Author Topic: Uttarakhand Suffering From Disaster - दैवीय आपदाओं से जूझता उत्तराखण्ड  (Read 102770 times)

Devbhoomi,Uttarakhand

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लेंटर टूटने से दो बच्चियां घायल
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थराली/कर्णप्रयाग। मुख्य बाजार में दो नाबालिग बच्चियां लेंटर टूटने से गंभीर रूप से घायल हो गई। घायलों को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र थराली में प्राथमिक उपचार के बाद सीएचसी कर्णप्रयाग रेफर कर दिया गया है।

शनिवार देर सांय मुख्य बाजार में रहने वाले दल बहादुर की ढाई वर्षीय बेटी बबली और पांच वर्षीय बेटी पुष्पा आवासीय मकान का लेंटर टूटने से गंभीर रूप से घायल हो गईं। दोनों बच्चियों को उपचार के लिए सीएचसी में लाया गया, जहां प्राथमिक उपचार के बाद उन्हें 108 की मदद से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कर्णप्रयाग के लिए रेफर कर दिया गया है। सीएचसी अधीक्षक डॉ. प्रताप सिंह ने बताया कि दोनों बच्चियों के सिर पर गहरी चोटें आई हैं।

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Anil Arya / अनिल आर्य

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गंगोत्री राजमार्ग का बड़ा हिस्सा भागीरथी में समाया, यात्री फंसे पहाड़ में कई जगह बारिश से आफत उत्तरकाशी/गोपेश्वर/कर्णप्रयाग। मूसलाधार बारिश ने पहाड़ को फिर मुश्किल में डाला है। उत्तरकाशी में सैंज भटवाड़ी के पास गंगोत्री राजमार्ग का लगभग 80 मीटर हिस्सा ध्वस्त होकर भागीरथी में समा गया है। हीना और मनेरी के बीच खेड़ी में बादल फटने से यहां राजमार्ग पर बड़ी मात्रा में मलबा आ गया। सड़क टूटने और नेताला से हेलगूगाड के बीच कई जगह राजमार्ग पर मलबा आने से गंगोत्री धाम की यात्रा थम गई है। कुछ जगह राजमार्ग पर पेड़ भी टूटकर गिर गए हैं। गंगोत्री की तरफ लगभग 500 तीर्थयात्री फंस गए हैं। हीना के पास गदेरे में उफान तथा जगह-जगह मलबा पसरने से पैदल आवाजाही भी खासी जोखिम भरी हो गई है। बादल फटने से पर्यटकों के लिए बना शेड भी भागीरथी में समा गय। सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के कमान अधिकारी के मुताबिक सैंज भटवाड़ी के पास चट्टान को काटकर सड़क तैयार करने में कम से कम सोमवार शाम तक का समय लगेगा। इधर, चमोली जिले में भारी बारिश के चलते ऋषिकेश-बदरीनाथ राजमार्ग दोपहर तक जगह-जगह बंद रहा। रास्ते में फंसे यात्रियों को भारी परेशानी हुई। बदरीनाथ राजमार्ग बाजपुर, छिनका, नंदप्रयाग में मलबा आने से रविवार को छह घंटे तक बंद रहा। गौचर के पास कमेड़ा में मलबा आने के चलते राजमार्ग पांच घंटे तक बंद रहा। बारिश कई और इलाकों में लोगों को डरा रही है। मंदाकिनी घाटी (अगस्त्यमुनि) में एक सप्ताह से हो रही बारिश से ग्रामीण दहशत में हैं।  गावों में पहाड़ियों से भूस्खलन के चलते ग्रामीण जागकर रात गुजार रहे हैं। शनिवार रात गौचर में मूसलाधार बारिश के चलते कई घरों में उफनते नाले के साथ आया मलबा घुस गया। जोशीमठ से मिली खबर के मुताबिक निर्माणाधीन हेलंग-उर्गम मोटर मार्ग पावर हाउस के समीप मलबा आने के कारण बंद हो गया।  गंगोत्री की ओर फंसे हैं पांच सौ यात्री, थमी यात्रा  सोमवार शाम तक हाईवे खुलने की है उम्मीद  बदरीनाथ मार्ग भी घंटों बंद रहा, यात्री परेशान  epaper.amarujala

