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Do you feel that the Capital of Uttarakhand should be shifted Gairsain ?

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Yes But at later stage
9 (6.6%)
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5 (3.6%)

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Voting closed: March 21, 2024, 12:04:57 PM

Author Topic: Should Gairsain Be Capital? - क्या उत्तराखंड की राजधानी गैरसैण होनी चाहिए?  (Read 348747 times)


एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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देवसिंह रावत गैरसैंण राजधानी बनने से होगी लोकशाही की जीत
 
 इससे खुलेगे उत्तराखण्ड विकास के द्वार
 
 उत्तराखण्ड राज्य गठन जनांदोलन में हमारी प्रमुखतः जो दो माग थी वह था उत्तराखण्ड राज्य का गठन करने व प्रदेश की राजधानी गैरसैंण बनाने की प्रमुखता से थी। परन्तु राज्य गठन के बाद जनतंत्र का गला घो।टने वाली सरकारों ने भले ही जन आक्रोश व जनदवाब को देखते हुए भले राज्य का गठन तो कर दिया परन्तु अपना अलोकतांत्रिक चेहरा खुद बेनकाब करते हुए प्रदेश का नाम उत्तराखण्ड रख दिया और राजधानी गैरसेंण बनाने के बजाय उसे षडयंत्र के तहत देहरादून में थोप दिया। यही नहीं राजधानी गैरसेंण न बने इसके लिए जहां एक तरफ राजधानी चयन आयोग जैसे टोटका प्रदेश के लोगों की आंखों में धूल झोंकने के लिए बना कर प्रदेश के करोड़ो रूपये के संसाधन एक दशक तक इस पर बर्बाद किये गये। वहीं दूसरी तरफ गुपचुप करके उत्तराखण्ड से द्रोह करके राजधानी बलात देहरादून में ही थोपते हुए यहां पर इससे सम्बंधित कई भवन तक बना दिये गये।
 जब खुद मैने प्रथम निर्वाचित मुख्यमंत्री तिवारी से उत्तराखण्ड निवास में गैरसेंण राजधानी बनाने के लिए आग्रह किया तो उन्होंने गुस्से में तमतमाते हुए कहा कि कैसे बनेगी गैरसेंण राजधानी मैने देहरादून में सभी कार्यालय बना दिये। यह मेरी पहचान साफ होने पर अपने गुस्से को काबू न रख सकने वाले भारत के दिग्गज तिवारी के मूंह से सच्चाई सच में छलक ही गयी।
 उसके बाद मैने मुख्यमंत्री बने भाजपा नेता खण्डूडी से इस राजधानी चयन आयोग को भंग न किये जाने पर सवाल किये तो उन्होंने बहुत ही मासूमियत से जवाब दिया कि उन्होने अभी अपनी रिपोर्ट ही सरकार को नहीं सौंपी। मैने खण्डूडी जी से सवाल किया कि आप लोगों ने क्या इस आयोग के अध्यक्ष की पेंशन लगा दी है। क्या जरूरत है उनकी रिपोर्ट की। जिस सवाल को लोगों ने सबसे पहले सुलझा दिया उसमें प्रदेश के संसाधन व समय क्यों नष्ट किये जा रहे है।
 उसके कई महिनों बाद इस आयोग की रिपोर्ट सरकार को सोंपी। न तो खण्डूडी जी ने व नहीं उसके बाद मुख्यमंत्री बने निशंक ने इस दिशा में कुछ काम किया। मैने निशंक जी से मुख्यमंत्री बनने के बाद उत्तराखण्ड निवास में आधा घण्टा की खुली चर्चा की थी जिसमें एक दर्जन से अधिक देश की प्रबुद्ध मीडिया, चार दर्जाधारी व प्रदेश सरकार के कई अधिकारी भी उपस्थित थे। मैने तत्कालीन मुख्यमंत्री से कहा था कि निशंक जी आप गैरसेंण राजधानी बना दो प्रदेश की जनता आपको यशवंत सिंह परमार की तरह याद करेगी। इसके साथ मेने उनको आगाह किया था कि उत्तराखण्ड देवभूमि है इस धरती से अन्याय करने वाले मुलायम-राव ही नहीं तिवारी, खण्डूडी भी अपनी छवि को तार तार कर चूके हैं। आपको परमात्मा ने अवसर दिया है इस दुर्लभ अवसर का सदप्रयोग नहीं करोगे तो आपको भी महाकाल माफ नहीं करेगा। निशंक ने मुझे आश्वासन दिया था परन्तु सत्तामद में शायद वे भूल गये। आज कहां है सत्तांधों को समय ऐसी मार मारता है कि उनको प्रायश्चित करने का भी समय नहीं मिलता।
