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Do you feel that the Capital of Uttarakhand should be shifted Gairsain ?

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No
26 (19%)
Yes But at later stage
9 (6.6%)
Can't say
5 (3.6%)

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Voting closed: March 21, 2024, 12:04:57 PM

Author Topic: Should Gairsain Be Capital? - क्या उत्तराखंड की राजधानी गैरसैण होनी चाहिए?  (Read 349357 times)

पंकज सिंह महर

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देहरादून। लोक वाहिनी के शमशेर सिंह बिष्ट ने कहा कि भाजपा और कांग्रेस ने दीक्षित आयोग का गठन गैरसैंण को दरकिनार करने के लिए किया था। इसकी रिपोर्ट से यह साबित हो गया है।

हिंदी भवन में पत्रकारों से बातचीत करने हुए श्री बिष्ट ने कहा कि उत्तराखंड आंदोलन की परिकल्पना के साथ ही गैरसैंण को राजधानी के रूप में मान्यता मिल गई थी। कौशिक समिति ने इसकी पुष्टि की लेकिन इस मामले को ही हाशिये में डालने के लिए भाजपा व कांग्रेस की मिलीभगत से राज्य के साथ स्थायी राजधानी की घोषणा नहीं की गई। इस अवसर पर महिला मंच की कमला पंत ने कहा कि सोमवार को विभिन्न जन संगठन शहीद स्थल से विधानसभा तक कूच करेंगे। मुख्य मुद्दा दीक्षित आयोग का विरोध होगा। उन्होंने कहा कि दीक्षित आयोग के तर्क पूरी तरह जन विरोधी और गलत तथ्यों पर आधारित हैं। गैरसैंण में रेल, हवाई यातायात नहीं है, इसीलिए तो वहां राजधानी बनाने की मांग की जा रही है, ताकि वहां भी सुविधाएं जुटाई जा सकें। रेल लाइन पहुंचे और हवाई यातायात की सुविधा मिल सके। उन्होंने कहा कि राजधानी आंदोलन को भी अब उत्तराखंड राज्य आंदोलन की तरह लड़ा जाएगा। इस अवसर पर त्रेपन चौहान, कमल जोशी, गिरिजा पाठक और राजीव लोचन शाह मौजूद थे।

हेम पन्त

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It seems main personalties of State Movement have started puting their efforts collectively on Gairsain issue now...

देहरादून। लोक वाहिनी के शमशेर सिंह बिष्ट ने कहा कि भाजपा और कांग्रेस ने दीक्षित आयोग का गठन गैरसैंण को दरकिनार करने के लिए किया था। इसकी रिपोर्ट से यह साबित हो गया है।

हिंदी भवन में पत्रकारों से बातचीत करने हुए श्री बिष्ट ने कहा कि उत्तराखंड आंदोलन की परिकल्पना के साथ ही गैरसैंण को राजधानी के रूप में मान्यता मिल गई थी। कौशिक समिति ने इसकी पुष्टि की लेकिन इस मामले को ही हाशिये में डालने के लिए भाजपा व कांग्रेस की मिलीभगत से राज्य के साथ स्थायी राजधानी की घोषणा नहीं की गई। इस अवसर पर महिला मंच की कमला पंत ने कहा कि सोमवार को विभिन्न जन संगठन शहीद स्थल से विधानसभा तक कूच करेंगे। मुख्य मुद्दा दीक्षित आयोग का विरोध होगा। उन्होंने कहा कि दीक्षित आयोग के तर्क पूरी तरह जन विरोधी और गलत तथ्यों पर आधारित हैं। गैरसैंण में रेल, हवाई यातायात नहीं है, इसीलिए तो वहां राजधानी बनाने की मांग की जा रही है, ताकि वहां भी सुविधाएं जुटाई जा सकें। रेल लाइन पहुंचे और हवाई यातायात की सुविधा मिल सके। उन्होंने कहा कि राजधानी आंदोलन को भी अब उत्तराखंड राज्य आंदोलन की तरह लड़ा जाएगा। इस अवसर पर त्रेपन चौहान, कमल जोशी, गिरिजा पाठक और राजीव लोचन शाह मौजूद थे।


एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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fromgaurav pande <reachgauravpande@yahoo.com>
reply-tokumaoni-garhwali@yahoogroups.com

tokumaoni-garhwali@yahoogroups.com

dateMon, Jul 20, 2009 at 2:09 PM
subjectRe: [Kumauni-Garhwali] UTTARAKHAND CAPITAL ISSUE
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  namaskar
bhai loggo
vikas alag cheez hai yadi aap log vikas ki bat akr rahe ho yo mein aap ke sath fun sur sab aap ke sath lekin agar aap capital shift shrif emotion ke leye kar rahe hai to bekar hai aur kuch nahi kaphi rs kharch ho gaya hai ab koi makshad nahi banta
thanks
gaurav pande
+91 9873547936

पंकज सिंह महर

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देहरादून, जागरण संवाददाता: चालू विधानसभा सत्र में ही गैरसैंण को प्रदेश की स्थाई राजधानी बनाने संबंधी विधेयक पारित करने की मांग को लेकर विभिन्न आंदोलनकारी संगठन सड़कों पर उतर आए। विधानसभा कूच कर रहे आंदोलनकारियों को बीच रास्ते में ही रोके जाने पर उनकी पुलिस कर्मियों के साथ हल्की-फुल्की धक्कामुक्की भी हुई। साथ ही, एसडीएम चकराता के मार्फत मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजा। पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार उत्तराखंड महिला मंच, उत्तराखंड लोक वाहिनी, भाकपा माले आदि आंदोलनकारी संगठनों से जुड़े कार्यकर्ता सोमवार सुबह कचहरी स्थित शहीद स्मारक पर एकत्र हो गये। गैरसैंण को प्रदेश की स्थाई राजधानी घोषित करने की मांग को लेकर जुलूस की शक्ल में विधानसभा की ओर कूच कर दिया। गैरसैंण के समर्थन और दीक्षित अयोग के खिलाफ नारेजाबी करते प्रदर्शनकारी जैसे ही रिस्पना पुल के समीप पहुंचे, वहां तैनात पुलिस कर्मियों ने उन्हें बैरिकेडिंग लगाकर रोक लिया। बैरिकेडिंग पार करने के प्रयास में प्रदर्शनकारियों की पुलिस कर्मियों के साथ कुछ देर धक्कामुक्की हुई और बाद में सड़क पर ही बैठ गये। यहां आयोजित सभा में उत्तराखंड लोक वाहिनी के शमशेर सिंह बिष्ट ने उन्होंने आरोप लगाया कि वर्ष 2000 में पारित उत्तर प्रदेश पुनर्गठन विधेयक में गैरसैंण को उत्तराखंड की राजधानी नहीं बनाया गया, जबकि अन्य दो नये राज्यों झारखंड व छत्तीसगढ़ को उनकी राजधानियां दे दी गई। प्रदर्शनकारियों में कमला पंत, राजीव लोचन शाह, कमल जोशी शामिल थे।

पूर्व सैनिकों में भी आक्रोश

राजधानी आयोग की रिपोर्ट में गैरसैंण को कमतर आंकने पर पूर्व सैनिकों व अ‌र्द्धसैनिकों ने आक्रोश जताया। इस मुद्दे पर चर्चा के लिए आयोजित बैठक में उन्होंने कहा कि 13 में नौ पर्वतीय राज्यों वाले राज्य की राजधानी पर्वतीय क्षेत्र में ही होनी चाहिए। बैठक में राज्य आंदोलनकारियों के चिह्नीकरण पर भी चर्चा की कई। उत्तराखंड पूर्व सैनिक व अ‌र्द्धसैनिक संयुक्त संगठन की बैठक में जनमत के विरुद्ध गैरसैंण को राजधानी के लिए उपयुक्त न मानने को लेकर आक्रोश व्यक्त किया गया। संगठन के संरक्षक एवं प्रवक्ता जितेंद्र मोहन शर्मा ने कहा कि पर्वतीय क्षेत्र के समग्र विकास के लिए राज्य का गठन किया था। राज्य में 13 में से नौ जनपद विशुद्ध पर्वतीय हैं, राज्य की राजधानी भी पर्वतीय क्षेत्र मे ही होनी चाहिए। इस अवसर पर माधवानंद बंदूनी, राजेंद्र प्रसाद कोटनाला, केपी जोशी, सुरेंद्र पंवार, दरबान सिंह, कमल सिंह रौथाण, धन सिंह धानी आदि मौजूद थे।

