चन्द्रशेखर करगेती9 minutes ago · उत्तराखण्ड की राजधानी-गैरसैंण.......
करनी है तो भाषण नही बात कर
समय से साक्षात्कार कर
और कुछ नही सुनना हमें
बात छिड़ी है गैरसैंण की,
उसकी बात कर।
तुम्हारे अपने सरोकार
तुम्हारी अपनी सरकार
हमारी गैरसैंण की बात
जनता को गैरसैंण की दरकार।
गैरसैंण हमारा सपना है
ये पहाड़ हमारा अपना है
तुम्हें शायद पता नही
अब पहाड़ सोया नही
जाग रहा है और
अपने अधिकार के लिए ललकार रहा है।
जरा कान देकर देख
आरजू नही शेर की दहाड़ सुन।
बात नही सुलझेगी अब
बात और फरियाद से
जानते हैं हम
फिर एक बार तैयार हैं
हम आर-पार के लिए।
अब नही चलेगी राजनीति बिसात
अब होगी पहाड़ में
हमारी मर्जी से दिन और रात
अगर तुम सोचते हो
तुम जीत गये हो
तो देख नीलकंठ में
उगते सूरज की गरमाहट को
अहसास का जमीन की गर्मी को
जमीन से जुड़कर।
गैरसैंण हमारा सपना नहीं
गैरसैंण हमारा अधिकार है
अब नही मांगना हमें
अब तो हमें राजधानी
बनानी है गैरसैंण
गर मादा है तुझमें
बरगला मत,
बात छिड़ी है गैरसैंण की तो
गैरसैंण की बात कर
गैरसैंण की बात कर।।
कल यानि ३ नवम्बर केबिनेट बैठक में मुख्यमन्त्री की गैरसैण में विधानसभा के निर्माण और वहाँ ग्रीष्मकालीन सत्र आयोजित करने की घोषणा से भले ही, सत्ता में बैठे लोग और उनके दल के समर्थकों के साथ ही उनका पिछलग्गू बना उक्रांद के राजनेता खुश हो जाये, लेकिन राज्य की राजधानी का मुद्दा इससे हल होने वाला नहीं और ना वर्तमान सरकार की मंशा इसको हल करने की है l गैरसैण केबिनेट बैठक के कई निहितार्थ हैं, इस बैठक को सरकार के विकास के नजरिये के साथ-साथ राजनीति के नजरिये से भी देखना जरूरी हैं l
कल भाई
O.p. Pandey जी ने ठीक ही लिखा कि "फिर एक बार उतराखंड वासियों को छला गया है ,इस बार का छल ज्यादा बड़ा है ,गैरसेण राजधानी का खाव्ब देखने और पहाड़ी राज्य की राजधानी पहाड़ में ,की पूरी परिकल्पना को खत्म करने की आज कांग्रेस ने नीव रख दी है .! कई आयोगों की सिफारिशों को दबाकर यह नया खेल दरसल सोच समझकर उन राजनेताओं,अधिकारियों की साजिश है जो इस राज्य को देहरादून में रहकर लुटवाना चाहते हैं l काग्रेस यहाँ दोहरा गेम खेल रही है,पहला पहाड़वासियों को गैरसैण ग्रीष्मकालीन राजधानी रुपी फीका लड्डू थमा दिया जाय, वहीँ मैदानी लोगों को उनकी इछनुसार देहरादून ! दूसरा खेल खेला जा रहा है कि पहाड़ी राज्य के नाम से राज्य को मिल रहे केंद्र से आर्थिक पैकेज को अधिक से अधिक झटका जाय l आर्थिक रूप से चौराहे पर खड़े उतराखंड के लिए केंद्र से बड़ी भीख मांगने के लिए पहाड़ में राजधानी होने का प्रमाण गैरसैंण अब हो ही जायेगा ! वर्षों से गैरसैण राजधानी की मांग कर रहे सामाजिक कार्यकर्ताओं क्षेत्रीय दलों की आगे की रणनीति क्या होगी यह महत्वपूर्ण होगा ! कांग्रेस की राज्य को राजधानी के नाम पर बांटने कीकोशिस का,कोई तोड़ इन आपसी गुटबाजी में फसे उतराखंड आन्दोलन से जुड़े दलों के पास है ? क्या जुट पाएंगे गैरसेण को स्थाई राजधानी बनाये जाने के लिए उत्तरा खंड के लोग ? आप सब के सुझाव इस मुद्दे पर महत्वपूर्ण होंगे, क्या कहेंगे आप ?"
विधानसभा में केबिनेट की एक बैठक गैरसैण में बुलाकर, ऐसे प्रतीकात्मक कार्य करने से उत्तराखंडी जनता का कभी भला नहीं होगा, इन राजनेताओं की नजर में यदि गैरसैण राज्य की राजधानी बनने की काबिलियत रखता है तो सिर्फ विधानसभा का ग्रीष्मकालीन सत्र क्यों ? विधानसभा के नाम पर मिले ८७ करोड़ रुपयों में से केवल २५ का उपयोग गैरसैण में क्यों ?
अगर ये राजनेता ये मानते है कि गैरसैण राजधानी बनने लायक जगह नहीं है तो वहाँ ग्रीष्मकालीन सत्र बुलाकर गरीब प्रदेश के आर्थिक संसाधनों को बरबाद करने का क्या तुक है ? राजनेताओं की यह दोहरी चाल समझ से परे हैं ?
क्या विधानसभा सत्र आयोजित करने के लिये न्यूनतम संसाधनों की जरुरत नहीं होती है ? राज्य के 71 विधायक और मन्त्री वहाँ जायेंगे साथ में उनके साथ उनका अमला होगा अलग और उन्हें पढाने वाले आईएएस अफसरों की फ़ौज अलग, और जब ये सब गैरसैण जायेंगे तो इन विधायकों को जनता से बचने के लिये पुलिस फ़ोर्स चाहियेगी सो अलग ! मन्त्री विधायक गैरसैण जायेंगे तो इनके लब्बोलुबाब अलग ?
धनाभाव से जूझते इस प्रदेश के नेताओं को क्या इसकी इजाजत दी जानी चाहिये ?
मेरी राय में यह तो गर्मियों में पहाड़ को सैर सपाटे की जगह समझने की मानसिकता का ही विस्तार भर है और कुछ नहीं..........
पहाड़ में सैर सपाटे को दिल्ली मुम्बई के लोग ना होकर अब हमारे चुने हुए प्रतिनिधी ही होंगे