Author Topic: Major Development News Of Uttarakhand - उत्तराखंड के विकास की प्रमुख खबरे  (Read 268033 times)

Lalit Mohan Pandey

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कनालीछीना में बनेगा हेलीपैड
« Reply #320 on: June 01, 2009, 07:23:05 AM »
कनालीछीना में बनेगा हेलीपैड पिथौरागढ़: ग्राम्य विकास, पंचायती राज एवं सहकारिता मंत्री विशन सिंह चुफाल ने विकासखंड कनालीछीना के नेपाल सीमा से लगे पीपली क्षेत्र का दौरा कर लोगों की समस्याएं सुनीं। इस दौरान उन्होंने बताया कि कनालीछीना में शीघ्र ही स्थाई हेलीपैड का निर्माण शुरू हो जाएगा।

हेम पन्त

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Uttarakhand : RTI Act getting the right treatment
« Reply #321 on: June 25, 2009, 11:06:50 AM »
A news by Anupam Trivedi ji

Source : http://in.news.yahoo.com/32/20090624/1053/tnl-rti-act-getting-the-right-treatment.html

Uttarakhand is topping the list in playing a pro-active role in getting information using the Right to Information (RTI) Act. Data suggests that in the last four years numbers of appeals registered with the State Information Commission (SIC) have grown considerably.

Since 2006 till June this year the total number of appeals registered with the SIC is 1,465. The neighbouring state, Uttar Pradesh, comes second with 45 appeals registered with UP Information Commission.

In the same period 12 appeals were registered in Delhi, 1 each in Andhra Pradesh and Haryana. Two appeals were filed in Rajasthan.

The commission has received 412 appeals against the replies received by applicants from various departments. Former chief secretary Dr R.S. Tolia, who is heading the SIC since its inception, attributes growing numbers of appeals as a positive sign.

पंकज सिंह महर

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http://www.indianrailways.gov.in/Budget_2009-10/Speech_hindi_2009-10.pdf

उक्त लिंक पर रल मंत्री का पूरा बजट भाषण है। इसमें उत्तराखण्ड के लिये ३ घोषणायें की गई हैं।

१- रामनगर-चौखुटिया रेल लाईन को मंजूरी का प्रस्ताव
२- हावड़ा-हरिद्वार सुपरफास्ट ट्रेन, सप्ताह में पांच दिन
३- देश में इस साल ५० स्टेशन परिसरों को बहुउद्देशीय परिसरों के रुप में विकसित किया जायेगा, जिसमें पार्किंग, दवाई और वैरायटी स्टोर, बुक स्टाल, भोजन आदे की सुविधायें विकसित की जायेंगी। जिसमें काठगोदाम और देहरादून का स्टेशन चिन्हित किया गया है।

      उक्त के लिये मेरा पहाड़ रेल मंत्री जी को धन्यवाद अदा करता है, हालांकि हमें बागेश्वर-टनकपुर और कर्णप्रयाग-रामनगर रेल लाईन की भी आशा थी।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Chalo kuch to huwa.

Now our MPs should take-up this, the project of Bageshwar and Karan Prayag in next budget.


http://www.indianrailways.gov.in/Budget_2009-10/Speech_hindi_2009-10.pdf

उक्त लिंक पर रल मंत्री का पूरा बजट भाषण है। इसमें उत्तराखण्ड के लिये ३ घोषणायें की गई हैं।

१- रामनगर-चौखुटिया रेल लाईन को मंजूरी का प्रस्ताव
२- हावड़ा-हरिद्वार सुपरफास्ट ट्रेन, सप्ताह में पांच दिन
३- देश में इस साल ५० स्टेशन परिसरों को बहुउद्देशीय परिसरों के रुप में विकसित किया जायेगा, जिसमें पार्किंग, दवाई और वैरायटी स्टोर, बुक स्टाल, भोजन आदे की सुविधायें विकसित की जायेंगी। जिसमें काठगोदाम और देहरादून का स्टेशन चिन्हित किया गया है।

      उक्त के लिये मेरा पहाड़ रेल मंत्री जी को धन्यवाद अदा करता है, हालांकि हमें बागेश्वर-टनकपुर और कर्णप्रयाग-रामनगर रेल लाईन की भी आशा थी।


हेम पन्त

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विकास का एक चेहरा ये भी है..

