Uttarakhand > Development Issues - उत्तराखण्ड के विकास से संबंधित मुद्दे !

Uttarakhand Education System - उत्तराखण्ड की शिक्षा प्रणाली

<< < (21/23) > >>

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
This is the development of Congress lead Govt in Uttarkahand -

उत्तराखंडः स्कूल में बच्चों के लिए हेलमेट कंपल्सरी

देहरादून के दूधली इंटर कॉलेज में बच्चे हेलमेट लगाकर कक्षा में बैठते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि कॉलेज की इमारत इतनी जर्जर हो चुकी है कि इमारत कब गिर जाए पता नहीं।

सुनने में यह बात बेहद अजीब सी लगती है, लेकिन यह अफसरशाही की पोल खोलने के काफी है। उत्तराखंड की राजधानी देहरादून के दूधली इंटर कॉलेज के छात्र और छात्राएं अपने सिर के सलामती के लिए हेलमेट लगाकर क्लास में बैठते हैं।

शिक्षक दिवस पर जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण को हर स्कूल में सुनाया जा रहा था। वहीं इस स्कूल में बच्चों ने हेलमेट पहनकर पढ़ाई की, इसकी जानकारी मिलते ही मुख्य शिक्षाधिकारी ने राजकीय इंटर कॉलेज दूधली की जर्जर इमारत का निरीक्षण कर हालात का जायजा लिया।

उधर, जनप्रतिनिधियो की शिकायत पर क्षेत्रीय विधायक ने भी मौका मुआयना किया और जल्द समस्या के निदान का भरोसा दिलाया। शिक्षा विभाग की उदासीनता के चलते इंटर कॉलेज का भवन जीर्णशीर्ण स्थिति में है।

बारिश के दिनों में छत से पानी टपकता है। शौचालय भी बुरी स्थिति में है। बीते शुक्रवार को शिक्षक दिवस पर विद्यार्थियों ने समस्या उठाने का नायाब तरीका निकला। कक्ष में हेलमेट पहनकर पढ़ाई की। मामला उच्चाधिकारियों तक पहुंचा तो हड़कंप मच गया।

शनिवार को मुख्य शिक्षाधिकारी एसपी खाली मौके पर पहुंचे और हालात से रूबरू हुए। उन्होंने अभिभावकों और जनप्रतिनिधियों को जल्द समस्या निदान का भरोसा दिलाया।

दूसरी ओर क्षेत्रीय विधायक हीरा सिंह बिष्ट ने भी विद्यालय का मौका मुआयना किया। इस दौरान प्रधानाचार्य दीपक राणा, जिला पंचायत सदस्य टीना सिंह, क्षेत्र पंचायत सदस्य दरपान वोहरा आदि मौजूद थे। (source amar ujala)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:

उत्तराखंड के शिक्षा विभाग को शायद ‘शिक्षित’ करने की जरूरत है। प्रदेश के स्कूलों में न जरूरी सहूलियतें हैं, न ही णवत्तापरक शिक्षा देने की व्यवस्था। नतीजतन लगातार सरकारी स्कूलों पर ताले लगते जा रहे हैं।

स्कूलों के बंद होने की गति यही रही तो गरीबों के बच्चों के लिए शिक्षा का संकट पैदा हो जाएगा। एक और सरकारी महकमे पेयजल निगम की सुस्ती और लापरवाही की वजह से लोगों को पानी नहीं मिल पा रहा है। केंद्र से आया पैसा खर्च करने में नाकाम महकमा विश्व बैंक का कर्जा चढ़ाकर पानी पिलाने की तैयारी में है।

बंद होने के कगार पर साढ़े पांच हजार सरकारी स्कूल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सपना है कि देश का हर बच्चा स्कूल जाए। यही नहीं पीएम का जोर स्किल्ड एजूकेशन पर भी है। शिक्षक दिवस पर बच्चों से संवाद कार्यक्रम में उन्होंने इसका जिक्र भी किया, लेकिन बड़ा सवाल यह है कि यह होगा कैसे?


http://www.dehradun.amarujala.com/feature/city-news-dun/government-school-in-uttarakhand-can-be-close-hindi-news/

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
Mahi Singh Mehta
November 25 at 11:16pm ·

This is the development Model of Uttarakhand.

उत्तराखंड के 1800 प्राइमरी स्कूल होंगे बंद

उत्तराखंड में करीब 1800 प्राइमरी स्कूलों पर अगले शिक्षा सत्र से ताला लगने जा रहा है। छात्र संख्या 10 से कम होने के कारण इन स्कूलों को मर्ज करने की तैयारी है। इसके लिए विस्तृत योजना तैयार की जा रही है।

राजकीय प्राथमिक विद्यालयों में इस समय पांच लाख 56 हजार छात्र हैं। असहायतित और सहायता प्राप्त विद्यालयों के बच्चों की संख्या जोड़ने पर यह संख्या करीब साढ़े दस लाख हो जाएगी। प्रदेश में कुल मिलाकर 15428 प्राथमिक विद्यालय हैं।

शिक्षा विभाग के सूत्रों के मुताबिक इनमें से करीब 1800 स्कूल ऐसे हैं जिनमें छात्र संख्या 10 या इससे कम है। इसे देखते हुए इन स्कूलों को मर्ज करने की तैयारी है।

