योजना पर सरकार में बैठे कुछ लोग और प्रदेश में कुकुरमुतों की तरह उगे पत्रकारिता के कई कुनवे हर तरह से सरकार की तमाम योजनाओं पर पानी फेरने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रहे है।
अब यहां सवाल यह उठता हैं कि प्रदेश का विकास ऐसे में कैसे होगा। डॉ.निशंक जिस तरह प्रदेश की आवाज़ को प्रदेश की जनता की आवाज़ के तौर पर रख रहे है। उस पर भी इन लोग को विश्वास नहीं है। इन्हें हर कदम में निशंक की कार्यप्रणाली पर शक है।
लेकिन मुद्दा ये हैं कि उत्तराखंड में जिन विकास योजनाओं को लेकर काम किया जा रहा है। उन्हें पूरा किए जाने के लिए क्या हम या हम में से कोई एक क्या सरकार की भूमिका के साथ खड़ा हैं। यदि हां तो इस भूमिका पर हम क्यों सवाल खड़े करते है। यदि नहीं तो हम अपने अधिकार के मायने क्या समझते है। इस पर गंभरीता से सोचा जाना चाहिए। क्योंकि यह सिर्फ प्रदेश की भूमिका नहीं बल्कि डॉ.निशंक की भूमिका भी तय करता है।
हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि,अभी तक प्रदेश सरकार के खिलाफ और खुद निशंक के खिलाफ जितने भी आलोचनाओं के परिवेश बनाए गये है। उनमें हर  स्तर पर विपक्ष और पक्ष के कुछ चेहरों को मात खानी पड़ी है। सरकार के खिलाफ जितने भी मामले अभी तक कोर्ट में गए है। उनमें अधिकांश मामलों में भी सरकार की जीत हुई है। इससे  साफ हो जाता हैं कि खोट सरकार की नियत पर नहीं,बल्कि उन लोगों की नियत पर हैं। जो सरकार से अपने फायदे के लिए करोड़ो रुपये लूटते हैं,और जब उन्हें फ्यादा नहीं मिलता तब वह सरकार के खिलाफ खड़े हो जाते है।
उत्तराखंड में जनता के लिए चालयी जा रही तमाम योजनाओं में मीडिया से लेकर छोटी-मोटी पत्र-पत्रिकाओं ने अपने स्तर पर जितना हो सकता हैं,उताना फ्यादा सरकरा से उठाया और विज्ञापन हो या अन्य कोई माध्यम हर तरह से खुद के लिए नयी ज़मीन तय की,लेकिन जैसे ही। इनके खजाने खाली होते हैं,वैसे यह कुछ तत्व फिर से सरकार के खिलाफ खड़े हो जाते है। कौन नहीं जानता हैं कि कुंभ,सैफ गैम और सरकार द्वार उत्तराखंड में चलायी जा रही तमाम योजनाओं के माध्यम से मीडिया और पत्रकारिता जगत के एक बड़े कुनवे ने खुद के लिए नयी विरासत तय की और अपनी पीढ़ियों तक के लिए नये रास्ते भी बनाये।
क्या उस समय इन्हें सरकार की योजनाओं में कोई खामी नज़र नहीं आयी थी? क्या उस समय इन्हें घोटालों की बू नहीं आ रही थी? क्या उस समय इनमें सरकार के खिलाफ लेखने की हिम्मत नहीं थी? लेकिन ऐसा नहीं हैं,उसे समय इन्हें सरकार की भूमिका बहुत बेहतर नज़र आ रही थी. उस वक्त इन्हें उत्तराखंड का विकास साफ नज़र आ रहा था। हमें सरकार एक नये रुप में दिख रही थी।
