Author Topic: Proposal For Train Till Bageshwar - टनकपुर से बागेश्वर तक रेल लाईन का प्रस्ताव  (Read 86148 times)

pandey

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हेम पन्त

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Uttarakhand seeks rail development on lines of North East

Uttarakhand Chief Minister Dr Ramesh Pokhariyal Nishank has called for development of rain network in the state on the lines of the North East. In a meeting with the Chairman of the Railway Board SS Khurana held here on Saturday, Nishank said that the Centre should pay special attention to the requirements of Uttarakhand as it is a tourist destination visited by lakhs of people every year from across the world.

Nishank pointed that since the state shares international borders, it is all the more necessary to have proper rail connectivity here. Stating that rail connectivity should also be provided from stations other than Dehradun and Kathgodam, he called for early laying down of railway tracks and starting of rail services between Rishikesh and Karnprayag, Tanakpur and Bageshwar, Dehradun and Kalsi, Ramnagar and Chaukhutiya along with Kicha and Khatima. Nishank also sought a new train between Ramshwaram and Hardwar.

The Chief Minister said that work on building railway over bridges at Lacchiwala, Luxor, Kashipur and Motichur be expedited. These are places where elephants are often on the move.

There were discussions on extension and management of rail facilities during the forthcoming Kumbh Mela at Hardwar.

Khurana pointed that a sum of Rs 100 crore has been earmarked for developing railways in the state. He pointed that Dehradun is being developed as a model railway station and efforts are on to facilitate movement of 24 coach trains from here. He pointed that the state government will have to come forward with providing land for expansion of rail network in the state. The Chairman said that a special plan for the Kumbh Mela is also on the anvil. He promised that starting of rail projects in Uttarakhand will be given priority by his department. Senior state officials including the Chief Secretary Indu Kumar Pande were also present in the meeting.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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I got a privilege to meet Ex CM Shree B S Koshiyari Ji, who is presenty Rajya Sabha Member, in Noida. This visit was in connection with some road proposal of our areas.

However, during the pesronal talk, he mentioned that the railways issue of UK was raised by him in Rajya Sabha also and he is trying best from his side to persue this matter further.

Let us hope for the positive results. No matter from which corner it is being done but rail must run in hills of UK.

Uttarakhand seeks rail development on lines of North East

Uttarakhand Chief Minister Dr Ramesh Pokhariyal Nishank has called for development of rain network in the state on the lines of the North East. In a meeting with the Chairman of the Railway Board SS Khurana held here on Saturday, Nishank said that the Centre should pay special attention to the requirements of Uttarakhand as it is a tourist destination visited by lakhs of people every year from across the world.

Nishank pointed that since the state shares international borders, it is all the more necessary to have proper rail connectivity here. Stating that rail connectivity should also be provided from stations other than Dehradun and Kathgodam, he called for early laying down of railway tracks and starting of rail services between Rishikesh and Karnprayag, Tanakpur and Bageshwar, Dehradun and Kalsi, Ramnagar and Chaukhutiya along with Kicha and Khatima. Nishank also sought a new train between Ramshwaram and Hardwar.

The Chief Minister said that work on building railway over bridges at Lacchiwala, Luxor, Kashipur and Motichur be expedited. These are places where elephants are often on the move.

There were discussions on extension and management of rail facilities during the forthcoming Kumbh Mela at Hardwar.

Khurana pointed that a sum of Rs 100 crore has been earmarked for developing railways in the state. He pointed that Dehradun is being developed as a model railway station and efforts are on to facilitate movement of 24 coach trains from here. He pointed that the state government will have to come forward with providing land for expansion of rail network in the state. The Chairman said that a special plan for the Kumbh Mela is also on the anvil. He promised that starting of rail projects in Uttarakhand will be given priority by his department. Senior state officials including the Chief Secretary Indu Kumar Pande were also present in the meeting.

