खाली होने के कगार पर अगस्त्यमुनि के कई गांव
अगस्तमुनि (रुद्रप्रयाग)। प्र्रखंड अगस्त्यमुनि के कई गांवों में पलायन बदस्तूर जारी है। इन गांवों में मूलभूत सुविधाओं के न होने से लोग सुख सुविधाओं की चाह लिए शहरों की ओर रूख कर रहे हैं, जिससे गांव के गांव खाली होने की कगार पर पहुंच गए हैं।
क्षेत्र की ग्राम सभा चौड़, भटवाडी, तलसारी, टेमिरिया, थापली, रूमसी, बमोली, कणधार समेत कई गांवों में पलायन की स्थिति बेकाबू होती जा रहीं है, इसके पीछे मुख्य कारण इन गांवों में बुनियादी सुविधाओं का अभाव माना जा रहा है। नौ नवंबर 2000 को अस्तित्व में आए उत्तराखंड राज्य का मुख्य उद्देश्य पहाड़ी क्षेत्र का विकास कर शहरी क्षेत्रों की ओर हो रहे पलायन को रोकना था, लेकिन शासन-प्रशासन की अनदेखी के चलते पहाड़ी क्षेत्रों में पलायन की स्थित भयावह होती जा रही है।
प्रखंड अगस्त्यमुनि के अंतर्गत अधिकांश गांव आज पलायन के चलते खाली होने के कगार पर है। इन क्षेत्रों में मोटर मार्ग सुविधाओं की लचर स्थिति, उच्च स्तरीय विद्यालयों का अभाव, स्वास्थ्य सेवाओं की कमी सहित कई आवश्यक सुविधाओं का टोटा होने से पलायन थमने का नाम नहीं ले रहा है। इससे बदतर स्थिति बेरोजगारी की मार झेल रहे युवाओं की बनी हुई है। युवा हाथों को काम न मिलने से वह औद्योगिक शहरों की ओर रूख करने को मजबूर हो रहे हैं। ग्राम सभा ऐंटा कमसाल के 92 वर्षीय पूर्व सैनिक पूरण सिंह राणा का कहना है कि क्षेत्र में सुविधाओं के अभाव के चलते लोग पलायन को मजबूर है। शहरी क्षेत्रों की अपेक्षा पहाड़ी क्षेत्रों में युवाओं को रोजगार के साधन उपलब्ध नहीं हो पा रहे है, जिससे यह स्थिति पैदा हो रही है।