Author Topic: Ultratech Cement to invest Rs 5,000 crore in Uttarakhand- अल्ट्राटेक उत्तराखंड  (Read 13732 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Dosto,


Ultratech Cement to invest Rs 5,000 crore in Uttarakhand
 
 DEHRADUN: Cement manufacturing company Ultratech CementBSE -1.36 % will make investments worth Rs 5,000 crore in Uttarakhand.
 
 The Industrial Development Department has issued a letter of intent to the company asking it to set up its cement plants worth Rs 5,000 crore at Tuni in Dehradun district and at Someshwar in Almora district, an official release quoting state's Additional Chief Secretary Rakesh Sharma said.
 
 The plant at Tuni will have a capacity of producing 3.5 million tonnes of cement per year while the one at Someshwar will have a capacity to produce 2 million tonnes of cement per year, it said.
 
 An MoU in this regard will be signed after the company fulfils the formalities that follow issuance of the letter of intent.
 
 An investment of this scale is being made for the first time in the state and it is likely to boost the revenues besides creating job opportunities for the local  ..
 
 An investment of this scale is being made for the first time in the state and it is likely to boost the revenues besides creating job opportunities for the local people, Sharma said, adding that the company will not be allowed to violate any environmental norms.
http://economictimes.indiatimes.com/articleshow/27225227.cms?utm_source=contentofinterest&utm_medium=text&utm_campaign=cppst

M S Mehta

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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अल्ट्राटेक उत्तराखंड में पांच हजार करोड़ का निवेश करेगी
सीमेंट उत्पादक कंपनी अल्ट्राटेक सीमेंट लिमिटेड उत्तराखंड में चरणबद्ध तरीके से 5000 करोड़ रुपये का निवेश करेगी। कंपनी देहरादून जिले के त्यूनी और अल्मोड़ा जिले के सोमेश्वर में दो सीमेंट प्लांट स्थापित करेगी। बुधवार को नई दिल्ली के उत्तराखंड सदन में एक कार्यक्रम में राज्य के औद्योगिक विकास विभाग ने अल्ट्राटेक सीमेंट को त्यूनी व सोमेश्वर में सीमेंट प्लांट के लिए आशय पत्र जारी किया। अपर मुख्य सचिव राकेश शर्मा के मुताबिक त्यूनी में 3.5 मिलियन टन प्रतिवर्ष और सोमेश्वर में दो मिलियन टन प्रति वर्ष की क्षमता का प्लांट लगाया जाएगा। श्री शर्मा ने बताया कि आशय पत्र जारी होने के बाद कंपनी को निर्धारित औपचारिकताएं पूरी करनी होंगी और फिर एमओयू हस्ताक्षरित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि पहली बार राज्य के आर्थिक रूप से पिछड़े पर्वतीय क्षेत्रों में इतना बड़ा औद्योगिक निवेश होने जा रहा है। श्री शर्मा के मुताबिक कंपनी को सभी निर्धारित पर्यावरण मानकों को पूर्ण करना होगा। अल्ट्राटेक सीमेंट से भारी संख्या में रोजगार सृजन के साथ ही राज्य सरकार को निकट भविष्य में वैट व सीएसटी द्वारा राजस्व प्राप्ति भी होगी। उन्होंने आशा व्यक्त की कि कंपनी द्वारा कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसबिलिटी के तहत भी व्यापक अवस्थापना विकास किया जाएगा। कंपनी के निदेशक आरएम गुप्ता ने बताया कि अल्ट्राटेक सीमेंट अपने अत्याधुनिक प्लांटों के लिए जानी जाती है। कंपनी भूजल संरक्षण और स्थानीय रोजगार को प्राथमिकता देगी। इस अवसर पर अपर सचिव औद्योगिक विकास आर मीनाक्षी सुंदरम और निदेशक उद्योग शैलैश बगोली भी उपस्थित थे।