पंकज सिंह महर

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रेल को हालांकि हमारे नेता और हमारी जनता विकास की बड़ी उपलब्धि के बारे में सोच रही है, लेकिन इसके दूरगामी परिणाम बहुत जटिल होंगे। कैसे कभी पोस्ट में विस्तार से बताऊंगा शार्ट में टनकपुर, रामनगर, रुद्रपुर और हल्दानी के स्टेशनों और उसके आस-पास के एरिया को देख लो।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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This has been one of the long outstanding demands of UK. Let us see how our Representative take up this issue in parliament.
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रेल मार्ग निर्माण की मांग पर बागेश्वर में प्रदर्शनAug 23, 10:25 pmबताएं
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बागेश्वर। टनकपुर से बागेश्वर तक रेल मार्ग निर्माण की मांग को लेकर संघर्ष समिति ने रविवार को तहसील मुख्यालय में धरना देकर प्रदर्शन किया। संघर्ष समिति ने केंद्र सरकार की आलोचना करते हुए बागेश्वर से दिल्ली तक पद यात्रा करने का ऐलान किया है। तहसील मुख्यालय में आयोजित बैठक को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि टनकपुर-बागेश्वर रेल मार्ग के निर्माण की मांग विगत कई वर्षो से की जा रही है। लेकिन केंद्र सरकार जनता की भावनाओं को नजर अंदाज कर रही है। रेल मार्ग निर्माण की मांग को लेकर दिल्ली के जंतर मंतर में धरना तथा आमरण अनशन किया जा चुका है। तत्कालीन रेल मंत्री ने उक्त रेल मार्ग के निर्माण का आश्वासन भी दिया था। लेकिन वर्तमान केंद्र सरकार टनकपुर-बागेश्वर रेल मार्ग के निर्माण की मांग को ठुकरा रही है। संघर्ष समिति ने निर्णय लिया है कि रेल मार्ग निर्माण की मांग को लेकर बागेश्वर से दिल्ली तक पद यात्रा निकाली जाएगी।


हेम पन्त

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People of Bageshwar are putting pressure on Govrnment for the railway track. They are runing a strong movement for a long time.

Source : Dainik Jagran 21 Sept. 2009
 
बागेश्वर। टनकपुर-बागेश्वर रेल मार्ग निर्माण की मांग को लेकर आंदोलन तेज होता जा रहा है। तहसील स्तर से लेकर दिल्ली तक धरना, प्रदर्शन व आमरण अनशन तक कर चुके आंदोलनकारियों ने अब 7 अक्टूबर को जेल भरो आंदोलन चलाने का निर्णय लिया है। रविवार को तहसील मुख्यालय में प्रदर्शन के बाद यह निर्णय लिया गया। तहसील मुख्यालय में आयोजित सभा को संबोधित करते हुए रेल मार्ग निर्माण संघर्ष समिति के अध्यक्ष गुसाई सिंह दफौटी ने कहा कि केंद्र सरकार बागेश्वर की जनता के साथ विश्वासघात कर रही है। विगत कई वर्षो से आंदोलन कर रही जनता को धोखे में रखा जा रहा है। बागेश्वर से लेकर दिल्ली तक धरना, प्रदर्शन व आमरण अनशन तक कर चुकी जनता अब केंद्र सरकार के खिलाफ उग्र आंदोलन करेगी। आगामी 7 अक्टूबर को संघर्ष समिति ने जेल भरो आंदोलन करने का निर्णय लिया है। उक्त तिथि को आंदोलन के समर्थक नुमाइश मैदान के स्वराज भवन में एकत्र होकर जुलूस की शक्ल में जाकर गिरफ्तारी देंगे।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Now some good news to hear from Daink Jagraj Source :
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तो पहाड़ पर भी दौड़ेगी रेल!
 
रुड़की (हरिद्वार)। आईआईटी वैज्ञानिकों की कोशिशें रंग लाई तो उत्ताराखंड के पहाड़ों पर रेल दौड़ सकेगी। वैज्ञानिकों का दावा है कि ऋषिकेश से कर्णप्रयाग (चमोली) तक सौ किमी प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रेन चलाई जा सकती है। सामरिक दृष्टि से भी यह योजना महत्वपूर्ण साबित होगी। इसके माध्यम से उत्ताराखंड से लगती चीन सीमा पर आसानी से पहुंचा जा सकेगा। इस रेलवे लाइन के लिए आईआईटी वैज्ञानिकों ने एक सर्वे किया था। इस सर्वे को लेकर रेलवे बोर्ड आईआईटी वैज्ञानिकों के साथ जल्द एक बैठक करने जा रहा है।

