Author Topic: Proposal For Train Till Bageshwar - टनकपुर से बागेश्वर तक रेल लाईन का प्रस्ताव  (Read 95866 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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उत्तराखंड को मिला रेललाइन का तोहफा
नई दिल्ली।
Story Update : Tuesday, October 25, 2011    3:01 AM
     

  [/t][/t]    आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर केंद्र सरकार उत्तराखंड को रेल नेटवर्क के तौर पर दीपावली का उपहार देने जा रही है। ऋषिकेश से कर्णप्रयाग तक की प्रस्तावित रेल लाइन का यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी 5 नवंबर को शिलान्यास करेंगी। चमोली जिले के गोचर में शिलान्यास के बाद सोनिया एक रैली को भी संबोधित करेंगी।

सोनिया के बाद कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी भी उत्तराखंड के दौरे पर जाएंगे। राहुल के दौरे का कार्यक्रम अभी तय होना बाकी है, लेकिन माना जा रहा है कि यह दौरा नवंबर में ही हो सकता है। सोनिया और राहुल के साथ उत्तराखंड कांग्रेस के नेताओं की सोमवार को हुई बैठक में प्रदेश चुनाव की तैयारी और रणनीति पर विचार-विमर्श के दौरान इन यात्राओं को लेकर भी चर्चा हुई।

आजादी के बाद उत्तराखंड में यह पहली परियोजना है जब रेल नेटवर्क को पहाड़ी क्षेत्रों तक ले जाया जा रहा है। यह रेललाइन ऋषिकेश से गंगा-अलकनंदा के किनारे-किनारे कर्णप्रयाग तक जाएगी। उत्तराखंड के लोग लंबे समय से रेल नेटवर्क की मांग करते रहे हैं। बजट में हरी झंडी मिल जाने के बाद रेल मंत्रालय अब इस योजना पर अमल करने जा रहा है। सोनिया के साथ रेलमंत्री दिनेश त्रिवेदी भी गोचर जा सकते हैं। इसके अलावा बैठक में सोनिया ने विधानसभा चुनाव की तैयारी का जायजा लिया।

सोनिया ने प्रदेश नेताओं से एकजुट होकर चुनाव लड़ने के लिए तैयार होने को कहा। बैठक में कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी चौधरी वीरेंद्र सिंह, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष यशपाल आर्य, विधायक दल के नेता हरक सिंह रावत, केंद्रीय कृषि व खाद्य प्रसंस्करण राज्यमंत्री हरीश रावत, सांसद सतपाल महाराज और विजय बहुगुणा भी मौजूद थे। बैठक के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल और सुरेश पचौरी के साथ हरक सिंह रावत और यशपाल आर्य की बैठक हुई। इसमें सोनिया से मिले निर्देशों के तहत चुनावी रणनीति पर अमल करने पर विचार-विमर्श किया गया।

