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Author Topic: Should Gairsain Be Capital? - क्या उत्तराखंड की राजधानी गैरसैण होनी चाहिए?  (Read 348747 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Vidhan Sabha Bhawan to be constructed in Gairsain: Vijay Bahuguna
« Reply #640 on: November 03, 2012, 05:30:42 PM »
A welcome step ,

Vidhan Sabha Bhawan to be constructed in Gairsain: Vijay Bahuguna
Striking an emotional chord with the masses in mountainous regions, the Congress government in Uttarakhand on Saturday announced that a Vidhan Sabha Bhawan will be built at Gairsain in Chamoli district and the monsoon session of the House will be held there.
       
 Chief Minister Vijay Bahuguna made the announcement while briefing reporters about the decisions taken at a meeting of the state Cabinet here.
       
 The foundation stone for the Vidhan Sabha Bhawan at Gairsain will be laid on the occasion of Makar Sankranti and work on the project will be carried out on a war footing to ensure that it is completed at the earliest, he said.
       
 Located between Kumaon and Garhwal regions, Gairsain has been an emotive issue in the state with a large section of those who fought for statehood to Uttarakhand in favour of the remote hill area in Chamoli district being declared as its permanent capital.
         
 Asked if his government will debate recommendations of the two Commissions constituted in the past to study the feasibility of Gairsain being made the state's capital, Bahuguna said its main concern at present is to initiate the process of infrastructure building and give a boost to industrial activities in the area to generate employment opportunities.



(Source Amar ujla)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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चन्द्रशेखर करगेती13 hours agoएक राज्य केबिनेट की एक दिन बैठक पर खर्च लगभग ५ करोड़,भाग लेने वाले मन्त्री १२ व उनके सचिव इस प्रकार एक मन्त्री पर खर्च लगभग ४५ लाख वह भी एक दिन का, केबिनेट बैठक के नतीजे, भगवान जाने कब सामने आयेंगे, पर ५ करोड़ रूपये एक दिन में स्वाहा हो गये, शायद मोटी चमड़ी वाले राजनेताओं के लिएय यह रकम कुछ भी नहीं लेकिन इस रकम से कम से कम एक जिला अस्पताल का एक वर्च का खर्च चल सकता था.....
 
 अब एक दिन की केबिनेट बैठक का जोर शोर से प्रचार किया गया था, वह यह कि गैरसैण पर कुछ ठोस घोषणा होगी, वह ठोस घोषणा यह कि वहाँ एक विधानसभा भवन बनाया जाएगा, जिसमें एक दिवसीय या ग्रीष्मकालीन विधानसभा सत्र चलाया जायेगा,जो आने वाले दिनों में देहरादून में तों कतई नहीं हो सकता ऐसा जज साहब सोचते है....
 
 यानि मतलब साफ़ है जब १२ लोगों पर एक दिन का खर्च ५ करोड़ का है तों फिर ७१ विधायकों और अमले पर कितना खर्च होगा ? हिसाब लगाओ रे ग्याडूओं,टोटल लगाने पर  कुछ पसीना आये तों शेयर जरुर करना, ऐसे ही गर्मी नहीं लगी बिज्जी भाई को गर्मी इस बार देहरादून में, तभी तों ठंडी जगह को दौड़ लगाई है, अब पता नहीं इन्हें गर्मियों में गैरसैण को ठंडा किसने बता दिया......
 
 नेताओं के इस खेल में आपके खून में गर्मी आये तों अपने खूनी कमेन्ट जरुर शेयर करना ! — with देवसिंह रावत and 19 others.3Like ·  · Share
  • Bharat Rawat, मयंक मैनाली, Hem Pandey and 25 others like this.
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  • चन्द्रशेखर करगेती ऐसी ही कुछ घोषणायें अपने हरकू दीदा ने डॉ.निखट्टू और पुराण चन्द्र शर्मा के साथ १९ नवम्बर १९९१ को  भाजपा में रहते हुए की थी, तब डायट कार्यालय और शिक्षा निदेशक के कार्यालय की नीव भी रखी गयी थी, शिलापट भी लगाये थे, पता नहीं वे भवन कहाँ है, किस मुँह से गैरसैंण गये, कैसे ये लोग जनता के सामने जाने की हिम्मत कर लेते है ? पता नहीं हर्कुवा को उन शिलापटो को इस बार देखने गया या नहीं, पत्रकारों ने  तों याद भी नहीं दिलाया होगा ?4 hours ago · Like · 1
  • Lalit Love Bemani, bhrastachar, gundagardi, jhut netaon k khun m himoglobin ki trh mile hote h isliye inhe sarm nhi aati. Jitna khrch ho rha h inka h nhi. Apne shauk  pura krne liye hi to gas or dijal  k daam bdaye h.4 hours ago · Like · 1
  • Mukesh Bhatt Ander nagari, chopet raja..about an hour ago via mobile · Like
  • चन्द्रशेखर करगेती ऊन बोलणो छो बोलिहालि... हमुन सुणनु छो सुणिहालि....