आईआईटी वैज्ञानिकों के 1998 में किए गए सर्वे की रिपोर्ट 'रीकोनाइसेंस सर्वे आफ न्यू रेलवे लाइन फ्राम ऋषिकेश टू कर्णप्रयाग' के अनुसार उत्ताराखंड के पहाड़ों पर सौ किमी प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रेन दौड़ सकती है। इस परियोजना पर करीब 2500 करोड़ का खर्च आएगा। सर्वे के तहत ऋषिकेश से कर्णप्रयाग तक कुल आठ स्टेशन निर्धारित किए गये हैं। इसमें मुनि की रेती, शिवपुरी, मंजिल गांव, गुरसाली, रुद्रप्रयाग, कीर्तिनगर, श्रीनगर व गौचर शामिल हैं। ऋषिकेश से कर्णप्रयाग तक की रेलवे लाइन की दूरी 129 किमी निर्धारित है। इसमें टनल की लंबाई 43 किमी रखी गई है। इसके साथ ही इस रूट पर छह बड़े पुल सहित कुल 126 पुल बनाए जाने प्रस्तावित हैं। सबसे बड़े पुल की लंबाई 831 मीटर होगी। कर्णप्रयाग से चीन सीमा की दूरी केवल सौ किमी है। चीन से भारत के रिश्तों को देखते हुए भविष्य में यह योजना सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण साबित हो सकती है। यह रेलवे लाइन पठानकोट से जोगिन्दर नगर के बीच नैरोगेज रेलवे लाइन की तरह पूरे उत्ताराखंड के एक बड़े भूभाग को जोड़ने में सहायक होगी। आईआईटी के सिविल विभाग के वैज्ञानिक डा. कमल जैन ने बताया कि पहाड़ पर रेल संचालित करने की संभावनाओं को लेकर 1998 में एक सर्वे रिपोर्ट तैयार की थी। इस पर अभी भी स्थलीय अध्ययन जारी है। सर्वे में कर्णप्रयाग तक रेल लाइन का ऐसा अलाइनमेंट किया है, जहां से चीन सीमा तक आसानी से पहुंचा जा सकता है। इसके लिए रेलवे लाइन से लगते तमाम क्षेत्रों से संपर्क सड़कें भी निकाली जा सकती हैं। डा. जैन ने बताया कि सर्वे के बारे में केंद्रीय रेलवे बोर्ड से कई बार बातचीत हो चुकी है। पूर्व में भारी भरकम खर्च के चलते इस परियोजना को मंजूरी नहीं मिल पाई थी। उन्होंने बताया कि जल्द ही इस संबंध में एक बार फिर उनकी रेलवे बोर्ड के अधिकारियों के साथ बैठक होनी है।

http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_5850014.html

MANOJPUNDIR

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उत्तराखंड और रेल का सपना

बीते दिनों के तमाम प्रस्तावों और प्रयासों के बावजूद उत्तराखंड की पहाड़ियों में रेल फिलहाल दूर की कौड़ी नजर आती है। राज्य के सुदूर पूर्वी नगर टनकपुर और पश्चिमी छोर स्थित देहरादून सहित इन दोनों के बीच तराई-भाबर की मैदानी पट्टी में पड़ने वाले काठगोदाम, रामनगर, कोटद्वार और ऋषिकेश नगरों तक रेलगाड़ी अंग्रेजी जमाने में ही पहुँच गई थी। इन द्वारों से उत्तराखंड की अकूत वन संपदा अंग्रेजी खजाने को भरने के लिए बाहर निकाली जाती थी। अंग्रेज गढ़वाल में कर्णप्रयाग और कुमाऊँ में बागेश्वर तक रेल पहुंचाना चाहते थे। ऋषिके’ा-कर्णप्रयाग रेल लाइन के लिए पहला सर्वे 1919 में गढ़वाल के तत्कालीन डिप्टी कमिश्नर जे.एम. क्ले ने करवाया। इसके बाद इस लाईन के लिए 1996 में तत्कालीन रेल राज्यमंत्री सतपाल महाराज की पहल पर एक बार फिर सर्वे हुआ। इसी तरह टनकपुर-बागेश्वर लाइन अंग्रेजी प्रशासन की प्रस्तावित योजनाओं में शामिल रही। 1996 में इस लाइन पर भी सर्वे हुआ। लेकिन इन सर्वेक्षणों के नतीजे रेलवे नौकरशाही की फाइलों में दफ्न होकर रह गए। इस वर्ष संसद के बजट सत्र में रेलमंत्री ममता बनर्जी ने रामनगर-चौखुटिया रेल लाइन के सर्वेक्षण का प्रस्ताव किया है। प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान लोकसभा में सतपाल महाराज और राज्यसभा में भगत सिंह कोश्यारी ने पहाड़ में रेल की जरूरत की पुरजोर वकालत की। जवाब में रेलमंत्री ने धन की कमी का रोना रोते हुए इतना जरूर जोड़ा कि अगर राज्य सरकार इन रेलमार्गों के निर्माण में सहयोग दे तो इन्हें हकीकत में बदला जा सकता है।