पंकज सिंह महर

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Capital Issue:State agitationists attempt to storm House
« Reply #284 on: July 21, 2009, 01:11:38 PM »

Women activists from various social and political organisations protest outside the
state assembly in Dehradun on Monday.
Tribune photo : Anil P. Rawat

Tribune News Service

Dehradun, July 20
Various associations of Uttarakhand state agitationists today staged a joint protest outside the State Legislative Assembly demanding that Garsain should be made permanent capital of the state with immediate effect.

The protesters also tried to barge into the assembly, but the police prevented them from doing so. In the process, a minor scuffle also ensued.

Ever since the Dixit Commission report was tabled in the assembly, pro-Garsain activists have been protesting against the government as the report has rejected Garsain as the site for relocating the permanent capital of Uttarakhand.

Various associations have also submitted a memorandum to Chief Minister Dr Ramesh Pokhriyal Nishank in this regard. A copy of the memorandum released to mediapersons mentioned that people of Uttarakhand had never accepted Dehradun as the state capital.

“There has already been a long delay in making Garsain the capital of Uttarakhand. It will be wrong to delay it further,” opined Shamsher Singh, Kamal Joshi and Kamla Pant, who represented various associations.

Charu Tiwari

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कोई देवभूमि नाम के सज्जन हैं जिन्होंने अपना नाम तो नहीं बताया लेकिन बहुत जल्दीबाजी में उसी तरह राजधानी के बारे में बयान दे दिया जैसे इंकाउंटर करने वाला पुलिस अफसर करता है। वह जनविरोध के लिये वे सारे कुतर्क इकट्ठा करता है जो लगें तो लोगों को सही लेकिन लोग उसकी इस करामात से सहमत भी न  हों। दीक्षित आयोग और सरकार की मंशा और उसे आगे बढ़ाने और मजबूती प्रदान करने के लिये देवभूमि जी को प्रणाम। यह प्रणाम इसलिये भी है क्योंकि उत्तराखंड को सरकारी चश्मे से देखने वाले लोग एक समय बाद जनता के सड़क में आने के बाद चूहों की मानिद बिलों में घुसते हैं। यह बात मैं इसलिये कह रहा हूं कि 25 साल पहले उत्तराखंड राज्य की मांग को देशद्रोही कहने वाले लोगों को तीस साल चले व्यापक जनआंदोलन के बाद झग मारकर राज्य का समर्थन करना पड़ा। तीन दशक तक निरंतर चले आंदोलन को तोड़ने में लगी भाजपा और कांग्रेस जैसे राष्टीयय दलों को वहां की जनता ने सबक सिखाया। राज्य बनने के आठ साल में भी राजधानी के साथ वही हुआ  जो राज्य निर्माण के साथ हुआ था। लोग कहते थे कि उत्तराखंड राज्य बन ही नहीं सकता। बन  गया न राज्य........ देख लिया आपने अपनी आंखों से। अगर ये सज्जन राज्य आंदोलन के आसपास कहीं फटके होंगे तो इन्हें आज भी उस आंदोलन की तपिस महसूस होनी चाहिये। वह तपिस जिसमें हमने  अपने 42 लोग खोये, मां-बहिनों के साथ दुराचार सहा। तब भी हम कायरों की तरह भाजपा-कांग्रंेस या किसी पहाड़ विरोधी दीक्षिति-फीक्षित आयोगों का इंतजार नहीं कर रहे थे। हम इस बात का इंतजार भी नहीं कर रहे थे कि कोई सरकार आयेगी हमें राज्य दे देगी। इसलिये जो लोग यह समझते हैं कि गैरसैंण राजधानी नहीं बनेगी, वे बहुत गलतफहमी में हैं। उन्हें अभी उस आंदोलन की कल्पना भी नहीं होगी जो आने वाले दिनों में पूरे पहाड़ में बारूद की तरह सुलग रहा है।