उत्तरकाशी। तहसील डुण्डा में गांवों तक बिजली आपूर्ति करने के काम में विद्युत विभाग ने मानकों को ताक पर रख दिया है। अंबेडकर गांव डांडा (मांजफ) में बिजली के खंभों की बजाय सीधे पेड़ों पर तार खींच दिए गए हैं। खास बात यह है कि इन तारों पर करंट तभी चालू किया जाता है, जब स्थानीय ग्रामीण विभागीय कर्मचारियों की जेब गर्म करते हैं। मामले में ग्रामीणों की शिकायत को गंभीरता से लेते हुए डीएम ने विभागीय अधिशासी अभियंता को एक हफ्ते में जांच कर दोषियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिए हैं।

मुख्यालय से करीब 16 किमी दूर स्थित ब्लाक डुण्डा के डांडा गांव में अंधेरगर्दी चल रही है। 36 परिवारों के इस गांव में बिजली के तार खम्भों की जगह पेड़ों पर खींचे गए हैं। हालांकि, विद्युत आपूर्ति यहां सुचारू नहीं रहती, लेकिन पेड़ों पर लाइन होने के चलते हादसों की आशंका बनी रहती है। गांव की बिजली डुण्डा से ही बंद रहती है, जब भी कोई ग्रामीण बाजार की ओर आता है, तो बीस-बीस रुपये प्रति परिवार विभागीय ठेकेदारों व कर्मचारियों के लिए पहुंचाए जाते हैं। इसके बाद पैसे मिलने के बाद ठेकेदार गांव की बिजली कुछ घंटों के लिए चालू करता है और फिर शटडाउन हो जाता है। बताया जा रहा है कि यह व्यवस्था लंबे समय से चल रही है। कुछ दिन पूर्व क्षेत्र पंचायत सदस्य रनाड़ी एडवोकेट राजकुमारी रमोला ने जिलाधिकारी डा. बीवीआरसी पुरुषोत्तम के समक्ष पूरा मामला रखा और कार्रवाई की मांग की। इस पर डीएम ने विद्युत विभाग के अधिशासी अभियंता प्रदीप कुमार को आदेश दिए हैं कि मामले की जांच कर दोषियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाए। श्रीमती रमोला ने इस पर न्यायालय में मुकदमा दर्ज करने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है।

श्रोत - दैनिक जागरण

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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सामुदायिक रेडियो बनेगा आम आदमी की आवाजJul 19, 10:29 pm

चम्बा (टिहरी गढ़वाल)।

आम आदमी के लिए संचार माध्यमों में रेडियो आज भी सबसे सस्ता व सुलभ साधन है। अभी तक लोग आल इंडिया और एफएम रेडियो चैनलों को सुनते आए हैं, लेकिन अब इन सबसे अलग सामुदायिक रेडियो आम आदमी की आवाज बनता जा रहा है।

