जहाँ तक मेरे विस्तृत विचार है वो इस प्रकार है :
उत्तराखंड क्रांति दल ने राज्य को बनाने के लिए एक बहुत ही बड़ी लडाई लड़ी जिसके बारे जितनी तारीफ की जाय कम है! इस दल ने नेत्रत्व में लोग ने राज्य निर्माण के लिए बाद चढ़ कर हिस्सा लिया और एक बहुत ही लम्बी लडाई और बलिदान के बाद राज्य प्राप्त किया!
राज्य के निर्माण में लोगो ने नहीं देखा अपना भविष्य, आपना परिवार देखकर लोग कूद पड़े आन्दोलन में! सिर्फ एक सपना था उत्तराखंड सुनहरा विकास.. पलायन रुकेगा... पहाडो में हर जगह विकास ही विकास होगा ! लेकिन इस राह पर बहुत से लोगो बर्बाद हुए और कुछ लोगो ने आंखिर दम तक हार नहीं मानी. और राज्य का निर्माण करवाया!
लेकिन यह क्या हुवा , राज्य का निर्माण करने वाली पार्टी को हार का मुह
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जब उत्तराखंड में पहले चुनाव हुए लोगो को उम्मीद थी, उत्तराखंड क्रांति दल बहुमत के साथ सरकार बनायेगी,लेकिन यह नहीं हुवा.! पार्टी को बहुत ही कम सीटे मिली!
अब उत्तराखंड क्रांति दल के हालात बहुत ही ख़राब है
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यह पार्टी अब सरकार बनाना तो दूर, अपना अस्तितव को बचने के जुटी है! पार्टी इस दशा के लिए खुद पार्टी के नीतिया और संघठन जिम्मेवार है! उत्तराखंड क्रांति दल में से कुछ शीर्ष नेताओ ने अब उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी बनाई है!
उत्तराखंड क्रांति दल को चाहिए वह अपनी इस दशा का आत्म मंथन करे!
मेरे हिसाब से :
१) पार्टी की कमान अभी युवा नेता पुष्पेश त्रिपाठी को देनी चाहिए जिसके नेत्रत्व में हुवा उत्तराखंड क्रांति दल से जुड़ सकते है !
२) यदि उत्तराखंड क्रांति दल अपना अस्तितव एव सुनहरा भविष्य बनाना चाहती है तो उसे अपने चुनावी घोषनाओ पर अमल करना चाहिए!
३) अगर उत्तराखंड क्रांति दल किसी भी तरह राजधानी को गैरसैंन ले जाने में सफल रही.. तो सत्ता उसके हाथ से दूर!
४) ध्यान रहे .... अगर यह पार्टी भी भ्रष्टाचार में लिप्त हुयी तो..पतन दूर नहीं.. फिर होगा इसका पोस्ट मार्टम ! डेड पार्टी का !
५) पार्टी नेता आपसी इगो से बचे.. .. एक जुट होकर पार्टी को मजबूत करने में जुड़े... वह केवल जनता के विकास के लिए ना की आपने.. निजी स्वार्थ के लिये !
अभी भी उत्तराखंड राज्य को कोई मुख्य मंत्री विकास पुरुष की छवि वाला नहीं मिला!
क्या उत्तराखंड क्रांति दल से ये हो सकता है ? लेकिन पार्टी अपनी पगड़ी तो संभाले ?....