हिन्दुस्तान अखबार में यह खबर छपी थी, सरकार खेती बचाने का एक और अभिनव प्रयास करने जा रही है, लेकिन मेरी समझ में यह नहीं आ पा रहा कि छोटे-छोटे (एक हली-द्वि हली) के सीढ़ीदार खेतों में यह तकनीक कैसे काम कर पायेगी? मुझे तो यह योजना मैदानी क्षेत्रों या घाटी के बड़ी जोत के खेतों के लिये लाभदायक लग रही है।
‘पोरस’ विधि दिखाएगी कृषि को नई राह
पहाड़ों में पानी की किल्लत से लगातार बंजर हो रहे खेतों और लोगों के पलायन को रोकने के लिए कृषि की नवीनतम तकनीक ‘पोरस’ विधि वरदान साबित होगी। इस तकनीक के अंतर्गत भूमि के भीतर करीब 9 इंच की गहराई में पाइपों का जाल बिछा दिया जाएगा, जिसमें छोटे-छोटे छेद बिना पानी का अतिरिक्त नुकसान हुए बेहतर सिंचाई कर पैदावार को बढ़ायेंगे। यह कहना है राज्य के कृषि मंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का, जो शुक्रवार को यहां पत्रकारों से मुखातिब थे।
रावत ने कहा कि इस तकनीक को प्रदेश भर में शुरू करने के प्रयास किये जा रहे हैं। इसके अलावा जल संवर्धन एवं संरक्षण के लिए प्रदेश की कृषि नीति के अनुसार बरसात के जल को सुरक्षित करने के लिए सरकार निजी स्तर पर गड्ढ़े खोदने के लिए 85 फीसदी और सार्वजनिक तालाब बनाने के लिए पूरी मदद करेगी।
रावत ने बताया कि 19 मई को प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह के पंतनगर आगमन पर उन्हें प्रदेश की कृषि समस्याओं के सम्बंध में तैयार किया गया ज्ञापन सौंपा जाएगा, जिसमें मुख्य रूप से उपजाऊ कृषि भूमि पर औद्योगीकरण के लिए विशेष आर्थिक क्षेत्र (सेज) के स्थान पर विशेष कृषि क्षेत्र बनाने, एससी-एसटी, सामान्य लघु एवं सीमांत किसानों को एक लाख रुपये तक के ऋण को ब्याज मुक्त कराने के लिए केंद्र से 200 करोड़ रुपये का विशेष कृषि पैकेज, प्रदेश के सीमावर्ती इलाकों में बसे गांवों में आतंकी घुसपैठ से बढ़ रहे पलायन एवं आर्थिक विकास के लिए 100 करोड़ रुपये, कृषि योग्य बंजर भूमि के सुधार के लिए उत्तराखंड को 50 करोड़ के विशेष कृषि पैकेज की मांग की जाएगी। भाजपा कार्यकर्ताओं ने सुशीला तिवारी अस्पताल के सरकारीकरण में अहम भूमिका निभाने वाले त्रिवेंद्र सिंह रावत के प्रयासों की सराहना की।