बंद होने वाले प्राइमरी स्कूलों के छात्रों को दो-तीन गांवों के बीच के स्कूल में समायोजित किया जाएगा। ब्लॉक मुख्यालयों में नवोदय की तर्ज पर आवासीय विद्यालय भी बनाने की योजना चल रही है।

मर्ज किए जाने वाले स्कूलों के छात्रों को इन आवासीय विद्यालयों में भी जगह दी जा सकती है। हालांकि, इसमें चुनौती यह भी है कि स्कूल छात्रों के लिए अधिक दूरी पर न हो। ऐसे में मर्ज किए जाने वाले स्कूलों का पूरा प्लान शिक्षा विभाग को तैयार करना पड़ रहा है।

बोले शिक्षा मंत्री
स्कूलों में छात्र संख्या कम होने के कारण यह फैसला किया गया है। इन स्कूलों के बच्चों को किसी अन्य स्कूल में समायोजित करने के लिए विस्तृत योजना तैयार की जा रही है। इसके लिए पैनल गठित करने का निर्देश दिया गया है।
-मंत्री प्रसाद नैथानी, शिक्षा मंत्री

संख्या कम होने के कारण
- पहाड़ से परिवारों का पलायन
- सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की कमी
- निजी स्कूलों की तरफ बढ़ता रुझान
- गुणवत्ता परक शिक्षा दिलाने की चाहत
- अंग्रेजी शिक्षा के प्रति आकर्षण
( अमर उजाला)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:

शिक्षा विभाग नींद में

उत्तरकाशी : आपदाओं की मार से बदहाल हो चुके स्कूलों की फिलहाल शिक्षा विभाग सुध लेने को तैयार नहीं है। वर्ष 2012 और 2013 की आपदाओं से जिले में पचास प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूल जर्जर हो चुके हैं, लेकिन शिक्षा विभाग इनकी मरम्मत शुरू नहीं कर सका है।

जिले में इन दो साल में 44 प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्कूल पूरी तरह से ध्वस्त हो गए थे। तो पचास प्राथमिक और उच्च प्राथमिक खतरे की जद में आ गए। खतरे की जद में आए इन स्कूलों में फिलहाल कक्षाएं संचालित हो रही है। ऐसे में इन स्कूलों में पड़ रहे मासूमों के सिर पर भी हमेशा ही खतरा मंडराता रहता है। बीते साल सौम्यकाशी रोटरी क्लब ने भी इन स्कूलों के भवनों की मरम्मत के लिए आगे हाथ बढ़ाया था तो शिक्षा विभाग की ओर से जारी किया गया बजट भी विभाग ने वापिस ले लिया, लेकिन कुछ महीनों के बाद एमओयू होने के बावजूद सौम्यकाशी रोटरी क्लब ने इन स्कूलों की मरम्मत से हाथ पीछे खींच लिए। ऐसे में विभाग के सामने फिर से इन स्कूलों की मरम्मत का आंकलन तैयार करने और बजट स्वीकृत करवाने की चुनौती आ गई। दो साल बीतने के बाद भी बजट स्वीकृत नहीं हो सका लिहाजा स्कूलों की मरम्मत का काम भी शुरू नहीं हो सका है।

आपदा की मार से बेहाल स्कूल

आपदा में पूर्ण ध्वस्त

प्राथमिक - 38

उच्च प्राथमिक - 08

खतरे की जद में स्कूल

प्राथमिक - 37

उच्च प्राथमिक - 13

'जनवरी महीने के पहले सप्ताह में बजट संबंधी बैठक होनी है, इसमें संभव है कि इन स्कूलों के लिए बजट मिल सकेगा, फिलहाल बजट ना होने से इन स्कूलों की मरम्मत का काम अटका हुआ है।

राय साहब यादव, जिला शिक्षा अधिकारी बेसिक।
http://www.jagran.com/uttarakhand/uttarkashi-11918239.html

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
गिरीश चन्द्र तिवाड़ी "गिर्दा" की एक सुन्दर कविता...
जहाँ न बस्ता कंधा तोड़े, ऐसा हो स्कूल हमारा
जहाँ न पटरी माथा फोड़े, ऐसा हो स्कूल हमारा
जहाँ न अक्षर का उखाड़े, ऐसा हो स्कूल हमारा
जहाँ न भाषा ज़ख्म उभारे, ऐसा हो स्कूल हमारा
जहाँ अंक सच-सच बतलाएँ, ऐसा हो स्कूल हमारा
जहाँ प्रश्न हल तक पहुँचाएँ, ऐसा हो स्कूल हमारा
जहाँ न हो झूठ का दिखाव्वा, ऐसा हो स्कूल हमारा
जहाँ न सूट-बूंट का हव्वा, ऐसा हो स्कूल हमारा
जहाँ किताबें निर्भय बोलें, ऐसा हो स्कूल हमारा
जहाँ मन के पन्ने-पन्ने खोलें, ऐसा हो स्कूल हमारा
जहाँ न कोई बात छुपाए, ऐसा हो स्कूल हमारा
जहाँ न कोई दर्द दुखाए, ऐसा हो स्कूल हमारा
जहाँ फूल स्वाभाविक महकें, ऐसा हो स्कूल हमारा
जहाँ बालपन जी भर चहकें, ऐसा हो स्कूल हमारा

Navigation

[0] Message Index

[#] Next page

[*] Previous page

Sitemap 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 
Go to full version