पंकज सिंह महर

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देहरादून, जागरण संवाददाता: गैरसैंण को राजधानी बनाने की मांग को लेकर उत्तराखंड क्रांति दल ने विधानसभा कूच किया। इस दौरान उक्रांद की दो नेत्रियों ने सुरक्षा प्रबंधों की पोल खोलते हुए विधानसभा के निकट लगी बैरेकेडिंग पर आत्मदाह का प्रयास किया। पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार कर लिया। दूसरी ओर, विधानसभा द्वार तक पहुंचे पांच अन्य उक्रांद कार्यकर्ताओं ने भी विस में दाखिल होने का प्रयास किया। उन्हें भी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। बाद में सभी को रिहा कर दिया गया। पूर्वनिर्धारित कार्यक्रम के तहत उक्रांद कार्यकर्ता रिस्पना पुल स्थित एलआईसी बिल्डिंग पर एकत्र हुए। वहां से रैली की शक्ल में कार्यकर्ताओं ने विस कूच किया। उक्रांद के प्रदर्शन को देखते हुए पुलिस प्रशासन ने बैरेकेडि़ग लगाकर सुरक्षा के कड़े प्रबंध किए हुए थे, लेकिन पुलिस के सभी प्रबंध धरे के धरे रह गए। उक्रांद नेत्री प्रमिला रावत ने अचानक अपने ऊपर मिट्टी तेल उड़ेल लिया। पुलिस माजरा समझ पाती इससे पहले ही एक और नेत्री बीना बहुगुणा ने भी अपने ऊपर मिट्टी तेल डाल आत्मदाह का प्रयास किया। मौके पर मौजूद पुलिस व एलआईयू कर्मियों ने बमुश्किल स्थिति पर काबू पाया। दोनों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। इस बीच पांच अन्य कार्यकर्ता मौके का फायदा उठाकर विस गेट तक जा पहुंचे। जगदीश चौहान, मनोज ममगांई, मनीष कुमार, आशू सिंह व संजय नौटियाल ने सुरक्षा व्यवस्थाओं को धत्ता बताते हुए विधानसभा गेट पर पहुंच गए और गैरसैंण को राजधानी बनाने की मांग पर जमकर नारेबाजी की। पुलिस ने मौके से पांचों को गिरफ्तार कर लिया। उधर, रिस्पना पुल पर बैरेकेडिंग के निकट उक्रांद कार्यकर्ताओं का साथियों की रिहाई व गैरसैंण को राजधानी बनाने की मांग को लेकर हंगामा जारी रहा। करीब डेढ़ घंटे बाद जब कार्यकर्ताओं को रिहा किया गया तब जाकर कार्यकर्ता एसडीएम ऋषिकेश के माध्यम से ज्ञापन देने को तैयार हुए। प्रदर्शनकारियों में महानगर अध्यक्ष शैलेश गुलेरी, सुनील, राजीव, सागर, गीता, गौरा देवी, अर्जुन, नारायण सिंह आदि शामिल थे।
दो उक्रांद नेत्रियों ने किया आत्मदाह का प्रयास
गैरसैंण को राजधानी बनाने की मांग को लेकर किया था विस कूच
कार्यकर्ताओं ने की विधानसभा में घुसने की कोशिश
महिला नेत्रियों समेत सात लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया, रिहा
विधानसभा के निकट की जोरदार नारेबाजी व प्रदर्शन

Mohan Bisht -Thet Pahadi/मोहन बिष्ट-ठेठ पहाडी

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aam ukd party karya karto ko itni chinta hai maharz rajdhani ki jo aatmdah par bhi utar aaye hai ....par baki bade neta ji to kevinet mantri ban kar ais kar rahe hai maharaz.. kya kahu.. kahna to mai bhi bahut chahata hoon per ... abhi nahi...