अमर उजाला ब्यूरो

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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काठगोदाम-दिल्ली के बीच दौड़ेगी शताब्दी [/t][/t][/t]
हल्द्वानी। काठगोदाम से दिल्ली के बीच लोग शताब्दी ट्रेन दौड़ेगी। यह संकेत शुक्रवार को निजी कार्यक्रम में पहुंचे रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी ने पत्रकारों से कही। श्री त्रिवेदी के अनुसार गढ़वाल में एक शताब्दी ट्रेन चल रही है। काठगोदाम से दिल्ली के बीच भी शताब्दी ट्रेन की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि रेल सेवा के विस्तार में राज्यों की अहम भूमिका होती है। बजट का कुछ प्रतिशत वहन करने से लेकर भूमि उपलब्ध कराने जैसे मसले राज्य को ही तय करने होते हैं। उत्तराखंड में भी रेल सेवाओं को बढ़ाने, आवश्यकताओं को समझने और मिलकर कोई रास्ता निकालने की योजना है। मुख्यमंत्री बीसी खंडूरी से समय मांगा गया है। जहां रेल बोर्ड के सदस्यों के साथ उनसे वार्ता की जाएगी।
उन्होंने कहा कि 91 प्रतिशत यात्री जनरल के होते हैं, लेकिन तुलनात्मक तौर उन्हें सुविधा कम मिलती है। अब ट्रेनों में जनरल कोच बढ़ाया जाएंगे, इसके साथ कोचों में बिजली, साफ-सफाई की उन्नत सुविधा और व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी। रेल मंत्री ने कहा कि दुर्घटनाओं को कम करने की कोशिश की जा रही है, ट्रैक और सिग्नल व्यवस्था का आधुनिकीकरण होना है, प्रयास है कि लाल सिग्नल क्रास करते ही ट्रेन स्वत: रुक जाए। मेट्रो इसका सबसे बड़ा उदाहरण है, जिसमें सेफ्टी को लेकर कारगर कदम उठाये गए हैं। किराये बढ़ोत्तरी के बारे में उनका कहना था कि 2004 से किराया बढ़ाया नहीं गया है, इसका मतलब नहीं है कि अचानक बहुत ज्यादा वृद्धि होगी। अगर ऐसा करना हुआ तो धीरे-धीरे वृद्धि की जाएगी। इसके बाद रेल मंत्री ने काठगोदाम स्टेशन पर बन रहे बहुउद्देशीय भवन, रनिंग रूम आदि का निरीक्षण किया। इस दौरान पूर्वोत्तर रेलवे जीएम केबीएल मित्तल, डीआरएम इज्जतनगर मंडल उमेश सिंह आदि मौजूद थे।

http://www.amarujala.com/state/Uttarakhand/39705-2.html[/td][/tr][/table]

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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  कोश्यारी के प्रयास रहे अहम : खंडूड़ी    Oct 29, 01:00 am   बताएं           देहरादून, जागरण ब्यूरो:
मुख्यमंत्री भुवनचंद्र खंडूड़ी ने कहा कि ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे लाइन को मूर्त रूप देने में सांसद भगत सिंह कोश्यारी ने प्रभावी पहल की है। वह भी वर्ष 1991 में बतौर सांसद इस मांग को पुरजोर ढंग से उठा चुके हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि श्री कोश्यारी के प्रयासों के चलते ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना अंतिम सीढ़ी पर है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने उत्तराखंड को टैक्सटाइल पार्क से वंचित कर दिया। यह चिंताजनक है। औद्योगिक पैकेज अवधि नहीं बढ़ने से प्रदेश में उद्योग क्षेत्र को नुकसान पहुंचा है। विषम परिस्थितियों के मद्देनजर राज्य के गढ़वाल और कुमाऊं मंडल में एक-एक टैक्सटाइल पार्क की स्थापना होनी चाहिए। केंद्र की यूपीए सरकार ने उत्तरप्रदेश, गुजरात, कर्नाटक और पश्चिम बंगाल में एक-एक टैक्सटाइल पार्क दिया है, जबकि उत्तराखंड के हिस्से में एक भी नहीं आया। उन्होंने कहा कि प्रदेश में अगले माह तक सड़कों के निर्माण और मरम्मत के क्षेत्र में प्रगति नजर आएगी।

