Author Topic: Growth of tiger (Bagh) in Uttarakhand  (Read 5301 times)

मदन मोहन भट्ट

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Growth of tiger (Bagh) in Uttarakhand
« on: March 19, 2009, 02:05:42 PM »
Uttarakhand is a hill state comprising thousands of small hamlets mostly surrounded by jungles all around.  Around thirty years back, tiger (Bagh) was seen in dense forests and considered to be most dangerous for the pet animals during the daytime when most of the animals were left alone for grazing. 

In the hope of better livelihood, natives from all over the state started migrating to urbans.  India is shining through developments in the field of IT, Industrial growth, road infrastructure, sports etc.  But, the lackadaisical approach of all the governments in this newly constituted state could not contribute more for development in the villages especially for road connectivity.  Only fifteen-twenty percent helpless population remains in so many village hamlets.  People have ignored cultivating the fields and the jungles are spreading with fast pace, breaking the boundaries of the hamlets.

Though the people of Uttarakhand are neglected in the India Shining Campaign, ignorance of people in Uttarakhand has automatically given chance to wild animals to grow up freely in the newer and newer areas.  People got independence in 1947 but now these animals are enjoying the independence of the state by grazing and breeding freely in the ignored fields in the vicinity of the villages.  At least the tiger (Bagh) is lucky in Uttarakhand that government’s apathy for the people has become a boon for him. It is a blessing in disguise for the cat family in Uttarakhand. 

It cannot be ascertained how serious the state government is to protect the tiger from poachers and fires.  Little efforts by the government will definitely increase the number of tigers in Uttarakhand.

Madan Mohan Bhatt

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Re: Growth of tiger (Bagh) in Uttarakhand
« Reply #1 on: March 19, 2009, 04:37:59 PM »

Bhatt Ji,

Thanx for your views.

The number tigers in all over the India has drastically . In uttarkahand also, tigers are disappearing rapidly.  In gone days, due to fear of tigers, people used to fear to cut the forest.
Since the tigers are disappearing,  deforestation  has also increased.

Anil Arya / अनिल आर्य

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Re: Growth of tiger (Bagh) in Uttarakhand
« Reply #2 on: February 23, 2011, 12:07:47 AM »
हिम तेंदुए के पदचिह्न मिले
टेस्टिंग को भारतीय वन्य जीव संस्थान दून भेजा
गोपेश्वर। हिमालय में विचरण करने वाले हिम तेंदुए (स्नो लेपर्ड) की साइड खोजने के लिए वन महकमा पूरी तैयारी से जुटा है। केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग के अंतर्गत ऊखीमठ क्षेत्र के हिमालयी क्षेत्र में रेकी कर रहे वन कर्मियों को हिम तेंदुए के पद चिह्न भी मिले हैं। वन विभाग ने इन पद चिह्नों को टेस्टिंग के लिए भारतीय वन्य जीव संस्थान देहरादून भेज दिया गया है।
वर्ष 1985 में बदरीनाथ वन प्रभाग के अंतर्गत जोशीमठ में हिम तेंदुए को देखा गया था। इसी दौरान सौखर्क में वनस्पतियों पर रिसर्च कर रहे एक विदेशी छात्र को हिम तेंदुआ दिखाई दिया था। इसके बाद से आज तक प्रभागीय वन क्षेत्रांतर्गत हिम तेंदुआ नहीं दिखा है। नंदा देवी बायोस्फियर रिजर्व जोशीमठ द्वारा वर्ष 2004 में की गई स्तनधारी प्रजातियों की गणना के अनुसार हिमालय क्षेत्र में कुल चार से पांच हिम तेंदुओं का अप्रत्यक्ष प्रमाण मिला है। केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग के प्रभागीय वनाधिकारी डीके सिंह का कहना है कि यदि हमें हिम तेंदुए के दर्शन होते हैं, तो यह हमारे लिए उपलब्धि भरा होगा। इस वर्ष बर्फबारी अधिक हुई है। संभवत: हिम तेंदुए कुछ नीचे आ जाएं, इसके लिए लंबी दूरी की गश्त बढ़ा दी गई है।
http://epaper.amarujala.com

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Re: Growth of tiger (Bagh) in Uttarakhand
« Reply #3 on: February 23, 2011, 07:32:58 AM »

Now M S Dhoni has become Brand Ambassdor of Tiger Protection for uttarakhand State.

