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Do you feel that the Capital of Uttarakhand should be shifted Gairsain ?

Yes
97 (70.8%)
No
26 (19%)
Yes But at later stage
9 (6.6%)
Can't say
5 (3.6%)

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Author Topic: Should Gairsain Be Capital? - क्या उत्तराखंड की राजधानी गैरसैण होनी चाहिए?  (Read 248713 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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MERAPAHAD FORUM CAPITAL ISSUE ON PUNJAB KESHRI..
« Reply #60 on: August 06, 2008, 12:44:23 PM »

We would like to thank Rajender Joshi JI for brining out the opinon of people of Uttarkahand on Punjab Keshri (uttarakhand) issue.

As we have been discussing on capital issue, people of Uttarakhand wish that the existing temporary capital of UK, should be shifted to Gairsain.

During the last 7 yrs of after formation of the state, UK have not seen any remarkable progress on any of the front. After shifting the capital, people expect some development in hill areas.


read this article on Punjab Keshari..

http://www.punjabkesari.com/E-Pap/Uttrakhand/ut1.pdf


Mohan Bisht -Thet Pahadi/मोहन बिष्ट-ठेठ पहाडी

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hanji bahut hi achchi news hai.. hum sabhi ke liye... aur thanks to rajender joshi ji..

Anubhav / अनुभव उपाध्याय

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Thanks Rajendra Joshi ji is samasya ko Punjab Kesri ke maadhyam se uthane ke liye.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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राजधानी आयोग: विस्तार तो होगा पर चंद दिनों काAug 01, 11:48 pm

देहरादून। सूबे की स्थायी राजधानी के लिए स्थान सुझाव को गठित एक सदस्यीय राजधानी आयोग को एक बार फिर से विस्तार देने की तैयारी है। खास बात यह है कि इस बार विस्तार का समय महीनों की बजाय दिनों में होगा। मुख्यमंत्री चाहते हैं कि इस आयोग की साढ़े सात साल की कवायद की नतीजा तो सरकार के सामने आए।

जस्टिस वीरेंद्र दीक्षित आयोग का कार्यकाल अब तक कई बार बढ़ाया जा चुका है। एनडी तिवारी सरकार के समय में इसका कार्यकाल छह-छह महीनों के हिसाब से बढ़ाया गया। खंडूड़ी सरकार ने पहले तो विस्तार देने के मना कर दिया। फिर छह-छह माह के लिए दो बार विस्तार दिया। तीसरी बार तीन माह का विस्तार इस शर्त के साथ दिया कि आगे कार्यकाल नहीं बढ़ाया जाएगा। यह अवधि भी 31 जुलाई को खत्म हो गई और आयोग अपनी रिपोर्ट तैयार नहीं कर पाया। इससे पहले 25 जुलाई से सचिवालय कर्मी हड़ताल पर चले गए। यह हड़ताल 29 तक चली। आयोग ने इसी आधार पर सरकार को पत्र लिखा कि तैयारी पूरी हो चुकी है पर हड़ताल के कारण कागजात तैयार नहीं हो सके हैं। जाहिर है कि आयोग की मंशा एक और विस्तार की है। इस बारे में मुख्यमंत्री मेजर जनरल भुवन चंद्र खंडूड़ी ने बताया कि आयोग का कहना है कि हड़ताल के कारण काम पूरा नहीं हो सका। सरकार चाहती है कि आयोग पर खर्च हुआ धन जाया न हो। यही कारण है कि आयोग को कुछ दिनों का विस्तार दिया जाएगा। यह बात तय है कि अब विस्तार महीनों का नहीं होगा। सूत्रों ने बताया कि सरकार ने आयोग को महज 17 दिन सेवा विस्तार का मन बनाया है। छुंिट्टयां कम कर दी जाएं तो ये 17 दिन हड़ताल की अवधि के तीन गुने हैं।


The findings / report of Rajdhani Aayog is shortly to come. This is one of the most outstanding issue after the formation of Uttarakhand state. It has also sentimental connection with many people who kith and kins lost thier lives during UK state struggle.

