Poll

क्या उत्तराखण्ड के पर्वतीय क्षेत्रों में वहां उपलब्ध कच्चे माल पर आधारित उद्योग लगने चाहिये

हां
33 (86.8%)
नहीं
2 (5.3%)
पता नहीं
3 (7.9%)

Total Members Voted: 38

Author Topic: Industry In Hills - क्या पहाड़ों में भी उद्योग लगने चाहिये?  (Read 21411 times)


No  body paid any heed toward this crucial issue.

If we have to stop migration and generate employment opportunities, some concrete steps will have to be taken in right direction.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Uttarakhand to focus on industry in hills

Shishir Prashant / Dehradun November 29, 2011, 0:44 IST
 
About 11 new industrial hubs will be developed with modern infrastructure.

After heavy industrialisation in the plains, the Uttarakhand government has shifted its entire focus to the hills, amending the existing policy to attract small manufacturing units there.
   
 
A total of 11 new industrial hubs will be developed, with the government promising modern infrastructure complete with a slew of sops under the 2008 hill industrial policy.

Besides, the government has also decided to bring four new areas – Sahaspur and Raipur in Dehradun district and Ramnagar and Haldwani in Nainital district – under the policy, despite their being in the plains.

Chief Minister B C Khanduri wants the hill policy to focus more on the development of the backward hill region, stating that the government would prefer the growth of small industries to large ones. “We have enough industries in the plains, now we want to shift our focus entirely to the hills,” Khanduri said.

Uttarakhand is currently witnessing sluggishness in the industrial sector after the expiry of the hill-based excise exemption under the concessional industrial package (CIP) expired on March 31, 2010. Besides big industries, the CIP was responsible for healthy growth of the SME sector during the past six to seven years.

Since 2009, industries have not been showing any enthusiasm towards the hill state, with the government repeatedly urging the Centre to renew the tax incentives for a few more years.

Though Uttarakhand has able to attract an investment of Rs 218 crore in the hills, manufacturing industry has maintained a distance from the backward areas, mainly due to poor connectivity and lack of infrastructure in the hills.

“We will be releasing a large budget to promote industries in the hills,” said Principal Secretary, Industries, Rakesh Sharma.

The government is offering a series sops under the Special Integrated Industrial Promotion Policy-2008 for the hilly and remote areas of Uttarakhand. These sops include stamp duty exemption on land purchase, industrial estates on two acres for private developers, and reimbursement of 50 per cent of the cost of infrastructure development (up to a maximum of Rs 50 lakh).

The capital investment subsidy has been doubled to Rs 60 lakh. The government will also offer six per cent interest subsidy up to a maximum of Rs 5 lakh, a subsidy in electricity bills up to 75 per cent and reimbursement of VAT. It is also offering viability gap funding.

The government has amended the hill industrial development policy after obtaining suggestions from industrial associations.

The Indian Industries Association (IAU), a key body of SMEs in the hill state, has welcomed the amendments in the hill policy, saying it would promote new investments. “We want the government to focus on the preservation of handicrafts, handlooms and khadi by infusing modern techniques to devise new products,” said Pankaj Gupta, president of IAU.

The IAU said the khadi and handicrafts sector needs to be leveraged for use in the fashion and interior design industry by creating linkages with top fashion designers through aggressive marketing.

It said cluster development needs to be encouraged in the state, particularly in new industrial areas, and that this can be done by creating dedicated industrial parks.

CII has called for the creation of a SME renewable fund for technology upgradation. It has also called for creation of a common marketing and branding fund for MSMEs and asked the government to set up a MSME facilitation council to facilitate the resolution of problems, said Dr S Farooq, chairman of the CII’s state council.


http://www.business-standard.com/india/news/uttarakhand-to-focusindustry-in-hills/456898/

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Good move in right direction.

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पहाड़ों पर बनेंगे 11 औद्योगिक हब
 
