जागरण कार्यालय, नैनीताल: उत्तराखंड जनाधिकार संघर्ष मोर्चा की सोमवार को हुई बैठक में राजधानी चयन के लिए गठित दीक्षित आयोग की रिपोर्ट को कागजों का पुलिंदा बताया गया। बैठक में कहा गया कि आयोग ने धन की बर्बादी कर जनभावनाओं के साथ खिलवाड़ किया है। इस दौरान राज्य की स्थाई राजधानी कुमाऊं व गढ़वाल मंडल के मध्य में बनाने की मांग की गई। मोर्चा अध्यक्ष प्रदीप दुम्का की अध्यक्षता में हुई बैठक में राज्य की राजधानी के मुद्दे पर सरकार से कोई निर्णय लेने से पूर्व वहां की यातायात व्यवस्था व भौगोलिक परिस्थितियों पर ध्यान रखने का आग्रह किया गया। वक्ताओं ने कहा कि राज्य निर्माण आंदोलन में राजधानी का कोई मुद्दा नहीं था। कुछ राजनीतिक दल क्षेत्र विशेष को राजधानी बनाने की मांग कर जनता के साथ विश्र्वासघात कर रहे हैं। बैठक में कहा गया कि दीक्षित आयोग द्वारा सुझाए गए नगरों में सुविधाओं का अभाव है और इसके विकास में सालों लग जाएंगे। मोर्चा ने विकास के लिए संसाधनों का उचित दोहन जरूरी बताते हुए कहा कि दो माह में पूरे क्षेत्र का भ्रमण कर शासन को समाज के हर वर्ग की भावनाओं से अवगत कराया जाएगा। बैठक में राजधानी के संवेदनशील मामले को राजनीति के भंवर में न फंसने देने का संकल्प लिया गया। इस मौके पर शाकिर अली, देव सिंह शाही, घनश्याम, महेंद्र सिंह, खीम सिंह, चंदन सिंह कार्की, कमला साह, भरत मेहरा, महेंद्र आर्या, दुर्गादत्त आदि ने विचार रखे। संचालन मोर्चा के महामंत्री पीएस रौतेला ने किया।