पौड़ी गढ़वाल, जागरण कार्यालय: २ मई, २००९
जिला मुख्यालय से करीब छह किलोमीटर दूर गगवाड़स्यूं पट्टी के गगवाड़ा गांव के वन पंचायत क्षेत्र में लगी आग को बुझाने के प्रयास में पांच लोगों की जलकर मौके पर ही मौत हो गई, जबकि सात लोग बुरी तरह झुलस गए। झुलसे लोगों को जिला चिकित्सालय पौड़ी में भर्ती कराया गया है। वहां से तीन की गंभीर स्थिति को देख उन्हें बेस चिकित्सालय श्रीकोट के लिए रेफर कर दिया गया है। उधर चमोली जिले के थराली ब्लाक में पैनगढ़ के जंगल में लगी आग से एक 18 वर्षीय युवक आग की चपेट में आ गया, जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई। आज शुक्रवार सुबह छह बजे गगवाड़ा गांव के सौ से अधिक लोग आग बुझाने जंगल की ओर गए। दोपहर के समय आग ने प्रचंड रूप लिया। ग्रामीण आग की चपेट में आ गए। इनमें पांच लोगों की जलकर मौके पर ही मौत हो गई, जबकि सात लोग झुलस गए। मृतकों में गगवाड़ा गांव निवासी सूरीदास (53 वर्ष) पुत्र ख्याली दास, तेजेन्द्रपाल (44 वर्ष) पुत्र पूरण सिंह सजवाण, मोहन सिंह (45 वर्ष) पुत्र उम्मेद सिंह, सुनील (18 वर्ष) पुत्र जयकृत सिंह व सुनील (21 वर्ष) पुत्र पदमराम शामिल हैं। झुलसे लोगों में गगवाड़ा गांव के अनिल सजवाण (32 वर्ष) पुत्र मदन सिंह, महेन्द्र (19 वर्ष) पुत्र राजकुमार, युद्धवीर सिंह (30 वर्ष) पुत्र हुकम सिंह, महावीर सिंह (62 वर्ष) पुत्र साबर सिंह, जगदीश (27 वर्ष) पुत्र महावीर सिंह, जगमोहन व पदम सिंह शामिल हैं। महावीर सिंह 90 प्रतिशत, युद्धवीर सिंह 55 प्रतिशत, अनिल सजवाण 45 प्रतिशत जले हैं, इनकी नाजुक स्थिति को देखते उन्हें श्रीकोट बेस चिकित्सालय के लिए रेफर कर दिया गया है। जिला चिकित्सालय के सीएमएस डा. ललित गुसांई ने बताया कि आग में गंभीर रूप से झुलसे लोगों की स्थिति चिंताजनक है। घटना के कई घंटे बाद जिला प्रशासन ने घटनास्थल पर जाने की जहमत उठाई। सूचना पर जिलाधिकारी डी. सैंथिल पांडियन मौके पर पहुंचे। राजस्व पुलिस ने मृतकों के शवों का पंचनामा भर दिया गया। उधर चमोली जिले के थराली ब्लाक के पैनगढ़ गांव का दीपू पुरोहित (18) साल पुत्र महेशानंद गांव के जंगल में गाय चराने गया था कि जंगल में लगी आग की लपटों से वह घिर गया और आग को बुझाते समय उसकी मौत हो गई। पुलिस ने मृतक के शव का पंचनामा भर पोस्टमार्टम के लिए जिला मुख्यालय भेज दिया गया है। मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूड़ी ने जंगल में लगी आग की चपेट में आने से मरे लोगों के प्रति गहरी शोक संवेदना व्यक्त की है।
यह घटना बहुत ही हृदय विदारक है, मेरा पहाड़ परिवार इनके जज्बे को नमन करता है और इन सभी वन शहीदों को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करता है।
यह बड़ा दुर्भाग्यपूर्ण है कि जंगल में लगी आग से जहां एक ओर पूरा उत्तराखण्ड बेहाल है, आदमी के साथ जानवर भी इस आग से पीडित हैं और वहीं दूसरी ओर वन विभाग धरातल पर काम करने के बजाय, गोष्ठियों में व्यस्त है। इस विभाग से हमें और अपेक्षा भी नहीं रखनी चाहिये, अगर यह महकमा अपने कर्तव्य और दायित्व के प्रति थोडा भी जागरुक होता तो १००० हेक्टेयर जंगल में आग नहीं धधक रही होती। हम इन्द्रदेव से प्रार्थना करेंगे कि वे थोड़ी बारिश करानी की कृपा कर दें, ताकि इस दावानल से उत्तराखण्ड को मुक्ति मिल सके।