http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_8413344.html

Anil Arya / अनिल आर्य

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कर्णप्रयाग के बाद माणा तक पहुंचेगी रेल लाइन
अमर उजाला ब्यूरो
देहरादून। ऋषिकेश से पहाड़ पर चढ़ रही रेल कर्णप्रयाग से आगे सीमांत गांव माणा तक पहुंचेगी। पहले चरण में ऋषिकेश से कर्णप्रयाग तक की रेल लाइन पांच साल में तैयार की जाएगी। सांसद सतपाल महाराज के मुताबिक करीब 125 किलोमीटर लंबी रेल लाइन का दूसरे चरण में बदरीनाथ धाम के पास स्थित माणा तक विस्तार किया जाएगा। प्रथम चरण में 12 रेलवे स्टेशन प्रस्तावित हैं।
कर्णप्रयाग-ऋषिकेश रेलवे लाइन का सपना करीब 90 साल बाद पूरा होने जा रहा है। 1935 में बदरीधाम के लिए सड़क मार्ग के खुलने से पहले से ही इस क्षेत्र में रेल पहुंचाने की कोशिश शुरू हुई थी। बदरीनाथ धाम के पास स्थित 3150 मीटर की ऊंचाई पर चमोली जिले का माणा गांव चीन सीमा से लगा हुआ है। माणा तक रेल के पहुंचने पर चीन की 1140 किमी की क्विंगहाई-तिब्ब्त रेल लाइन को भारत जवाब दे सकने की स्थिति में भी होगा। बदरीनाथ और हेमकुंड साहिब तक की यात्रा बेहद आसान होगी। कारण इस यात्रा का आखिरी फिलहाल, पांच नवंबर को गौचर में सोनिया गांधी इस परियोजना के प्रथम चरण का शिलान्यास करेंगी। रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी व कांग्रेस प्रदेश प्रभारी चौधरी विरेंद्र सिंह, पांचों सांसद भी उपस्थित रहेंगे।
पहले चरण का गौचर में पांच को शिलान्यास करने वाली हैं सोनिया

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Sonia to lay Uttarakhand railway line foundation stone on Nov 9
« Reply #154 on: October 31, 2011, 06:40:00 AM »
Sonia to lay Uttarakhand railway line foundation stone on Nov 9                  
Dehra Dun : UPA chairperson and AICC president Sonia Gandhi will lay the foundation stone of the proposed 125 kms Rishikesh-Karanprayag railway line in Uttarakhand on November 9. The foundation stone will be laid at Gochar in the Garhwal hills.
Earlier, the foundation stone was to be laid on November 5, but as the AICC president will not be able to reach Gochar on the said date because of earlier commitments, the date was postponed. Gochar, incidentally, has the largest flat tract in the region, and is also used for the landing of choppers during emergency.
Meanwhile, there is a lot of excitement in the state over the laying of the foundation stone, for railway lines just touch the peripheries of this infant state. The railway stations, which are at the entry of the state include Dehra dun, Kotdwara and Rishikesh, which hardly serve even a miniscule percentage of the hill population.
Cutting across party lines, political leaders of various hues admitted that November 9 would be a red letter day in the history of the state, when the foundation stone for the railway line is laid. Incidentally, this day also happens to be the statehood day.
Meanwhile sources in the Railways said that new technique would be used in laying the railway line, which would pass through low and middle Himalayas and not actually traverse the higher reaches. Some of the technology that has been used in the Beijing-Lhasa railway line is likely to be incorporated in this railway line, they added.
They said that the railway line would be laid by the Railway Development Corporation Ltd and would also generate employment at the local level for the unemployed youth of the region.


http://hillpost.in/2011/10/31/sonia-to-lay-uttarakhand-railway-line-foundation-stone-on-nov-9/33759/politics/bhatt

पंकज सिंह महर

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हे रेलगाड़ी तू मेरे पहाड़ न जा
« Reply #155 on: November 04, 2011, 04:29:53 AM »
हे रेलगाड़ी तू मेरे पहाड़ न जा
सोनिया गांधी 9 नवंबर को ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन का शिलान्यास करेंगी। पहले गंगा और फिर अलकनंदा के किनारे छुक-छुक करती ट्रेन कर्णप्रयाग तक जाएगी। कितना रोमैंटिक है। इस रोमैंटिक नजारे से कुछ पहाड़ी दोस्त बहुत खुश हैं।

लेकिन उनकी यह खुशी मुझे समझ नहीं आती। जमीनी हकीकत देखता हूं तो मन उदास होता है। न जाने कितने पेड़ कटेंगे। कच्चे पहाड़ों को और खोदा जाएगा। सड़कों, बांधों और बिजली की हाई-वोल्टेज तारों के लिए तो वैसे ही जंगलों का सत्यानाश कर दिया गया है। सबसे हैरत इस बात पर होती है कि पहाड़ से इसके विरोध में अभी तक कोई आवाज क्यों नहीं उठी है।