 अब भाजपा को उत्तराखण्ड की जनभावनाओं से खिलवाड करने का दण्ड दे कर महाकाल ने कांग्रेस को अवसर दिया। परन्तु कांग्रेस आलाकमान ने विजय बहुगुणा को मुख्यमंत्री बना कर जनादेश का अपमान किया। इसी का दण्ड अब कांग्रेस 2014 में देश से सत्ता से दूर होगी और भाजपा भी सत्तासीन नहीं हो पायेगी। मुलायम सिंह का तो मतलब ही नहीं ।
 अब उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री बहुगुणा गैरसेंण में अपने मंत्रीमण्डल की बैठक 3 नवम्बर को कर रहे है। इसका स्वागत है। चाहे आधे मन से या लोगों की आंखों में धूल झोंकने के लिए यह नाटक कर रहे है फिर भी इससे गैरसेंण राजधानी बनाने की मांग को ही बल मिलेगा।
 मने हरीश रावत, सतपाल महाराज व प्रदीप टम्टा से दो टूक शब्दों में अपनी मूल बात बता दी है कि गैरसेंण राजधानी से कम किसी कीमत पर स्वीकार नहीं। प्रदेश के सत्तासीनों को हर हाल में राजधानी गैरसेंण बनानी होगी। आंदोलनकारी संगठनों व बुद्धिजीवियों को समय का सदप्रयोग करना चाहिए। इस मांग को निरंतर बल देना चाहिए। जब तक प्रदेश की राजधानी गैरसेंण नहीं बनेगी तब तक प्रदेश के हुक्मरानों का ध्यान पर्वतीय क्षेत्र जिसके समग्र विकास के लिए उत्तराखण्ड राज्य के गठन का ऐतिहासिक आंदोलन हुआ।
 आज राज्य गठन के 12 साल बाद भी प्रदेश से न तो पलायन रूका। गांव के गांव विरान हो रहे है। गांवों की स्कूल,चिकित्सालय सहित तमाम सरकारी कार्यालय मरणासन्न है। प्रदेश में विकास के बजाय भ्रष्टाचार का शिकंजा जकडा हुआ है। प्रदेश में एनजीओ का शिकंजा दिन रात भ्रष्टाचार से प्रदेश के संसाधनों को बर्बाद करने में लगे हे। अगर प्रदेश को जीवंत रखना है तो जन भावनाओं का सम्मान करते हुए राजधानी गैरसेंण बनानी नितांत आवश्यक है। यह देखना बाकी है कि लोकतंत्र की जीत होती है या थोपशाही की। चंद अवसरवादी व सुविधाभोगी लोग कैसे प्रदेश की जनांकांक्षाओं को अपने इशारे पर नचा कर लोकतंत्र का गला घोंटते है। राजधानी गैरसेंण बनानी ही सच्ची श्रद्धांजलि होगी राज्य आंदोलनकारी शहीदों व बाबा मोहन उत्तराखण्डी को। अब सरकार को जो बजट राजधानी बनाने के लिए केन्द्र से मिला है उसको तत्काल यहां गैरसेंण में राजधानी बनाने में खर्च करना चाहिए। यही लोकतंत्र में जायज है व यही जनादेश का सम्मान है।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Mahi Singh Mehta Uttarakhand Govt Cabinet meet is going to be held at Gairsain (Distt Chamoli) which was proposed capital place since separate Uttarakhand state.  We wish Govt declare Gairsain permanent capital of Uttarakhand otherwise. don't play with sentiment of people.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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This should be a picnic for Congress led Govt in Uttarakhand. There should be some concrete steps by the Govt to make Gairsain permanent Capital of Uttarakhand.


एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Hem Pant ‎"हिन्दुस्तान" समाचार पत्र में आज की मुख्य खबर - 3 नवंबर को गैरसैण में होने वाली कैबिनेट मीटिंग के लिए सभी मंत्री सड़क मार्ग से नहीं, "हैलीकाप्टर"  से जायेंगे गैरसैंण.. सी.एम. गौचर तक हवाई जहाज और उसके बाद हैलीकाप्टर से जायेंगे.. खेतों में बनाए जा रहें हैं दो अस्थायी हैलीपेड..
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 ऐसे सुविधाभोगी महानुभावों से पहाड़ की समस्याओं का समाधान करने की अपेक्षा करना मूर्खता नहीं तो और क्या है?
Unlike ·  · Unfollow Post · 10 hours ago
  • You, चन्द्रशेखर करगेती, Vinod Singh Gariya and 6 others like this.
  • Hem Pant पहाड़ में कार का सफर करने में शायद मंत्रियो को "उल्टी" आती होगी अब.. महाशय! चुनाव के समय तो घुटनों के बल् चल कर आ रहे थे आप ही..10 hours ago · Like
  • Ramesh Chandra Sharma ये तो बह्त अफशोश की बात है, राजधानी बनाने कि बात करने वाले वास्तविकता से परचित नहीं होना चाहते है, क्या ये विकास कर पायेगे ? शंका होने लगी है.10 hours ago · Like
  • Hem Pant शर्मा जी आप इनकी मंशा पर आप शंका कर रहे हैं.. मुझे तो पूर्ण विश्वास है कि ये लोग जनता को अँधेरे में रखने के लिए ही ये "नौटंकी" कर रहे हैं.. घोषणाओं के सिवाय कुछ नहीं होने वाला है..10 hours ago · Like
  • चन्द्रशेखर करगेती देखते हैं 3-नवम्बर को टीम बिज्जी गैरसैण में क्या गुल खिलाती है, दुआ करों कि सड़क मार्ग से गैरसैण जाते समय हाकिमों को कोई ग्रामीण महिला फिर बच्चा जनते हुए ना मिले.........9 hours ago · Like
  • Lalit Pandey Twelve years after it was carved out of Madhya Pradesh, the state of Chhattisgarh will get a new capital city. The green and hi-tech Naya Raipur will officially come into existence as the capital on November 1st...why can't uttarakhand government can do the same7 hours ago · Like · 1
  • Saroj A. Joshi sahi kaha pant ji ...2 hours ago · Like
  • Mahi Mehta सरकार जनता की भावनाओं से खेल रही है! गैरसैंन सिर्फ पिकनिक मनाने जा रहे है ये लोग! अगर इनका इरादा गैरसैंन राजधानी बनाना है तो देहरादून से ही इसकी पहले घोषणा करो एक निर्धारत समय सीमा के अंतर्गत गैरसैंन को स्थाई राजधानी बनाओ! यह समय सीमा ६ महीने या एक साल से ज्यादे नहीं होनी चाहिए! नहीं तो गैरसैंन की जनता .... इनको ये तमाशा करने का घोर विरोध होना चाहिए !19 minutes ago · Like

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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This is merely a politics.