http://www.jagran.com/local/uttarakhand_dehradun-city-news-hindi.html

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 जैव विविधता के लिए मशहूर उत्ताराखंड में त्यूणी और सोमेश्वर में सीमेंट फैक्ट्रियां खोलने का सरकार का फैसला उसके गले की फांस बन सकता है। पर्यावरणविद् राज्य सरकार के इस कदम से न सिर्फ चिंतित हैं, बल्कि उन्होंने इसे पहाड़ को बरबाद करने की साजिश करार दिया है। उनका कहना है कि जब उत्ताराखंड जैसी परिस्थितियों वाला हिमाचल प्रदेश अपने यहां सीमेंट फैक्ट्री खोलने के कदम पीछे खींच चुका है तो यहां ऐसी मारामारी क्यों। वह भी तब जबकि समूचा उत्ताराखंड आपदा की मार से त्रस्त है। ऐसे में सीमेंट फैक्ट्री के रूप में दूसरी आफत को न्योता क्यों दिया जा रहा है। सरकार को चाहिए कि वह अपने इस फैसले पर पुनर्विचार कर यहां के संसाधनों को मुनाफाखोर कंपनियों के हाथों में जाने से रोके।

यह हैं आशंकाएं

त्यूणी :- जिले के प्रमुख सेब उत्पादक क्षेत्रों में शामिल त्यूणी में सीमेंट फैक्ट्री खुलने पर इलाके की इस पहचान को मिटते देर नहीं लगेगी। हालांकि, फैक्ट्री के जरिये रोजगार मिलने की बात कही जा रही है, लेकिन बड़ी कंपनियों का इतिहास इस बात का साक्षी है कि कितने लोगों को रोजगार मिला। फिर क्षेत्र की पहचान, पर्यावरण, खेती-किसानी खत्म होने को कौन होगा जिम्मेदार।

सोमेश्वर :- सोमेश्वर और इससे लगी कत्यूर घाटी की पहचान बेहद उपजाऊ घाटी के रूप में है। आज भी यहां की खेती और प्राकृतिक सौंदर्य हर किसी को अपनी ओर खींचता है। सोमेश्वर में सीमेंट फैक्ट्री लगी तो सोमेश्वर के साथ ही कत्यूर घाटी की यह पहचान मिटते देर नहीं लगेगी। फिर सोमेश्वर के पास कोसी नदी भी बहती है, जिसमें पानी पहले ही कम है। फैक्ट्री लगी तो इसके अस्तित्व पर प्रश्नचिह्न लग जाएगा।

बोले पर्यावरणविद्

'उत्ताराखंड जैसी परिस्थितियों वाले पड़ोसी राज्य हिमाचल ने पूर्व में कुछ सीमेंट फैक्ट्रियों की परमीशन दी थी, लेकिन पर्यावरणीय दिक्कतों को देखते हुए इसे निरस्त कर दिया था। सीमेंट फैक्ट्री पहाड़ के हित में नहीं है। राज्य सरकार को चाहिए कि वह हिमाचल में सीमेंट फैक्ट्रियां बंद क्यों हुई, उसका पता करने के बाद ही निर्णय ले।'

-पदमश्री डॉ.अनिल जोशी, संस्थापक हेस्को

'यह सबसे दुखद है कि इतनी बड़ी आपदा झेलने के बाद भी सरकार ऐसे फैसले ले रही है, जो पहाड़ को बरबाद करके रख देंगे। सीमेंट फैक्ट्री के लिए दरवाजे खोलना भी ऐसा ही है। यह समझ से परे है कि सरकार आखिर जल-जंगल-जमीन का इस तरह सौदा क्यों कर रही है। त्यूणी व सोमेश्वर में सीमेंट फैक्ट्रियों का विरोध किया जाएगा और इसके लिए जनसंगठनों से वार्ता शुरू कर दी गई है।'

-सुरेश भाई, संस्थापक नदी बचाओ आंदोलन

'इलाहाबाद विवि के प्रोफेसर एसडी पंत की रिसर्च बताती है कि कत्यूर व सोमेश्वर घाटी एशिया की सबसे उपजाऊ घाटी है। ऐसे में सोमेश्वर में सीमेंट फैक्ट्री खुलने से इलाके की पहचान ही मिट जाएगी। पर्यावरण के साथ ही पहाड़ को तहस-नहस करने की यह साजिश समझ से परे है। इसका पुरजोर विरोध किया जाएगा।'

