जागरण समाचार Aug 14, 10:15 pm
अस्कोट (पिथौरागढ़)। सीमांत जिले पिथौरागढ़ का एक सुदूरवर्ती दुर्गम इलाका ऐसा है जहां की महिलाओं का रोज मौत के साथ साक्षात्कार होता है। संसाधन नहीं होने से रोज मौत के दरवाजे तक होकर आना यहां की महिलाओं की दिनचर्या बन गई है। हालत यह है कि यहां सुबह घर से निकली महिलाएं शाम को सही सलामत लौटेगी यह विश्वास के साथ नहीं कहा जा सकता है। विकट भौगोलिक परिस्थितियों में बसे इस दुर्गम इलाके की महिलाओं का जीवन एक ऐसी खतरनाक चट्टान व उसके बीच बनी पानी की गूल के हवाले है जो अब तक कई जिंदगियों को लील चुकी है। पिथौरागढ़ जिला मुख्यालय से 52 किमी की दूरी पर अस्कोट कस्बा है। इस कस्बे से लगभग दस किमी की दूरी पर एक ऐसा इलाका है जहां के ग्रामीण आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है। इसके अर्न्तगत आने वाले सिरतोली, कूटा और बसौरा राजस्व गांवों में स्वास्थ्य, शिक्षा, बिजली, पेयजल और यातायात जैसी सुविधायें आज तक उपलब्ध नहीं हो पाई है। हांलाकि सुविधाओं के अभाव में अब तक अधिकांश परिवार यहां से बाहर पलायन कर चुके है। परंतु आर्थिक रूप से कमजोर परिवार आज भी इन्हीं असुविधाओं से जीवन यापन करने को मजबूर है। आज भी लगभग दो हजार की आबादी खेतीबाड़ी व पशुपालन से गुजर बसर करते है। अपने मवेशियों के लिये लिये घास चारा व जलौनी लकड़ी आदि के लिये यह लोग एक ऐसी बेहद खतरनाक चट्टान से आवाजाही करने को मजबूर हैं जो अब तक कई लोगों की मौत का सबब बन चुकी है। इन गांवों की महिलाएं घास, चारा और लकड़ी के लिये हर रोज इस चट्टानी क्षेत्र में जाती है। सैकड़ों मी.ऊंचे व लगभग एकदम खड़े कालभेल नामक इस चट्टानी क्षेत्र के बीचो बीच संकरा रास्ता बनाया गया है। इस स्थान पर महिलाओं को घास को पकड़कर आवाजाही करनी पड़ती है। थोड़ी सी लापरवाही होने पर सैकड़ों फीट गहरी खाई में गिरने का खतरा बना रहता है। अब तक इस स्थान पर कई महिलाएं गिरकर मौत के मुंह में जा चुकी है।