जैव विविधता के लिए मशहूर उत्ताराखंड में त्यूणी और सोमेश्वर में सीमेंट फैक्ट्रियां खोलने का सरकार का फैसला उसके गले की फांस बन सकता है। पर्यावरणविद् राज्य सरकार के इस कदम से न सिर्फ चिंतित हैं, बल्कि उन्होंने इसे पहाड़ को बरबाद करने की साजिश करार दिया है। उनका कहना है कि जब उत्ताराखंड जैसी परिस्थितियों वाला हिमाचल प्रदेश अपने यहां सीमेंट फैक्ट्री खोलने के कदम पीछे खींच चुका है तो यहां ऐसी मारामारी क्यों। वह भी तब जबकि समूचा उत्ताराखंड आपदा की मार से त्रस्त है। ऐसे में सीमेंट फैक्ट्री के रूप में दूसरी आफत को न्योता क्यों दिया जा रहा है। सरकार को चाहिए कि वह अपने इस फैसले पर पुनर्विचार कर यहां के संसाधनों को मुनाफाखोर कंपनियों के हाथों में जाने से रोके।
यह हैं आशंकाएं
त्यूणी :- जिले के प्रमुख सेब उत्पादक क्षेत्रों में शामिल त्यूणी में सीमेंट फैक्ट्री खुलने पर इलाके की इस पहचान को मिटते देर नहीं लगेगी। हालांकि, फैक्ट्री के जरिये रोजगार मिलने की बात कही जा रही है, लेकिन बड़ी कंपनियों का इतिहास इस बात का साक्षी है कि कितने लोगों को रोजगार मिला। फिर क्षेत्र की पहचान, पर्यावरण, खेती-किसानी खत्म होने को कौन होगा जिम्मेदार।
सोमेश्वर :- सोमेश्वर और इससे लगी कत्यूर घाटी की पहचान बेहद उपजाऊ घाटी के रूप में है। आज भी यहां की खेती और प्राकृतिक सौंदर्य हर किसी को अपनी ओर खींचता है। सोमेश्वर में सीमेंट फैक्ट्री लगी तो सोमेश्वर के साथ ही कत्यूर घाटी की यह पहचान मिटते देर नहीं लगेगी। फिर सोमेश्वर के पास कोसी नदी भी बहती है, जिसमें पानी पहले ही कम है। फैक्ट्री लगी तो इसके अस्तित्व पर प्रश्नचिह्न लग जाएगा।
बोले पर्यावरणविद्
'उत्ताराखंड जैसी परिस्थितियों वाले पड़ोसी राज्य हिमाचल ने पूर्व में कुछ सीमेंट फैक्ट्रियों की परमीशन दी थी, लेकिन पर्यावरणीय दिक्कतों को देखते हुए इसे निरस्त कर दिया था। सीमेंट फैक्ट्री पहाड़ के हित में नहीं है। राज्य सरकार को चाहिए कि वह हिमाचल में सीमेंट फैक्ट्रियां बंद क्यों हुई, उसका पता करने के बाद ही निर्णय ले।'
-पदमश्री डॉ.अनिल जोशी, संस्थापक हेस्को
'यह सबसे दुखद है कि इतनी बड़ी आपदा झेलने के बाद भी सरकार ऐसे फैसले ले रही है, जो पहाड़ को बरबाद करके रख देंगे। सीमेंट फैक्ट्री के लिए दरवाजे खोलना भी ऐसा ही है। यह समझ से परे है कि सरकार आखिर जल-जंगल-जमीन का इस तरह सौदा क्यों कर रही है। त्यूणी व सोमेश्वर में सीमेंट फैक्ट्रियों का विरोध किया जाएगा और इसके लिए जनसंगठनों से वार्ता शुरू कर दी गई है।'
-सुरेश भाई, संस्थापक नदी बचाओ आंदोलन
'इलाहाबाद विवि के प्रोफेसर एसडी पंत की रिसर्च बताती है कि कत्यूर व सोमेश्वर घाटी एशिया की सबसे उपजाऊ घाटी है। ऐसे में सोमेश्वर में सीमेंट फैक्ट्री खुलने से इलाके की पहचान ही मिट जाएगी। पर्यावरण के साथ ही पहाड़ को तहस-नहस करने की यह साजिश समझ से परे है। इसका पुरजोर विरोध किया जाएगा।'
-डॉ.शमशेर सिंह बिष्ट, अध्यक्ष उत्ताराखंड लोक वाहिनी