यदि पर्यटन को सहकारिता से जोड़ा जाय तो मैं सोचता हूं हम कामयाब हो सकते हैं, गांवों के लोगों को जागरूक किया जाय, कुछ पूंजी पहले सरकार उन्हें दे, फिर वह (गांव वाले) अपने हिसाब से पर्यटन स्थल बनायें, गांव के लोगों को इससे रोजगार भी मिलेगा, इसका एक पहलू यह भी है कि यात्रा मार्ग को ही अगर देखें तो हम स्थानीय लोग सिर्फ चाय की दुकान या फूल बेचने तक ही सीमित हैं, जब कि रिसोर्ट या होटल के मालिक कोई और हैं. तो सरकार क्यों नही ऎसा प्रयास करती कि ये रिसोर्ट या होटल स्थानीय लोगों के हों?
यदि एक आदमी व्यवसाय करने में अक्षम है तो पूरे गांव या एक समूह को यह काम दिया जा सकता है.