    "गैरसैंण मां स्थायी राजधानी का बाना" लड़ें हमरि लागि राली....11 minutes ago · Like

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Uttrakhand Samachar कैबिनेट के बहाने गैरसैण पर बरसी कृपा
 Nov 03
 
  देहरादून
 गैरसैंण में कैबिनेट की बैठक के बहाने ही सही राज्य सरकार ने गढ़वाल एवं कुमाऊं के इस मध्यवर्ती क्षेत्र पर 'कृपा' जरूर बरसाई है। गैरसैंण के विकास के लिए मुख्यमंत्री ने दो दर्जन से अधिक घोषणाएं कर क्षेत्रवासियों का दिल जीतने की कोशिश की। हालांकि, ये घोषणाएं धरातल पर कब तक आकार लेती हैं, यह भविष्य के गर्त में छिपा है, लेकिन इससे फौरी तौर पर लोगों को कुछ उम्मीद अवश्य बंधी है।
 विधान भवन की स्थापना को कैबिनेट की मंजूरी देने के बाद भावनात्मक रूप से गैरसैंण को छूने की पहल के बाद मुख्यमंत्री ने क्षेत्र के विकास को भी अपनी प्राथमिकताओं में शामिल किया है। गैरसैंण में हुई जनसभा में गैरसैंण के विकास के लिए घोषणाओं की झड़ी लगाकर उन्होंने यही संदेश देने का प्रयास किया। उन्होंने विकास की पहली पायदान मानी जाने वाली सड़कों के मसले को छुआ तो शिक्षा, तकनीकी शिक्षा, बिजली, पानी, कृषि, बस सेवा समेत अन्य कई घोषणाएं कर क्षेत्रवासियों का दिल जीतने का प्रयत्‍‌न किया।
 मुख्य घोषणाएं
 गौचर में इंजीनियरिंग कॉलेज की स्थापना, उत्तराखंड आंदोलनकारी बाबा मोहन उत्तराखंडी की स्मृति में बेनीताल को पर्यटक स्थल घोषित करने के साथ ही द्वार की स्थापना, गैरसैण में कृषि मेले के लिए तीन लाख की सहायता राशि, गैरसैण में पॉलिटेक्निक की स्थापना, राजकीय उच्तचर माध्यमिक विद्यालय पिंडवाली में पांच पदों की स्वीकृति, आदिबद्री नंदासैण में 33 केवी विद्युत सब स्टेशन, मेहलचौरी में खनसर-रोहिड़ा, कुनीगाड क्षेत्र के लिए 66 केवी विद्युत गृह का निर्माण, विभिन्न मोटर मार्गाें का निर्माण व डामरीकरण, वन भूमि हस्तांतरण से जुड़े मसलों का शीघ्र निदान, गैरसैण में पेयजल योजना का पुनर्गठन व विस्तारीकरण, गैरसैण में मिनी स्टेडियम, चौरासैण हाईस्कूल का उच्चीकरण, दिल्ली-गैरसैण बस सेवा का संचालन आदि।कैबिनेट के बहाने गैरसैण पर बरसी कृपा Nov 03 देहरादून गैरसैंण में कैबिनेट की बैठक के बहाने ही सही राज्य सरकार ने गढ़वाल एवं कुमाऊं के इस मध्यवर्ती क्षेत्र पर 'कृपा' जरूर बरसाई है। गैरसैंण के विकास के लिए मुख्यमंत्री ने दो दर्जन से अधिक घोषणाएं कर क्षेत्रवासियों का दिल जीतने की कोशिश की। हालांकि, ये घोषणाएं धरातल पर कब तक आकार लेती हैं, यह भविष्य के गर्त में छिपा है, लेकिन इससे फौरी तौर पर लोगों को कुछ उम्मीद अवश्य बंधी है। विधान भवन की स्थापना को कैबिनेट की मंजूरी देने के बाद भावनात्मक रूप से गैरसैंण को छूने की पहल के बाद मुख्यमंत्री ने क्षेत्र के विकास को भी अपनी प्राथमिकताओं में शामिल किया है। गैरसैंण में हुई जनसभा में गैरसैंण के विकास के लिए घोषणाओं की झड़ी लगाकर उन्होंने यही संदेश देने का प्रयास किया। उन्होंने विकास की पहली पायदान मानी जाने वाली सड़कों के मसले को छुआ तो शिक्षा, तकनीकी शिक्षा, बिजली, पानी, कृषि, बस सेवा समेत अन्य कई घोषणाएं कर क्षेत्रवासियों का दिल जीतने का प्रयत्‍‌न किया। मुख्य घोषणाएं गौचर में इंजीनियरिंग कॉलेज की स्थापना, उत्तराखंड आंदोलनकारी बाबा मोहन उत्तराखंडी की स्मृति में बेनीताल को पर्यटक स्थल घोषित करने के साथ ही द्वार की स्थापना, गैरसैण में कृषि मेले के लिए तीन लाख की सहायता राशि, गैरसैण में पॉलिटेक्निक की स्थापना, राजकीय उच्तचर माध्यमिक विद्यालय पिंडवाली में पांच पदों की स्वीकृति, आदिबद्री नंदासैण में 33 केवी विद्युत सब स्टेशन, मेहलचौरी में खनसर-रोहिड़ा, कुनीगाड क्षेत्र के लिए 66 केवी विद्युत गृह का निर्माण, विभिन्न मोटर मार्गाें का निर्माण व डामरीकरण, वन भूमि हस्तांतरण से जुड़े मसलों का शीघ्र निदान, गैरसैण में पेयजल योजना का पुनर्गठन व विस्तारीकरण, गैरसैण में मिनी स्टेडियम, चौरासैण हाईस्कूल का उच्चीकरण, दिल्ली-गैरसैण बस सेवा का संचालन आदि। height=298Like ·  · Share · 53 minutes ago ·

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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चन्द्रशेखर करगेती9 minutes ago ·  उत्तराखण्ड की राजधानी-गैरसैंण.......
 