-डॉ.शमशेर सिंह बिष्ट, अध्यक्ष उत्ताराखंड लोक वाहिनी

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उत्तराखंड के पहाड़ों को 'बर्बाद' कर देगा अल्ट्राटेक

कोकाकोला का विवाद अभी पूरी तरह से ठंडा भी नहीं हो पाया था कि बुधवार को एक बार फिर से उत्तराखंड सरकार ने विकास के नाम पर एक और विवाद को न्यौता दे दिया।

त्यूनी और सोमेश्वर में प्लांट लगाने का करार

सीमेंट बनाने वाली कंपनी अल्ट्राटेक के साथ प्रदेश सरकार ने त्यूनी और सोमेश्वर में प्लांट लगाने का करार किया। अपर मुख्य सचिव राकेश शर्मा के मुताबिक ये प्लांट 35 लाख टन और 20 लाख टन प्रतिवर्ष की उत्तपादन क्षमता के होंगे और कंपनी करीब पांच हजार करोड़ रुपए का निवेश करेगी।


प्रदेश सरकार ने ये एमओयू ऐसे समय में किया है जब आपदा से कराह रहा उत्तराखंड पर्यावरण को लेकर खासा संवेदनशील है। हाल ही में कोकाकोला के निवेश को भी इसी वजह से प्रदेश सरकार को ठंडे बस्ते में डालना पड़ा था।

सीमेंट उत्पादन प्रदेश के उद्योगों की नकारात्मक सूची में हैं और इस उद्योग का पर्यावरण पर प्रभाव भी जगजाहिर है। खास बात यह है कि सीमेंट उत्पादन में चूना पत्थर और रेत का उपयोग जमकर होता है और त्यूनी तथा सोमेश्वर दोनों ही चूना पत्थर की खानों के लिए भी जाने जाते हैं।

आशय पत्र भी जारी
अपर मुख्य सचिव के मुताबिक औद्योगिक विकास विभाग ने कंपनी को आशय पत्र भी जारी कर दिया है। अल्ट्राटेक सीमेंट त्यूनी में 35 लाख टन प्रतिवर्ष और सोमेश्वर में 20 लाख टन प्रतिवर्ष की क्षमता का प्लांट लगाएगी।

इस बार भी प्रदेश सरकार का ठीक वही तर्क है जो कोकाकोला करार के समय सामने रखा गया था। यह कि प्रदेश में भारी मात्रा में औद्योगिक पूंजी निवेश हो रहा है। कंपनी सामाजिक जिम्मेदारी कार्य के तहत कई और अवस्थापना विकास के कार्य करेगी और प्रदेश में बड़ी संख्या में रोजगार मिलेगा।


दूसरी ओर सीमेंट उत्पादन से पर्यावरण और आसपास के वातावरण पर पड़ने वाले प्रभाव को यह कहकर निपटा दिया गया कि कंपनी पर्यावरण के सभी मानकों को पूरा करेगी। इस करार पर पर्यावरणविद् स्पष्ट नहीं हैं पर वे इसे सही फैसला भी नहीं मान रहे हैं।

पीपुल्स साइंस इंस्टीट्यूट के संस्थापक निदेशक रवि चोपड़ा ने कहा कि त्यूनी और सोमेश्वर के पर्यावरण को देखते हुए यह फैसला सही नहीं माना जा सकता।

पर्यावरण विद् चंडी प्रसाद भट्ट के मुताबिक 1984-85 में लोहाघाट में एक इसी तरह की परियोजना को स्थानीय लोगों ने विरोध करके बंद कराया था। इस समय भी देखना होगा कि परिस्थितियां क्या हैं। अल्मोड़ा सांसद प्रदीप टम्टा के मुताबिक अल्मोड़ा कृषि क्षेत्र है।

यह देखना होगा कि कंपनी कच्चा उत्पाद कहां से लेगी और करार में क्या-क्या है। इसके बाद ही कुछ कहा जा सकेगा।

सीमेंट और पर्यावरण
- सीमेंट उत्पादन की हर प्रक्रिया पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाली साबित होती है। सीमेंट को बनाने के लिए चूना पत्थर और रेत को करीब 1400 डिग्री सेंटीग्रेड तक गरम करना होता है जिससे कार्बनडाइऑक्साइड गैस रिलीज होती है।