 
Story Update : Monday, December 12, 2011     1:23 AM 
 
भीमताल। प्रदेश सरकार ने उत्तर प्रदेश स्टेट इंडस्ट्रीयल डेवलपमेंट कारपोरेशन (यूपीएसआईडीसी) के अधीन संचालित सभी 18 औद्योगिक आस्थानों को यूपीएसआईडीसी से वापस लेते हुए सिडकुल में शामिल कर दिया है। इन सभी औद्योगिक घाटियों में अब सिडकुल के माध्यम से नए उद्योगों की स्थापना के लिए आधारभूत सुविधाएं जुटाई जाएंगी। सरकार पंतनगर और सितारगंज की तर्ज पर पहाड़ में भी 11 औद्योगिक हब तैयार करेगी। कुमाऊं में औद्योगिक गतिविधियों के विकास के लिए भीमताल स्थित औद्योगिक घाटी में सिडकुल का क्षेत्रीय कार्यालय भी स्थापित किया जाएगा। यह कहना है राज्य के औद्योगिक विकास विभाग के प्रमुख सचिव राकेश शर्मा का।
पत्रकारों से बातचीत करते हुए शर्मा ने कहा कि कुमाऊं में सिडकुल के अधीन संचालित 9 औद्योगिक क्षेत्रो में औद्योगिक विकास के लिए भीमताल में सिडकुल का क्षेत्रीय कार्यालय स्थापित किया जाएगा और प्रदेश में सिडकुल के कार्यों के संचालन के लिए 246 लोगों का नया स्टाफ भर्ती किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि बंदी के दौर से गुजर रहे रानीबाग स्थित एचएमटी घड़ी को नए सिरे से चलाने के लिए केंद्र सरकार के साथ-साथ कंपनी के सीएमडी से वार्ता की गई है। फैक्ट्री को उबारने के लिए एचएमटी प्रबंधन और सिडकुल दोनों संयुक्त रूप से काम करेंगे और अगले तीन माह के भीतर इस संबंध में किए जा रहे प्रयासों का नतीजा सामने आएगा। उन्होंने बताया कि एचएमटी क्षेत्र में भूमि का सदुपयोग किया जाएगा सिडकुल इसके लिए 10-15 करोड़ रुपये खर्च करने को भी तैयार है। उन्होंने कहा कि उद्यमियों को उद्योग लगाने में दिक्कतें न हों इसके लिए उद्योग को भी सेवा का अधिकार कानून में शामिल किया गया है। उन्होंने बताया कि अभी तक स्टोन क्रेसर को कैपिटल सब्सिडी नहीं मिलती थी लेकिन राज्य सरकार की पहल के बाद अब स्टोन क्रेसर लगाने पर उद्यमी को यह सुविधा मिलेगी।
 

(amar ujala)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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God news.
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उत्तराखंड को मिल जाएंगे उद्योग
शिशिर प्रशांत / देहरादून December 14, 2011
 
 
 
 



उत्तर प्रदेश ने करीब 18 औद्योगिक क्षेत्र पहाड़ी राज्य उत्तराखंड को सौंप देने का फैसला किया है। ये औद्योगिक क्षेत्र करीब 1400 एकड़ भूमि में फैले हुए हैं। उत्तरखंड के मुख्य सचिव (औद्योगिक विकास) राकेश शर्मा ने कहा कि इस संबंध में उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से आदेश जारी किया जा चुका है।
इनमें से कुछ औद्योगिक एस्टेट के आगे का विकास राज्य औद्योगिक विभाग कॉर्पोरेशन उत्तराखंड लिमिटेड (एसआईडीसीयूएल) करेगी। इससे पहले कैग ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि इन औद्योगिक एस्टेट के उत्तर प्रदेश के पास होने से उत्तरखंड को लैंड प्रीमियम और लीज रेंट से प्राप्त होने वाले बड़े राजस्व से वंचित होना पड़ रहा है। इस साल के शुरू में हुई विभिन्न बैठकों में उत्तर प्रदेश का औद्योगिक विकास विभाग उच्च प्राथमिकता देते हुए इन सभी औद्योगिक एस्टेट को उत्तराखंड को देने पर सहमत हो गया था। इन आद्योगिक एस्टेट का प्रबंधन उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास निगम (यूपीएसडीआईसी) कि या करता था। इसके बाद यूपीएसडीआईसी ने इन्हें उत्तर प्रदेश सरकार को हस्तांतरित कर दिया है। शर्मा का कहना था, 'अब ये एस्टेट उत्तराखंड के अधीन है।'
 हालांकि उत्तर प्रदेश सरकार ने इससे पहले भी औद्योगिक एस्टेट का हस्तांतरण उत्तरखंड सरकार को करने पर सहमत हो गई थी लेकिन पिछले कुछ सालों से दोनों राज्य सरकारें इस दिशा में आगे बढऩे में असफल रहीं। इस साल हुई अंतिम बैठक इस मुद्दे को सुलझाने के लिए हुई थी। उल्लेखनीय है कि 2000 में उत्तर प्रदेश के विभाजन के बाद परिसंपत्तियों और देनदारियों को लेकनर दोनों राज्यों के बीच विवाद चल रहा है। औद्योगिक एस्टेट के अलावा उत्तर प्रदेश ने सिंचाई विभाग से जुड़ी कई अन्य परिसंपत्तियां जैसे मछली तालाब और जल संरक्षण उत्तराखंड को नहीं सौंपा है।
http://hindi.business-standard.com/storypage.php?autono=53922

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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अल्मोड़ा मैग्नेसाइट लिमिटेड में उत्पादन ठप

