Author Topic: Uttarakhand Education System - उत्तराखण्ड की शिक्षा प्रणाली  (Read 89223 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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स्कूल समय में मात्र पढ़ाई ही कराएं अध्यापक


गरुड़ (बागेश्वर)। खंड शिक्षा अधिकारी आकाश सारस्वत ने कहा है कि कोई भी अध्यापक स्कूल टाइम में बिना अवकाश के स्कूल से बाहर दिखा तो कार्रवाई की जाएगी। कहा कि स्कूल टाइम में विभागीय सूचना व बैंक के कार्य भी नहीं किए जाएंगे। लापरवाही की तो कार्रवाई के लिए तैयार रहें। पढ़ाई का मूल्यांकन वे स्वयं करेंगे।

कार्यभार संभालने के बाद सभी समन्वयकों की बैठक लेते हुए श्री सारस्वत ने कहा कि विद्यालय समय से खुले व समय से बंद हो इसके लिए सख्ती की जाय। शिक्षकों से कहा कि वे गरीब बच्चों के भविष्य के लिए ईमानदारी से कार्य करें अगर बच्चे से सवाल पूछा जाय तो वह उसका जवाब दे यह सुनिश्चित किया जाय। उन्होंने कहा कि कोई भी अध्यापक विभागीय कार्यो की सूचना देने या बैंक आदि कार्यो के लिए स्कूल के बाद ही कार्य करें उन्होंने कहा कि वे चाहेंगे कि लापरवाह शिक्षक कार्य में सुधार लाएं अगर नहीं सुधरे तो वे निलंबन की संस्तुति करने में नहीं हिचकेंगे। शीघ्र ही स्कूल की व्यवस्था सुधारने के लिए समूह गठन का वायदा किया।

http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_6644363.html

Devbhoomi,Uttarakhand

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भिलंगना प्रखंड में शिक्षा व्यवस्था बदहाल
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घनसाली(टिहरी)। भिलंगना प्रखंड में बदहाल स्थिति से गुजर रही प्राथमिक शिक्षा में सुधार के कोई प्रयास नहीं किए जा रहे हैं। इसके चलते कई बच्चे जहां स्कूल नहीं जा पा रहे हैं, वहीं सैकड़ों बच्चों के सामने घर से दूर रहकर पढ़ाई जारी रखने की मजबूरी बनी हुई है। स्थिति का इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि प्रखंड में शिक्षकों के १९० पद वर्षों से रिक्त हैं। नतीजतन १८ स्कूलाें में ताले लटके हुए हैं।
बच्चों को स्कूल भेजने के लिए भले ही सरकारी स्तर पर कई कार्यक्रम चलाए जा रह हों, लेकिन भिलंगना प्रखंड में यह सब बेमानी साबित हो रहा है। प्रखंड में प्राथमिक स्कूल डांग, बगर, जसपुर, खैणी, मरवाड़ी, अखोड़ी, गेमाधार, पुजारगांव, सुकताल, लैणी, बुढ़वा, मुंडेती, कोठी नैलचामी, वडियारगांव, किल्यागांव, गनवाड़ी और बौंसला प्राथमिक स्कूल में ताले लटके हुए हैं। इनमें से खैणी, पुजारगांव, लैणी, बुढ़वां, गनवाड़ी और बौसला के आस-पास अन्य कोई स्कूल न होने से बच्चे अपनी पढ़ाई जारी नहीं रख पा रहे हैं। अन्य स्कूलों के बच्चों को दो से तीन किमी दूर जाना पड़ रहा है। यही नहीं यहां ५५ स्कूल एक शिक्षामित्र और ६८ एकल शिक्षकों के भरोसे चल रहे हैं। पुजारगांव के बच्चीराम पुर्वाल, मरवाड़ी के भागीरथ राणा, अखोड़ी के मेहरबान सिंह कहते हैं, उनके बच्चों का भविष्य गर्त में जा रहा है। बीईओ मोतीलाल वार्मा कहते हैं, कि उच्चाधिकारियों को इस संबंध में अवगत कराया जा चुका है।

Rajen

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35 बच्चों का भविष्य अंधकारमय   

