उत्तरकाशी। टिहरी बांध की झील करीब 40 गाव के लोगों पर कहर बनकर टूट रही है। झील एक-एक घर को अपने में समा रही है और लोग बेघर होकर अपना आशियाने की तलाशने दर-दर की ठोकर खा रहे हैं। झील का जल स्तर अभी 817 मीटर पहुंचते ही नदी पार पहुंचाने वाला पुल डूब गया है।
सत्तर के दशक में 24 सौ मेगावाट की टिहरी जल विद्युत परियोजना की आधार शिला रखी गई। तब हुए सर्वे में इसका कहीं उल्लेख नहीं था कि झील टिहरी से एक सौ से अधिक किमी. दूर चिन्यालीसौड़ तक पहुंचकर उसके गांवों को भी अपने में समा लेगी। 29 अक्टूबर 2005 को टिहरी डैम की टनल-टू का गेट गिरा दिया गया। वर्ष 2007 सितंबर माह में झील चिन्यालीसौड़ तक पहुंचने के बाद उत्तरकाशी जिले में खलबली मची। चिन्यालीसौड़ के गांव पानी में समाते रहे। लोग सड़कों पर आए। अक्टूबर 2007 में सिंचाई मंत्री मातवर सिंह कंडारी की अध्यक्षता में बैठक हुई और तय किया गया कि दशगी, गमरी, दिचली के गांवों को जोड़ने वाले देवीसौड़ झूला पुल के स्थान पर नया पुल निर्मित किया जाएगा किन्तु एक साल का समय व्यतीत होने के बाद भी पुल तो दूर जोगथ-चिन्यालीसौड़ मोटर मार्ग भी दुरुस्त नहीं किया गया। एक साल का समय व्यतीत होने के बाद टिहरी डैम की झील एक बार फिर विस्तार ले रही है। झील का जल स्तर 817 मीटर पहुंचने पर देवीसौड़ पुल जलमग्न हो गया है। ऐसे में तुल्याड़ा, सुनारगांव, देवीसौड़, हडियाडी, बधाण गांव, कुमराड़ा, बल्डोगी, मणि छोटी व बड़ी एवं खालसी गांव झील का जल स्तर बढ़ने के साथ ही दरकने लगे हैं। इन गांवों का पुनर्वास नीति में कहीं कोई उल्लेख नहीं है और न ही उत्तरकाशी जिला प्रशासन की इन्हें पुनर्वास नीति में शामिल करवाने की कोशिशें परवान चढ़ पाई। इन गांवों में आपात स्थिति से निबटने के जुगाड़ तलाशे जा रहे हैं। गांवों का अस्तित्व रहेगा इसे लेकर उप जिलाधिकारी प्रवेश चन्द्र डंडरियाल कुछ भी कहने को तैयार नहीं हैं जबकि क्षेत्रीय विधायक केदार सिंह रावत भृकुटी ताने प्रशासन पर आग बबूला हो रहे हैं। गढ़वालगाड़, जोगथ , क्यारी, सर्प, दिचली, जगड़गांव, बनकोट, पोखरी, कंवागड्डी, बगोडी, अनोल, भड़कोट, बादसी, पुजार गांव, खांड, कोट, अदनी, रौंतल, नेरी व जसपुर समेत अन्य गांवों में रह रहे 43 हजार से अधिक नदी के उस पार से मदद की गुहार लगा रहे हैं। उप जिलाधिकारी प्रवेश चन्द्र कहते हैं कि जोगथ मोटर मार्ग भूस्खलन से प्रभावित हैं और जल्द ही मार्ग दुरुस्त कर लिया जाएगा। क्षेत्रीय विधायक केदार सिंह रावत की अगुवाई में आंदोलन के प्रभावित हाथ उठाने लगे हैं उनकी मांग है कि क्षेत्र के सभी गांवों को तत्काल पुनर्वास नीति में शामिल किया जाए। इस मामले में पुनर्वास निदेशक/ जिलाधिकारी टिहरी सौजन्या भी मौन हैं।