एमसीटी और बेरीनाग थ्रस्ट उत्तरकाशी हादसे का कारण !
भू वैज्ञानिक प्रो. सीसी पंत ने जताई आशंका
कहा, बादल फटने के बाद कमजोर भूगर्भीय संरचना के कारण बढ़ा खतरा
नवीन जोशी, नैनीताल। उत्तरकाशी में शुक्रवार रात हुई घटना का कारण बादल फटना माना जा रहा है। वहीं कुमाऊं विवि के विज्ञान संकाय एवं भूविज्ञान विभाग के अध्यक्ष प्रो. चारु चंद्र पंत ने आशंका जताई है कि इस हादसे की भयावहता का कारण एमसीटी यानी मेन सेन्ट्रल थ्रस्ट एवं बेरीनाग थ्रस्ट भी हो सकते हैं, जिस कारण हादसे से जन-धन का अधिक नुकसान हुआ है।
उत्तरकाशी की घटना के बाबत पूछे जाने पर प्रो. पंत का कहना था कि ऐसी घटनाएं सामान्यतया दो कारणों, बादल फटने एवं नदी के रुकने से झील बन जाने से होती हैं। उत्तरकाशी की घटना बादल फटने के कारण घटित हुई है। बादल फटने की घटना संकरे मुहाने वाली घाटियों में बादलों के अंदर जाकर फंस जाने व बाहर न निकल पाने के कारण होती हैं। बादल भीतर फंस जाने के कारण तेजी से एक सीमित क्षेत्र में बरसते हैं। ऐसे में पहाड़ी नदियां बेहद प्रबल वेग से पहाड़ों के मलबे युक्त बाढ़ (फ्लैश फ्लड) के रूप में बहती हैं और व्यापक नुकसान पहुंचाती हैं। उत्तरकाशी क्षेत्र के अध्ययन के आधार पर उन्होंने बताया कि वहां भागीरथी की सहायक नदी असी गंगा में जहां हादसा हुआ है, उसके कुछ ही किमी के दायरे में सेंज नाम के स्थान के पास से सबसे बड़ा भ्रंश एमसीटी एवं दूसरी ओर बेरीनाग थ्रस्ट गुजरते हैं। यानी घटनास्थल एमसीटी व बेरीनाग थ्रस्ट के बीच स्थित है। पंत बताते हैं, यूं तो यह स्थान कठोर व मजबूत क्वार्टजाइट (स्थानीय भाषा में डांसी पत्थर) से बना है, लेकिन भूगर्भ में दो भ्रंशों के होने के कारण यहां यह मजबूत पत्थर भी खंडित स्वरूप में हैं। साथ ही यह इलाका संकरे मुहाने वाली घाटी का है, इसलिए संभव है कि यहां बादल फटने की घटना हुई हो और भ्रंश के कारण मजबूत व नुकीले पत्थर असी गंगा की बाढ़ में बहते हुए बेहद खतरनाक हो गये हों।
Navin Joshi (नवीन जोशी)