 करनी है तो भाषण नही बात कर
 समय से साक्षात्कार कर
 और कुछ नही सुनना हमें
 बात छिड़ी है गैरसैंण की,
 उसकी बात कर।
 
 तुम्हारे अपने सरोकार
 तुम्हारी अपनी सरकार
 हमारी गैरसैंण की बात
 जनता को गैरसैंण की दरकार।
 
 गैरसैंण हमारा सपना है
 ये पहाड़ हमारा अपना है
 तुम्हें शायद पता नही
 अब पहाड़ सोया नही
 जाग रहा है और
 अपने अधिकार के लिए ललकार रहा है।
 जरा कान देकर देख
 आरजू नही शेर की दहाड़ सुन।
 
 बात नही सुलझेगी अब
 बात और फरियाद से
 जानते हैं हम
 फिर एक बार तैयार हैं
 हम आर-पार के लिए।
 
 अब नही चलेगी राजनीति बिसात
 अब होगी पहाड़ में
 हमारी मर्जी से दिन और रात
 अगर तुम सोचते हो
 तुम जीत गये हो
 तो देख नीलकंठ में
 उगते सूरज की गरमाहट को
 अहसास का जमीन की गर्मी को
 जमीन से जुड़कर।
 
 गैरसैंण हमारा सपना नहीं
 गैरसैंण हमारा अधिकार है
 अब नही मांगना हमें
 अब तो हमें राजधानी
 बनानी है गैरसैंण
 गर मादा है तुझमें
 बरगला मत,
 बात छिड़ी है गैरसैंण की तो
 गैरसैंण की बात कर
 गैरसैंण की बात कर।।
 
 कल यानि ३ नवम्बर केबिनेट बैठक में मुख्यमन्त्री की गैरसैण में विधानसभा के निर्माण और वहाँ ग्रीष्मकालीन सत्र आयोजित करने की घोषणा से भले ही, सत्ता में बैठे लोग और उनके दल के समर्थकों के साथ ही उनका पिछलग्गू बना उक्रांद के राजनेता खुश हो जाये, लेकिन राज्य की राजधानी का मुद्दा इससे हल होने वाला नहीं और ना वर्तमान सरकार की मंशा इसको हल करने की है l गैरसैण केबिनेट बैठक के कई निहितार्थ हैं, इस बैठक को सरकार के विकास के नजरिये के साथ-साथ राजनीति के नजरिये से भी देखना जरूरी हैं l
 
 कल भाई  O.p. Pandey जी ने ठीक ही लिखा कि "फिर एक बार उतराखंड वासियों को छला गया है ,इस बार का छल ज्यादा बड़ा है ,गैरसेण राजधानी का खाव्ब देखने और पहाड़ी राज्य की राजधानी पहाड़ में ,की पूरी परिकल्पना को खत्म करने की आज कांग्रेस ने नीव रख दी है .! कई आयोगों की सिफारिशों को दबाकर यह नया खेल दरसल सोच समझकर उन राजनेताओं,अधिकारियों की साजिश है जो इस राज्य को देहरादून में रहकर लुटवाना चाहते हैं l काग्रेस यहाँ दोहरा गेम खेल रही है,पहला पहाड़वासियों को गैरसैण ग्रीष्मकालीन  राजधानी रुपी फीका लड्डू थमा दिया जाय, वहीँ मैदानी लोगों को उनकी इछनुसार देहरादून ! दूसरा खेल खेला जा रहा है कि पहाड़ी राज्य के नाम से राज्य को मिल रहे केंद्र से आर्थिक पैकेज  को अधिक से अधिक झटका जाय  l आर्थिक रूप से चौराहे पर खड़े उतराखंड के लिए केंद्र से बड़ी भीख मांगने के लिए पहाड़ में राजधानी होने का प्रमाण गैरसैंण अब हो ही जायेगा ! वर्षों से गैरसैण राजधानी की मांग कर रहे सामाजिक कार्यकर्ताओं क्षेत्रीय दलों की आगे की रणनीति क्या होगी यह महत्वपूर्ण होगा ! कांग्रेस की राज्य को राजधानी के नाम पर बांटने कीकोशिस का,कोई तोड़ इन आपसी गुटबाजी में फसे उतराखंड आन्दोलन से जुड़े दलों के पास है ? क्या जुट पाएंगे गैरसेण को स्थाई राजधानी बनाये जाने के लिए उत्तरा खंड के लोग ? आप सब के सुझाव इस मुद्दे पर महत्वपूर्ण होंगे, क्या कहेंगे आप ?"
 
 विधानसभा में केबिनेट की एक बैठक गैरसैण में बुलाकर, ऐसे प्रतीकात्मक कार्य करने से उत्तराखंडी जनता का कभी भला नहीं होगा, इन राजनेताओं की नजर में यदि गैरसैण राज्य की राजधानी बनने की काबिलियत रखता है तो सिर्फ विधानसभा का ग्रीष्मकालीन सत्र क्यों ? विधानसभा के नाम पर मिले ८७ करोड़ रुपयों में से केवल २५ का उपयोग गैरसैण में क्यों ?
 