Let us see the result..


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Re: Growth of tiger (Bagh) in Uttarakhand
« Reply #4 on: February 23, 2011, 07:53:44 AM »
उत्तराखंड में अगर टाइगर  को बचाना है तो उन्हें पकड़ कर चिड़िया घरों में डालना चाहिए और जो गाँव जंगलो से सटे हुए हैं उन गाँवों में टाइगर को पकड़ने के लिए पिंजरे लगाने चाहिय तभी टाइगरों को बछाया जा सकता हो नहीं शिकारी टाइगरों को ऐसे मार देंगें क्योंकिं आजकल टाइगरों का आतंक मचाया हुवा है !

अब या तो टाइगर बचाओ,या तो गाँव वालों को बचाओ

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Re: Growth of tiger (Bagh) in Uttarakhand
« Reply #5 on: February 23, 2011, 07:58:09 AM »
रामनगर: टाइगर कॉरिडोर से सटा सुंदरखाल गांव बाघ की दहाड़ से फिर थर्रा उठा। कुछ दिन की शांत रहने के बाद बाघ आसपास ही नहीं मंडराया बल्कि इस बार वह एक ग्रामीण के घर से सटी रसोई में जा घुसा और पूरा सामान बिखेर डाला। इधर वन कर्मियों ने कहा, रसोई के फर्श पर मिले पदचिह्न गुलदार के हैं। बहरहाल, गांव में एक बार फिर दहशत का माहौल है।

पखवाड़े भर तक सुंदरखाल में बाघ के पदचिह्न न मिलने व दहाड़ न सुनाई देने से खौफ कुछ कम हुआ था। मगर बीती सोमवार की रात बाघ फिर गांव में घुस आया। कुछ देर दहाड़ने के बाद वह ग्रामीण खुशाली राम रसोई में जा घुसा और सारा सामान अस्त-व्यस्त कर डाला।



अगर टाइगर ऐसे ही लोगों के घरों में घुसेंगे तो फिर क्या होगा उन गाँव वालों का जिनके
बच्चों को बाघ ने निवाला बना दिया है,अभी तक तक तो कोई भी किसी ने भी आवाज नहीं उठाई,अगर बाघ ऐसे ही आतंक मचाते रहे तो कोई भी टाइगरों नहीं बचा सकता चाहए वो धोनी हों या निशंक

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Re: Growth of tiger (Bagh) in Uttarakhand
« Reply #6 on: February 23, 2011, 08:00:56 AM »
शिकारी दल ने आदमखोर गुलदार को मार गिराया,घनसाली, निज प्रतिनिधि: भिलंगना के बालगंगा रेंज में पिछले कई दिनों से आतंक का पर्याय बने गुलदार को रविवार की रात वन विभाग के शिकारी दल ने मार गिराया। गुलदार का खात्मा करने के बाद से प्रभावित क्षेत्र के लोगों ने राहत की सांस ली है।

विदित हो कि बालगंगा रेंज के अंर्तगत दो दिन पूर्व गुलदार ने एक तेरह वर्षीय किशोरी को निवाला बना दिया था इसके बाद से क्षेत्र में दहशत का माहौल बना हुआ था। इसको लेकर क्षेत्रवासियों ने वन विभाग के खिलाफ शव को लेकर धरना प्रदर्शन शुरू किया था। लोगों के आक्रोश को देखते हुए घटना के बाद वन विभाग हरकत में आया और गुलदार को आदमखोर घोषित कर दिया। बीती रविवार की रात्रि को वन विभाग के शिकारी दल ने उसे आदमखोर गुलदार को मार गिराया। जिससे लोगों ने अब राहत की सांस ली है। उधर वन रेंज अधिकारी अनिल कुकरेती ने बताया कि मृतक गुलदार छह वर्षीय मादा थी और उसका एक दांत भी टूटा था। पशुचिकित्सकों के पोस्टमार्टम करने के बाद वन विभाग ने गुलदार के शव को नदी के किनारे जला दिया। उन्होंने बताया कि पीड़ित परिवार को विभाग की तरफ से पांच हजार की आर्थिक सहायता दी गई है!