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बारिश से गढवाल में जिंदगी पटरी से उतरी
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-चमोली में पांच हजार व गंगोत्री में पांच सौ यात्री फंस- देवप्रयाग में अलकनंदा का जल स्तर बढने से झील जैसे हालात- उत्तरकाशी के नैताला गांव में दर्जनभर से मकान खतरे की जद मेंगोपेश्वर/उत्तरकाशी/देवप्रयाग, जागरण टीम: गढ़वाल में आफत की बरसात थमने का नाम नहीं ले रही है। रविवार की रात हुई मूसलाधार बारिश ने तो पूरे पहाड़ में जनजीवन पटरी से उतार दिया। जगह-जगह रास्ते टूट गए, तो कई क्षेत्रों में भूस्खलन से आबादी पर खतरा मंडराने लगा है। चमोली जनपद में दशोली ब्लाक के पुरसोली गांव में बादल फटने से दो मकान क्षतिग्रस्त हो गए, जबकि चार मवेशी बह गए।

भूस्खलन से उत्तरकाशी और चमोली में करीब दो दर्जन गांव इससे प्रभावित होने की सूचना है। गंगोत्री राजमार्ग दूसरे दिन भी बंद रहा, जबकि बदरीनाथ राजमार्ग दिन में कुछ देर खुलने के बाद शाम को फिर अवरुद्ध हो गया। जोशीमठ और पीपलकोटी में करीब पांच हजार यात्री फंसे हुए हैं, जबकि पांच सौ आसपास यात्री गंगोत्री रूट पर रास्ता खुलने का इंतजार कर रहे हैं।

बीआरओ ने मंगलवार शाम तक इस मार्ग पर यातायात सुचारू होने की उम्मीद जताई है। अलकनंदा, भागीरथी व इनकी सहायक नदियां उफान पर हैं। देवप्रयाग में प्रसिद्ध संगमस्थल सहित कई घाट जलमग्न हो गए। ऋषिकेश में गंगा चेतावनी निशान से बीस सेंटीमीटर ऊपर बह रही है। गोचर में एक व्यक्ति गदेरे में बह गया, कुछ देर बाद उसे बचा लिया गया।

चमोली में नंदप्रयाग परथाडीप,  बिरही, छिनका, कौड़िया, लंगसी, टंगणी, कंचनगंगा, लामबगड़, गोविंदघाट, गौचर-कर्णप्रयाग के मध्य कमेडा व चट्टवापीपल पहाड़ी से मलबा आने पर राजमार्ग अवरुद्ध हो गया था। सुबह करीब 11 बजे तक से दोपहर डेढ़ बजे तक सभी स्थानों पर यातायात खोल दिया गया।

लगभग ढाई बजे लंगसी के पास फिर भारी भूस्खलन से हाईवे बंद हो गया है। हाईवे खुलने की उम्मीदें मंगलवार तक जताई जा रही है। सीमा सड़क संगठन के ओसी मेजर जसबिंदर सिंह के मुताबिक लंगसी में सड़क पर आए बोलडर हटाने के लिए मजदूर व मशीनों से कार्य शुरू हो गया है।

Source- Dainik Jagran

Anil Arya / अनिल आर्य

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गंगोत्री, यमुनोत्री और बदरीनाथ यात्रा रुकी
उत्तरकाशी/जोशीमठ/रुद्रप्रयाग। पहाड़ पर हो रही बारिश ने तीन धामों की यात्रा पर ब्रेक लगा दिया है। गंगोत्री राजमार्ग रविवार से ही बंद था। सोमवार को यमुनोत्री और बदरीनाथ राजमार्ग भी खराब मौसम के चलते अवरुद्ध हो गए। गंगोत्री राजमार्ग सैंज भटवाड़ी के पास सड़क ध्वस्त होने से दूसरे दिन भी अवरुद्ध रहा।
उधर, बीती रात अतिवृष्टि से यमुनोत्री राजमार्ग छटांगा व कुथनौर के पास अवरुद्ध हो गया। गंगोत्री और यमुनोत्री की ओर बड़ी संख्या में तीर्थयात्री फंसे हुए हैं। बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग सोमवार को दो बार बंद हुआ। उधर, मोरी ब्लाक में रास्ती गांव के पास बादल फटने से केदारगंगा ने यहां तबाही मचा दी। शनिवार की रात अतिवृष्टि, भूस्खलन, बादल फटने तथा भागीरथी के कटाव से कई जगह अवरुद्ध गंगोत्री राजमार्ग पर सैंज को छोड़कर बाकी जगह सीमा सड़क संगठन (बीआरआ) ने यातायात बहाल कर दिया। सैंज में मंगलवार तक वाहनों की आवाजाही की संभावना है। यहां गंगोत्री की ओर करीब 500 तीर्थयात्री फंसे हैं। भारी बारिश के चलते हुए भूस्खलन से कंचनगंगा में बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग करीब साढ़े सात घंटे तक ठप रहा। बाद में काफी प्रयास के बाद मार्ग खोला जा सका। इसी दौरान पीपलकोटी और जोशीमठ के बीच टंगणी में शाम साढ़े तीन बजे भारी भूस्खलन और बोल्डर आने से मार्ग फिर अवरुद्ध हो गया है।
बारिश और भूस्खलन से राजमार्ग बंद, यात्री फंसे
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Anil Arya / अनिल आर्य