 अगर ये राजनेता ये मानते है कि गैरसैण राजधानी बनने लायक जगह नहीं है तो वहाँ ग्रीष्मकालीन सत्र बुलाकर गरीब प्रदेश के आर्थिक संसाधनों को बरबाद करने का क्या तुक है ? राजनेताओं की यह दोहरी चाल समझ से परे हैं ?
 
 क्या विधानसभा सत्र आयोजित करने के लिये न्यूनतम संसाधनों की जरुरत नहीं होती है ? राज्य के 71 विधायक और मन्त्री वहाँ जायेंगे साथ में उनके साथ उनका अमला होगा अलग और उन्हें पढाने वाले आईएएस अफसरों की फ़ौज अलग, और जब ये सब गैरसैण जायेंगे तो इन विधायकों को जनता से बचने के लिये पुलिस फ़ोर्स चाहियेगी सो अलग ! मन्त्री विधायक गैरसैण जायेंगे तो इनके लब्बोलुबाब अलग ?
 
 धनाभाव से जूझते इस प्रदेश के नेताओं को क्या इसकी इजाजत दी जानी चाहिये ?
 
 मेरी राय में यह तो गर्मियों में पहाड़ को सैर सपाटे की जगह समझने की मानसिकता का ही विस्तार भर है और कुछ नहीं..........
 
 पहाड़ में सैर सपाटे को दिल्ली मुम्बई के लोग ना होकर अब हमारे चुने हुए प्रतिनिधी ही होंगे

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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देवसिंह रावत
-गैरसेंण राजधानी बनने से कोई ताकत नहीं रोक सकेगी
 
 -गैरसेंण में प्रदेश मंत्रीमण्डल की बैठक गैरसेंण राजधानी बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगी
 
 
 -देवभूमि की जनंाकांक्षाओं को रौंदने वाले हुक्मरानों का हस्र तिवारी, खण्डूडी व निशंक की तरह होगा
 
