नहीं मिला पहाड़ पर बड़े उद्योग का प्रस्ताव
देहरादून, जागरण ब्यूरो: उद्यम विस्तार की दृष्टि से विशेष एकीकृत औद्योगिक प्रोत्साहन नीति-08 अभी बड़े व मध्यम उद्योगों में आकर्षण कायम नहीं कर सकी है। नौ महीनों में राज्य को मिले 194 प्रस्तावों में से बड़ा उद्यम एक भी नहीं है। राज्य में औद्योगिक दृष्टि से पिछड़े पर्वतीय जिले में विशेष औद्योगिक नीति लागू की गई। इसके तहत दूरवर्ती पर्वतीय जिले पिथौरागढ़, उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग,चमोलीव चंपावत को ए श्रेणी में रखा गया है। ऊधमसिंह नगर, हरिद्वार, देहराून व नैनीताल के मैदानी क्षेत्र को छोड़कर छह जिले बी श्रेणी में रखे गए हैं। ए श्रेणी के मुकाबले बी श्रेणी के जिले में उत्तराखंड मूल के उद्यमियों के लिए अतिरिक्त छूट व वित्तीय प्रोत्साहन की सुविधाएं हैं। मैन्युफैक्चरिंग की अधिकतम 25 लाख तक पूंजी निवेश वाली इकाई को माइक्रो, इससे ऊपर पांच करोड़ तक लघु और 10 करोड़ तक की इकाई को मध्यम उद्यम का दर्जा दिया गया है। सर्विस क्षेत्र की इकाई को माइक्रो, लघु व मध्यम में निवेश की सीमा क्रमश: 10 लाख, दो करोड़ व पांच करोड़ है। विभाग को 31 दिसंबर तक मिले 194 प्रस्तावों में 113 मैन्युफैक्चरिंग व 81 सर्विस सेक्टर के हैं। तीन प्रस्ताव मध्यम उद्यम के हैं पर मैन्युफैक्चरिंग यूनिट नहीं कोई नहीं है। तीनों होटल के प्रस्ताव हैं। होटल के अलावा इन प्रस्तावों में रेस्टोरेंट, अनाज पिसाई, मिल्क, जूस प्रोसेसिंग, ब्रेकरी, स्टोन क्रशर, गार्मेट, आफसेट प्रिंटिंग, इको टुरिज्म, इलेक्ट्रानिक, इंजीनियरिंग, आयुर्वेद आदि से संबंधित हैं। 113 मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स में से 86 माइक्रो व 27 लघु हैं। इन सभी में आरंभिक पूंजी निवेश आंकलन 22.18 करोड़ का है। इनमें उत्पादन होने पर 1100 को सीधे और परोक्ष रोजगार मिलने की संभावना है। सर्विस क्षेत्र के 81 प्रस्तावों में तीन मध्यम, 57 माइक्रो व 21 लघु इकाइयां हैं। इनमें 30.07 करोड़ के निवेश और 619 को रोजगार मिलने की संभावना है। [/i]