Author Topic: Growth of tiger (Bagh) in Uttarakhand  (Read 5297 times)

Anil Arya / अनिल आर्य

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Re: Growth of tiger (Bagh) in Uttarakhand
« Reply #10 on: March 28, 2011, 11:48:43 PM »
रंग लाई मेहनत, बाघों की तादाद 1706 हुई
नई दिल्ली/देहरादून। प्रोजेक्ट टाइगर के सकारात्मक नतीजे सामने आने लगे हैं। देश में पिछले चार साल के दौरान बाघों की तादाद 1411 से बढ़कर 1706 हो गई है। इनमें पश्चिम बंगाल के सुंदरवन के 70 बाघ भी शामिल हैं जो पिछली गणना में छूट गए थे। उत्तरी राज्यों में अकेला उत्तराखंड ऐसा राज्य है जहां बाघों की संख्या में इजाफा हुआ है और बाघों की संख्या के मामले में वह देश में तीसरे स्थान पर है। पहले स्थान पर 300 बाघों के साथ कर्नाटक व दूसरे स्थान पर 257 बाघों वाला मध्य प्रदेश हैं।
उत्तराखंड के प्रमुख वन संरक्षक वन्यजीव श्रीकांत चंदोला के अनुसार जिम कार्बेट नेशनल पार्क में बाघों की तादाद 164 से बढ़कर 227 हो गई है। उत्तर प्रदेश में 118 और बिहार में मात्र आठ बाघ पाए गए। महाराष्ट्र में 169, तमिलनाडु में 163 और असम में 147 बाघ हैं। खास बात यह है कि दुनिया के कुल बाघों की लगभग 60 फीसदी आबादी अब भारत में हैं। बाघों की गणना पर तैयार रिपोर्ट ‘बाघ 2010’ के अनुसार उत्तराखंड, महाराष्ट्र, असम, तमिलनाडु और कर्नाटक में बाघों की तादाद बढ़ी है और बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड, राजस्थान, उड़ीसा, मिजोरम और उत्तर बंगाल व केरल में संख्या यथावत पाई गई जबकि मध्य प्रदेश और आंध्र प्रदेश में कमी आई है। विज्ञान भवन में सोमवार को आयोजित ‘अंतरराष्ट्रीय बाघ संरक्षण कांग्रेस’ में यह रिपोर्ट जारी की गई। यह देशभर में फैले 39 बाघ रिजर्व में मौजूद बाघों की गणना को लेकर है। इसे तैयार करने में 4.76 लाख वनकर्मियों के अलावा 800 कैमरे भी लगाए गए थे।
उत्तराखंड में 63 बाघों का हुआ इजाफा
उत्तर प्रदेश में नहीं बढ़ा एक भी बाघ source - epaper.amarujala

Anil Arya / अनिल आर्य

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Re: Growth of tiger (Bagh) in Uttarakhand
« Reply #11 on: March 29, 2011, 01:00:09 AM »