 - उत्तराखण्ड के भूत, वर्तमान व भविष्य का प्रतीक बन गया है गैरसैंण,
 
 गैरसेंण में इस समय मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा, विधानसभा अध्यक्ष गोविन्दसिंह कुंजवाल, सांसद सतपाल महाराज व प्रदेश के सभी मंत्री, प्रमुख सचिव सहित तमाम शासन प्रशासन के उच्च अधिकारी पंहुचे है। भारतीय आजादी के महा नायक वीरचंन्द्रसिंह गढ़वाली की मूर्ति को माल्यार्पण करके इस पावन धरती को नमन् किया गया।  गैरसैंण विकासखण्ड के मुख्यालय के सभागार में प्रदेश मंत्रीमण्डल की बैठक शुरू हो गयी है। यह प्रदेश की राज्य गठन आंदोलनकारियों, शहीदों व बाबा मोहन उत्तराखण्डी की शहादत की जीत है कि जो गैरसैंण को प्रदेश की राजधानी बनाने की पुरजोर मांग को विगत 12 साल से शर्मनाक ढ़ंग से रौंदने वाले हुक्मरान व शासन प्रशासन आज कैबिनेट की बैठक के बहाने ही सही आधे अधूरे मन से गैरसेंण में करने के लिए मजबूर हुए।
 आज मैं इस बैठक का स्वागत करते हुए प्रदेश के हुक्मरानों को आगाह भी करना चाहता हॅू कि जो भी मुख्यमंत्री प्रदेश की इस जनांकांक्षा को सत्तामद में रौंदते हुए उपेक्षित करेगा उसको भगवान बदरीनाथ का अभिशाप लगेगा और तिवारी, खण्डूरी व निशंक की तरह न केवल सत्ताच्युत होंगे अपितु बेनकाब भी होंगे। देवभूमि उत्तराखण्ड में गैरसेंण को राजधानी बनने से कोई ताकत नहीं रोक सकती है जो भी इसमें बाधा बनेगें उसको भगवान बदरीनाथ का अभिशाप लगेगा। ंइसलिए विजय बहुगुणा सरकार को भी केवल जनता की आंखों में मंत्रीमण्डल की बैठक करके अपना कर्तव्य इति न समझे अपितु प्रदेश के भूत, वर्तमान व भविष्य का प्रतीक बन गया है गैरसैंण को राजधानी बना कर लोकशाही की रक्षा करने के दायित्व को पूरा करें नहीं तो उनका भी वहीं हस्र होगा जो तिवारी आदि उत्तराखण्ड विरोधियों का हुआ। महाकाल हर जनविरोधी को उसके कृत्यों का दण्ड देता है।
 आज 3 नवम्बर को उत्तराखण्ड की जनांकांक्षाओं और प्रदेश में लोकशाही के भूत, वर्तमान व भविष्य का प्रतीक बन गयी गैरसेंण में हो रही प्रदेश सरकार के मंत्रीमण्डल की बैठक का इस आशा के साथ मैं उत्तराखण्ड राज्य गठन, जनांदोलन के प्रमुख संगठन उत्तराखण्ड जनता संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष के रूप में हार्दिक स्वागत करता हॅू कि यह बैठक प्रदेश की राजधानी गैरसैंण बनाने के मार्ग में मील का पत्थर साबित होगा। भले ही मैं प्रदेश के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के अलोकशाही तरीक से ताजपोशी व उनके कई कायो्र  का प्रखर विरोधी हॅू परन्तु गैरसेंण को राजधानी बनाने की राज्य गठन आंदोलनकारियों की मांग की दिशा में अब तक की सरकारों ने एक सकारात्मक कदम तक न उठाने के लिए जहां मैं राज्य गठन के बाद अब तक की सरकारों की कड़ी भत्र्सना करता हॅू वहीं विजय बहुगुणा सरकार के इस आधे अधूरे प्रयास से राज्य की स्थाई राजधानी गैरसेंण बनाने के लिए आम जनता की इस प्रबल मांग रूपि जनभावनाओं को सत्तामद में विगत 12 साल से बेशर्मी से रौंद रहे कांग्रेस व भाजपा  सहित शासन प्रशासन को लोकशाही का सम्मान करने की सीख मिलेगी।
 मेरा साफ मानना है कि गैरसेंण राजधानी का गठन राज्य गठन के समय ही हो जाना चाहिए था। इस मांग को षडयंत्र के रूप में रौंदने का कृत्य अब तक की सरकारों ने ही नहीं राज्य गठन का महत्वपूर्ण कार्य करने वाली सप्रंग सरकार ने कांग्रेस से मिल कर किया। अगर उसी समय अटल सरकार जनभावनाओं का सम्मान करते हुए स्थाई राजधानी गैरसेंण घोषित कर देते तो आज प्रदेश की लोकशाही व विकास पर यह ग्रहण नहीं लगा। नहीं प्रदेश के करोड़ों रूपये के संसाधन राजधानी चयन आयोग जेसे गैरजरूरी आयोग पर विगत दस सालों तक बेवजह से लुटवाये जाते। प्रदेश में राजधानी चयन आयोग के बजाय गैरसेंण राजधानी बनाने में सरकार ईमानदारी से कार्य करती तो आज प्रदेश की तस्वीर ही दूसरी होती। परन्तु दुर्भाग्य से प्रदेश की सत्ता या तो तिवारी जैसे घोर उत्तराखण्ड विरोधी आदमी के हाथों में थोपी गयी या खण्डूडी व निशंक जैसे जमीन से कटे व सत्ता के मठाधीशों के प्यादों के हाथों में सोंपी गयी। इन सभी हुकमरानों के पार न तो उत्तराखण्ड की उन जनभावनाओं को साकार करना तो रहा दूर इनको समझने की भी कुब्बत नहीं रही। नहीं इनके पास इतनी दूरदृष्टि व दृढ़ राजनैतिक इच्छा शक्ति ही रही कि ये समाज के दूरगामी हितों को साकार करने वाले गैरसेंण राजधानी बनाने, उत्तराखण्ड के मान सम्मान को मुजफरनगर काण्ड-94 आदि से रौदने के गुनाहगारों को दण्डित करने, प्रदेश में जनसंख्या पर आधारित विधानसभाई परिसीमन का प्रबल विरोध करने, प्रदेश में षडयंत्र की तरह घुसे बलात घुसपेटियों को बाहर खदेडने, प्रदेश के जल, जंगल व जमीन की रक्षा करने तथा प्रदेश में जातिवाद, क्षेत्रवाद व भ्रष्टाचार रहित विकासोनुमुख रोजगार प्रदान करने वाला सुशासन स्थापित  करने को प्राथमिकता देतें।