दोस्तों अब आप ही बताओ की आप लोगों को बचाओगे या टाइगरों को



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Re: Growth of tiger (Bagh) in Uttarakhand
« Reply #7 on: February 23, 2011, 09:31:56 AM »

बिलकुल जाखी जी.... विगत कुछ वर्षो से उत्तराखंड बाग़ के लोगो को खाने की घटनाएं काफी बढ गयी है!

नरभक्षी शेरो ने कई लोगो को अपना निवाला बनाया है गावो में!  टाईगर को बचाना अच्छा कार्य है लेकिन नरभक्षी शेरो के सलाखों के पीछे होना चाहिए यानी .. चिड़ियाघरो में ! 

वन विभाग को सचेत होना चाहिए जब भी इस प्रकार की धटनाये आये!

 

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Re: Growth of tiger (Bagh) in Uttarakhand
« Reply #8 on: February 23, 2011, 10:23:36 AM »
टाइगर से पहले इन्शान बचाओ अभियान चलाना पड़ेगा पहले,न की टाइगर,और और गांवों मैं जो टाइगर का तहलका मचाया हुवा है ऐसे टाइगरों को तो बचाना ही नहीं चाहिए उन्हें मार दिया जाना चाहिए !

Anil Arya / अनिल आर्य

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Re: Growth of tiger (Bagh) in Uttarakhand
« Reply #9 on: March 27, 2011, 11:46:37 PM »
देश में कितने हैं बाघ आज हो जाएगा साफ
वन मंत्रालय की ओर से जारी की जाएगी संख्या पर रिपोर्ट
अमर उजाला ब्यूरो
देहरादून। बहुत दिनों से प्रचारित किया जा रहा था देश में सिर्फ 1411 बाघ बचे हैं। इस दौरान कई के मारे जाने की भी खबरें आईं। कुछ शावकों के पैदा होने की भी बात कही गई। आज बाघों की संख्या की हकीकत से पर्दा उठ जाएगा। यह भी पता लगेगा कि कौन सा राज्य बाघ संरक्षण में आगे रहा है। सोमवार को केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय नई दिल्ली में बाघों की संख्या के बाबत रिपोर्ट जारी करेगा।
पिछले साल देश भर के पार्कों में बाघों को लेकर गणना की गई थी। इसको लेकर विभिन्न राज्यों से देहरादून स्थित भारतीय वन्यजीव संस्था के पास रिपोर्टें आई थी। रिपोर्ट आने के बाद भारतीय वन्यजीव संस्थान के वैज्ञानिकों द्वारा लगभग आठ माह तक किए गए मैराथन मंथन के बाद बाघों की गणना पर विस्तृत रिपोर्ट तैयार की गई है। इस रिपोर्ट में देश भर के एक-एक राष्ट्रीय पार्कों में रहने वाले बाघों की गणना की गई है।
इस रिपोर्ट के आने के बाद यह स्पष्ट हो जाएगा कि कौन से राज्य बाघ संरक्षण को लेकर चिंतित है और कौन से राज्य उदासीन बने हुए है। क्योंकि, बाघों की संख्या ही पूरी तसवीर को खुद ब खुद बयां करेगी। इस रिपोर्ट को लेकर उत्तराखंड में भी हलचल का माहौल है। प्रमुख वन संरक्षक वन्यजीव श्रीकांत चंदोला ने बताया कि रिपोर्ट आने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है।
राष्ट्रीय पार्कों में स्थिति की मिलेगी जानकारी
भारतीय वन्यजीव संस्थान ने बनाई है यह रिपोर्ट
http://epaper.amarujala.com/svww_index.php

 

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