यह गैस जलवायु परिवर्तन का सबसे बड़ा कारण मानी जा रही है। थेलियम, कैडमियम और मरकरी जैसे भारी तत्व हवा में घुलते हैं। खनन के कारण आसपास के क्षेत्र को धूल और शोर प्रदूषण का सामना करना पड़ता है। सीमेंट अत्यधिक ऊर्जा का उपयोग करने वाला उद्योग भी है।

- अल्ट्राटेक सीमेंट आदित्य बिड़ला ग्रुप का है और इस समय उसका गुजरात में 48 लाख टन उत्पादन क्षमता का इसका सबसे बड़ा प्लांट हैं। इस हिसाब से देखा जाए तो उत्तराखंड में यह कंपनी अपना उत्पादन सीधे दोगुना करने की तैयारी में है। सीमेंट उत्पादन में चीन के बाद भारत दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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सीमेंट फैक्ट्री लगने से कोसी को खतरा
अल्मोड़ा। सरकार ने विकास के नाम पर अल्मोड़ा जिले के सोमेश्वर में सीमेंट प्लांट लगाने के लिए करार कर दिया है। अल्ट्राटेक कंपनी के सोमेश्वर में लगने वाले प्लांट में प्रति वर्ष 20 लाख टन उत्पादन करने की योजना है। कोसी नदी भी सोमेश्वर के निकट कौसानी से निकलती है। पर्यावरणविदों का मानना है कि यदि सोमेश्वर में सीमेंट की बड़ी फैक्ट्री स्थापित की गई तो कोसी नदी को भी खतरा पैदा हो सकता है। साथ ही यहां की वनस्पति, वन, खेती-बाड़ी को भी भारी नुकसान की आशंका है।
प्रदेश सरकार ने अल्ट्राटेक कंपनी के साथ करार किया है। इसके मुताबिक सोमेश्वर में प्रति वर्ष 20 लाख टन सीमेंट का उत्पादन किया जाएगा। मालूम हो कि सीमेंट उत्पादन प्रदेश के उद्योगों में नकारात्मक सूची में है। पर्यावरणविदों के अनुसार पर्वतीय क्षेत्र के लिए यह उद्योग काफी घातक हो सकता है। सोमेश्वर के निकट कौसानी से ही कोसी नदी का भी उद्गम है। यह नदी सोमेश्वर से होकर निकलती है। पर्यावरण विशेषज्ञों का मानना है कि यदि सोमेश्वर में इतना बड़ा प्लांट लगता है तो इससे कोसी नदी में पानी का स्तर भी काफी कम हो सकता है। उल्लेखनीय है कि कोसी से अल्मोड़ा और आसपास के क्षेत्रों में पीने और सिंचाई के लिए पानी की आपूर्ति होती है और गर्मियों में इस नदी का जल स्तर कम होने पर पानी के लिए हाहाकार मचने लगता है। यदि सीमेंट फैक्ट्री लगने से कोसी को खतरा हुआ तो बहुत बड़ा संकट उत्पन्न हो सकता है।
उत्तराखंड लोक वाहिनी के केंद्रीय अध्यक्ष डा. शमशेर सिंह बिष्ट का कहना है कि कत्यूर और सोमेश्वर घाटी काफी उपजाऊ क्षेत्र है। सीमेंट उद्योग नकारात्मक उद्योग के रूप में जाना जाता है। यहां सीमेंट प्लांट लगने से पर्यावरण को नुकसान होगा। साथ ही पिनाथ से निकलने वाली कोसी भी प्रदूषित हो जाएगी। कारखाना लगने से पर्यावरण प्रदूषित होने के साथ ही जनजीवन पर संकट आ जाएगा।

