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Should Gairsain Be Capital? - क्या उत्तराखंड की राजधानी गैरसैण होनी चाहिए?

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एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
revelent news on the subject.

स्थायी राजधानी: दीक्षित आयोग को एक और विस्तार 

देहरादून। स्थायी राजधानी चयन के लिए गठित दीक्षित आयोग को सरकार ने छह महीने का और विस्तार दे दिया है। यानि अब आयोग को अगले साल मार्च तक तीसरे चरण की फिजिबिलिटी रिपोर्ट देने की छूट मिल गई है। इस बीच, आयोग अध्यक्ष ने आज दिल्ली स्थित स्कूल आफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर के प्रोफेसर महावीर से मुलाकात कर अभी तक की प्रगति की जानकारी ली।

उत्तराखंड के वजूद में आने के बाद से ही स्थायी राजधानी को लेकर अटकलों का दौर चल रहा है। सरकार ने इसके लिए बाकायदा आयोग गठित कर सेवानिवृत्त जस्टिस विरेंद्र दीक्षित को यह जिम्मा सौंपा हुआ है। राजधानी के लिए चार क्षेत्रों गैरसैंण, आईडीपीएल-ऋषिकेश, काशीपुर-रामनगर और देहरादून में संभावनाएं तलाशी जा रही हैं। दिल्ली स्थित स्कूल आफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर को रिमोट सेंसिंग एजेंसी हैदराबाद की मदद से फिजिबिलिटी रिपोर्ट तैयार करनी है। तलाशे गए स्थल भूगर्भीय दृष्टि से कितने उपयुक्त हैं, इसका पता लगाने के लिए ऐसा कराया जा रहा है। इसी रिपोर्ट के आधार पर आयोग को सरकार को अपनी सिफारिश देनी हैं। एसपीए को कुल 24 इमेजेज दी जानी हैं। एसपीए इनके आने के बाद करीब दो महीने बाद अपनी रिपोर्ट देने की बात कर रहा है, जबकि आयोग का कहना है कि तीसरे चरण की फिजिबिलिटी रिपोर्ट आने के बाद उन्हें अपनी रिपोर्ट तैयार करने में कम से कम दो महीने का समय लगेगा। वैसे भी विशेषज्ञों की रिपोर्ट के पहले वह किसी क्षेत्र विशेष के बारे में रिपोर्ट नहीं दे सकते। चूंकि बीते रोज आयोग का कार्यकाल खत्म हो गया था। लिहाजा, आज सरकार ने इसे छह महीने के लिए और बढ़ा दिया। इस प्रकार अभी तक आठ बार आयोग को विस्तार दिया जा चुका है। मुख्य सचिव एसके दास ने गुरुवार को कार्यकाल बढ़ाने की पुष्टि की।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:

Now time has come. Something should be done on this regard.


--- Quote from: M S Mehta on November 02, 2007, 11:17:17 AM ---revelent news on the subject.

स्थायी राजधानी: दीक्षित आयोग को एक और विस्तार 

देहरादून। स्थायी राजधानी चयन के लिए गठित दीक्षित आयोग को सरकार ने छह महीने का और विस्तार दे दिया है। यानि अब आयोग को अगले साल मार्च तक तीसरे चरण की फिजिबिलिटी रिपोर्ट देने की छूट मिल गई है। इस बीच, आयोग अध्यक्ष ने आज दिल्ली स्थित स्कूल आफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर के प्रोफेसर महावीर से मुलाकात कर अभी तक की प्रगति की जानकारी ली।

