विकास पूरे उत्तरांचल मे हर श्रेत्रा मे बराबर होना चाहिय भेदभाव या बोट बैंक की राजनीती के तहत नही होनी किया जाना चाहिय .
.आज़ादी के ६२ वर्षा के बाद भी देवभूमि उत्तरांचल के दुर्लभ पहाडी गाँवो मे आजतक बिजली पानी जेसी मूलभूत आवश्यकता की पूर्ति नही हुई है
उत्तरपदेश के साथ रहते हुई तो शायद उम्मीद करनी भी बेमानी थी परन्तु जब आज हमरा एक नया अलग राज्य बन गया है तब भी हम अगर इन मुलभुत आवश्कता से वंचित रह जाना तो ये गाँवो के साथ ही उत्तरांचल का भी दुर्भाग्य होगा .
वोट बैंक की राजनिति करने वालों का सही आयना होगा उत्तराखंड के कुमाओं मे कई ऐसे गांव है जिन्होना अभी तक बिजली का बलब भी नही देखा होगा जहा मानव चाँद मे चला गया है वह्नी पानी के लिये कई किमी पैदल चलाना पड़ता है
मै यह जानता हों की ये सब एकदम नही हो सकता परन्तु जब आज उत्तराखंड को असित्व मै आये ९ वरसा हो गए है विकास के नाम मै बस वोट मागते आरहे है
मै यह नही कहता की विकास नही हुआ मगर जो विकास की गति होनी चाहिय उतनी नही है ,मै उन लोगों की बात कर रहा हूँ जिन्होना आज़ादी के ६२ वर्षों बाद भी बिजली और टीवी का मुह नही देखा है वहां कब होगा विकास ....
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सरकारी विद्याला तो खोल दिया है सरकार नए मगर कब पुरा स्टाफ होगा वाहों ...
कभी सरकार ने देखा की अच्छे शहर मे या जहाँ रोड बिजली तेल्फोने सब कुछ है वहां सरकारी स्कुल इतने कम छात्र क्यों है ....?
उत्तर है सिक्षा का स्तर .........
परायमरी खोल दिए रासन खीलाने का लोभ दे दिया फ़िर भी छात्र गायब है क्यों ..............
क्यों एक गरीब ब्यक्ति भी अपने बचे का दाखिला सरकारी स्कुल मै नही कराना चाहता क्यों.........?
जबाब है राशन है अध्यापक नही ........... जहाँ अध्यापक नही होंगे वहां शिक्षा का क्या स्तर होगा
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उत्तराखंड की जवानी बाद मै रोके पहले वहां दुरलभ स्थानों तक अच्छी शिक्षा पहुंचानी होगी