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उत्तराखंड मे बन रहे हाड्रो प्रोजेक्ट वरदान या अभिशाप ?

अभिशाप
21 (56.8%)
वरदान
10 (27%)
कह नहीं सकते
6 (16.2%)

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Voting closes: October 10, 2037, 04:59:09 PM

Author Topic: Hydro Projects In Uttarakhand - उत्तराखंड मे बन रहे हाड्रो प्रोजेक्ट  (Read 47668 times)

हेम पन्त

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उत्तराखंड में 6000 मेगावाट की क्षमता वाली पंचेश्वर बहुद्देशीय पनबिजली परियोजना को लेकर नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' काफी गंभीर हैं। 
 
नई दिल्ली प्रवास के बाद अब प्रचंड एक दिन के लिए उत्तराखंड के दौरे पर आ रहे हैं। वह यहां 2400 मेगावाट क्षमता वाली देश की सबसे बड़ी पनबिजली परियोजना टिहरी बांध के  विभिन्न पहलुओं का अध्ययन करेंगे।

यह संभावना जताई जा रही है कि इसके बाद वह राज्य के मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूड़ी और अन्य नेताओं के साथ देहरादून में पंचेश्वर बांध के बारे में चर्चा करेंगे।  पंचेश्वर बांध का निर्माण उत्तराखंड-नेपाल सीमा पर महाकाली नदी पर किया जाना है।

भारत और नेपाल ने संयुक्त रूप से इस बांध का प्रस्ताव रखा है जिस पर 30,000 करोड़ रुपये से अधिक निवेश किया जाएगा। अधिकारियों ने बताया कि नेपाल के प्रधानमंत्री मुख्य रूप से यहां टिहरी बांध से जुड़े पुनर्वास मुद्दों का गहन अध्ययन करना चाहते हैं ताकि पंचेश्वर बांध के लिए भी इसी तरह की समस्याएं पैदा न हों।

हालांकि अभी तक खंडूड़ी राज्य में बड़े बांधों के निर्माण के खिलाफ रहे थे। उन्होंने भी यूटर्न लेते हुए बड़े बांधों के निर्माण पर अपनी तत्परता व्यक्त की है।

बांध के निर्माण को लेकर भारत और नेपाल के बीच पहले ही दो दौर वार्ता आयोजित की जा चुकी है। यह आशंका जताई जा रही है कि इस बांध के बनने के बाद भारत की ओर से करीब 20,000 लोग बेघर हो जाएंगे। हालांकि यहां के स्थानीय गैर सरकारी संस्थानों ने सरकार के इस आंकड़े का विरोध करते हुए कहा है कि इस बांध के बनने से पिथौरागढ़ और चंपावत जिले के विस्थापित होने वाले लोगों की संख्या बहुत अधिक होगी।


बहरहाल, इस परियोजना से उत्पन्न होने वाली बिजली को लेकर सौदेबाजी की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। उत्तराखंड के बिजली सचिव शत्रुघ्न सिंह ने बताया, 'हमलोग इस बांध से अधिक से अधिक फायदा उठाने की कोशिश कर रहे हैं।' सिंह काठमांडू और नई दिल्ली में आयोजित की गए दो वार्ताओं में शामिल हुए हैं। सिंह ने बताया, 'जहां तक बिजली का सवाल है तो पंचेश्वर बांध से हमारे राज्य को काफी फायदा होगा।'

हेम पन्त

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देहरादून। नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' के स्वागत की तैयारी में उत्तराखंड प्रशासन जुट गया है। प्रचंड शुक्रवार को टिहरी बांध क्षेत्र का दौरा करेंगे। देहरादून में मुख्यमंत्री के सम्मान भोज में शामिल होने के बाद श्री प्रचंड वापस दिल्ली रवाना हो जाएंगे।