कांग्रेस ने किया स्वागत
अल्मोड़ा। सरकार के सोमेश्वर में सीमेंट प्लांट लगाने के निर्णय का कांग्रेस पार्टी ने स्वागत किया है। पार्टी के जिलाध्यक्ष राजेंद्र बाराकोटी ने कहा है कि औद्योगिक विकास विभाग भारत सरकार का अल्मोड़ा जिले के सोमेश्वर विधानसभा क्षेत्र में अल्ट्राटेक कंपनी का सीमेंट प्लांट लगाने का निर्णय स्वागत योग्य है। उन्होंने कहा कि पहली बार आर्थिक रूप से पिछड़े पर्वतीय क्षेत्र में इतना बड़ा औद्योगिक निवेश होने जा रहा है। इससे स्थानीय नवयुवकों के लिए रोजगार के अवसर खुलने के साथ ही सरकार को राजस्व की भी प्राप्ति होगी।

पहाड़ में सीमेंट उद्योग लगाना ठीक नहीं : प्रो.रावत
अल्मोड़ा। कुमाऊं विवि एसएसजे परिसर अल्मोड़ा में भूगोल के विभागाध्यक्ष और एनआरडीएमएस के निदेशक प्रो.जेएस रावत ने कहा कि पहाड़ में सीमेंट उद्योग लगाना पर्यावरण की दृष्टि से ठीक नहीं है। उन्होंने कहा कि यहां की पहाड़ियां पर्यावरण की दृष्टि से काफी संवेदनशील हैं। खासतौर पर यहां की जिओफिजियोलॉजी बहुत अधिक संवेदनशील है। सीमेंट फैक्ट्री लगने से कार्बनडाइआक्साइड गैस रिलीज होती है। इसके उत्सर्जन से जहां वन, वनस्पति और खेती तो बरबाद होगी ही साथ ही जल संसाधनों और भूमिगत जल को भारी नुकसान पहुंचेगा। जिससे कोसी नदी को भी खतरा संभव है। पहाड़ में फल, लीसा, जड़ी-बूटी आदि से संबंधित छोटे उद्योग लगाना हितकर रहेगा।

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Ultra Tech Cement to invest Rs 5,000 cr in Uttarakhand

 Ultra Tech Cement, an Aditya Birla group company, has announced plans to set up two cement plants entailing investments of over Rs 5000 crore.
 
This is being considered as the biggest investment by any company in the hill state so far. 
 
“Ultra Tech Cement is going to set up two cement plants – one at Tyuni in Dehradun district and another at Someshwar in Almora district,” said Additional Chief Secretary Rakesh Sharma. The Rs 5000 crore investment by the company will be in a phased manner.
 
A letter of intent to this effect was issued by the state government to the company’s Managing Director R M Gupta at New Delhi on Wednesday. “We are soon going to sign an MoU with Ultra Tech,” he said. The company has been asked to complete all the environmental clearances for setting up the two cement plants in the environmentally-sensitive zones.
 
Under the mega industrial policy, the government is offering a slew of sops for new units that entail an investment of more than Rs 75 crore. The sops include 50 percent rebate on the stamp fees, 1 percent relief in central sales tax (CST) and various other incentives including transport subsidy.
 
After the June 16-17 deluge, which devastated a major portion of the hills of Uttarakhand, the process of industrialization in the state had taken a hit especially at Sitarganj where a new industrial estate is being developed by the government-run State Infrastructure and Industrial Development Corporation of Uttarakhand Limited (SIDCUL). Official sources said the SIDCUL has not signed a single MoU as far as new units at Sitarganj industrial estate are concerned since June.

http://www.business-standard.com/article/companies/ultra-tech-cement-to-invest-rs-5000-cr-in-uttarakhand-113121100664_1.html

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सीमेंट फैक्ट्री लगाने को 634 हेक्टेयर भूमि चुनी

सोमेश्वर। सोमेश्वर से 10 किमी दूर गिरेछीना मार्ग पर खौलधार तोक में सीमेंट फैक्ट्री स्थापित करने के लिए 634.28 हेक्टेयर भूमि चयनित की गई है। इसमें क्षेत्र के गांवों की करीब 10 हेक्टेयर कृषि भूमि भी शामिल है। इस क्षेत्र की पहाड़ियों में काफी मात्रा में चूना पत्थर है जो कि सीमेंट बनाने के उपयोग में लाया जाता है।

