गिर्दा ने राज्य आन्दोलन के दौरान बागरस्योक गीत गाया था, उसकी कुछ पंक्तियां थी, जिसमें भविष्य के उत्तराखण्ड के निर्माण का खाका खींचा गया था-
कस होलो उत्तराखण्ड, कस होला हमार नेता,
कस होलो पधान गौं क, कसि होलि व्यवस्था,
जड़ि-कंजड़ि, उखेलि सबुकें, फिर फैसाल करुलो,
उत्तराखण्ड ल्यू उकणि मनकस बणूलो
भ्यौव नि पडे़लि दिदी-भुली, रौ नि पड़ल भाई,
बेरोजगार नि मांजला, दिल्ली में कढ़ाही,
सब जतन करिबे, हम यस अलख जगूलो,
उत्तराखण्ड ल्यूल, उकणि मनकस बणूलो।
लेकिन राज्य बनने के ९ साल बाद भी पलायन बदस्तूर जारी है, गांव के गांव खाली हो रहे हैं। कहीं पर पानी के कारण, कहीं पर रोजगार के कारण। लेकिन नीति नियन्ता सो रहे हैं....पता नहीं कब जगेंगे।
अगर राज्य में समेकित और नियोजित विकास नीति के तहत काम किया जाता तो कुछ होता।