Let us wait what are the reccomendation of Rajdhani Aayog.

हुक्का बू

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नान्तिनो,
     भौत भल करौ, यो सवाल तब तक ज्यून राखन छ, जब तक राजधानी गैरसैंण नै पुजी जानी। जस्से ले हौ......राजधानी गैरसैण पुजुनी छ, किले कि यो सिर्फ एक जागा को नाम नैहतिन....यो हमार आन्दोलनकारी और शहीदों को सपना छ, उत्तराखण्ड का लोगन की भावना छ।
     यो उत्तराखण्ड बनुना लिजि ४ मैना को आन्दोलन भौ, उ आन्दोलन में हमार ४२ आदिम शहीद भईं और आजादी की लड़ै में पुरा उत्तराखण्ड भटी १६ लोग शहीद भ्यान।
     गैरसैण राजधानी लि झा बेरे हम इन आन्दोलनकारी और शहीदन्क सच्ची श्रद्धांजलि दि पाल।

हेम पन्त

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बूबू सही कूंछा तुम!!! लेकिन इन नासमझ नेता न कें को समझालो?

sanjupahari

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ye bahut hi motivation ki baat hai ki fir se Rajdhani ka mudda garam hoo raha hai....ham sabhi www ke logoon ko iske liye apne level pe taiyyari karni chahiye...mera pura sahyoog rahega har ratah se her level pe....JAI UTTARAKHAND

Anubhav / अनुभव उपाध्याय

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Rajdhani ka mudda jab tak rajdhani Gairsen nahi ban jaati garma hi rahna chahiye.

पंकज सिंह महर

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देहरादून। उत्तराखंड राजधानी स्थल चयन आयोग ने सरकार को रिपोर्ट सौंप दी है। आज आयोग अध्यक्ष न्यायमूर्ति वीरेंद्र दीक्षित ने मुख्यमंत्री बीसी खंडूड़ी से मुलाकात कर उन्हें रिपोर्ट की प्रति सौंपी।

स्थायी राजधानी के संबंध में संस्तुति देने के लिए गठित आयोग का कार्यकाल जब 11वीं बार बढ़ाया गया था, तभी संकेत मिल गए थे कि आयोग जल्द ही रिपोर्ट सरकार को सौंपने की तैयारी में है। आयोग ने निर्धारित समय पर रिपोर्ट तैयार करने का कार्य पूरा किया। आज सुबह करीब साढ़े 11 बजे आयोग अध्यक्ष न्यायमूर्ति वीरेंद्र दीक्षित ने मुख्यमंत्री से मुलाकात की और रिपोर्ट सरकार के सुपुर्द कर दी। इसके बाद न्यायमूर्ति दीक्षित विधानसभा स्थित अपने कार्यालय पहुंचे। न्यायमूर्ति ने बताया कि रिपोर्ट सौंपने की तय समय सीमा में तैयार की गई। रिपोर्ट सौंपने के साथ ही आयोग का कार्यकाल भी आज समाप्त हो गया है। गौरतलब है कि स्थायी राजधानी के संबंध में आयोग का गठन 11 जनवरी 2001 को तत्कालीन अंतरिम सरकार ने किया था पर डेढ़ महीने बाद ही आयोग स्थगित कर दिया गया। इसके बाद वर्ष 2002 में एक सदस्यीय आयोग को पुनर्जीवित किया गया। एक फरवरी-03 से आयोग ने दोबारा कार्य प्रारंभ किया। सूत्रों ने बताया कि आयोग ने स्थल चयन के लिए मिली गाइडलाइन पर ही रिपोर्ट को अंतिम रूप दिया। बताया जा रहा है कि राजधानी के लिए प्रस्तावित स्थलों में गैरसैंण, रामनगर, देहरादून व आईडीपीएल को शामिल किया गया।

 

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