आखिर पहाड़ पर ट्रेन क्यों चढ़नी चाहिए? क्या गर्मियों में आने वाले चंद पर्यटकों के लिए? ट्रांसपोर्ट के लिए पहाड़ में ट्रेन की जरूरत तो मुझे दूर तक नजर नहीं आती। अंग्रेजों ने तो अपनी अय्याशी के लिए यह सब किया था। अगर टूरिज़म की ही बात दिमाग में है तो पहाड़ों के लिए रोप-वे से बेहतर क्या कुछ हो सकता है। स्विट्जरलैंड को देखिए।

अलग उत्तराखंड राज्य के पीछे तर्क था पहाड़ की सारी योजनाएं दिल्ली-लखनऊ में वहां के हिसाब से बनती हैं। अब तो अलग राज्य है। फिर इस विचार को क्यों नहीं ऋषिकेश में ही नमस्कार कर दिया जाना चाहिए था? क्यों नहीं कह दिया जाना चाहिए था कि साहब यह ट्रेन मैदानी हिस्से तक ही रखिए, हमें रोप-वे जैसे कुछ दूसरे विकल्प बताइए।

खैर यह सब होता नहीं दिखता। इसलिए दोस्तों को उनकी इस पहाड़ी ट्रेन का 'रोमैंटिक' सफर मुबारक।

अंधाधुंध बांधों पर लिखे लोक गायक नरेंद्र सिंह नेगी जी के चर्चित गीत की पक्तियां हैं, 'उत्तराखंड की धरती यूं डामूं मा डामियाली जी...।'शायद इसी तर्ज पर उनका अगला गीत कुछ यूं हो, 'उत्तराखंड की धरती ईं रेल ने खैंडियाळी जी...'



http://buraansh.blogspot.com/2011/11/blog-post.html

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Daju.

सिक्के के दो पहलू! कही नुक्सान तो कही फायदा! हमें कुछ पाने के कुछ खोना पड़ेगा! सालो से रेल गाडी का सपना देख रहे पहाड़ के लोगो के ख़ुशी की खबर है!

But i 100% support railway connectivity to hill areas.



हे रेलगाड़ी तू मेरे पहाड़ न जा
सोनिया गांधी 9 नवंबर को ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन का शिलान्यास करेंगी। पहले गंगा और फिर अलकनंदा के किनारे छुक-छुक करती ट्रेन कर्णप्रयाग तक जाएगी। कितना रोमैंटिक है। इस रोमैंटिक नजारे से कुछ पहाड़ी दोस्त बहुत खुश हैं।

लेकिन उनकी यह खुशी मुझे समझ नहीं आती। जमीनी हकीकत देखता हूं तो मन उदास होता है। न जाने कितने पेड़ कटेंगे। कच्चे पहाड़ों को और खोदा जाएगा। सड़कों, बांधों और बिजली की हाई-वोल्टेज तारों के लिए तो वैसे ही जंगलों का सत्यानाश कर दिया गया है। सबसे हैरत इस बात पर होती है कि पहाड़ से इसके विरोध में अभी तक कोई आवाज क्यों नहीं उठी है।

आखिर पहाड़ पर ट्रेन क्यों चढ़नी चाहिए? क्या गर्मियों में आने वाले चंद पर्यटकों के लिए? ट्रांसपोर्ट के लिए पहाड़ में ट्रेन की जरूरत तो मुझे दूर तक नजर नहीं आती। अंग्रेजों ने तो अपनी अय्याशी के लिए यह सब किया था। अगर टूरिज़म की ही बात दिमाग में है तो पहाड़ों के लिए रोप-वे से बेहतर क्या कुछ हो सकता है। स्विट्जरलैंड को देखिए।

अलग उत्तराखंड राज्य के पीछे तर्क था पहाड़ की सारी योजनाएं दिल्ली-लखनऊ में वहां के हिसाब से बनती हैं। अब तो अलग राज्य है। फिर इस विचार को क्यों नहीं ऋषिकेश में ही नमस्कार कर दिया जाना चाहिए था? क्यों नहीं कह दिया जाना चाहिए था कि साहब यह ट्रेन मैदानी हिस्से तक ही रखिए, हमें रोप-वे जैसे कुछ दूसरे विकल्प बताइए।