 इन उत्तराखण्ड के लिए राव-मुलायम सिंह से बदतर साबित हुए प्रदेश के आस्तीन के सांपों से साथ प्रदेश के जनप्रतिनिधी भी इतने विवेकहीन व पदलोलुपु हैं कि उनको न तो अपने राजनैतिक दायित्व का बोध है। इसी कारण प्रदेश की जनता के बलिदानों के बाद गठित उत्तराखण्ड राज्य जिसमें हिमाचल की तरह देश का सबसे ईमानदार व विकासोनुमुख पर्वतीय राज्य बनने की अपार क्षमता है केवल यशवंत सिंह परमार जैसे जमीन से जुडे दूरदृष्टि विहिन नेताओं के अभाव के कारण आज देवभूमि कहलाये जाना वाला उत्तराखण्ड देश के सबसे भ्रष्टत्तम राज्य बन यहां की कीर्ति को कलंकित कर रहा है। इसका एक कारण दिल्ली के भाजपा व कांग्रेस के मठाधीशों का बौनापन भी काफी जिम्मेदार है जिनके पास न तो साफ छवि के जननेताओं को पहचानने व उनको महत्वपूर्ण स्थान पदद आसीन करने की बुद्धि ही है नहीं आज उनकी प्राथमिकता देश व प्रदेश के विकास की है। अपितु आज दिल्ली के मठाधीशों को केवल इन संवैधानिक पदों पर ऐसे व्यक्ति को आसीन करने की है जो उनके संकीर्ण स्वाथो्र के साथ उनकी तिजोरी भरने का काम करे। इसी के कारण इन दलों ने प्रदेश की जनभावनाओं को न समझते हुए अपने समर्पित जनता से जुडे साफ छवि के नेताओं को प्रदेश की बागडोर सोंपने के बजाय जनता द्वारा नकारे व दुत्कारे लोगों को ही यहां का भाग्य विधाता बनाया गया।
 हालांकि प्रदेश की राजनीति पर जरा सी नजर दौडाये तो आज यहां इतना शर्मनाक स्थिति है कि एक भी विधायक व सांसद या मंत्री या मुख्यमंत्री रहे नेताओं में प्रदेश के हक हकूकों के लिए शहीदों व आंदोलनकारियों की तरह समर्पित हो कर काम करने की सामथ्र्य व नैतिक इच्छा शक्ति भी नहीं है। अपने पद व हितों के लिए अपने दलों के आकाओं व प्रदेश की राजनीति में उठापटक करने वााले या समर्थकों को लामबद करने वालों ने कभी यहां की जनांकांक्षाओं का गला घोंटने या इनको पूरा करने के लिए सडक पर नहीं उतरे । नहीं अपने समर्थकों के साथ अपनी पार्टी के आकालाओं के दर पर या अपने ही घर पर ऐसा धरना प्रदर्शन तक किया। मैं आज न केवल प्रदेश के लिए नक्कारा साबित हो चूके तिवारी, खण्डूडी, निशंक, विजय बहुगुणा से निराश हॅू अपितु यहां पर स्थापित तथाकथित दिग्गज नेता भगतसिंह कोश्यारी,हरीश रावत, सतपाल महाराज,  प्रदीप टम्टा, हरक सिंह रावत आदि दिग्गज नेताओं से भी निराश हॅू। हालांकि भगत सिंह कोश्यारी को छोड़ कर बाकी इन नेताओं के हाथों में अभी प्रदेश की मजबूती से मुख्यमंत्री के रूप में अपनी पूरी प्रतिभा दिखाने की बागडोर नहीं मिली । परन्तु इनके दिलों में वह छटपटाहट कहीं प्रदेश की जनांकांक्षाओं के लिए नहीं दिखता जो इनको पद या सम्मान न मिलने पर दिखाई देती। इनमें से किसी को मेने अभी तक प्रदेश के मुजफरनगर काण्ड-94 के दोषियों को सजा दिलाने, जनसंख्या पर आधारित विधानसभाई परिसीमन थोपने, राजधानी गैरसेंण बनाने, व प्रदेश में मूल निवास तथा जल, जंगल जमीन आदि के हितों पर हो रहे निरंतर कुठाराघात के खिलाफ अपने दल के आकाओं व सरकार से सीधे दो टूक बात करने की हिम्मत तक करते नहीं देखा। गैरसेंण मुद्दे पर जो पहल वर्तमान में विजय बहुगुणा ने वहां पर कैविनेट बैठक बुलाने की है पहल की है उसके पीछे सतपाल महाराज का गैरसेंण को ग्रीष्म कालिन राजधानी बनाने की मांग का दवाब रहा है। वहीं सांसद प्रदीप टम्टा गैरसैंण राजधानी बनाने की मांग करते आये। परन्तु अफसोस यह है कि सतपाल महाराज व प्रदीप टम्टा भी इस मांग को लेकर वह दवाब बनाने के लिए पहल नहीं कर पाये जो वे कर सकते थे।
 भले ही देश विदेश में रहने वाले सवा करोड़ उत्तराखण्डियों की टकटकी लगी है वहीं प्रदेश में लोकशाही की दुर्दशा के जानकार लोग भले ही इस बैठक को सामान्य या जनता की आंखों में धूल झोंकना मान रहे हैं। पर मैं जानता हॅू कि गैरसेंण में हो रही इस बैठक में बहुगुणा सरकार प्रदेश की स्थाई राजधानी गैरसैण बनाने की ऐतिहासिक घोषणा करने का नैतिक साहस नहीं करेगी। इतनी दूरदृष्टि में आज उत्तराखण्ड  के किसी भी नेता में नहीं देख रहा हॅू। परन्तु गैरसेंण राजधानी बनाने की मांग को जिस बेशर्मी से प्रदेश के हुक्मरान विगत 12 साल से बेशर्मी से रौंद रहे थे उससे राज्य गठन आंदोलन के लाखों आंदोलनकारी, शहीद व गैरसेंण राजधानी बनाने की मांग के लिए शहीद हुए बाबा मोहन उत्तराखण्डी के संघर्ष व शहादत को रौंदने कर इसको नजरांदाज करने का अलोकतांत्रिक कृत्य कर रहे थे, उसको देखते हुए यह गैरसेंण में प्रदेश सरकार की बैठक भी आयोजित होनी शहीदों व आंदोलनकारियों के साथ साथ प्रदेश की लोकशाही में विश्वास करने वाली जनता की पहली जीत है। इन सत्तामद में डुबे व लोकशाही को अपमानित करने वाले हुक्मरानों व शासन प्रशासन को इतनी सुध तो आयी वे गैरसेंण में मंत्रीमण्डल की बैठक बुला कर अप्रत्यक्ष रूप से यहां की जनता की भावनाओं को सम्मान पूरे दिल से न भी करें परन्तु यह बैठक इस दरकिनारे की गयी मांग को फिर से जनता व राजनेतिक दलों के जेहन में प्रमुखता से उभर का समाने आयी। यह सत्तामद में दबाई गयी मांग को फिर से मजबूत हवा मिली। अब इस मांग को लम्बे समय तक कोई सरकार दबा नहीं पायेगी।