देश के दूसरे राज्यों में इस प्रकार के कई सामुदायिक रेडियो केंद्र कार्य कर रहे हैं। उत्तराखंड के चम्बा नगर में स्थित सामुदायिक रेडियो हेंवलवाणी प्रदेश का पहला रेडियो स्टेशन है जो विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से लोगों में लोकप्रिय हो रहा है। इस रेडियो को सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय से कार्यक्रमों के विधिवत प्रसारण का लाइसेंस भी मिल गया है। तीन माह बाद सामुदायिक रेडियो विधिवत कार्य करना शुरू कर देगा। हेंवलवाणी के स्टेशन मैनेजर दर्मियान राणा ने बताया कि हेंवलवाणी रेडियो अब तक दर्जनों विषयों पर सैकड़ों रेडियो कार्यक्रम बनाकर केवल कास्टिंग व नेरोकास्टिंग के माध्यम से उनका प्रसारण कर रहा है। ये कार्यक्रम स्थानीय बोली, भाषा, गीत-संगीत, रीति-रिवाज, खेती-बाड़ी, पशुपालन और विभिन्न सामाजिक मुद्दों पर बनाए जाते है जो जनता के सुझाव व उनकी आवाज में तैयार किए जाते हैं। इस तरह रेडियो कार्यक्रमों के माध्यम से मौसम के हालचाल, बाजार की स्थिति व सरकार की विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी भी रेडियो द्वारा दी जाती है। यूं तो सामुदायिक रेडियो की स्थापना 16 नवम्बर 2007 में हुई थी। जब हेंवलघाटी के कुछ रचनाधर्मी युवकों ने दूसरे देशों में चल रहे इस तरह के रेडियो केंद्रों से प्रेरणा लेकर कार्य करना शुरू किया। भारत सरकार ने ऐसे सामुदायिक रेडियो को लाइसेंस देने के लिए नवम्बर 2005 में अपनी मंजूरी दी है। बीते ढाई दशक पूर्व यूनेस्कों ने आम संचार के साधनों में अनुसंधान किया और पाया कि जो प्रचलित संचार माध्यम है। उसमें समुदाय क्या चाहता है उसको महत्व नहीं दिया जाता। उस क्षेत्र, समुदाय, वर्ग के लोग जो जानकारी चाहते हैं वह इन माध्यमों से नहीं मिल पाती, इसलिए यूनेस्को ने सर्व प्रथम 1982 में अफ्रीका में सामुदायिक रेडियो की स्थापना की। सामुदायिक रेडियो एक क्षेत्र विशेष का रेडियो है, जिसका दायरा 10 से 150 किमी हवाई दूरी तक है, इसके अंतर्गत जितने गांव कस्बे व नगर आएंगे, वही इसके स्रोत होंगे। सामुदायिक रेडियो हेंवलवाणी से जुड़े लोग अपने लिए उपयोगी जानकारी व ज्ञान जुटा रहे हैं। सामुदायिक रेडियो हेंवलवाणी से जुड़े राजेन्द्र नेगी, रवि गुसांई, आरती बिष्ट, नीलम पुंडीर, कल्पना रावत, प्रदीप कोठारी, आशीष डबराल जैसे दर्जनों युवा अपने सपने रेडियो के माध्यम से साकार करना चाहते

हेम पन्त

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Source : Dainik Jagran, 22 July 2009

धारचूला (पिथौरागढ़)। जिले की सीमांत तहसील धारचूला और मुनस्यारी के दर्जनों गांव आज सेटेलाइट फोन सेवा से जुड़ गये। मंगलवार का दिन इन गांवों के लिए ऐतिहासिक रहा। सूचनाओं के आदान प्रदान के लिए महीनों इंतजार करने वाले इन गांवों के लोगों ने आज कुछ ही पलों में देश के कोने-कोने में बसे अपने नाते रिश्तेदारों से बातचीत की। दस हजार से अधिक की ऊंचाई पर बसे धारचूला तहसील के कुटी, गुंजी, पांगला, सेला, सोबला, गर्बाधार मंगलवार को सेटेलाइट फोन सेवा से जुड़ गये। गुंजी गांव मे क्षेत्र पंचायत सदस्य हरीश गुंज्याल और आईटीबीपी के चिकित्सक प्रद्युमन सिंह गुंज्याल ने संयुक्त रूप से इस सेवा का उद्घाटन किया। उल्लेखनीय है कि बेहद दुरूह भौगोलिक परिस्थितियों वाले इन गांवों में सामान्य टेलीफोन सेवा का उपलब्ध हो पाना खासा मुश्किल है। सेटेलाइट फोन सेवा शुरू हो जाने से अब इन गांवों के लोग कहीं भी सम्पर्क स्थापित कर सकेंगे। फोन सेवा मिल जाने से सीमांत के गांवों में खुशी का माहौल है। सीमांत के गांवों के साथ ही यहां आने वाले पर्यटक, कैलास मानसरोवर यात्री भी इस सेवा का लाभ ले सकेंगे।

मुनस्यारी- तहसील मुनस्यारी के अंतर्गत आने वाले मल्ला जौहार के लीलम, बोगडियार, रिलकोट, मर्तोली, ल्वां, बुर्फू, बिल्जू, टोला, मिलम, गनघर, दुंग सहित कुल 14 गांवों में मंगलवार को सेटेलाइट फोन सेवा शुरू हो गयी।

lpsemwal

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Dear Friends,
I would like to share the development initiatives of people themselves in Yamuna and Tons velley of Uttrakhand. featured by better India as:

http://www.thebetterindia.com/834/the-apple-project/

There are a lot of resources and potential are available for building local economy and employement base in each lovely vellies but this is wondering why always people looking on the changing face of Govt.?