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मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने कहा कि गैरसैंण में आयोजित हो रही कैबिनेट बैठक में पर्वतीय विकास से जुड़े विषयों पर निर्णय लिए जाएंगे। इससे पर्वतीय और सुदूरवर्ती क्षेत्र के विकास को गति मिलेगी।

गुरुवार को सचिवालय में उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी मंच के प्रतिनिधिमंडल से भेंट के दौरान मुख्यमंत्री ने यह बात कही। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार प्रदेश के चहुंमुखी विकास के लिए प्रतिबद्ध है। पर्वतीय क्षेत्र के विकास को गति मिले, इसी सोच के साथ गैरसैंण में कैबिनेट बैठक की जा रही है। गैरसैंण कैबिनेट को राजनीति का प्रश्न नहीं बनाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि राज्य के विकास के लिए सभी के सुझावों का स्वागत है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य आंदोलनकारियोंके हित में जो शासनादेश जारी किए गए हैं, उनका पालन सुनिश्चित किए जाने के लिए अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं। राज्य सरकार सीमित वित्तीय संसाधनों के बावजूद प्रदेश के सर्वागीण विकास के लिए प्रतिबद्ध है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि विधिक कारणों से मुजफ्फरनगर कांड की पैरवी में सरकार पार्टी नहीं बन सकती लेकिन सरकार कानूनी मदद व अधिवक्ता आदि की व्यवस्था कर सकती है। उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी मंच के पदाधिकारियों ने आंदोलनकारियों की विभिन्न समस्याओं से मुख्यमंत्री को अवगत कराया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा गैरसैंण में कैबिनेट बैठक का निर्णय सराहनीय है। प्रतिनिधिमंडल ने इस मौके पर मुख्यमंत्री को विभिन्न मांगों से संबंधित एक ज्ञापन भी सौंपा। प्रतिनिधिमंडल में पूर्व अध्यक्ष उ. संघर्ष समिति व पूर्व विधायक रणजीत सिंह वर्मा, सलाहकार उत्तराखंड आंदोलनकारी मंच रविंद्र जुगरान, अध्यक्ष उत्तराखंड जगमोहन सिंह नेगी, जिलाध्यक्ष प्रदीप कुकरेती आदि मौजूद थे।http://www.jagran.com

विनोद सिंह गढ़िया

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...बधाई हो गैरसैंण
« Reply #637 on: November 02, 2012, 04:53:04 PM »
अमर उजाला के मुख्य पृष्ठ पर छपी इस खबर के बारे में आपका क्या कहना है..?

...बधाई हो गैरसैंण

मंत्रिमंडल बैठक के बहाने संवरी तकदीर

आजकल गैरसैंण बदला-बदला नजर आ रहा है। सड़कें ठीक हो गई हैं। दूरसंचार व्यवस्था सुधर गई है। बिजली की कटौती कम हो रही है। पेयजल की आपूर्ति सुचारु हो गई है। नाले नालियां साफ हो गई हैं। पेयजल लाइनों से बहने वाला पानी बंद हो गया है। हेलीपैड बन गया है। प्रशासन चुस्त-दुरुस्त हो गया है। स्थानीय लोग बड़ी उत्सुकता से इस बदलाव को देख रहे हैं। कई तो कहते भी हैं कि काश ये व्यवस्थाएं हमेशा ऐसी रहती। लेकिन वह जानते हैं कि यह सब तैयारी तीन नवंबर को होने वाली कैबिनेट की बैठक के लिए की जा रही है। इसलिए उनमें आशंका है कि तीन नवंबर के बाद पुरानी वाली स्थिति हो जाएगी। लोगों की आशंका निर्मूल साबित हो सकती है यदि सरकार अपनी इस प्रतीकात्मक पहल को गंभीरता से ले और इस तरह के आयोजन यहां करती रहे। फिलहाल तो गैरसैंण को बधाई कि सरकार ने कम से यह पहल तो की। उम्मीद है कि सरकार बैठक के दौरान गैरसैंण को कोई तोहफा दे सकती है।
गैरसैंण के इतिहास में तीसरा अवसर है जब इतना बड़ा आयोजन किया जा रहा है। इससे पहले 19 नवंबर 1991 में भाजपा की कल्याण सिंह सरकार ने यहां अपर शिक्षा निदेशालय का उद्घाटन किया था तो उसके तीन मंत्री, नौ विधायक और एक दर्जन से अधिक अधिकारी पहुंचे थे। इस मौके पर बीस हजार से अधिक लोग भी जुटे थे। दूसरी बार 23 सितंबर 2000 में उत्तराखंड महिला मंच ने गैरसैंण को राजधानी बनाने के लिए रैली की तो दस हजार से अधिक लोग जुटे थे। तीसरी बार अब विजय बहुगुणा सरकार तीन नवंबर को यहां कैबिनेट की बैठक करने जा रही है तो लोगों में उत्सुकता और उत्साह का सैलाब हिलोरे मार रहा है। इस बैठक में यदि सरकार गैरसैंण को कोई तोहफा देती है तो इसमें कोई शक नहीं कि वहां की फिजा बदली नजर आएगी।

