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Do you feel that the Capital of Uttarakhand should be shifted Gairsain ?

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Voting closed: March 21, 2024, 12:04:57 PM

Author Topic: Should Gairsain Be Capital? - क्या उत्तराखंड की राजधानी गैरसैण होनी चाहिए?  (Read 248713 times)

हेम पन्त

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चारु दा, अपनी बात रखने के लिये धन्यवाद.. आम जनता तो हमेशा से ही गैरसैण को राजधानी बनते देखना चाह्ती है... लेकिन लोकतन्त्र होते हुये भी लोगों की इस अपेक्षा को पूरा न किया जाना बेह्द निराशाजनक बात है..

मेहर जी, आप लोगो ने यह ठीक ही किया की समय रहते स्थाई राजधानी का सवाल जिंदा राका है. राजनीतिक दल तों कभी नही  चाहते है कि उत्तराखंड के सरोकारों को आगे जाना चाहिय. राज्य का सवाल पर भी उनकी भूमिका नकारात्मक रही तब उनसे किसी प्रकार की उम्मीद करने की भूल हमें नही करनी चाहिय. जहा तक गरसैन का सवाल है उससे अलग राजदानी के बरिया  में सोचा भी नही जा सकता है .

पंकज सिंह महर

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मेहर जी, आप लोगो ने यह ठीक ही किया की समय रहते स्थाई राजधानी का सवाल जिंदा राका है. राजनीतिक दल तों कभी नही  चाहते है कि उत्तराखंड के सरोकारों को आगे जाना चाहिय. राज्य का सवाल पर भी उनकी भूमिका नकारात्मक रही तब उनसे किसी प्रकार की उम्मीद करने की भूल हमें नही करनी चाहिय. जहा तक गरसैन का सवाल है उससे अलग राजदानी के बरिया  में सोचा भी नही जा सकता है .

सत्य वचन चारु दा,
        गैरसैंण अब हमारे लिये मात्र प्रस्तावित राजधानी ही नहीं है, गैरसैंण से उत्तराखण्डियों की भावनायें जुड़ी है, गैरसैंण नाम उत्तराखण्ड के शहीदों का सपना है, हमें याद है, जब उत्तराखण्ड आन्दोलन प्रारम्भ हुआ तो उत्तराखण्ड की जनता ने एक स्वर में गैरसैंण को अपनी राजधानी माना था। जनता की आशाओं, अपेक्षाओं और भावना का सम्मान करने का दंभ भरने वाले हमारे दलों और सरकारों को हमारे इस एक स्वर की भावना का तो सम्मान करना चाहिये।

ना भाबर ना सैंण, राजधानी सिर्फ गैरसैंण[/b][/color]

betaal

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Anubhav / अनुभव उपाध्याय

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पंकज सिंह महर

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Gairsain... and no questions should be entertained...

बेताल जी, आपने सही फरमाया,
         गैरसैंण उत्तराखण्ड के लोगों की स्वयं स्फूर्त भावना है और हमारे नाम-अनाम शहीदों तथा आन्दोलनकारियों का सपना है। इसमें कोई IF या BUT नहीं होना चाहिये। इसके लिये किसी भी आयोग की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि कोई भी आयोग, जन भावनाऒं से ऊपर नहीं होता है।

पंकज सिंह महर

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देहरादून: उत्तराखंड संयुक्त संघर्ष मोर्चा ने गैरसैंण को स्थाई राजधानी बनाने की मांग पर राज्यव्यापी आंदोलन का निर्णय लिया है। इसके तहत 24 जुलाई को सचिवालय पर प्रदर्शन के साथ आंदोलन का आगाज किया जाएगा। आंदोलन में पूर्व सैनिकों समेत उत्तराखंड महिला मंच भी सक्रिय सहभाग करेंगे। बैठक में यह निर्णय लिया गया। गुरुवार को कचहरी परिसर स्थित शहीद स्मारक में आयोजित बैठक की अध्यक्षता करते हुए पूर्व सैनिक संगठन के अध्यक्ष गंगा सिंह रावत ने राज्य सरकार पर उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारियों की अनदेखी करने का आरोप लगाया। उत्तराखंड महिला मंच की निर्मला बिष्ट ने आरोप लगाया कि सभी राजनैतिक दलों ने राज्यवासियों का वोट बैंक के तौर पर दोहन किया है, लेकिन उनकी मांगों को अनसुना किया जा रहा है।
 

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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राजधानी चयन मामले पर उदासीन है सरकारJul 31, 11:33 pm

नैनीताल। राज्य गठन के आठ साल बाद भी सरकार स्थायी राजधानी चयन के मुद्दे पर गंभीर नहीं है। भाजपा सरकार भी पूर्ववर्ती कांग्रेस की राह पर चल रही है। दोनों दलों को जनता के हितों से कोई सरोकार नहीं है।

उत्तराखंड महिला मंच की गुरुवार को हुई बैठक में गैरसैंण राजधानी का मामला जोरशोर से उठा। बैठक में वक्ताओं ने कहा कि पहाड़ के विकास के लिए गैरसैंण राजधानी बनाने का सपना लोगों ने संजोया था लेकिन सरकार और विपक्ष एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाने में मगन है। गैरसैंण राजधानी बनाने की मांग राज्य में ही नहीं अब विदेशों में रहने वाले प्रवासी उत्तराखंडी भी उठाने लगे है। इस दौरान राजनीतिज्ञों व नौकरशाहों पर जनता की मांग को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया गया। बैठक में देहरादून में 14 करोड़ की लागत से बन रहे मुख्यमंत्री आवास को राज्य के आम लोगों के साथ धोखा बताया गया।

