Uttarakhand > Development Issues - उत्तराखण्ड के विकास से संबंधित मुद्दे !

Uttarakhand Education System - उत्तराखण्ड की शिक्षा प्रणाली

(1/23) > >>

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
दोस्तो,

इंडिया टीवी की इस समाचार से आप अन्ताजा लगा सकते है  की उत्तराखंड की शिक्षा प्रणाली किस तरह की है. ! आप को यकीन नही आएगा की कब्रिस्तान मे विद्यालय चल रहा है ! This is the news of Almora Distt of Uttarakhand where a Govt school is running near ceremation place last 9 years.

ख़ुद ही देख लीजिये ये वीडियो !

एम् एस मेहता


http://www.youtube.com/watch?v=auVDrha9_hY

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:





New from INdia tv.

ALERT VIEWER (07-04-2008)

school is being run on a burial since the past 9 years in Almora of Uttarakhand. Website: http://www.indiatvnews.com Alert Viewer Ramadas gets a 21" colour television from India TV for showing us how a government school is being run on a burial since the past 9 years in Almora of Uttarakhand.
Website: http://www.indiatvnews.com



http://www.youtube.com/watch?v=auVDrha9_hY



एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:

Really very alarming.


--- Quote from: M S Mehta on April 10, 2008, 07:32:28 PM ---




New from INdia tv.

ALERT VIEWER (07-04-2008)

school is being run on a burial since the past 9 years in Almora of Uttarakhand. Website: http://www.indiatvnews.com Alert Viewer Ramadas gets a 21" colour television from India TV for showing us how a government school is being run on a burial since the past 9 years in Almora of Uttarakhand.
Website: http://www.indiatvnews.com



http://www.youtube.com/watch?v=auVDrha9_hY





--- End quote ---

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
This is the news of Uttarakhand main city like Almora.  Almora the hill station of Uttarakhand from where great people like Bharat Ratan Govind Bullab Pant born. In addition to this, several great personalities who took birth there like Poet Sumitra Nandan Pant, Manohar Shyam Joshi, Devki Nandan Pandey etc etc.  It is really absurd to see that such kinds of news are coming from there and basic education is so poor. 

If this is the new of Almora what would have the rest of the areas of UK specially remote areas. God knows !!

 

पंकज सिंह महर:
मेहता जी,
         उत्तराखण्ड में ऎसे एक नही हजार उदाहरण मिलेंगे। एक समाचार यह भी है-------

जब गुरुजन ही नहीं तो कैसे पढे़ं, कैसे बढ़ेApr 11, 03:06 am

लोहाघाट(चम्पावत)। सब पढ़े, सब बढ़े तथा सबको शिक्षा का अधिकार का नारा देने वाला शिक्षा विभाग नौनिहालों को पढ़ाने व बढ़ाने के प्रति कितना गम्भीर है इसका अन्दाजा शिक्षकों के अभाव में बन्द पड़े विद्यालयों को देखकर लगाया जा सकता है। शिक्षा के नाम पर पानी की मानिन्द रुपया बहाने वाली सरकारे स्कूलों में एक अदद अध्यापक की तैनाती नहीं कर पा रही है। अकेले लोहाघाट ब्लाक में दर्जनों विद्यालय ऐसे है जिनमें एक भी शिक्षक नहीं है। फल स्वरूप इन विद्यालयों में ताले लटके हुए है। अनगिनत विद्यालय एकल अध्यापकों के सहारे चल रहे है। सरकारी स्कूलों की इस दुर्गति का लाभ पब्लिक स्कूल जमकर उठा रहे है। गरीब तबके के लोग भी अब अपने बच्चों का भविष्य पब्लिक स्कूलों में सुरक्षित देख रहे है।

बेहतर शिक्षा देना भले ही सरकारों का संवैधानिक व नैतिक दायित्व हो किन्तु वे अपनी इस जिम्मेदारी में सरासर फेल होती दिख रहीं है। उत्तराखण्ड राज्य गठन होने के बाद यहां के लोगों का एक सपना बेहतर शिक्षा का भी था। नये राज्य गठन के आठ वर्ष व्यतीत होने के बाद भी यहां की सरकारे न तो शिक्षा की कोई ठोस नीति तय कर पाई है और न ही शिक्षण का प्रबन्धन। हां बड़ी संख्या में स्कूल जरूर खोल दिये गये परन्तु इनमें गुरुजनों की व्यवस्था नहीं होने से हजारों नौनिहालों का भविष्य अंधकार के साये में है। प्राथमिक स्कूलों से लेकर उच्च शिक्षण संस्थान शिक्षकों की कमी का रोना रो रहे है। अकेले लोहाघाट क्षेत्र में दर्जनों प्राईमरी व जूनियर हाईस्कूल ऐसे है जो एकल अध्यापकों के सहारे चल रहे है। कई विद्यालयों में शिक्षक न होने से उनमें ताले लटके हुए है। उच्च शिक्षा भी पर्याप्त शिक्षकों के अभाव में बुरी तरह प्रभावित है। यह सब उस स्थिति में हो रहा है जबकि सैकड़ों प्रशिक्षित शिक्षक नौकरी की बाट जोह रहे है।

सरकारी स्कूलों की दुर्गति के कारण गरीब तबके के लोग भी अपने पाल्यों को इनमें नहीं भेजना चाहते है। सबसे बुरा हाल प्राईमरी स्कूलों का है। इस स्थिति का लाभ पब्लिक स्कूल जमकर उठा रहे है। नगर के अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में भी इन स्कूलों का जाल बिछ गया है। नये खुल रहे पब्लिक स्कूल बहुत कम फीस पर बच्चों को प्रवेश दे रहे है तथा इनमें शुल्क भी काफी कम रखा गया है। इन सब कारणों के चलते सरकारी स्कूलों में इस वर्ष बच्चों के प्रवेश की संख्या में काफी गिरावट आयी है। शिक्षा विभाग के आला अधिकारी भी इस बात को कहीं न कहीं स्वीकारते है कि उनके स्कूलों की स्थिति बेहतर नहीं है। अलबत्ता पब्लिक स्कूलों की बराबरी के लिए भी उनके पास फिलवक्त कोई चारा नहीं है। समय रहते सरकार व शिक्षा महकमे ने प्राथमिक शिक्षा की बदहाली की ओर ध्यान नहीं दिया तो आने वाले समय में सरकारी स्कूल छात्र विहीन हो सकते है। इधर प्राथमिक स्कूलों में कार्यरत अध्यापकों का कहना है कि प्राथमिक शिक्षा की स्थित तब तक नहीं सुधर सकती है जब तक पब्लिक स्कूलों की भांति प्रत्येक कक्षा व विषय के लिए एक-एक शिक्षक की तैनाती न हो। उनका कहना है कि सरकारी स्कूलों में कार्यरत शिक्षकों को अन्यत्र डयूटी में लगाने से भी शिक्षण कार्य प्रभावित हो रहा है।

Navigation

[0] Message Index

[#] Next page

Sitemap 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 
Go to full version