Almora | अंतिम अपडेट 3 मई 2013 5:30 AM IST पर
  अल्मोड़ा। कुमाऊं पहाड़ी इलाके में स्थित प्रमुख उद्योग अल्मोड़ा मैग्नेसाइट लिमिटेड पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। इस उद्योग में निर्मित मैग्नेसाइट (रिफैक्टीज) स्टील एथॉरिटी ऑफ इंडिया भिलाई (सेल) द्वारा खरीदा जाता है लेकिन पिछले एक माह से सेल ने माल खरीदना बंद कर दिया है। जिससे उद्योग की दोनों धमन भट्टियां बंद कर दी गई हैं और उद्योग में काम करने वाले 423 कर्मचारियों के पास कोई काम नहीं है। यदि कंपनी को शीघ्र मैग्नेसाइट खरीदने के आर्डर नहीं मिले तो कर्मचारियों की रोजी रोटी खतरे में पड़ सकती है। 
अल्मोड़ा मैग्नेसाइट कंपनी की स्थापना 1972 में झिरौली (अब जिला बागेश्वर) में हुई। इस कंपनी का प्रशासनिक कार्यालय आज भी अल्मोड़ा में है। यह संयुक्त क्षेत्र का उपक्रम है। इसमें सरकार, भारतीय इस्पात प्राधिकरण और टाटा रिफैक्टीज की पूंजी लगी है। कंपनी में वर्तमान में 423 कर्मचारी कार्यरत हैं। इनमें से अधिकांश स्थानीय हैं और करीब 500 लोगों को अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिला है। यह कंपनी रिफैक्टीज का उत्पादन करती है जो स्टील उद्योग में काम आता है। कंपनी में उत्पादित अधिकांश माल की खरीद स्टील एथॉरटी ऑफ इंडिया भिलाई (सेल) द्वारा की जाती है। इसके लिए सेल के साथ हर तीन साल में अनुबंध होता है। इस बार का अनुबंध 31 मार्च को समाप्त हो गया है। जानकारी के मुताबिक सेल ने हाल के वर्षों में टेक्नोलॉजी में बदलाव किया है, जिससे अल्मोड़ा मैग्नेसाइट द्वारा उत्पादित माल की खपत वहां अब नहीं हो पा रही है। इसी कारण सेल ने अल्मोड़ा मैग्नेसाइट के साथ माल खरीदने के लिए नया अनुबंध नहीं किया है। 
पिछले एक माह से कंपनी की दोनों धमन भट्टियां बंद पड़ी हैं और उद्योग में काम करने वाले 423 कर्मचारियों के पास कोई काम नहीं है। अल्मोड़ा मैग्नेसाइट के सूत्रों के मुताबिक उद्योग में काम करने वाले कर्मचारियों के वेतन में हर माह करीब 45 लाख रुपये खर्च होते हैं। अल्मोड़ा मैग्नेसाइट वर्कर्स यूनियन ने भी कंपनी की स्थिति पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए प्रबंधन से तुरंत जरूरी कदम उठाने की मांग की है। यूनियन का यह भी आरोप है कि कंपनी के बड़े अधिकारी उत्पादित माल की बिक्री के लिए बाजार तलाशने में खास रुचि नहीं दिखा रहे हैं जिससे कर्मचारियों की रोजी रोटी पर संकट खड़ा हो गया है।

http://www.amarujala.com/news/states/uttarakhand/almora/Almora-54782-113/
 

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उत्तराखंड को मिलेगा विशेष औद्योगिक पैकेज: शर्मा
केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री आनंद शर्मा ने कहा कि राज्य में औद्योगिकीकरण को बढ़ावा देने के लिए शीघ्र उत्तराखंड को विशेष पैकेज दिया जाएगा।

शर्मा ने यह बात सिडकुल में दो सौ करोड़ की लागत से निर्मित होने वाले स्पाइसेस पार्क के शिलान्यास के बाद कही। उन्होंने कहा कि देहरादून समेत राज्य के अन्य जिलों में भी इस प्रकार की परियोजनाएं लगाकर रोजगार के अवसर सृजित किए जाएंगे।मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने कहा कि दो दिन बाद होने वाली कैबिनेट की बैठक में वर्ग चार और भूमिधरी के मामले पर निर्णय लिया जाएगा।

सोमवार को सिडकुल की पांच एकड़ जमीन पर स्पाइसेस पार्क के शिलान्यास के बाद केंद्रीय मंत्री आनंद शर्मा ने कहा कि उत्तराखंड के विकास के लिए औद्योगिकीकरण को बढ़ावा देने, औद्योगिक घरानों का निवेश बढ़ाने और अनुकूल वातावरण के लिए शीघ्र ही विशेष औद्योगिक पैकेज दिया जाएगा।युवाओं के लिए रोजगार के अवसर
उन्होंने कहा कि इस पर्वतीय राज्य की अपनी विशेषता और चुनौतियां हैं। केंद्र की योजना उद्योगों को बढ़ावा देकर युवाओं के लिए रोजगार के अवसर पैदा करना है।

शर्मा ने कहा कि अदरक उत्पादन के मामले में भारत की विश्व में 41 फीसदी की भागीदारी है। भारत से अदरक के विभिन्न उत्पादों का एशिया, यूरोप के विभिन्न देशों समेत अमेरिका में निर्यात किया जाता है।

 

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