बैठक में कहा गया कि राजधानी तय न होने के बावजूद सीएम आवास का निर्माण करना सरकारी धन की बरबादी है। वक्ताओं का कहना था कि कांग्रेस-भाजपा की कोशिशों के बाद भी जनता पूरी तरह गैरसैंण को ही राजधानी बनाने की पक्षधर है। इस मौके पर भाजपा सरकार पर पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के पदचिन्हों पर चलने की तोहमत मढ़ी।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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राजधानी आयोग: विस्तार तो होगा पर चंद दिनों काAug 01, 11:48 pm

देहरादून। सूबे की स्थायी राजधानी के लिए स्थान सुझाव को गठित एक सदस्यीय राजधानी आयोग को एक बार फिर से विस्तार देने की तैयारी है। खास बात यह है कि इस बार विस्तार का समय महीनों की बजाय दिनों में होगा। मुख्यमंत्री चाहते हैं कि इस आयोग की साढ़े सात साल की कवायद की नतीजा तो सरकार के सामने आए।

जस्टिस वीरेंद्र दीक्षित आयोग का कार्यकाल अब तक कई बार बढ़ाया जा चुका है। एनडी तिवारी सरकार के समय में इसका कार्यकाल छह-छह महीनों के हिसाब से बढ़ाया गया। खंडूड़ी सरकार ने पहले तो विस्तार देने के मना कर दिया। फिर छह-छह माह के लिए दो बार विस्तार दिया। तीसरी बार तीन माह का विस्तार इस शर्त के साथ दिया कि आगे कार्यकाल नहीं बढ़ाया जाएगा। यह अवधि भी 31 जुलाई को खत्म हो गई और आयोग अपनी रिपोर्ट तैयार नहीं कर पाया। इससे पहले 25 जुलाई से सचिवालय कर्मी हड़ताल पर चले गए। यह हड़ताल 29 तक चली। आयोग ने इसी आधार पर सरकार को पत्र लिखा कि तैयारी पूरी हो चुकी है पर हड़ताल के कारण कागजात तैयार नहीं हो सके हैं। जाहिर है कि आयोग की मंशा एक और विस्तार की है। इस बारे में मुख्यमंत्री मेजर जनरल भुवन चंद्र खंडूड़ी ने बताया कि आयोग का कहना है कि हड़ताल के कारण काम पूरा नहीं हो सका। सरकार चाहती है कि आयोग पर खर्च हुआ धन जाया न हो। यही कारण है कि आयोग को कुछ दिनों का विस्तार दिया जाएगा। यह बात तय है कि अब विस्तार महीनों का नहीं होगा। सूत्रों ने बताया कि सरकार ने आयोग को महज 17 दिन सेवा विस्तार का मन बनाया है। छुंिट्टयां कम कर दी जाएं तो ये 17 दिन हड़ताल की अवधि के तीन गुने हैं।

पंकज सिंह महर

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राजधानी मसले पर उक्रांद गरम
« Reply #58 on: August 04, 2008, 09:48:47 AM »
देहरादून, जागरण प्रतिनिधि: राजधानी के मुद्दे पर उत्तराखंड क्रांति दल ने अब कड़ा रुख अख्तियार कर लिया है। उक्रांद ने दीक्षित आयोग को तत्काल भंग कर गैरसैंण को सूबे की स्थायी राजधानी घोषित करने की मांग को लेकर शनिवार को रैली निकालकर जिला मुख्यालय पर प्रदर्शन किया। दल ने कहा कि यदि आयोग का कार्यकाल बढ़ाए जाने को कतई सहन नहीं किया जाएगा। उक्रांद के केंद्रीय अध्यक्ष डा.नारायण सिंह जंतवाल की अगुवाई में दल के कार्यकर्ताओं ने कचहरी रोड स्थित केंद्रीय कार्यालय से जिला मुख्यालय तक रैली निकाली। प्रदर्शनकारियों ने प्रदेश सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। इस मौके पर डा.जंतवाल ने कहा कि राज्य निर्माण के बाद राजधानी चयन के लिए दीक्षित आयोग का गठन किया गया था, लेकिन आठ वर्ष बीतने के बाद भी आयोग ने अपनी रिपोर्ट सरकार को नहीं सौंपी है। उन्होंने कहा कि गैरसैंण दोनों मंडलों के बीच का क्षेत्र है व एक नया शहर बनाने के लिए दुधातोली से लेकर गैरसैंण चौखुटिया तक पर्याप्त भूमि उपलब्ध है। पूर्व में भी राजधानी गैरसैंण को बनाने की सिफारिश की गई थी। उन्होंने कहा कि इसके बावजूद प्रदेश सरकारें दीक्षित आयोग का कार्यकाल बार-बार बढ़ा कर जनभावनाओं से खिलवाड़ कर रही हैं। उन्होंने सरकार से इस आयोग को भंग कर गैरसैंण को राजधानी घोषित करने की मांग की। और ऐसा न होने पर आंदोलन की चेतावनी भी दी। प्रदर्शन में विवेकानंद खंडूड़ी, बीडी रतूड़ी, शैलेश गुलेरी, नारायण सिंह, शीशपाल सिंह, फुरकान अहमद, जगदीश चौहान आदि मौजूद थे।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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MERAPAHAD TOPIC ON PUNJAB KESHRI
« Reply #59 on: August 06, 2008, 12:14:18 PM »

read this article on Punjab Keshari..

http://www.punjabkesari.com/E-Pap/Uttrakhand/ut1.pdf

 

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