Ajay Pandey

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i am very happy to knew that the vidhan bhawan should be constructed in gairsain and the capital of uttarakhand gairsain will be made as you are aware that gairsain is a capital that is nearest from new delhi and other parts of the state so this is the winning battle of mera pahad forum head ms mehta ji and hukka bu ji meena rawat ji and ms jakhi ji and dayal pandey ji this is the battle of all members of mera pahad forum those who win for making gairsain an capital as you are aware that the migration is main cause for uttarakhand villages so i want to said to uttarakhand government that migration is less by increasing health facilities and making hospitals and making good roads and applying street lights on all villages for the security of villageers from the forest animals in uttarakhand as you are aware that the news will come on daily newspapers that the guldaar will beat a people while cutting a glass i think that the danger of forest animals will the main cause of migration from uttarakhand so the government has take initiatives for less migration i want to say that the hospitals will made on villages for facilities of villagers this is the battle of making an capital won by mera pahad members i am very happy to state that this battle will started by ms mehta ji by razing the opinions of all the members so uttarakhand government will make gairsain capital by done cabinet meeting and the government will make vidhan bhawan on gairsain so this is a good initiative for uttarakhand trade and development sector . i think that the uttarakhand development will good after making gairsain a capital this is a very happy memory for mera pahad members that a gairsain capital making battle will win i also congratulate all mera pahad members and also head member ms mehta ji for this contribution of making a capital gairsain so after this happy memory the uttarakhand development will be the noble cause this is a happy memory that gairsain will make capital so we take intiatives for good development of uttarakhand after this winning battle one battle should be won the second battle is also be won this is the formula for uttarakhand development on last i want to say that the very happy memory of gairsain is remain on mind for all mera pahad members i thanks again to all members and head member ms mehta ji for making of vidhan bhawan in gairsain and making gairsain a capital
jai bharat jai uttarakhand
thanking you and namaskaar

Thul Nantin

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नेता यही होंगे, नीतियां यही होंगी,  फिर जनता का कैसे भला होगा |
 गैरसैण जैसी सुन्दर जगह को भी भ्रष्ट कर देंगे ये लोग | भू माफिया वहां भी पहुँच जायेगा | जरूरत अच्छे नेता चुनने की है | अगर हम ये कर सके तो सब कुछ खुद बा खुद ठीक होता चला जायेगा|
भ्रष्ट लोग दिल्ली में बैठे देहरादून में या गैरसैण में , क्या फर्क पड़ता है ?
राजधानी जब लखनऊ थी तब भी जनता दुखी थी ....
जब  देहरादून हुयी तो भी जनता दुखी है  ...
और जब गैरसैण होगी तो भी नहीं लगता की जनता के दुःख दर्द ये नेता कुछ कम कर पाएंगे

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Pandey ji.

Thanks..If you go through this whole debate 44 pages. people of Uttarakhand wish capital should be gairsain only..

Good to see atleast govt has come forward and working to make Gairsain permanent capital of uttarakhand.

i am very happy to knew that the vidhan bhawan should be constructed in gairsain and the capital of uttarakhand gairsain will be made as you are aware that gairsain is a capital that is nearest from new delhi and other parts of the state so this is the winning battle of mera pahad forum head ms mehta ji and hukka bu ji meena rawat ji and ms jakhi ji and dayal pandey ji this is the battle of all members of mera pahad forum those who win for making gairsain an capital as you are aware that the migration is main cause for uttarakhand villages so i want to said to uttarakhand government that migration is less by increasing health facilities and making hospitals and making good roads and applying street lights on all villages for the security of villageers from the forest animals in uttarakhand as you are aware that the news will come on daily newspapers that the guldaar will beat a people while cutting a glass i think that the danger of forest animals will the main cause of migration from uttarakhand so the government has take initiatives for less migration i want to say that the hospitals will made on villages for facilities of villagers this is the battle of making an capital won by mera pahad members i am very happy to state that this battle will started by ms mehta ji by razing the opinions of all the members so uttarakhand government will make gairsain capital by done cabinet meeting and the government will make vidhan bhawan on gairsain so this is a good initiative for uttarakhand trade and development sector . i think that the uttarakhand development will good after making gairsain a capital this is a very happy memory for mera pahad members that a gairsain capital making battle will win i also congratulate all mera pahad members and also head member ms mehta ji for this contribution of making a capital gairsain so after this happy memory the uttarakhand development will be the noble cause this is a happy memory that gairsain will make capital so we take intiatives for good development of uttarakhand after this winning battle one battle should be won the second battle is also be won this is the formula for uttarakhand development on last i want to say that the very happy memory of gairsain is remain on mind for all mera pahad members i thanks again to all members and head member ms mehta ji for making of vidhan bhawan in gairsain and making gairsain a capital
jai bharat jai uttarakhand
thanking you and namaskaar

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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 गैरसैण पर सरकार के निर्णय स्वागतयोग्य पर स्थाई राजधानी ही बने गैरसेंणः सांसद प्रदीप टम्टा
 