उत्तराखंड में दूर तक सुनी जाएगी बाघों की दहाड़
देहरादून। उत्तराखंड में बाघों की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई है। नेशनल जिम कार्बेट पार्क में बाघों की संख्या 227 तक पहुंच गई है। इससे वन विभाग के अफसरों के माथे से बल कुछ कम हुआ है। देहरादून स्थित भारतीय वन्यजीव संस्थान की ओर से पिछली दो बार से बाघों की गणना की जा रही है। 2006 के बाद 2010 में राष्ट्रीय स्तर पर बाघों की गणना कैमरे की मदद से की गई। भारतीय वन्यजीव संस्थान की ओर से रिपोर्ट तैयार की गई है।
उत्तराखंड के लिहाज से यह रिपोर्ट उत्साहित करने वाली है। पिछली रिपोर्ट के मुकाबले 63 बाघ बढ़े हैं। प्रमुख वन संरक्षक वन्यजीव श्रीकांत चंदोला ने बताया कि पूरी रिपोर्ट आने के बाद बेहतर तरीके से विश्लेषण किया जा सकता है। साथ ही उसी के अनुरूप भविष्य में कदम उठाया जा सकता है। इतना अवश्य है कि बाघों के लिए कॉरिडोर और रास्ते को लेकर तत्काल कदम उठाए जाने चाहिए।
बाघ बढ़ने पर भी केंद्र-राज्य में तकरार
बोले जयराम रमेश, अभी टला नहीं जिम कार्बेट के बाघों का संकट
नई दिल्ली। उत्तराखंड में बाघों की तादाद बढ़ने के मामले में भी अब राजनीति शुरू हो गई है। इस बढ़ोत्तरी के बावजूद केंद्र सरकार ने कहा है कि जिम कार्बेट नेशनल पार्क में पर्यटकों की लगातार बढ़ती संख्या और वन्य तस्करों से बाघों पर मंडरा रहा खतरा टला नहीं है। दूसरी तरफ उत्तराखंड सरकार ने जयराम की इन आशंकाओं को खारिज करते हुए कहा कि बाघों की संख्या बढ़ना इस बात का संकेत है कि राज्य सरकार की वन्यजीव नीति व प्रबंधन सबसे बेहतर है। जयराम ने उत्तराखंड को लेकर ‘अमर उजाला’ से कहा कि यह सच है कि ‘बाघ 2010’ रिपोर्ट में जिम कार्बेट समेत तराई क्षेत्र के बाघों को लेकर सकारात्मक नतीजे सामने आए हैं, लेकिन इस क्षेत्र में पर्यटकों की लगातार बढ़ रही संख्या और वन्य तस्करों से बाघों पर मंडरा रहा खतरा टला नहीं है। वन सलाहकार समिति के उपाध्यक्ष अनिल बलूनी ने बगैर जयराम का नाम लिए कहा कि इस रिपोर्ट के नतीजे उन लोगों के लिए करारा जवाब है जो जिम कार्बेट पार्क के बाघों को लेकर आए दिन हमें पत्र लिखते रहे हैं। इस पार्क से लेंटना झाड़ी का उन्मूलन करना भी बाघों की आबादी बढ़ने में एक बड़ा सकारात्मक कदम रहा। वन्य तस्करों, बावरिया गिरोहों के खिलाफ कार्रवाई से हम बाघ बचाने में सफल रहे।
सीएम ने ठोंकी पीठ
देहरादून। सीएम रमेश पोखरियाल निशंक ने उत्तराखंड में बाघों की तादाद बढ़ने पर खुशी जताई है। इसके लिए जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क प्रशासन की पीठ भी ठोंकी। उत्तराखंड पर्यावरण और वन्य जीव संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है। पार्क प्रशासन को और संकल्प के साथ इस कार्य में जुटना होगा।
बड़ी रकम हो रही खर्च
बाघों के संरक्षण के लिए साल 2005-06 में 33 करोड़, 2006-07 में 32 करोड़ से अधिक तथा 2007-08 में लगभग 63 करोड़ खर्च किए गए। इस साल 68 करोड़ रुपये व्यय हुए। इस दौरान उत्तर प्रदेश में करीब साढ़े पांच करोड़ रुपये, राजस्थान में 32 करोड़, उत्तराखंड में आठ करोड़ तथा पश्चिम बंगाल में सात करोड़ खर्च किए गए। आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, केरल तथा कर्नाटक में भी करोड़ों रुपये व्यय हुए।
सिरमौर साबित हुआ सीटीआर
रामनगर। देशभर में हुई बाघों की गणना में कार्बेट टाईगर रिजर्व समेत इससे सटे जंगलों लैंडस्केप में 63 बाघों की वृद्धि दर्ज की गई है। राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण और भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून के अधिकारियों की निगरानी में वर्ष 2006 में 1524 वर्ग किमी जंगल था। कार्बेट लेंडस्केप में बाघ का वासस्थल 1524 वर्ग किमी से बढ़कर 2295 वर्ग किमी पाया गया है। इसमें 227 बाघों की मौजूदगी दर्ज की गई। इसमें सीटीआर के 1288 वर्ग किमी क्षेत्रफल समेत रामनगर, हल्द्वानी वन प्रभाग का जंगल शामिल है।
source. epaper.amarujala

 

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