 नाचनी (पिथौरागढ़): शिक्षा विभाग की उदासीनता के कारण  जूनियर हाईस्कूल बरा शिक्षा मित्र के सहारे चल रहा है। ऐसे में यहां अध्ययनरत बच्चों का भविष्य अंधकारमय हो गया है। इस उपेक्षा से अभिभावक बच्चों के भविष्य को लेकर खासे चिंतित हैं।

बरा जूनियर हाईस्कूल में लंबे समय से एक शिक्षक व शिक्षा मित्र नियुक्त थे। कुछ माह पूर्व यहां तैनात शिक्षक का अन्यत्र स्थानांतरण कर दिया गया। ऐसे में 35 बच्चों का भविष्य एकमात्र शिक्षा मित्र के भरोसे है। शिक्षा मित्र के विभागीय या व्यक्तिगत कार्य से कहीं जाने पर विद्यालय में ताले लटकने की नौबत आ जाती है। शिक्षा विभाग की इस अव्यवस्था पर क्षेत्रवासियों ने गहरा आक्रोश जताया है। क्षेत्र के सामाजिक कार्यकर्ता नारायण सिंह राणा ने बताया कि शिक्षकों की नियुक्ति की मांग को लेकर कई बार विभागीय अधिकारियों को ज्ञापन भेजे जा चुके, परंतु अभी तक कोई सुध नहीं ली गई है। यदि विभाग द्वारा शीघ्र शिक्षक नियुक्त नहीं किए गए तो इसके खिलाफ सभी अभिभावकों को लामबंद कर आंदोलन छेड़ दिया जाएगा।

आज स्थिति अजीब सी आ गयी है उत्तराखंड के शिक्षा प्रणाली में!

पलायान की मार झेल रहे इस राज्य में, स्कूलों में अध्यापक ज्यादे बच्चे कम! लोग अपने बच्चो को बेहतर शिक्षा देने के लिए शहरो की ओर रुख कर रहे है! अगर शिक्षा का स्तर में सुधर लाया जाय तो निश्चित रूप से मलायन भी कम होगा!

 

Devbhoomi,Uttarakhand

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ये विकास हुवा है उत्तराखंड में शक्षा का

दस माह से बंद है प्राथमिक विद्यालय कुंवारी
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बागेश्वर: शिक्षा व्यवस्था दुरुस्त करने तथा हर बच्चे को शिक्षा प्रदान करने के सरकारों के दावों की हवा कपकोट के एक विद्यालय ने निकाल दी है। प्राथमिक विद्यालय कुंवारी में विगत दस माह से शिक्षक की तैनाती नहीं हो पायी है। लिहाजा अध्ययनरत बच्चे स्कूल के दर्शन मात्र कर वापस चले जाते हैं। आहत प्रधान ने आमरण अनशन की धमकी दी है।

शिक्षा के उन्नयन व हर बच्चे को शिक्षा मुहैया कराये जाने पर सरकारें लाखों रुपयों का बजट भले ही खर्च कर रही है लेकिन दूरस्थ क्षेत्रों में प्राथमिक शिक्षा आज भी बदहाल है। इसके लिए शिक्षा विभाग के अधिकारी दोषी हैं। कपकोट तहसील के ग्राम कुंवारी की प्रधान बीना देव ने बताया कि प्राथमिक विद्यालय कुंवारी में अपै्रल 2010 से कोई शिक्षक तैनात नहीं है। विद्यालय में पढ़ रहे 35 बच्चे स्कूल के दर्शन मात्र कर वापस जा रहे हैं। कई बार सूचित करने के बाद भी विभागीय अधिकारियों ने अभी तक शिक्षक की तैनाती नहीं की है। यही हाल कुंवारी के जूनियर हाईस्कूल का भी है। यहां तैनात शिक्षक ख्याली दत्त जोशी को कार्यालय संबद्ध कर दिये जाने से अब विद्यालय दो शिक्षकों के जिम्मे आ गया है। कभी भी एक शिक्षक के अवकाश पर चले जाने पर पूरे विद्यालय के संचालन की जिम्मेदारी एक ही अध्यापक पर आ जाती है। प्रधान बीना देव ने शिक्षा विभाग पर कुंवारी क्षेत्र की उपेक्षा करने का आरोप लगाते हुए चेतावनी दी है कि यदि प्राथमिक विद्यालय में शिक्षक की तैनाती तथा जूहा में दो अन्य शिक्षकों की तैनाती नहीं की गयी तो 15फरवरी से विद्यालय प्रांगण में ग्रामीणों के साथ आमरण अनशन शुरू किया जाएगा।