 स्थाई राजधानी गैरसेंण तक संघर्ष जारी रहेंगे आन्दोलनकारी
 
 नई दिल्ली(प्याउ)।उत्तराखण्ड सरकार द्वारा गैरसेंण में विधानसभा भवन बनाने व साल का एक सत्र का आयोजन गैरसेंण में करने के निर्णय को सकारात्मक कदम बताते हुए अल्मोडा संसदीय क्षेत्र के जन संघर्षो से जुडे रहे कांग्रेसी सांसद प्रदीप टम्टा ने दो टूक शब्दों मेें कहा कि जनभावनाओं का सम्मान करते हुए प्रदेश सरकार को गैरसेंण में ही प्रदेश की स्थाई राजधानी की घोषणा करनी चाहिए। सांसद प्रदीप टम्टा ने उक्त विचार 4 नवम्बर को दिल्ली स्थित अपने संसदीय आवास में उत्तराखण्ड राज्य गठन के प्रमुख संगठन उत्तराखण्ड जनता संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष देवसिंह रावत व महासचिव जगदीश भट्ट, उत्तराखण्ड पत्रकार परिषद के पूर्व महासचिव दाताराम चमोली व वरिष्ट राजनैतिक समीक्षक ताराचंद गौतम से गैरसेंण पर प्रदेश सरकार के निर्णय पर अपने विचार प्रकट करते हुए कही। सांसद प्रदीप टम्टा के विचारों से सहमति प्रकट करते हुए राज्य गठन आंदोलनकारी देवसिंह रावत ने प्रदेश सरकार के कदम को अब तक की तमाम सरकारों के कदम से बेहतर व जन हितों को साकार करने की दिशा में सराहनीय कदम बताया। इसके साथ उन्होंने साफ किया कि प्रदेश की जनता व आंदोलनकारी गैरसेंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी के रूप में नहीं अपितु स्थाई राजधानी के रूप में ही देखना चाहती है और इसके लिए हम सब आंदोलनकारी तब तक निरंतर संघर्ष किया जायेगा जब तक प्रदेश सरकार गैरसेंण में स्थायी राजधानी गठित न कर दे। पत्रकार दाता राम चमोली व जगदीश भट्ट ने भी दो टूक शब्दों में कहा कि सरकार को इसे ग्रीष्म कालीन के चक्र में न फंसा कर इसे तुरंत ही स्थाई राजधानी घोषित करे। इस अवसर पर सांसद प्रदीप टम्टा को उनके गैरसेंण पर प्रदेश की जनांकांक्षाओं के अनरूप विचारों के लिए धन्यवाद देते हुए आशा प्रकट की कि वे प्रदेश की राजधानी गैरसेंण में बनाने के लिए निरंतर चट्टान की तरह डटे रहेंगे।गैरसैण पर सरकार के निर्णय स्वागतयोग्य पर स्थाई राजधानी ही बने गैरसेंणः सांसद प्रदीप टम्टा स्थाई राजधानी गैरसेंण तक संघर्ष जारी रहेंगे आन्दोलनकारी नई दिल्ली(प्याउ)।उत्तराखण्ड सरकार द्वारा गैरसेंण में विधानसभा भवन बनाने व साल का एक सत्र का आयोजन गैरसेंण में करने के निर्णय को सकारात्मक कदम बताते हुए अल्मोडा संसदीय क्षेत्र के जन संघर्षो से जुडे रहे कांग्रेसी सांसद प्रदीप टम्टा ने दो टूक शब्दों मेें कहा कि जनभावनाओं का सम्मान करते हुए प्रदेश सरकार को गैरसेंण में ही प्रदेश की स्थाई राजधानी की घोषणा करनी चाहिए। सांसद प्रदीप टम्टा ने उक्त विचार 4 नवम्बर को दिल्ली स्थित अपने संसदीय आवास में उत्तराखण्ड राज्य गठन के प्रमुख संगठन उत्तराखण्ड जनता संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष देवसिंह रावत व महासचिव जगदीश भट्ट, उत्तराखण्ड पत्रकार परिषद के पूर्व महासचिव दाताराम चमोली व वरिष्ट राजनैतिक समीक्षक ताराचंद गौतम से गैरसेंण पर प्रदेश सरकार के निर्णय पर अपने विचार प्रकट करते हुए कही। सांसद प्रदीप टम्टा के विचारों से सहमति प्रकट करते हुए राज्य गठन आंदोलनकारी देवसिंह रावत ने प्रदेश सरकार के कदम को अब तक की तमाम सरकारों के कदम से बेहतर व जन हितों को साकार करने की दिशा में सराहनीय कदम बताया। इसके साथ उन्होंने साफ किया कि प्रदेश की जनता व आंदोलनकारी गैरसेंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी के रूप में नहीं अपितु स्थाई राजधानी के रूप में ही देखना चाहती है और इसके लिए हम सब आंदोलनकारी तब तक निरंतर संघर्ष किया जायेगा जब तक प्रदेश सरकार गैरसेंण में स्थायी राजधानी गठित न कर दे। पत्रकार दाता राम चमोली व जगदीश भट्ट ने भी दो टूक शब्दों में कहा कि सरकार को इसे ग्रीष्म कालीन के चक्र में न फंसा कर इसे तुरंत ही स्थाई राजधानी घोषित करे। इस अवसर पर सांसद प्रदीप टम्टा को उनके गैरसेंण पर प्रदेश की जनांकांक्षाओं के अनरूप विचारों के लिए धन्यवाद देते हुए आशा प्रकट की कि वे प्रदेश की राजधानी गैरसेंण में बनाने के लिए निरंतर चट्टान की तरह डटे रहेंगे। height=389

हेम पन्त

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ऊन बोलणो छो बोलिहालि... हमुन सुणनु छो सुणिहालि....

"गैरसैंण मां स्थायी राजधानी का बाना" लड़ें हमरि लागि राली....

 

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