देहरादून, जागरण संवाददाता: गैरसैंण को राजधानी बनाने की मांग को लेकर उत्तराखंड क्रांति दल ने विधानसभा कूच किया। इस दौरान उक्रांद की दो नेत्रियों ने सुरक्षा प्रबंधों की पोल खोलते हुए विधानसभा के निकट लगी बैरेकेडिंग पर आत्मदाह का प्रयास किया। पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार कर लिया। दूसरी ओर, विधानसभा द्वार तक पहुंचे पांच अन्य उक्रांद कार्यकर्ताओं ने भी विस में दाखिल होने का प्रयास किया। उन्हें भी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। बाद में सभी को रिहा कर दिया गया। पूर्वनिर्धारित कार्यक्रम के तहत उक्रांद कार्यकर्ता रिस्पना पुल स्थित एलआईसी बिल्डिंग पर एकत्र हुए। वहां से रैली की शक्ल में कार्यकर्ताओं ने विस कूच किया। उक्रांद के प्रदर्शन को देखते हुए पुलिस प्रशासन ने बैरेकेडि़ग लगाकर सुरक्षा के कड़े प्रबंध किए हुए थे, लेकिन पुलिस के सभी प्रबंध धरे के धरे रह गए। उक्रांद नेत्री प्रमिला रावत ने अचानक अपने ऊपर मिट्टी तेल उड़ेल लिया। पुलिस माजरा समझ पाती इससे पहले ही एक और नेत्री बीना बहुगुणा ने भी अपने ऊपर मिट्टी तेल डाल आत्मदाह का प्रयास किया। मौके पर मौजूद पुलिस व एलआईयू कर्मियों ने बमुश्किल स्थिति पर काबू पाया। दोनों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। इस बीच पांच अन्य कार्यकर्ता मौके का फायदा उठाकर विस गेट तक जा पहुंचे। जगदीश चौहान, मनोज ममगांई, मनीष कुमार, आशू सिंह व संजय नौटियाल ने सुरक्षा व्यवस्थाओं को धत्ता बताते हुए विधानसभा गेट पर पहुंच गए और गैरसैंण को राजधानी बनाने की मांग पर जमकर नारेबाजी की। पुलिस ने मौके से पांचों को गिरफ्तार कर लिया। उधर, रिस्पना पुल पर बैरेकेडिंग के निकट उक्रांद कार्यकर्ताओं का साथियों की रिहाई व गैरसैंण को राजधानी बनाने की मांग को लेकर हंगामा जारी रहा। करीब डेढ़ घंटे बाद जब कार्यकर्ताओं को रिहा किया गया तब जाकर कार्यकर्ता एसडीएम ऋषिकेश के माध्यम से ज्ञापन देने को तैयार हुए। प्रदर्शनकारियों में महानगर अध्यक्ष शैलेश गुलेरी, सुनील, राजीव, सागर, गीता, गौरा देवी, अर्जुन, नारायण सिंह आदि शामिल थे।
दो उक्रांद नेत्रियों ने किया आत्मदाह का प्रयास
गैरसैंण को राजधानी बनाने की मांग को लेकर किया था विस कूच
कार्यकर्ताओं ने की विधानसभा में घुसने की कोशिश
महिला नेत्रियों समेत सात लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया, रिहा
विधानसभा के निकट की जोरदार नारेबाजी व प्रदर्शन


एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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It is sad to hear that people have to resort to an act. 

When there was demand for the separate state, people were saying that Uttarakhand will never become a separate state. However, there one voice from each corner of hill, make Uttarakhand a separate state.

