इस खनन कार्य से जहां एक ओर सीमित वर्ग का फायदा हो रहा है, उससे कहीं ज्यादा नुकसान वहां की आम जनता को होता है। भारी-भरकम ट्रकों से टूटी सड़कें, सड़क के किनारे पड़े खड़िया के बोरों से गिरी खड़िया से सनी हुई सड़कों पर आम जनता का पैदल चलना भी मुहाल हो गया है। आये दिन बच्चे-बूढ़ों के साथ दुर्घटना होती रहती हैं। शासन-प्रशासन इस बारे में खामोश है, प्रशासनिक लोगों का कहना है कि "कायदा तो यह है कि खड़िया की लोडि़ग के लिये ठेकेदारों को सड़क का इस्तेमाल नहीं करना चाहिये, उन्हें सड़क के किनारे जमीन लेकर लोडि़ग ट्रेक बनाना चाहिये"। लेकिन किसी ने देखा, ऎसा होते हुये, खुलेआम नियमों की धज्जियां उड़ाते इन बाहरी लीजधारकों को हमारी आम जनता के सुख-दुःख की परवाह कहां है?