लेकिन आज स्थिति ऐसी नहीं है। आज इन लोगों को डॉ.निशंक सबसे भष्ट्र नज़र आ रहे है। आज इन्हें वह व्यक्ति घोटालों का जला बुनता नज़र आ रहा हैं। जिसने उत्तराखंड के विकास में एक नयी भूमिका निभायी। जिसने उत्तराखंड को रोजगार,विकास और विकास के मायने समझाने के लिए दिन-रात एक कर दिए।
मैंने स्वयं उन को सरकार की योजनाओं के लिए खुद के विकास को तय करते हुए,दिन-रात देहरादून सचिवालय में सरकारी नुमाइंदों के दफ्तर में घंटो-घंटो बैठे देखा है। अपने हित साधने के लिए सरकार के तलवे चाटते देखा हैं,और जैसे ही इनका काम निकला वैसे ही सचिवालय के बहार सरकार को गाली देते मैने इन्हें कई बार देखा है।
इसमें कोई दो राय नहीं की आज के समय में राजनीति में किसी का दामन साफ नहीं है। लेकिन जहां तक हमारे खुद के मायने हैं,तो हमें भी अपने दामन पर एक बार अवश्य झांकना चाहिए। हमें खुद पर सवाल खड़े करने चाहिए कि हमारी अंतिम भूमिका क्या हैं,सरकारी तौर पर और विकास के तौर पर भी।
हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए की डॉ.निशंक खुद हमारी ज़मीन से जुडे़ है। हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि डॉ.निशंक के पास जब भी उनकी ज़मीन से जुड़ा कोई भी व्यक्ति गया है। उन्होंने कभी उसे निराश नहीं किया है। आम जनता की बात करें तो,इसका जबाब हम तय नहीं कर सकते है। क्योंकि हम में से अधिकांश लोग,मैदान में रहकर पहाड़ के विकास के बारे में बातें करते है। जबकि हम खुद उन पर्यटकों में शामिल हैं। जो कभी-कभार पहाड़ पिकनिक मनाने जाते है। हम मैदान में रहते हुए विकास की बात करते,क्या यह हमारे विकास के मायने हैं। इस पर आज गंभीरता से सोचा जाना चाहिए।
हो सकता हैं,हम आम आदमी की ओर देखते हुए। पहाड़ के मायने तलाशते हों। लेकिन किसी की आलोचना करने से पहले हमें खुद के लिए आलोचना के द्वार भी खोलने होगें। तभी हम किसी पर उंगली उठा सकते है।
क्योंकि आज हम में से अधिकांश लोग उत्तराखंड के  विकास के मायने तलाश रहा हैं, और ये मायने तलाशने वाले अधिकांश वह लोग हैं,जो हमेशा सरकार के साथ खड़े रहते है। अपने फ्यादे के लिए,लेकिन जैसे ही सरकार से इनको कोई फ्यादा होता नहीं दिखायी देता। वैसे ही इन्हें सरकार में तमाम खामिया नज़र आने लगती है।  लेकिन एक दिन किसी भी तरह अगर इन सरकार के खिलाफ खड़े पक्ष और विपक्ष के चेहरों के खुद के मायने तलाशें जाएं तो मैं समझता हूं कि इनकी ज़मीन खीसक जाएगी। यह खुद के लिए रास्ते तलाशने की कोशिश में भी हार जाएगें।
इसलिए कोशिश यह की जानी चाहिए की जो व्यक्ति प्रदेश के विकास में खड़ा हैं। यदि आप उसके साथ खड़े नहीं हो सकते तो,कम से कम उसे काम करने दें। क्योंकि इससे नुकसान हमारा हो रहा है,हमारी जनता का हो रहा है। हम पिछड़ रहे है। विकास हमसे दूर भाग रहा है। इसलिए विकास के साथ खडे़ हो…।
जगमोहन ‘आज़ाद’
 