Now again, there is same voice again and this will time also, this demand in interest of common will be met one day.

We salute these people who are continously protesting for the Capital.

देहरादून, जागरण संवाददाता: गैरसैंण को राजधानी बनाने की मांग को लेकर उत्तराखंड क्रांति दल ने विधानसभा कूच किया। इस दौरान उक्रांद की दो नेत्रियों ने सुरक्षा प्रबंधों की पोल खोलते हुए विधानसभा के निकट लगी बैरेकेडिंग पर आत्मदाह का प्रयास किया। पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार कर लिया। दूसरी ओर, विधानसभा द्वार तक पहुंचे पांच अन्य उक्रांद कार्यकर्ताओं ने भी विस में दाखिल होने का प्रयास किया। उन्हें भी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। बाद में सभी को रिहा कर दिया गया। पूर्वनिर्धारित कार्यक्रम के तहत उक्रांद कार्यकर्ता रिस्पना पुल स्थित एलआईसी बिल्डिंग पर एकत्र हुए। वहां से रैली की शक्ल में कार्यकर्ताओं ने विस कूच किया। उक्रांद के प्रदर्शन को देखते हुए पुलिस प्रशासन ने बैरेकेडि़ग लगाकर सुरक्षा के कड़े प्रबंध किए हुए थे, लेकिन पुलिस के सभी प्रबंध धरे के धरे रह गए। उक्रांद नेत्री प्रमिला रावत ने अचानक अपने ऊपर मिट्टी तेल उड़ेल लिया। पुलिस माजरा समझ पाती इससे पहले ही एक और नेत्री बीना बहुगुणा ने भी अपने ऊपर मिट्टी तेल डाल आत्मदाह का प्रयास किया। मौके पर मौजूद पुलिस व एलआईयू कर्मियों ने बमुश्किल स्थिति पर काबू पाया। दोनों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। इस बीच पांच अन्य कार्यकर्ता मौके का फायदा उठाकर विस गेट तक जा पहुंचे। जगदीश चौहान, मनोज ममगांई, मनीष कुमार, आशू सिंह व संजय नौटियाल ने सुरक्षा व्यवस्थाओं को धत्ता बताते हुए विधानसभा गेट पर पहुंच गए और गैरसैंण को राजधानी बनाने की मांग पर जमकर नारेबाजी की। पुलिस ने मौके से पांचों को गिरफ्तार कर लिया। उधर, रिस्पना पुल पर बैरेकेडिंग के निकट उक्रांद कार्यकर्ताओं का साथियों की रिहाई व गैरसैंण को राजधानी बनाने की मांग को लेकर हंगामा जारी रहा। करीब डेढ़ घंटे बाद जब कार्यकर्ताओं को रिहा किया गया तब जाकर कार्यकर्ता एसडीएम ऋषिकेश के माध्यम से ज्ञापन देने को तैयार हुए। प्रदर्शनकारियों में महानगर अध्यक्ष शैलेश गुलेरी, सुनील, राजीव, सागर, गीता, गौरा देवी, अर्जुन, नारायण सिंह आदि शामिल थे।
दो उक्रांद नेत्रियों ने किया आत्मदाह का प्रयास
गैरसैंण को राजधानी बनाने की मांग को लेकर किया था विस कूच
कार्यकर्ताओं ने की विधानसभा में घुसने की कोशिश
महिला नेत्रियों समेत सात लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया, रिहा
विधानसभा के निकट की जोरदार नारेबाजी व प्रदर्शन


D.N.Barola / डी एन बड़ोला

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Capital of Uttarakhand
« Reply #289 on: July 24, 2009, 04:02:21 PM »
It may not be possible to shift the Capital from Dehradun to Gairsen for the present. But it is possible to declare Gairsen as the Summer Capital of Uttarakhand. For the purpose a time bound programme to construct the Capital should be declared. The time period should not be more than five years. This way the aspirations of the hill people would be met and Gairsen and the adjoining areas would witness lot of development activity. (D.N.Barola)

 

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