Devbhoomi,Uttarakhand

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गैरसैंण राजधानी को लेकर उक्रांद का प्रदर्शन
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गैरसैंण में स्थाई राजधानी को लेकर उक्रांद कार्यकर्ताओं ने जिला मुख्यालय में प्रदर्शन किया। उन्होंने कहा कि उक्रांद के संघर्षो के कारण ही गैरसैंण में कैबिनेट बैठक हो रही है। इसके बाद सभी कार्यकर्ता गैरसैंण के लिए रवाना हुए।

तयशुदा कार्यक्रम के तहत उत्तराखंड क्रांति दल के कार्यकर्ताओं रुद्रा काम्पलेक्स से मुख्य बाजार होते हुए पैट्रोल पंप तक रैली निकाल गैरसैंण को स्थाई राजधानी बनाने की मांग की।

 इस मौके पर कार्यकर्ताऔं ने कहा कि बैठक में यथाशीघ्र गैरसैंण को स्थाई राजधानी घोषित कर केंद्र सरकार द्वारा राजधानी निर्माण के लिए प्रस्तावित धन का सदु्रपयोग किया जाए। उन्होंने कहा कि 12 वर्ष बीतने के बाद भी पहाड़ का विकास नहीं हो पाया है।

राजधानी पहाड़ में बनने से पर्वतीय क्षेत्र के विकास के द्वार खुलेंगे। प्रदर्शन करने वालों में केंद्रीय प्रचार सचिव देवेंद्र चमोली, केंद्रीय संगठन मंत्री जयप्रकाश उपाध्याय, युवा अध्यक्ष जितार सिंह जगवाण, सुभाष मूंगा, नगर अध्यक्ष चन्द्रमोहन गुंसाई, अरविन्द नौटियाल, सरिता आर्य, बुद्धिबल्लभ थपलियाल, दलीप रावत समेत कई कार्यकर्ता उपस्थित थे।


Source dainik Jagran

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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ये कैसी राजधानी है ? (देहरादून के सन्दर्भ में)

ये कैसी राजधानी है ? ये कैसी राजधानी है ?
हवा में ज़हर घुलता है, औ’ जहरीला सा पानी है
ये कैसी राजधानी है….

शरीफों की कहानी को यहाँ कोई नहीं सुनता
यहाँ सब की जुबानों पर दबंगों की कहानी है।
ये कैसी राजधानी है….

अगर जीना है तो सुन लो यहाँ झुकना जरूरी है
सत्ता की ये चौखट है जो चमचों की दिवानी है
ये कैसी राजधानी है…

कहाँ तो सांझ होते ही शहर में नींद सोती थी
कहाँ अब ‘शाम’ होती है, ये कहना बेइमानी है
ये कैसी राजधानी है….

शहर में पेड़ लीची के बहुत सहमे हुए से हैं
सुना है एक बिल्डर को नई दुनिया बसानी है।
ये कैसी राजधानी है….

आभार - चन्दन सिंह नेगी

 

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