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वाह वाह... मेरे दोस्त आज़ाद जी ..

शायद उत्तराखंड वासियों को आप और आपके प्रिय निशक जी बतायंगे विकास के मायने क्या होते है! विकास के मायाने निशक जी के लिए है ..... लूट लो उत्तराखंड.... तभी तो छाये हुए है भ्रष्टचार के मुद्दों पर और दुसरे एक नए-२ भ्रष्टाचार के मुद्दे सामने आ रहे है उत्तराखंड में ! मेरे दोस्त .... और उत्तराखंड के महान मुख्यमंत्री जी.. निशक जी..... चुनाव के बाद आप भी हमारे तरह रोड में होंगे ... वो दिन ज्यादे दूर नहीं !

   - विकास के मायने पूछिए उत्तराखंड की उस जनता से जिन्होंने ने कई दसको के संगर्ष के बाद यह राज्य पाया है!
 
  -  विकास का मायने पूछिए .४२ शहीदों के उन परिवारों ने जिहोने उत्तराखंड राज्य के निर्माण के लिए आपने प्राणों की आहुति दी थी !

 -    बाबा मोहन उत्तराखंडी के परिवार से पूछिए  बिकास के मायने जिसे ४६ दिनों के अन्न्सन के बाद आपने प्राण त्याग दिए गैरसैंन पर !

-   उन परिवारों से पूछिए विकास के मायने  जिन्होंने मुज्ज़फ्फर नगर, खटीमा, रामपुर , मसूरी गोली में अपने परिवार के होनहारो को खोया

निशक और आप जैसे बिके हुए लोगो को विकास के मायने क्या पता ! आप पत्रकारों के कितने पैसे मिलते है निशक जी के प्रशंशा में ये शायद लिखने के लिए ?   यह जानना जरुरी है ?

अगर आप समझ रहे है जनता को बेकूफ बनायंगे इस बार भी .. यह होना बिलकुल नामुनकिन है !

  -   क्यों उत्तराखंड की जनता बूद -२ पानी के लिए तरस रही है... कभी इस बारे में आपने सरकार ने ध्यान दिया?
  -   क्यों पहाड़ से पलायन दुगुना हो गया है ?
  -    कहाँ गए हो रोजगार के बड़े-२ दावे
   -   क्यों है हर गली -२ पर आन्दोलन ... नौकरी के लिए ?
   -   कहाँ गया पर्यटन का विकास ?
  -    क्यों छुप बैठे हो आप राजधानी के मुद्दे पर... आपके घर तो बन गए मोरेसस तक ... ..घूमने के लिए हेलीकाप्टर. सरकारी ..

लूटो .. खूब लूटो भाई.. .... दबा के लिए लूटो .... खिलाओ इन पत्रकारों को भी जो आपके नाम की चालीषा लिखते रहगे है .. यही है विकास के मायने....

बाकी..... आगे.. . जारी रहेगा.......

उस जनता पर आप राज कर रहे हो .. जो ना सुन सकती है, ना बोल सकती है .. गूगी जनता है .. .. उनको सिर्फ दो वक्त की रोटी चाहिए....


क्या ये उत्तराखंड के विकास के मायने है?
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आज उत्तराखंड हर तरफ विकास की बात की जा रही है। निश्चित तौर पर इस समय उत्तराखंड जिस विकास के धरातल पर चल
रहा है। इस वजह से दुनिया में भी इस नवोदित राज्य को नये क्षितिज पर देखा जा रहा है। दस वर्षों की अपनी छोटी से यात्रा में इस राज्य ने कई परिवर्तन देख लिए है। फिर चाहे वह राजनैतिक स्तर पर या फिर किसी दूसरे स्तर पर,हमने परिवर्तन के तौर पर एक नयी सीमा खुद के लिए तय की है।
 
