उत्तराखण्ड क्रान्ति दल ने वर्तमान सरकार में जो सहभागिता की, वह भी इसीलिये की कि जनता को राष्ट्रपति शासन या दोबारा चुनावों का सामना न करना पड़े। क्योंकि उस समय भाजपा के पास आज का जैसा बहुमत नहीं था। उस समय भाजपा ३४ सीट लेकर सबसे ज्यादा संख्या बल वाली पार्टी थी, इसलिये सरकार बनाने के लिये जनभावनाओं का सम्मान करते हुये( क्योंकि भाजपा को ही जनता ने ज्यादा समर्थन दिया था) उक्रांद ने इसे नौ बिन्दुओं पर अपना समर्थन दिया था-
१- दीक्षित आयोग को अविलम्ब भंग करके गैरसैंण को स्थायी राजधानी बनाये जाने की प्रक्रिया प्रारम्भ की जाय।
२- राज्य से पलायन रोकने के लिये कारगर एवं व्यवहारिक रोजगार नीति बनाकर अविलम्ब लागू की जाय।
३- पर्वतीय जनपदों के लिये अलग औद्योगिक नीति बनाकर उसे लागू किया जाय तथा पर्वतीय जनपदों में औद्योगिक शून्यत को समाप्त करने हेतु अविलम्ब कारगर कदम उठाये जांय।
४- उत्तराखण्ड में २००१ की जनसंख्या के आधार पर हुये परिसीमन को स्थगित करने तथा इस राज्य के लिये जनसंख्या के साथ-साथ क्षेत्रफल को भी परिसीमन हेतु मानक बनाने के लिये विधान सभा से प्रस्ताव पारित कर भारत की संसद को भेजा जाय।
५- उत्तर प्रदेश के विकल्पधारियों की वापसी की प्रक्रिया को अविलम्ब प्रारम्भ किया जाय।
६- भारत के संविधान के अनुच्छेद- ३७१ के तहत जल-जंगल-जमीन पर राज्यवासियों के हक-हकूकों की रक्षा हेतु विशेष व्यवस्था सुनिश्चित की जाय।
७- राज्य के मूल निवासियों को स्थाई निवास प्रमाण पत्र प्रस्तुत किये जाने की बाध्यता से तत्काल मुक्त किया जाय तथा स्थायी निवास प्रमाण पत्र की बाध्यता हेतु स्पष्ट मानक तय किये जांय।
८- राज्य आन्दोलनकारियों की वर्तमान भेदभावपूर्ण चिन्हीकरण प्रक्रिया को स्माप्त कर १९७९ से राज्य आन्दोलन में सक्रिय सभी आन्दोलनकारियों को चिन्हित करने की व्यवहारिक एवं प्रभावी प्रक्रिया प्रारम्भ की जाय।
९- राज्य के व्यापक हित में उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखण्ड के बीच परिसम्पत्तियों के बंटवारे के सभी मामले अविलम्ब तय किये जांय।
इसके अतिरिक्त २००७ के चुनावों के लिये उत्तराखण्ड क्रान्ति दल का घोषणा पत्र तथा इस पार्टी का इतिहास निम्न लिंक पर है।
http://www.merapahadforum.com/uttarakhand-at-a-glance/ukd-regional-party/ यह चीजे मैं इसलिये कोट कर रहा हूं कि बिना पूरी जानकारी, इतिहास और दस्तावेजों के अध्ययन किये बिना कोई भी राय किसी के बारे में कायम नहीं की जानी चाहिये। क्योंकि जब पार्टी का मूल्यांकन किया जा रहा है तो उसकी हर सार्रगर्भित चीज का मूल्यांकन किया जाना चाहिये। इण्टरनेट पर सरकारी प्रायोजित खबरों को आधार बना किसी चीज का मूल्यांकन किया जाना कदापि उचित नहीं होगा।