खैर यह सब होता नहीं दिखता। इसलिए दोस्तों को उनकी इस पहाड़ी ट्रेन का 'रोमैंटिक' सफर मुबारक।

अंधाधुंध बांधों पर लिखे लोक गायक नरेंद्र सिंह नेगी जी के चर्चित गीत की पक्तियां हैं, 'उत्तराखंड की धरती यूं डामूं मा डामियाली जी...।'शायद इसी तर्ज पर उनका अगला गीत कुछ यूं हो, 'उत्तराखंड की धरती ईं रेल ने खैंडियाळी जी...'



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Devbhoomi,Uttarakhand

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टनकपुर- बागेश्वर रेल पथ की मांग उठी
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टनकपुर-बागेश्वर रेल पथ निर्माण संघर्ष समिति ने टनकपुर- बागेश्वर रेल मार्ग शीघ्र बनाये जाने की मांग की है।

रेल पथ निर्माण संघर्ष समिति की बैठक में अध्यक्ष गंगा गिरि गोस्वामी ने कहा कि टनकपुर-बागेश्वर, टनकपुर- जौलजीवी, टनकपुर को बडी रेल लाइन से जोड़ने आदि मांग लंबे समय से की जा रही है। लेकिन अभी तक कुछ नहीं हुआ। उन्होंने रेल मागरें का शीघ्र निर्माण कराये जाने की मांग की।

Dainik jagran

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I think by next year probably June 2012, Bageshwar railway track work will start. Survey is progress.

Anil Arya / अनिल आर्य

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रेल परियोजना पर अब जमीन विवाद
देहरादून। कर्णप्रयाग-ऋषिकेश रेल परियोजना पर अब जमीन को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। नौ नवंबर को इस परियोजना के शिलान्यास की तैयारी है लेकिन रेलवे के पास एक इंच तक जमीन नहीं है। राज्य सरकार का कहना है कि भूमि के लिए उसे रेलवे का प्रस्ताव नहीं मिला है। रेलवे का कहना है कि प्रस्ताव जल्द ही भेज दिया जाएगा। कांग्रेस का का आरोप है कि सत्ता पक्ष बौखलाकर तकनीकी बाधाएं खड़ी कर रहा है। उसे परियोजना के महत्व को देखते हुए खुद ही कह देना चाहिए कि जितनी जमीन की जरूरत है, उसका उपयोग किया जाए।
सोनिया गांधी नौ नवंबर को रेल परियोजना का शिलान्यास करने आ रही हैं। लेकिन उससे पहले ही रेल ट्रैक पर सत्ता पक्ष और विपक्ष में जमीन अधिग्रहण को लेकर विवाद खड़ा गया है। राजस्व मंत्री दिवाकर भट्ट का कहना है कि प्रदेश सरकार को अभी तक रेल ट्रैक और स्टेशनों के लिए भूमि का प्रस्ताव नहीं मिला है। वहीं, गढ़वाल सांसद सतपाल महाराज का कहना है कि प्रदेश सरकार को इस राष्ट्रीय महत्व की परियोजना के लिए खुद ही भूमि की पेशकश कर देनी चाहिए थी। महाराज ने रेलवे बोर्ड के चेयरमैन विनय मित्तल के हवाले से कहा कि रेलवे एकमुश्त प्रस्ताव तैयार कर सरकार को भेजेगा। कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता सुरेंद्र अग्रवाल ने कहा कि एनडीए की भाजपा सरकार इस परियोजना की कल्पना तक नहीं कर पाई थी। इसलिए अब परियोजना को भाजपा पचा नहीं पा रही है।
प्रदेश सरकार को अभी तक रेल ट्रैक और स्टेशनों के लिए भूमि का प्रस्ताव नहीं मिला है।
- दिवाकर भट्ट
राजस्व मंत्री
प्रदेश सरकार को रेल परियोजना के लिए खुद ही भूमि की पेशकश कर देनी चाहिए थी।
-सतपाल महाराज गढ़वाल सांसद
amar ujala

 

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