नेपाल के प्रधानमंत्री शुक्रवार सुबह दिल्ली से जौलीग्रांट हवाई अड्डे पहुंचेंगे। जौलीग्रांट से हेलीकाप्टर से उनका टिहरी जाने का कार्यक्रम है। टिहरी में उन्हें बांध निर्माण के बाद क्षेत्र मेंहुए भौगोलिक बदलाव की जानकारी लेनी है। साथ ही विस्थापन पर भी उनकी नजर होगी। विस्थापन में क्या दिक्कतें आती हैं। बड़ी परियोजनाओं के लिए लोगों को अपनी जड़ों से विस्थापित किया जाता है, तो उन्हें क्या महसूस होता है। इसका एक बड़ा कारण यह है कि निकट भविष्य में पंचेश्वर बांध के निर्माण में नेपाल को भी इस तरह की सच्चाई से रूबरू होना है। माओवादी 1996 की भारत नेपाल के बीच महाकाली संधि में कुछ बदलाव के साथ लागू करने के पक्षधर रहे हैं। नेपाल में माओवादी अब खुद सत्ता में हैं। इस संधि पर हस्ताक्षर करने से पहले नेपाल पूरी तरह आश्वस्त हो जाना चाहता है। यही वजह है कि नेपाल के प्रधानमंत्री एक-एक कदम फूंक-फूंक कर रख रहे हैं। इस मामले की गंभीरता को इसी से समझा जा सकता है कि नेपाली प्रधानमंत्री ने पूरे मामले को अपने हाथ में ले रखा है। प्रचंड नेपाल के साथ उत्तराखंड के सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक संबंधों को बहुत अच्छी तरह समझते हैं। नेपाल और उत्तराखंड की सीमा पर निवास करने वालों के संबंध दो देशों के नहीं, बल्कि रोटी-बेटी के संबंध हैं। कोई निर्णय करने से पहले प्रचंड इन संबंधों को भी जरूर ध्यान में रखेंगे। यदि पंचेश्वर के बहाने दोनों देशों के संबंध और प्रगाढ़ होते हैं और नेपाल से करीबी और बढ़ती है तो यह मामला प्रचंड की प्राथमिकताओं में होगा।


पंकज सिंह महर

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परियोजना के विरोध में फिर से लामबंद हुए

देवाल (चमोली)। 252 मेगावाट की देवसारी जल विद्युत परियोजना के विरोध में फिर से ग्रामीण लामबंद होने लगे है। ग्रामीणों का कहना है कि जब तक उनकी मांग पूरी नहीं हो जाती तब तक उनका विरोध जारी रहेगा। ग्रामीणों ने तीस नवंबर को कंपनी अधिकारियों के साथ होने वाली बैठक के बहिष्कार का निर्णय लिया है।

बीते दो वर्ष से देवाल में 300 मेगावाट देवसारी जल विद्युत परियोजना प्रस्तावित है। पूर्णा के ग्रामीण लगातार इसके विरोध में आंदोलन कर रहे हैं। ग्रामीणों के पुरजोर विरोध के कारण ही कंपनी ने बांध की क्षमता 300 मेगावाट से घटाकर 252 मेगावाट कर दी है। कंपनी अधिकारियों का कहना है कि प्रथम फेज में सौड़िंग, चुलोड़ा, कैल आदि समेत पांच मेगावाट चमोली हाइड्रो पावर भी डूब क्षेत्र में आएगा। भूमि के बदले सामुचित धनराशि देने की मांग को लेकर ग्रामीणों की कई बार की वार्ता कंपनी अधिकारियों के बीच हो चुकी है। वार्ता में अब तक इसका समाधान नहीं हो पाया है। इसलिए ग्रामीण बैठकों का बहिष्कार कर अपना विरोध दर्ज करा रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन व कंपनी इस परियोजना से प्रभावित होने वाले प्रत्येक परिवार को सामुचित धनराशि दें। अन्यथा वे अपनी भूमि नहीं देंगे। ग्रामीणों ने अपना विरोध तेज करते हुए तीस नवंबर को होने वाली बैठक के बहिष्कार का निर्णय लिया है। संघर्ष समिति के अध्यक्ष गब्बर सिंह और प्रधान देवकी देवी ने कहा कि जब तक ग्रामीणों की मांगों का निराकरण नहीं होता तब तक उनका विरोध जारी रहेगा।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Uttarakhand to split Lakhwar-Vyasi hydel project
Project today reported that the Uttarakhand government is considering the bifurcation of the 420 MW Lakhwar-Vyasi hydel project proposed on the river Yamuna in Lakhwar area of Dehra Dun district in Uttarakhand.

The state government is going to hand over only the multi purpose 300 MW Lahwar project to NHPC excluding 120 MW Vyasi project. Uttarakhand government is keen to appoint its own agency to build the Vyasi Project.

Earlier these two projects were allotted to Uttarakhand Jal Vidyut Nigam Ltd so that Uttarakhand can retain all the power. At the same time, NHPC is keen to develop the project as it had carried out various surveys and fresh DPR for the project.

In case the project goes to NHPC, the state can earn only 13% of the power as royalty. The project is likely to produce 927 MU of power besides irrigating 40,000 ha through the east Yamuna canal. Uttar Pradesh, Haryana and Delhi will be the beneficiary states, which will get the drinking and irrigation water from the project

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Uttarakhand to build Lakhwar, Vyasi power projects on its own
« Reply #34 on: January 03, 2009, 01:53:32 PM »
Uttarakhand to build Lakhwar, Vyasi power projects on its own

Dehra Dun (PTI): The Uttarakhand government has decided to build on its own the 300 MW Lakhwar hydroelectric project and the 120 MW Vyasi project on the Yamuna river.