http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_7273261.html

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See the standard of education.
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दसवीं तक नहीं पहुंच पाते 61 प्रतिशत बच्चे : डा. जोशी
Feb 14, 11:12 pm

अल्मोड़ा: एसएसजे परिसर अल्मोड़ा में पुनश्चर्या कार्यक्रम के तहत बालिका शिक्षा व विद्यालयी शिक्षा पर चर्चा की गई। इस मौके पर मुख्य वक्ता डा.अतुल जोशी ने कहा कि पहली कक्षा में जितने विद्यार्थी प्रवेश लेते हैं, उनमें से कक्षा 10 पास करने तक 61 प्रतिशत बच्चे स्कूल छोड़ देते हैं। बालिकाओं का संदर्भ लेते हुए उन्होंने कहा कि 36 प्रतिशत छात्राएं ही कक्षा 10 तक पहुंच रही हैं। बालिका शिक्षा में आ रहे अवरोध को परंपरागत सोच का परिचायक बताया। उन्होंने राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान पर कहा कि कक्षा 9 से 12 तक के विद्यार्थियों को गुणवत्ता शिक्षा देना जरूरी है। विद्यालयों को सुविधा युक्त बनाने के साथ-साथ छात्राओं को भी शिक्षा व्यवस्था में पूरी सहभागिता के बारे में सोचा जाना चाहिए। पुनश्चर्या कार्यक्रम में डा.सूर्या राठौर ने भी व्याख्यान दिया।

http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_7323063.html

Rajen

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दसवीं तक नहीं पहुंच पाते 61 प्रतिशत बच्चे : डा. जोशी (Jagran News)
 
  अल्मोड़ा: एसएसजे परिसर अल्मोड़ा में पुनश्चर्या कार्यक्रम के तहत बालिका शिक्षा व विद्यालयी शिक्षा पर चर्चा की गई। इस मौके पर मुख्य वक्ता डा.अतुल जोशी ने कहा कि पहली कक्षा में जितने विद्यार्थी प्रवेश लेते हैं, उनमें से कक्षा 10 पास करने तक 61 प्रतिशत बच्चे स्कूल छोड़ देते हैं। बालिकाओं का संदर्भ लेते हुए उन्होंने कहा कि 36 प्रतिशत छात्राएं ही कक्षा 10 तक पहुंच रही हैं। बालिका शिक्षा में आ रहे अवरोध को परंपरागत सोच का परिचायक बताया। उन्होंने राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान पर कहा कि कक्षा 9 से 12 तक के विद्यार्थियों को गुणवत्ता शिक्षा देना जरूरी है। विद्यालयों को सुविधा युक्त बनाने के साथ-साथ छात्राओं को भी शिक्षा व्यवस्था में पूरी सहभागिता के बारे में सोचा जाना चाहिए। पुनश्चर्या कार्यक्रम में डा.सूर्या राठौर ने भी व्याख्यान दिया।




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Education is one of the area where Govt must improve the quality.

In many schools, the condition of school is very pathetic.