लेकिन इधर की बात करें तो ऐसा दिखायी नहीं देता है। आज स्थितियों इतर है। जो व्यक्ति विकास की बात कर रहा है। जो व्यक्ति विकास की योजनाओं पर काम कर रहा हैं। उस व्यक्ति को एक तीसरा व्यक्ति घेरने के काम में लगा है। इस परिपेक्ष में यदि उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक की बात की जाएं तो,उनके विरोधी और उनसे जुड़े हुए उनके ही कुछ अपने लोग इस दिशा में हर संभव प्रयास कर रहे हैं,कि निशंक की उपलब्धियों को किसी भी किमत पर सफलता के मुकाम तक नहीं पहुंचने दिया जाएं। इसके लिए हर तरह से इन दिनों उत्तराखंड में कोशिशे जारी है। यहां सवाल यह उठता हैं कि क्या ऐसे में होगा उत्ताखंड का विकास?
उत्तराखंड आज सुराज की ओर बढ़ रहा है। हमारी  राष्ट्रीय आर्थिक विकास दर 7.2./. हैं। यदि उत्तराखंड की बात की जाएं तो उत्तराखंड की आर्थिक विकास दर 9.4./. है। बी.पी.एल के तह्त गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले परिवारों को प्रतिमाह दो रुपए किलों गेहूं और तीन रुपए किलो चावल देने की घोषणा की गयी। ए.पी.एल के तह्त गरीबी रेखा से ऊपर जीवन यापन करने वाले परिवारों को प्रतिमाह चार रुपए किलो गेहूं तथा छैः रुपए किलो चावल दिए जाने की घोषणा की गयी और दिया भी जा रहा है। लेकिन बीजेपी के विरोधियों ने इस में अपनी टांग अड़ाई और प्रदेश भर में राशन दुकानदारों से मिलकर दुकाने बंद करा दी। डॉ.निशंक ने स्पर्श गंगा  के माध्यम से एक ऐतिहासिक एवं स्वप्निल परियोजना के तहत गंगा के अमृत स्वरुप जल की नैसर्गिकता बनाये रखने को धरातल पर युद्धस्तर पर अभियान चलाया तो लोगों ने इस पर हो-हल्ला मचाया। जिस महाकुंभ ने उत्तराखंड को पूरे विश्व में एक नयी पहचान दिलायी। हमारे कुछ हितैषियों ने उसी पर सवाल खड़े कर दिए। इसी के साथ उत्तराखंड में सरकार द्वार प्रदेश की जनता के लिए चलायी जा रही हर योजना पर सरकार में बैठे कुछ लोग और प्रदेश में कुकुरमुतों की तरह उगे पत्रकारिता के कई कुनवे हर तरह से सरकार की तमाम योजनाओं पर पानी फेरने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रहे है।
अब यहां सवाल यह उठता हैं कि प्रदेश का विकास ऐसे में कैसे होगा। डॉ.निशंक जिस तरह प्रदेश की आवाज़ को प्रदेश की जनता की आवाज़ के तौर पर रख रहे है। उस पर भी इन लोग को विश्वास नहीं है। इन्हें हर कदम में निशंक की कार्यप्रणाली पर शक है।
लेकिन मुद्दा ये हैं कि उत्तराखंड में जिन विकास योजनाओं को लेकर काम किया जा रहा है। उन्हें पूरा किए जाने के लिए क्या हम या हम में से कोई एक क्या सरकार की भूमिका के साथ खड़ा हैं। यदि हां तो इस भूमिका पर हम क्यों सवाल खड़े करते है। यदि नहीं तो हम अपने अधिकार के मायने क्या समझते है। इस पर गंभरीता से सोचा जाना चाहिए। क्योंकि यह सिर्फ प्रदेश की भूमिका नहीं बल्कि डॉ.निशंक की भूमिका भी तय करता है।
हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि,अभी तक प्रदेश सरकार के खिलाफ और खुद निशंक के खिलाफ जितने भी आलोचनाओं के परिवेश बनाए गये है। उनमें हर  स्तर पर विपक्ष और पक्ष के कुछ चेहरों को मात खानी पड़ी है। सरकार के खिलाफ जितने भी मामले अभी तक कोर्ट में गए है। उनमें अधिकांश मामलों में भी सरकार की जीत हुई है। इससे  साफ हो जाता हैं कि खोट सरकार की नियत पर नहीं,बल्कि उन लोगों की नियत पर हैं। जो सरकार से अपने फायदे के लिए करोड़ो रुपये लूटते हैं,और जब उन्हें फ्यादा नहीं मिलता तब वह सरकार के खिलाफ खड़े हो जाते है।