A letter to this effect was written by the State Power Secretary Prabhat Kumar Sarangi to Union Power Secretary. The letter stated that since NHPC was not working on the project at a desired pace and demand for electricity was growing, the State government has decided to build both the Lakhwar and Vyasi projects through its own agency - Uttarakhand Jal Vidyut Nigam (UJVNL), official sources said here.

Earlier, the project, which was hanging fire for nearly two decades, was bifurcated into two parts - the Lakhwar and the Vyasi projects in July 2007.

The State government decided to build the Vyasi project on its own saying it was necessary to do so in view of the growing demand of electricity as it had to close its two power projects in Uttarkashi district. These projects were abandoned due to pressure from environmentalists.

In November the Minister of State for Power Jairam Ramesh had written a letter to the State government to handover both the Lakhwar and Vyasi projects to NHPC, stating that the Centre is ready to make the required changes in the Gadgil formula that gives 13 per cent free power to the home State.

The Centre also promised that if the State gives the projects to NHPC, all the power produced from it would be given to Uttarakhand.

However, the Centre has so far not made the changes it had promised in the Gadgil formula and so the State government has decided to set up the projects on its own, State government officials said.


हेम पन्त

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Rudraprayag: Villagers oppose hydroelectric power project
« Reply #35 on: January 27, 2009, 10:25:22 AM »
Rudraprayag (Uttarakhand), Jan 25, (ANI): Many villagers of Rudraprayag district in Uttarakhand have protested against the setting up of a mega hydroelectric power project in their region.
These villagers have been skeptical about hydroelectric power projects built across River Mandakini.
Considering this region being prone to earthquakes, the residents of Bhiri, Kund, Parkandi and several other villages are contending that the underground rigged tunnels can have adverse effects.
Rudraprayag, the smallest District in Uttarakhand, falls under the fifth degree of seismic zone.
Villagers have forced work on the project to come to a standstill.
“This area comes under fifth degree of seismic zone and is vulnerable to catastrophes. In the year of 1998-1999 lots of calamities happened in this area. We don”t want to face any further problems. That’’s why we have requested the Government and administration to look into this matter,” said Mayaram Semwal, an aggrieved resident of Parkandi village.
It may be recalled that Uttarakhand Government had harnessed the vast resources of rivers and other streams by constructing several small dams and mini-hydel projects.
However, the project across River Mandakini has not only invited the wrath of locals but environmentalists as well. And the Government on its part is keen to go ahead with this project.
“These villagers are protesting against the construction of our new Hydroelectric project, thats why construction work has also been delayed, opined Dalip Javlekar, District Magistrate, Rudraprayag.
Amidst these developments, the Government is of the view that mini hydropower projects are appropriate and profitable for the region whereas the local residents are opposing this by citing the consequential seismic factors. (ANI)


एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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This is like a crux situation for Govt of UK. One hand it is necessary to take step to development and same way there are adverse effects of project as Uttarakhand is already in high earthquake zone.


पंकज सिंह महर

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Uttarakhand HC orders resumption of NTPC’s hydel project
« Reply #37 on: February 26, 2009, 03:28:05 PM »
DEHRA DUN: The Uttarakhand High Court on Thursday put on hold the Centre's decision to stop work on NTPC's 600 MW Lohari-Nagpala hydel project on Bhagirathi river in Uttarakhand.

A Nainital division bench comprising Justice Mr P C Pant and Mr B S Verma granted an interim relief on a petition filed by Rural and Litigation Entitlement Kendra (RLEK), a Dehra Dun-based NGO, which had sought immediate resumption of work on the hydel p roject which was suspended by Centre last week.

“Through this order, work on Lohari-Nagpala will resume and continue till the Ganga River Basin Authority, which was notified last week, takes any decision on the issue'', Mr Kartikey Hari Gupta, the counsel for RLEK said. – PTI

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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There is oppose by people in various places on grounds of their safety and probable damage / loss to their property due to uttarakhand being in high earthquake zone.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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I was just watching a news channel of Uttarakhand a few days ago. There was a coverage on various hydro projects being made on uttarakhand and its impact on the existance of himalays.

Time to time, various learnt have also expressed their views that the way dam are beig on various places of Uttarakhand, in coming days it can be disasterous for the existence of the pahad.

Uttarakhand is already in high earthquake zone and such play with the nature can bring disaster.

What Narender  Singh Negi famous Folk Singers writes about these contructions of Dam"

   Devi Bhoomi ko Nau badali
   Bijali Bhoomi Kara Deli

   Uttarakhand Bhoomi kai
   Daam Ne Damali Dee..

Further he has mentioned how on name of making uttarakhand a power state, these people have played with nature.

Govt only aim to get revene but they are fogetting that we are sowing a seed for disaster for next generation.

In some extent, we can allow the Dam but in such an extent is a problem.

 

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