उत्तराखण्ड का यह दुर्भाग्य है कि यहां का पानी और यहां की जवानी यहां के काम नही आयी, जो लायक है वह जिजीविषा के लिये बाहर ही गया, घर में रह गये लाटे.....!
१- सबसे पहले रोजगार परक शिक्षा देनी जरूरी है.
२- छोटे उद्योग पहाड़ में लगाने होंगे.
३- स्थानीय लोगो के मन से यह भ्रम मिटाना होगा कि नौकरी जरूरी है, उन्हें स्वरोजगार के लिये प्रेरित करना होगा.
४- उद्योग वही लगाने होंगे जिनके लिये कच्चा माल पहाडों में उपलब्ध हो.
५- जूस, खडिया से बनने वाले सामान, बीयर, जैम, सोस, रीठे से बनने वाला सामान आदि कई उद्योग पहाड़ों में लग सकते हैं.