विशेषज्ञों की राय में तकनीकी तौर पर इन दोनों रेललाइनों के निर्माण में कोई दिक्कत नहीं। जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के निदेशक डॉ. पी. सी. नवानी, जो जम्मू-कश्मीर रेल योजना के सलाहकार भी रहे हैं, कहते हैं कि उत्तराखंड के पहाड़ रेल लाईन बिछाने के लिहाज से पूरी तरह सुरक्षित हैं। उनका दावा है कि यहाँ चट्टानों की मजबूती कश्मीर के अपेक्षा कहीं बेहतर है। इसके अलावा उत्तराखंड में रेल लाईनों को अंतिम गंतव्य तक लाने के लिए ज्यादा चढ़ाई नहीं चढ़ानी पड़ेगी। उदाहरण के लिए टनकपुर से बागेश्वर के 154 किमी रेलमार्ग के लिए उसे 500 मीटर ऊपर उठाना होगा। अन्य प्रस्तावित मार्गों पर भी कमोबेश यही बात लागू होती है।

हैरत की बात है कि पहाड़ों में रेलगाड़ी लाने का मुद्दा उत्तराखंड राज्य आंदोलन की प्रमुख माँगों में शामिल नहीं रहा। कठिन भौगोलिक बनावट और इससे उपजने वाले आर्थिक पिछड़ेपन ने अलग राज्य की माँग के लिए जमीन तैयार की थी। राज्य को पिछड़ेपन से उबारने में भौगोलिक दुर्गमता सबसे बड़ी बाधा है। इससे सामान्य आवागमन तो मुश्किल होता ही है, कृषि उत्पादों की परिवहन लागत उन्हें अलाभकारी स्तर पर पहुँचा देती है। राज्य की अर्थव्यवस्था का एक प्रमुख अवयव पर्यटन है, लेकिन सड़क आवागमन की दुष्करता इसे एक सीमा से आगे विकसित नहीं होने देती। पहाड़ों में मोटर गाड़ी का सफर बेहद कष्टप्रद होता है, इसलिए ज्यादातर पर्यटक नैनीताल या मसूरी जैसे मैदानों से सटे हिल स्टेशनों से आगे जाने की हिम्मत नहीं करते। अगर उत्तराखंड के भीतरी हिस्सों तक रेलगाड़ी पहुँचती है तो इससे राज्य का पर्यटक उद्योग अभूतपूर्व ऊँचाइयाँ छूने लगेगा। इसके अलावा दूरदराज की उपजाऊ घाटियों के कृषि उत्पादों को लाभकारी कीमतों पर मैदान के बाजारों में पहुँचा पाना संभव होगा।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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'Uttarakhand will soon be linked to Railways'
« Reply #108 on: November 10, 2009, 08:11:22 AM »

Good to hear but we have to when we get the rail connectivity.Such promises have been made in past also.

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'Uttarakhand will soon be linked to Railways'

Pithoragarh, Nov 9(PTI) Union minister of state for labour Harish Rawat today said that Uttarakhand will soon be linked with railways.

"After the Centre's recent policy, railway lines will be based on backwardness of the area rather then its economic viability. Uttarakhand can hope to be connected by railway line."

Rawat said that he is very keen to take part in the future making process of Uttarakhand as his roots lies hare and said, "If party permits, I would like to active to lead the party in 2012 election in Uttarakhand."

The union minister, who was here on a brief visit, said denied allegations by Uttarakhand CM Ramesh Pokhariyal Nishank that the Centre has scrapped the annual plan size of the state.

"The Uttarakhand government presented before planning commission its annual plan worth Rupees 5000 crore, which was increased by 557 crore.

http://www.ptinews.com/news/369443_-Uttarakhand-will-soon-be-linked-to-Railways-

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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I think it is the high time to take-up this issue once again.
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रेल मार्ग निर्माण के लिए 20 को दिल्ली कूच करेगी संघर्ष समिति

 बागेश्वर। टनकपुर-बागेश्वर रेल मार्ग निर्माण की मांग को लेकर संघर्ष समिति एक बार फिर दिल्ली के जंतर मंतर पर धरना प्रदर्शन करेगी। संघर्ष समिति 20 फरवरी को दिल्ली कूच करेगी। रविवार को तहसील में हुई बैठक में निर्णय लिया गया कि टनकपुर-बागेश्वर रेल मार्ग निर्माण की मांग पूरी होने तक आंदोलन जारी रहेगा। पूर्व में केंद्र सरकार ने संघर्ष समिति को आश्वासन दिया था कि मार्च में पेश होने वाले बजट में बागेश्वर को प्राथमिकता दी जाएगी। सरकार को इस आश्वासन को पूर्ण करने की याद दिलाने के लिए संघर्ष समिति एक बार फिर दिल्ली के जंतर मंतर पर धरना प्रदर्शन करेगी। संघर्ष समिति ने निर्णय लिया कि 20 फरवरी को दिल्ली कूच किया जाएगा। बैठक के दौरान संघर्ष समिति ने रेल मार्ग निर्माण के समर्थन में नारेबाजी की।


http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_6183012.html

 

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