उत्तराखंड में जनता के लिए चालयी जा रही तमाम योजनाओं में मीडिया से लेकर छोटी-मोटी पत्र-पत्रिकाओं ने अपने स्तर पर जितना हो सकता हैं,उताना फ्यादा सरकरा से उठाया और विज्ञापन हो या अन्य कोई माध्यम हर तरह से खुद के लिए नयी ज़मीन तय की,लेकिन जैसे ही। इनके खजाने खाली होते हैं,वैसे यह कुछ तत्व फिर से सरकार के खिलाफ खड़े हो जाते है। कौन नहीं जानता हैं कि कुंभ,सैफ गैम और सरकार द्वार उत्तराखंड में चलायी जा रही तमाम योजनाओं के माध्यम से मीडिया और पत्रकारिता जगत के एक बड़े कुनवे ने खुद के लिए नयी विरासत तय की और अपनी पीढ़ियों तक के लिए नये रास्ते भी बनाये।
क्या उस समय इन्हें सरकार की योजनाओं में कोई खामी नज़र नहीं आयी थी? क्या उस समय इन्हें घोटालों की बू नहीं आ रही थी? क्या उस समय इनमें सरकार के खिलाफ लेखने की हिम्मत नहीं थी? लेकिन ऐसा नहीं हैं,उसे समय इन्हें सरकार की भूमिका बहुत बेहतर नज़र आ रही थी. उस वक्त इन्हें उत्तराखंड का विकास साफ नज़र आ रहा था। हमें सरकार एक नये रुप में दिख रही थी।
लेकिन आज स्थिति ऐसी नहीं है। आज इन लोगों को डॉ.निशंक सबसे भष्ट्र नज़र आ रहे है। आज इन्हें वह व्यक्ति घोटालों का जला बुनता नज़र आ रहा हैं। जिसने उत्तराखंड के विकास में एक नयी भूमिका निभायी। जिसने उत्तराखंड को रोजगार,विकास और विकास के मायने समझाने के लिए दिन-रात एक कर दिए।
मैंने स्वयं उन को सरकार की योजनाओं के लिए खुद के विकास को तय करते हुए,दिन-रात देहरादून सचिवालय में सरकारी नुमाइंदों के दफ्तर में घंटो-घंटो बैठे देखा है। अपने हित साधने के लिए सरकार के तलवे चाटते देखा हैं,और जैसे ही इनका काम निकला वैसे ही सचिवालय के बहार सरकार को गाली देते मैने इन्हें कई बार देखा है।
इसमें कोई दो राय नहीं की आज के समय में राजनीति में किसी का दामन साफ नहीं है। लेकिन जहां तक हमारे खुद के मायने हैं,तो हमें भी अपने दामन पर एक बार अवश्य झांकना चाहिए। हमें खुद पर सवाल खड़े करने चाहिए कि हमारी अंतिम भूमिका क्या हैं,सरकारी तौर पर और विकास के तौर पर भी।
हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए की डॉ.निशंक खुद हमारी ज़मीन से जुडे़ है। हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि डॉ.निशंक के पास जब भी उनकी ज़मीन से जुड़ा कोई भी व्यक्ति गया है। उन्होंने कभी उसे निराश नहीं किया है। आम जनता की बात करें तो,इसका जबाब हम तय नहीं कर सकते है। क्योंकि हम में से अधिकांश लोग,मैदान में रहकर पहाड़ के विकास के बारे में बातें करते है। जबकि हम खुद उन पर्यटकों में शामिल हैं। जो कभी-कभार पहाड़ पिकनिक मनाने जाते है। हम मैदान में रहते हुए विकास की बात करते,क्या यह हमारे विकास के मायने हैं। इस पर आज गंभीरता से सोचा जाना चाहिए।
हो सकता हैं,हम आम आदमी की ओर देखते हुए। पहाड़ के मायने तलाशते हों। लेकिन किसी की आलोचना करने से पहले हमें खुद के लिए आलोचना के द्वार भी खोलने होगें। तभी हम किसी पर उंगली उठा सकते है।
क्योंकि आज हम में से अधिकांश लोग उत्तराखंड के  विकास के मायने तलाश रहा हैं, और ये मायने तलाशने वाले अधिकांश वह लोग हैं,जो हमेशा सरकार के साथ खड़े रहते है। अपने फ्यादे के लिए,लेकिन जैसे ही सरकार से इनको कोई फ्यादा होता नहीं दिखायी देता। वैसे ही इन्हें सरकार में तमाम खामिया नज़र आने लगती है।  लेकिन एक दिन किसी भी तरह अगर इन सरकार के खिलाफ खड़े पक्ष और विपक्ष के चेहरों के खुद के मायने तलाशें जाएं तो मैं समझता हूं कि इनकी ज़मीन खीसक जाएगी। यह खुद के लिए रास्ते तलाशने की कोशिश में भी हार जाएगें।
इसलिए कोशिश यह की जानी चाहिए की जो व्यक्ति प्रदेश के विकास में खड़ा हैं। यदि आप उसके साथ खड़े नहीं हो सकते तो,कम से कम उसे काम करने दें। क्योंकि इससे नुकसान हमारा हो रहा है,हमारी जनता का हो रहा है। हम पिछड़ रहे है। विकास हमसे दूर भाग रहा है। इसलिए विकास के साथ खडे़ हो…।
जगमोहन ‘आज़ाद’
 

