वोट तभी मिलेगा जब पैदल पुल बनेगा गोपेश्वर, राज्य निर्माण के 11 वर्ष बाद भी थिरपाक क्षेत्र के ग्रामीणों की पैदल पुल की मांग पूरी नहीं हो पाई है। सम विकास योजना के तहत सात से अधिक गांवों के पैदल आवागमन के लिए पुल का निर्माण तो किया गया, लेकिन एक वर्ष में ही बरसाती गधेरे ने प्रशासनिक हुकमरानों के लापरवाह कार्यो की पोल खोल दी और पुल धराशायी हो गया। लिहाजा, अब बरसात में पांच किमी की अतिरिक्त पैदल दूरी तय कर ग्रामीण घरों को पहुंचते हैं।
नंदप्रयाग विधानसभा में आने वाले गंडासू, पुणकिला, सुनती, चाका, सेमा, बैरासकुण्ड व बैरों आदि गांव नए परिसीमन के बाद अब थराली विधानसभा में चले गए हैं। ग्रामीण बताते हैं कि छोटे से गधेरे मोलागाड़ पर पहले क्षेत्र पंचायत विकास निधि से पैदल पुल का निर्माण किया गया। वह कुछ समय लोगों के पैदल आवागमन का साधन बना, लेकिन वह बाद में क्षतिग्रस्त हो गया।
2007 के विधानसभा चुनावों से पहले भी इन गांवों के लोगों ने मोलागाड़ गधेरे पर पैदल पुल की मांग की। तब 2009-10 में यहां साढ़े चार लाख रुपये की लागत से पैदल पुल का निर्माण किया गया, लेकिन कुछ समय बाद ही यह पुल बरसाती गधेरे में बह गया।
बरसात में जब सड़क बंद होती है, तो सात गांव के ग्रामीणों केपैदल आवागमन का यह एकमात्र विकल्प रहता है। पुल के ध्वस्त होने के बाद लोगों को बरसात में पांच किमी का अतिरिक्त पैदल सफर तय करना पड़ता है। इन गांव में 550 से अधिक मतदाता निवास करते हैं।
आजकल यह बरसाती गधेरा कम हो गया है। इसलिए नेताजी और उनके समर्थक इसी टूटे हुए पुल से इन गांवों में जाकर वोट मांग रहे हैं, लेकिन ग्रामीण बताते हैं कि कोई भी प्रत्याशी इस पुल के निर्माण की बात नहीं कर रहा है।
Source Jagran News