Devbhoomi,Uttarakhand

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आमा-नातनी एक साथ पढ़ेगी क ख ग
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नैनीताल: महिला समाख्या के तत्वावधान में इस साल 358 महिलाएं राष्ट्रीय मुक्त विद्यालय संस्थान की परीक्षा में बैठेगी। परीक्षा के लिए रामगढ़, रामनगर, ओखलकांडा में केंद्र बनाए गए है। परीक्षा देने वाली महिलाओं में 17 साल की किशोरियों से लेकर 62 वर्ष की बुजुर्ग शामिल है।

महिलाओं के शिक्षित बनाने के लिए सरकार द्वारा तमाम प्रयास किए जाते है, ताकि वह समाज की उन्नति में भागीदार बन सकें, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में शत प्रतिशत महिला साक्षरता नहीं होना सरकार के लिए चुनौती बना है। महिला साक्षरता के उद्देश्य को साकार करने के लिए महिला समाख्या द्वारा विगत तीन वर्षो से साक्षरता शिविर लगाए जा रहे है और फिर मुक्त विद्यालय के माध्यम से महिलाएं परीक्षा में बैठ रही है। महिला समाख्या की जिला समन्वयक बसंती पाठक के अनुसार इस साल जिले की 404 महिलाओं द्वारा राष्ट्रीय मुक्त विद्यालय भीमताल के माध्यम से स्तर ए, बी व सी के फार्म भरे गए। परीक्षा की तैयारियों के लिए ब्रिज कोर्स लगवाए गए। शुक्रवार से 358 महिलाओं की परीक्षाएं शुरू हो गई है। इसके लिए विकास खंड रामगढ़ में तीन, रामनगर में 6, ओखलकांडा में 4 परीक्षा केंद्र बनाए गए है। घर,परिवार, खेत तथा जंगल तक सीमित महिलाएं हाथ में कलम थामकर खुद को शिक्षित बनाने की जद्दोजहद कर रही है और महिलाओं का उत्साह देखते ही बन रहा है। बुजुर्ग महिलाएं तो उम्र के अंतिम पड़ाव में कलम थामने को बड़ी उपलब्धि के तौर पर देख रही है।


http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_7555931.html

Anil Arya / अनिल आर्य

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11 शिक्षा संस्थानों की बल्ले-बल्ल
नेशनल नॉलेज नेटवर्क के जरिए देशभर के संस्थानों को जोड़ने की तैयारी
देहरादून। प्रदेश के भी 11 बड़े शिक्षण संस्थान जल्द ही देश के करीब 1500 संस्थानों के साथ जुड़ जाएंगे। इस नेटवर्क में सभी आईआईटी, आईआईएम, एम्स और डीआरडीओ शामिल हैं। ये एक-दूसरे के साथ वर्चुअल क्लास रूम और लाइब्रेरी के जरिए ज्ञान (नालेज) का आदान-प्रदान करेंगे। इस नेटवर्क के तैयार होने से संस्थानों में फैकल्टी की समस्या से भी निजात पाई जा सकेगी। किसी भी संस्थान में चल रही क्लास को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए दूसरे संस्थानों में बैठे छात्र भी अटेंड कर सकेंगे। विशेषज्ञों से सीधे बातचीत कर जिज्ञासा शांत कर सकेंगे। यह सुविधा राज्य के पर्वतीय क्षेत्र के संस्थानों के लिए काफी अहम होगी। पर्वतीय दुर्गम क्षेत्रों में स्थित कालेज/संस्थानों में फैकल्टी ज्वाइन नहीं कर रही है। जो पहुंच भी रही है वह टिक नहीं रही है। विशेषज्ञों की भी भारी कमी है।
यह नेशनल नॉलेज नेटवर्क प्रोजेक्ट केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय का है। एनआईसी इसकी मानिटरिंग एजेंसी है। एनआईसी के वरिष्ठ निदेशक डा. देवरत्न शुक्ल ने बताया कि उत्तराखंड तकनीकी, दून विश्वविद्यालय, पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय, सीबीआरआई रुड़की, आईआईटी रुड़की, आईआईपी समेत प्रदेश के 11 शिक्षण संस्थान इस नेटवर्क से जोड़े जा रहे हैं। दो-तीन महीने में नेटवर्किंग का काम पूरा हो जाएगा। केंद्र सरकार कालेज/संस्थानों को इंटरनेट की 1 जीबीपीएस स्पीड मुफ्त मुहैया कराएगी। विश्वविद्यालयों को 100 जीबीपीएस स्पीड दिया जाएगा। इससे इन संस्थानों में इंटरनेट पर काम आसान हो जाएगा।
http://epaper.amarujala.com/svww_index.php

 

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