उत्तराखंड के वजूद में आने के बाद से ही स्थायी राजधानी को लेकर अटकलों का दौर चल रहा है। सरकार ने इसके लिए बाकायदा आयोग गठित कर सेवानिवृत्त जस्टिस विरेंद्र दीक्षित को यह जिम्मा सौंपा हुआ है। राजधानी के लिए चार क्षेत्रों गैरसैंण, आईडीपीएल-ऋषिकेश, काशीपुर-रामनगर और देहरादून में संभावनाएं तलाशी जा रही हैं। दिल्ली स्थित स्कूल आफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर को रिमोट सेंसिंग एजेंसी हैदराबाद की मदद से फिजिबिलिटी रिपोर्ट तैयार करनी है। तलाशे गए स्थल भूगर्भीय दृष्टि से कितने उपयुक्त हैं, इसका पता लगाने के लिए ऐसा कराया जा रहा है। इसी रिपोर्ट के आधार पर आयोग को सरकार को अपनी सिफारिश देनी हैं। एसपीए को कुल 24 इमेजेज दी जानी हैं। एसपीए इनके आने के बाद करीब दो महीने बाद अपनी रिपोर्ट देने की बात कर रहा है, जबकि आयोग का कहना है कि तीसरे चरण की फिजिबिलिटी रिपोर्ट आने के बाद उन्हें अपनी रिपोर्ट तैयार करने में कम से कम दो महीने का समय लगेगा। वैसे भी विशेषज्ञों की रिपोर्ट के पहले वह किसी क्षेत्र विशेष के बारे में रिपोर्ट नहीं दे सकते। चूंकि बीते रोज आयोग का कार्यकाल खत्म हो गया था। लिहाजा, आज सरकार ने इसे छह महीने के लिए और बढ़ा दिया। इस प्रकार अभी तक आठ बार आयोग को विस्तार दिया जा चुका है। मुख्य सचिव एसके दास ने गुरुवार को कार्यकाल बढ़ाने की पुष्टि की।

--- End quote ---

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
Extension to Dikshit panel upsets UKD
 
Saturday November 3, 12:37 AM
THE B.C. Khanduri government's decision to grant another six-month extension to the Justice Birendra Dikshit Commission to chose Uttarakhand's permanent capital has irked coalition partner Uttarakhand Kranti Dal.

Ending weeks of speculation, the state government passed an order on Thursday allowing the commission time till April next year to submit its third and final feasibility report on selecting a permanent capital for the new state. The present move is the ninth extension granted to the one-man commission, which was first set up in January 2000 by the interim BJP government with the aim of finding a suitable capital for the state.

"The Dikshit Commission has failed to submit its report despite taking up so much time. Another extension would mean nothing but wastage of public money," said senior UKD leader Kashi Singh Airy. Desisting from targeting the government, several UKD leaders are also saying that another extension granted to the commission is totally against the wishes of the public and the party would oppose the move.

Ever since coming into existence, the Dikshit Commission is studying four places -Gairsain, IDPL-Rishikesh, Kashipur-Ramnagar and Dehradun with the possibility of building Uttarakhand's permanent Capital. Although the commission has submitted two feasibility reports to the government, the final report would be submitted after it gets a report from Delhi-based School of Planning and Architecture, which is still waiting for satellite images of the four places from Remote Sensing Agency, Hyderabad.

According to reports, SPA has received 19 of the total 24 images from the Hyderabad agency. It is expected to submit its report to the commission in another two months. The final report is likely to be submitted

Uttarakhandi:

--- Quote from: पंकज सिंह महर on October 10, 2007, 12:26:02 PM ---इन सब के लिये आवश्यक है कि राजधानी को जनभावनाओं के अनुरूप तत्काल गैरसैंण में स्थापित किया जाय. जहां तक आयोग की रिपोर्ट का प्रश्न है, उसकी हमें जरूरत ही नही है,
१-आयोग गैरसैंण के लिये भूकम्प की द्रष्टि से संवेदनशील होने की बात करता है तो मैं यह भी जानना चाहूंगा कि उत्तराखण्ड में वह कौन सा स्थान है जो भूकम्प की द्रष्टि से संवेदनशील न हो?
२- आयोग पानी की कमी बता रहा है तो मैं यह भी जानना चाहूंगा कि उत्तराखण्ड में हरिद्वार को छोडकर और कहां पर पानी है, आज भी देहरादून, पौडी, अल्मोडा, पिथौरागढ में लोग पानी के लिये कनस्तर ले कर लाइन मे लगे रहते है.
      उक्त बिन्दुओं के आलोक में यही निष्कर्ष निकला कि आयोग की रिपोर्ट की हमें जरूरत ही नही है, जरूरत इस मुद्दे पर राजनीति करने की भी नहीं है. बस जरूरत है द्र्ढ संकल्प की, यदि हमने अभी कदम नहीं उठाया और इस मामले को राजनीति और आयोगों में उलझाते रहे तो फिर हमारा भी हाल पंजाब और हरियाणा जैसा ही होगा. यह स्थान राज्य के मध्य मे है, जनभावनाओं के अनुरूप है और शहीदों का संकल्प भी है, जैसा मैने पहले भी कहा कि गैरसैंण हमारे उत्तराखण्ड के लोगों के लिये मात्र जगह नही है, गैरसैंण हमारे आन्दोलनकारियों का सपना है, उत्तराखण्डियों की भावना है, एक विचार है, एक सपना है. और हमें इस सपने को हर हाल में पूरा करना ही होगा.
        सरकारें तो इस पर कु्छ करेंगी नही, अब जनता को ही निर्णय करना होगा और एक नया आन्दोलन गैरसैंण के लिये करना होगा.

--- End quote ---


mahar ji ye kaisa tark hua kee chunki pithoragarh, almorah paudi deharadun sab jagah line lagti hai toh Uttarakhand kee rajdhani mein bhee is tarah kee line lagne do....

apne suna nahi rahiman paani rakhiye bin paani sab sun...

bhukam toh theek hai sare pahad mein bhukamp atte rahate hai lekin bhai bina paani ke rajdhani kee baat socchna..... :-\ :-\ :-\

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:

I also endorse the views of Cogress party on this subject.


--- Quote from: M S Mehta on November 08, 2007, 09:34:34 AM ---राजधानी के मुद्दे पर स्थिति स्पष्ट करे भाजपा व कांग्रेसNov 08, 02:31 am

बागेश्वर। उत्तराखंड पंचायती वन संघर्ष संगठन द्वारा राज्य स्थापना दिवस पर गोष्ठी आयोजित की गई। गोष्ठी में वक्ताओं ने कहा कि भाजपा व कांग्रेस को यह स्पष्ट करना चाहिए कि वे गैरसेंण राजधानी बनाए जाने के पक्ष में है या नहीं। कहा कि राज्य में आज भी जनता को उसके अधिकारों से वंचित रखा गया है।

बैठक में वक्ताओं ने कहा कि राज्य की स्थापना दिवस पर विविध कार्यक्रम तो आयोजित किए जाते है परंतु आज भी यह राज्य का दुर्भाग्य है कि राज्य की स्थायी राजधानी किसी पहाड़ी क्षेत्र में नहीं है। गोष्ठी में वक्ताओं ने राज्य की पहाड़ी भाषा को लिपिबद्ध करने व कुमाऊंनी व गढ़वाली संस्कृति को विकसित करने के लिए गम्भीर प्रयास करने की आवश्यकता जताई। कहा कि अगर राज्य में पहाड़ी भाषा की यही उपेक्षा रही तो आने वाले समय में हम अपनी क्षेत्रीय भाषा के अस्तित्व को ही भूल जाएंगे। वक्ताओं ने भाजपा व कांग्रेस के नेताओं से पूछा कि राजधानी के मुद्दे पर दीक्षित आयोग का कार्यकाल बढ़ाते जाने के बजाय उन्हे यह बताना चाहिए कि उनकी राजधानी के बारे में क्या राय है। उन्होंने दीक्षित आयोग को पाखंड करार देते हुए जनता के साथ धोखा बताया। इस दौरान राज्य आंदोलन के दौरान शहीद हुए आंदोलनकारियों को श्रद्धांजलि प्रदान की गई।



--- End quote ---

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