सोमेश्वर से करीब 10 किमी दूर सोमेश्वर-गिरेछीना मार्ग पर खौलधार की पहाड़ियों में चूना पत्थर है, जो कि सीमेंट बनाने के काम आता है। इसको देखते हुए शासन के निर्देश पर तहसील प्रशासन ने फरवरी 2012 में शासन को प्रस्ताव भेजा था। इसके बाद अल्ट्राटेक कंपनी के इंजीनियर और वैज्ञानिक 12 दिसंबर 2012 को भूलगांव, आगररौलकुड़ी, अझौड़ा, बचुराड़ी गांवों से लगी खौलधार की पहाड़ियों के अध्ययन को पहुंचे। अध्ययन में कंपनी के अधिकारियों ने इस क्षेत्र को सीमेंट फैक्ट्री लगाने के लिए उपयुक्त पाया। भूलगांव, आगररौलकुड़ी, अझौड़ा, बचुराड़ी गांवों के मध्य में खौलधार तोक की पहाड़ियों में कारखाना स्थापित करने के लिए करीब 634.28 हेक्टेयर भूमि चिह्नित की गई है। इस भूमि में जंगल, चारागाह के साथ ही काश्तकारों की करीब 10 हेक्टेयर (500 नाली) कृषि भूमि भी शामिल है।
इस माह प्रारंभ में अल्ट्राटेक कंपनी के अधिकारियों और उत्तराखंड सरकार के मध्य फैक्ट्री लगाने के लिए एमओयू साइन हो गया है। इससे जल्द ही क्षेत्र में सीमेंट फैक्ट्री के स्थापित होने की आशा है। इधर, तहसीलदार एनएस जीना ने बताया कि फैक्ट्री के लिए 634.28 हेक्टेयर भूमि चिह्नित की गई है।
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पहले हो पुनर्वास की व्यवस्था
भूलगांव निवासी राजेंद्र सिंह रावत का कहना है कि सीमेंट फैक्ट्री लगेगी तो क्षेत्र में प्रदूषण फैलेगा। इससे कृषि भूमि को भी नुकसान पहुंचेगा। इसको देखते हुए सरकार को क्षेत्रवासियों के दूसरे स्थान पर पुनर्वास की व्यवस्था करनी चाहिए। यह भी जरूरी है कि फैक्ट्री में स्थानीय लोगों को ही रोजगार मिले।
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फैक्ट्री लगने से रुकेगा पलायन
बचुराड़ी गांव के निवर्तमान प्रधान सुरेंद्र सिंह रावत सीमेंट फैक्ट्री स्थापित करने को सकारात्मक कदम बताते हैं। वह कहते हैं कि फैक्ट्री लगने से क्षेत्र में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और पलायन रुकेगा।
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फैक्ट्री लगने से पूर्व दूसरे स्थानों पर करें विस्थापित
बचुराड़ी के पूर्व प्रधान हुकुम सिंह रावत का कहना है कि यदि सीमेंट फैक्ट्री स्थापित होगी तो क्षेत्र में प्रदूषण होगा। इससे सीधे तौर पर आधा दर्जन गांवों के निवासियों पर प्रभाव पड़ेगा। सरकार ग्रामीणों को दूसरे स्थानों पर विस्थापित करें और फैक्ट्री लगाए।
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उद्योग लगने से बढ़ेंगे रोजगार के अवसर
आगर रौलकुड़ी गांव के निवासी कुंवर सिंह का कहना है कि उद्योग लगना चाहिए। इससे लोगों खासकर युवाओं को रोजगार मिलेगा। जिससे क्षेत्र का विकास होगा। जंगली सूअरों और बंदरों के नुकसान करने से खेती चौपट हो गई है और लोग खेती से विमुख हो रहे हैं।
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आगर रौलकुड़ी गांव निवासी राजेंद्र सिंह कबडोला भी फैक्ट्री खुलने के पक्ष में हैं। वह कहते हैं कि इससे क्षेत्र का विकास होगा और रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।
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मनसारानाला तल्ला कत्यूर संघर्ष समिति के अध्यक्ष डुंगर सिंह ने कहा कि रोजगार के लिए क्षेत्र के युवा महानगरों को पलायन कर रहे हैं। इसके लिए जरुरी है कि क्षेत्र में उद्योग लगे। इससे रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।

http://www.amarujala.com/news/states/uttarakhand/almora/Almora-69686-113/

 

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