देहरादून, जागरण संवाददाता: चालू विधानसभा सत्र में ही गैरसैंण को प्रदेश की स्थाई राजधानी बनाने संबंधी विधेयक पारित करने की मांग को लेकर विभिन्न आंदोलनकारी संगठन सड़कों पर उतर आए। विधानसभा कूच कर रहे आंदोलनकारियों को बीच रास्ते में ही रोके जाने पर उनकी पुलिस कर्मियों के साथ हल्की-फुल्की धक्कामुक्की भी हुई। साथ ही, एसडीएम चकराता के मार्फत मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजा। पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार उत्तराखंड महिला मंच, उत्तराखंड लोक वाहिनी, भाकपा माले आदि आंदोलनकारी संगठनों से जुड़े कार्यकर्ता सोमवार सुबह कचहरी स्थित शहीद स्मारक पर एकत्र हो गये। गैरसैंण को प्रदेश की स्थाई राजधानी घोषित करने की मांग को लेकर जुलूस की शक्ल में विधानसभा की ओर कूच कर दिया। गैरसैंण के समर्थन और दीक्षित अयोग के खिलाफ नारेजाबी करते प्रदर्शनकारी जैसे ही रिस्पना पुल के समीप पहुंचे, वहां तैनात पुलिस कर्मियों ने उन्हें बैरिकेडिंग लगाकर रोक लिया। बैरिकेडिंग पार करने के प्रयास में प्रदर्शनकारियों की पुलिस कर्मियों के साथ कुछ देर धक्कामुक्की हुई और बाद में सड़क पर ही बैठ गये। यहां आयोजित सभा में उत्तराखंड लोक वाहिनी के शमशेर सिंह बिष्ट ने उन्होंने आरोप लगाया कि वर्ष 2000 में पारित उत्तर प्रदेश पुनर्गठन विधेयक में गैरसैंण को उत्तराखंड की राजधानी नहीं बनाया गया, जबकि अन्य दो नये राज्यों झारखंड व छत्तीसगढ़ को उनकी राजधानियां दे दी गई। प्रदर्शनकारियों में कमला पंत, राजीव लोचन शाह, कमल जोशी शामिल थे।
पूर्व सैनिकों में भी आक्रोश
राजधानी आयोग की रिपोर्ट में गैरसैंण को कमतर आंकने पर पूर्व सैनिकों व अर्द्धसैनिकों ने आक्रोश जताया। इस मुद्दे पर चर्चा के लिए आयोजित बैठक में उन्होंने कहा कि 13 में नौ पर्वतीय राज्यों वाले राज्य की राजधानी पर्वतीय क्षेत्र में ही होनी चाहिए। बैठक में राज्य आंदोलनकारियों के चिह्नीकरण पर भी चर्चा की कई। उत्तराखंड पूर्व सैनिक व अर्द्धसैनिक संयुक्त संगठन की बैठक में जनमत के विरुद्ध गैरसैंण को राजधानी के लिए उपयुक्त न मानने को लेकर आक्रोश व्यक्त किया गया। संगठन के संरक्षक एवं प्रवक्ता जितेंद्र मोहन शर्मा ने कहा कि पर्वतीय क्षेत्र के समग्र विकास के लिए राज्य का गठन किया था। राज्य में 13 में से नौ जनपद विशुद्ध पर्वतीय हैं, राज्य की राजधानी भी पर्वतीय क्षेत्र मे ही होनी चाहिए। इस अवसर पर माधवानंद बंदूनी, राजेंद्र प्रसाद कोटनाला, केपी जोशी, सुरेंद्र पंवार, दरबान सिंह, कमल सिंह रौथाण, धन सिंह धानी आदि मौजूद थे।