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Dear ...... Jagmohan Ji & Honorable CM Ji.

Is the development ?  Today there is strike / agitation everywhere in UK!

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विभाग से खिन्न वन श्रमिकों ने निकाला जुलूस
May 13, 09:22 pm
बताएं

जागरण कार्यालय, अल्मोड़ा: एक मई से नियमितीकरण की मांग को लेकर धरना व क्रमिक अनशन में बैठे वन श्रमिकों ने शुक्रवार को वन संरक्षक कार्यालय से जुलूस निकाला। वन विभाग की उपेक्षापूर्ण नीति से खिन्न वन श्रमिकों ने वन विभाग के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। श्रमिक हितों की अनदेखी करने का आरोप लगाया। वन श्रमिकों ने 19 मई तक मांगें पूरी न होने पर 20 से आमरण अनशन का एलान किया है।

जुलूस वन संरक्षक कार्यालय से प्रारंभ होकर नगर के मुख्य मार्गो से होता हुआ जिलाधिकारी कार्यालय पहुंचा। जहां पर मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन जिलाधिकारी को सौंपा। 8 सूत्रीय ज्ञापन में वन श्रमिकों के नियमितीकरण सहित अनेक मांगें शामिल हैं। वन श्रमिकों को समर्थन देने वालों में सोशलिस्ट जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अकबर खान, उत्तराखण्ड परिवर्तन पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष पीसी तिवारी, सामाजिक न्याय कृति मंच के नेता एके सिकंदर पंवार शामिल हैं। इन नेताओं का कहना है कि जब तक वन श्रमिकों की मांग पूरी नहीं हो जाती, उनके साथ हर पल खड़ा रहेंगे। धरना, क्रमिक अनशन में अल्मोड़ा, चंपावत, पिथौरागढ़, बागेश्वर, रानीखेत, लोहाघाट के श्रमिकों ने हिस्सेदारी की। शुक्रवार को क्रमिक अनशन में बैठने वालों में गोविंद सिंह रजवार, माधवानंद जोशी के साथ त्रिलोचन भट्ट, कैलाश चंद्र जोशी, नवीन पाठक, महेश चंद्र, किशोरी लाल, रणजीत सिंह, वीर सिंह, हीरा सिंह बिष्ट, भुवन चंद्र चौबे, गोपाल दत्त तिवारी, चंद्रकांत जोशी, बालकिशन, हयात सिंह चम्याल सहित अनेक वन श्रमिक शामिल थे।

 

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