आज एक समाचार पढ़कर रोना आ गया, जिस पलायन की चिन्ता को लेकर उत्तराखण्ड राज्य की लड़ाई लड़ी गई, 42 लोगों ने अपनी शहादत दे दी, महिलाओं समेत सभी उत्तराखण्ड वासी सड़क पर अपमानित हुये। आज उसी चिन्ता को लेकर उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री बयान देते हैं कि पलायन गर्व का विषय है। इस बयान से उनकी उत्तराखण्ड और उसके सरोकारों की समझ और चिन्ता सामने आई है- मैं तो इतना ही कह सकता हूं कि शर्म करो।
मुख्यमंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ जौलजीवी मेले में सम्बोधन के दौरान कहा कि, प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों से हो रहा पलायन चिंता का विषय नहीं, बल्कि गौरव की बात है। पलायन के कारण ही लोग आज देश-विदेशों में जाकर नौकरियां कर रहे हैं और प्रदेश का नाम रोशन कर रहे हैं। राज्य बनने के बाद से प्रदेश ने लगातार विकास ने नये आयाम छुए है। निशंक ने कहा कि, आधी-अधूरी पढ़ाई करके छोटी-मोटी नौकरियों के लिए पलायन जरूर चिन्ता की बात है। इसे रोकने के लिए सरकार राज्य के विकास की नीतियां बना रही हैं।
मुख्यमंत्री डॉ. निशंक कि, पलायन के कारण यहां के लोगों ने देश में ही नहीं, वरन विदेशों में भी रोजगार के नये अवसर खोजे हैं। कुछ लोग पलायन का हौव्वा बना कर जनता को भ्रमित करने में लगे हुए हैं। हकीकत यह है कि प्रदेश से पलायन नही हो रहा है। राज्य दिन प्रतिदिन तरक्की कर रहा है। राज्य बनने के बाद विकास के कई द्वार खुले हैं। पिछले दस वर्षो में एक लाख रोजगार सृजित हुए हैं। भाजपा सरकार 2011 तक 50 हजार नौजवानों को रोजगार देने का संकल्प ले चुकी है। प्रदेश की प्रगति का प्रमाण यह है कि भारत सरकार ने प्रगतिशील राज्यों की सूची में उत्तराखण्ड को तीसरा स्थान दिया है। अगर हिमालयी राज्यों की बात करें तो विकास के मामले में उत्तराखण्ड ने सभी राज्यों को पीछे छोड़ दिया है। उत्तराखण्ड हिमालयी राज्यों में पहले नम्बर पर है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार गुरिल्लाओं, आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों की समस्याओं के समाधान में लगा हुई है। उन्हें धैर्य रखने की आवश्यकता है। जल्द ही उनकी समस्या का समाधान हो जाएगा।
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