नमस्कार, ये विषय बहुत ही अच्छा चुना आपने. यदि हम बात करें कि उत्तराखंड का विकास कैसे करें तों सबसे पहले हमें सोचना पड़ता है कि रोज़गार के अवसर कैसे बढें. पहाड़ी भूमि पर बड़े उद्योग नहीं लग सकते इस लिए पहाड़ के प्राकृतिक वरदानों को सही तरह से प्रयोग करते हुए रोज़गार बढाने के बारे में सोचना पड़ेगा. इस दृष्टि से पर्यटन उद्योग को बढाना ही श्रेयस्कर रहेगा.
परन्तु प्रश्न यह है कि कैसे बढेगा हमारा पर्यटन उद्योग. अभी तक तों पर्यटन का मतलब, कम से कम दिल्ली वालों के लिए तों, देहरादून, मसूरी, नैनीताल जैसे बड़े शहर ही हैं. इन बड़े शहरों का जितना विकास हो सकता था हो ही गया है, अच्छा या बुरा अलग बात है. इनका जितना दोहन हो सकता था हो गया है और हो ही रहा है. लेकिन सार्भोमिक विकास तों छोटी-छोटी जगहों का विकास करने से ही होगा. इसलिए आज हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए पर्यटन को छोटी छोटी जगहों पर ले जाने की. कैसे ले जायें पर्यटकों को छोटी छोटी जगहों पर? इस प्रश्न का उत्तर मिलेगा पर्यटकों की ही तरह सोच कर.
अमीर पर्यटक तों अपना पर्यटन-स्थल चुन ही लेते हैं पर उनकी संख्या छोटी होने के कारण स्थानीय लोगों को बहुत ज़्यादा फायदा नहीं होता. इसलिए हमें सोचना पड़ेगा छोटे बजट के पर्यटकों के बारे में. क्या चाहते हैं वो? मेरी दृष्टि में छोटे बजट के लोग दो तरह के पर्यटन के बारे में सोचते हैं - धार्मिक और सस्ते. धार्मिक पर्यटन चार धाम यात्रा भी बड़े पैमाने पर करवाती है और उस से उस खेत्र का विकास हो ही रहा है. किंतु अभी बहुत से पर्यटक स्थल छोटी-छोटी जगहों पर हैं जिन्हें कोई पर्यटक नहीं मिलता. बहुत सारे छोटे पर्यटक स्थल भी प्रकृति ने हमें प्रदान किए हुए हैं किंतु अभी तक वहाँ बड़े स्तर पर पर्यटन नहीं होता.
सभी पर्यटक किसी भी प्राकृतिक स्थल पर प्रकृति की सुन्दरता के अतिरिक्त मूलभूत सुविधाएं भी चाहते हैं. मैंने देखा है कि चाहे वो चकरोता (जौनसार-बावर), सेम-मुखेम तथा लम्ब गाँव (टेहरी गढ़वाल) हो या कि मानिला, जागेश्वर, धौलाछीना आदि हों, ये सभी स्थल प्राकृतिक सौंदर्य के होते हुए भी कोई सुविधा नहीं होने के कारण पर्यटकों के मानचित्र पर कहीं नहीं हैं. मेरा मानना है कि इन जगहों पर सड़क, बिजली, ठहरने की जगहें, खाने-पीने की बेहतर सुविधाएं होना बहुत ही आवश्यक है.
मेरा माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि इस दिशा में क्या करना है और कैसे करना है और हम कुछ कर भी सकते भी हैं या नहीं, सोचना पडेगा. कृपया अपने विचार इस फॉरम पर रखें.
नमस्कार