I feel Govt is not taking care of these victims properly.
जख्मों पर नमक छिड़क रहे ‘मानक’
Story Update : Tuesday, August 21, 2012 12:01 AM
ढहने के कगार पर पहुंचे मकानों के बदले मिल रहे 1900 रुपये
उत्तरकाशी। जीवन भर की कमाई बाढ़ में बह गई, लेकिन मुआवजे के नाम पर सिर्फ 1900 रुपये। जी हां, प्रशासन के ऐसे ही उल्टे सीधे मानक आपदा पीड़ितों के जख्म कुरेद रहे हैं। गंगोरी और उत्तरकाशी में तटवर्ती क्षेत्र में मिट्टी के टीलों पर बने मकान किसी भी क्षण ढह सकते हैं। इन दर्जनों घरों को खाली करवा कर प्रशासन ने लोगों को सुरक्षित ठिकानाें पर आश्रय तो दिया, लेकिन इन मकानों
को क्षतिग्रस्त नहीं माना। इन मकानों को आंशिक क्षतिग्रस्त की श्रेणी
में रख प्रभावितों को 1900
रुपये पकड़ा कर बेसहारा छोड़ दिया गया है।
भारतीय सेना में 22 साल की सेवा के बाद गोविंद सिंह ने तीन साल पहले गंगोरी में जमीन खरीद कर मकान बनाया था। उत्तरों गांव में उनके पास सिर छिपाने का ठिकाना है, लेकिन बच्चों की अच्छी शिक्षा के सपने के साथ उन्होंने इस मकान को बनाने में जीवन भर की कमाई लगा दी। 24 जुलाई हो हुई अतिवृष्टि में
असी गंगा उनके मकान के आगे की जमीन बहा ले गई। तीन अगस्त की बाढ़ में आसपास की छह
नाली जमीन बहने के बाद उनका मकान 20 मीटर ऊंचे टीले पर खड़ा रह गया।
नदी के कटाव से बुनियाद लगातार खाली हो रही है। प्रशासन ने घर खाली कराकर उन्हेें निगम कालोनी में बने कैंप में शरण तो दी, लेकिन मकान को आंशिक क्षतिग्रस्त दिखा उन्हें 1900 रुपये पकड़ा दिए। जबकि स्थिति यह
है कि घर तक पहुंचने के लिए रास्ता भी नहीं बचा है, जिससे वे कुछ सामान निकाल सकें। यही स्थिति हर्षिल से आए शिक्षक सतेंद्र नेगी व पाटा से आए जयेंद्र चौहान की भी है।
यह है असलियत
स्वयंसेवियों और वरिष्ठ नागरिकों के सर्वे के अनुसार सिर्फ गंगोरी नगर पालिका क्षेत्र में 13 मकान बाढ़ में बह गए थे। इनमें कई बहुमंजिला भवन भी शामिल हैं। 14 भवन ढहने की कगार पर हैं। इनके अलावा 37 मकानों में भारी मलबा और कुछ में तो साबुत पेड़ दीवार तोड़ कर घुसे हुए हैं। राजस्व विभाग ने इनमें से अधिकांश को तो आंशिक क्षतिग्रस्त की श्रेणी में भी नहीं रखा।
ये हैं प्रशासन के आंकड़े
उत्तरकाशी। राजस्व विभाग की सर्वेक्षण रिपोर्ट के आधार पर जिला प्रशासन गंगोरी में 11 मकान पूर्ण ध्वस्त, 10 तीक्ष्ण और 11 आंशिक क्षतिग्रस्त की श्रेणी में रखकर राहत राशि बांट रहा है।
Source -Amar Ujala