Devbhoomi,Uttarakhand

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विकास में लगाई जाएगी वरुणावत की बची राशि

उत्तरकाशी। वरुणावत ट्रीटमेंट के बाद शेष बची 40 करोड़ की धनराशि में ज्ञानसू-ताम्बाखाणी सुरंग की लाइनिंग, महिडांडा सड़क, बस अड्डा और भूस्खलन से समाप्त हो रहे मांडौ गांव को सुरक्षित करने की योजना तैयार की जा रही है।

वर्ष 2003 में वरुणावत त्रासदी से निबटने के लिए केन्द्र सरकार से स्वीकृत 272 करोड़ की धनराशि में अब 40 करोड़ रुपये ही शेष हैं। वरुणावत ट्रीटमेंट पूरा होने के बाद अब बची धनराशि में शहर के विकास की विभिन्न योजनाओं पर विचार किया जा रहा है। जिलाधिकारी डा. बीवीआरसी पुरुषोत्तम ने बताया कि ज्ञानसू-ताम्बाखाणी सुरंग की लाइनिंग पर 10 करोड़, महिडांडा सड़क की मरम्मत पर पांच करोड़ व बस अड्डा निर्माण व वैकल्पिक राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित मांडौं गांव को आपदा से सुरक्षा को प्राथमिकता में लिया है। इसके अलावा ज्ञानसू व जोशियाड़ा क्षेत्र में विकास कार्यो के चयन को लेकर भी प्रस्ताव तैयार किए जा रहे हैं। शेष धनराशि के सदुपयोग को लेकर अन्य सुझाव भी प्रशासन को दिए गए हैं। उत्तरकाशी के पर्यटन विकास की दृष्टि से वरुणावत पर्वत तक रोप-वे निर्माण, वनीकरण, ज्ञानसू पेयजल योजना, जोशियाड़ा में सौन्दर्यीकरण योजना पर विचार किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि नागरिकों, पत्रकारों व जनप्रतिनिधियों के सुझाव के बाद योजनाओं को अंतिम रूप दिया जाएगा और इसके लिए सुझाव भी आमंत्रित किए जा रहे हैं।

Devbhoomi,Uttarakhand

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समाज की बेहतरी के लिए हो कार्य:
श्रीनगर (पौड़ी गढ़वाल)। प्रदेश के राजस्व मंत्री दिवाकर भट्ट ने कहा कि समाज की बेहतरी के लिए दायित्वों का सही तरीके से निर्वहन करने वाला सम्मान पाता है।

शहीद मेजर भूपेन्द्र सिंह कंडारी राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय मोलधार (लोस्तु) के प्रधानाचार्य डा. त्रिलोक चंद सोनी के सम्मान में आयोजित समारोह में राजस्व और खाद्य नागरिक आपूर्ति मंत्री ने प्रधानाचार्य डा. सोनी को सम्मानित किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि अधिकारियों और कर्मचारियों को लगन और समर्पण की भावना से कार्य करना चाहिए। इस अवसर पर रमेश सिंह बत्र्वाल, गोविंद सिंह कंडारी, भगवान सिंह बत्र्वाल, भरत सिंह, राकेश सिंह, कुंदन सिंह कंडारी, जबर सिंह बत्र्वाल, डा. जगमोहन पुंडीर सहित अन्य लोग उपस्थित थे। कीर्तिनगर में आयोजित बहुउद्देश्यीय शिविर का उद्घाटन करते हुए मंत्री ने कहा कि अभी तक आम जनता को सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं की जानकारी न होने से इसका लाभ उन्हें नहीं मिल पाता है। इस कारण योजनाओं का लाखों रुपये हर साल वापस चला जाता है। उन्होंने अधिकारियों, कर्मचारियों व जनप्रतिनिधियों से कहा कि घर-घर तक योजनाओं की जानकारी पहुंचे इसके लिए प्रयास करें। शिविर में स्वैच्छिक चकबंदी पर भी जोर दिया गया। इसमें मंत्री ने आर्थिक सहायता के चेकों का भी वितरण किया। शिविर में 150 शिकायतें दर्ज की गयी, जिनमें से कई शिकायतों का मौके पर ही निस्तारण किया गया। समाज कल्याण विभाग ने 40 विभिन्न पेंशनों के फार्म जमा करवाए, सेवायोजन ने 33 बेरोजगारों का पंजीकरण किया। स्थाई व मूल निवास, जाति, आय के 280 प्रमाण पत्र निर्गत किये गये।

 

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