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पैदल चलने लायक तक नहीं बन पाया गंगोत्री मार्ग  • अमर उजाला ब्यूरो उत्तरकाशी। सैंज भटवाड़ी के पास पांच दिनों से अवरुद्ध गंगोत्री राजमार्ग खोलने में बीआरओ को पांचवें दिन भी सफलता नहीं मिल पायी है। यहां अभी तक पैदल आवाजाही भी बहाल न होने के कारण यात्रियों को गंगोरी में वन विभाग के बैरियर से ही वापस लौटाया जा रहा है। दूसरी ओर यमुनोत्री राजमार्ग गत दिवस देर रात छोटे वाहनों के लिए खोल दिया गया था, जिससेे यात्रियों ने राहत की सांस ली। रविवार की रात अतिवृष्टि के चलते छटांगा और कुथनौर में भारी मलबा आने तथा पुल की एप्रोच रोड ध्वस्त होने से अवरुद्ध यमुनोत्री राजमार्ग पर बुधवार देर शाम से हल्के वाहनों की आवाजाही शुरू कर दी गई थी। राजमार्ग खंड के अधिकारी यहां भारी वाहनों की आवाजाही सुचारु करने की कोशिश में जुटे हुए हैं। यमुनोत्री की ओर फंसे तीर्थयात्रियों ने यहां से सुरक्षित निकलने पर राहत की सांस ली। इधर, शनिवार की रात सैंज भटवाड़ी के निकट सड़क का करीब 80 मीटर हिस्सा ध्वस्त होकर भागीरथी में समाने के बाद से अवरुद्ध गंगोत्री राजमार्ग पर अभी तक यातायात बहाल नहीं हो पाया है। यहां खड़ी कठोर चट्टान को काटकर नए सिरे से सड़क तैयार करने में बीआरओ को खासी मशक्कत करनी पड़ रही है। इस हिस्से में पैदल आवाजाही लायक स्थिति भी न बन पाने से स्थानीय लोग तो सैंज गांव होते हुए पैदल आवाजाही कर रहे हैं, लेकिन तीर्थयात्रियों को गंगोरी वन विभाग के बैरियर से ही वापस लौटाया जा रहा है। सैंज के दूसरी ओर फंसे करीब 400 तीर्थयात्री भारी मुसीबत में हैं। बारिश से कई मार्ग बंद यात्रियों को लौटाने पर रोष कठोर चट्टानों को काटने में बीआरओ के छूट रहे पसीने कंडीसौड़(टिहरी)/गोपेश्वर। थौलधार प्रखंड में लगातार बारिश से नगुण-भवान, उनियालगांव-भवान, मैड़खाल, लवाणी, कमांद, तिखोन मोटर मार्ग पर आवाजाही ठप हो गई। ग्रामीण जयवीर नेगी, जयप्रकाश कुकरेती, कुशलानंद नौटियाल और जीवन चंद ने बताया कि बारिश से लगभग आधा दर्जन मार्ग पूरी तरह ठप हैं। इससे क्षेत्र में खाद्यान्न संकट गहराने लगा है। उन्होंने लोनिवि से मार्ग खुलवाने की मांग की है। उधर चमोली जिले में उर्गम घाटी को जोड़ने वाला पैदल मार्ग क्षतिग्रस्त हो गया है, जिससे ग्रामीणों को मीलों अतिरिक्त दूरी नापनी पड़ रही है। उत्तरकाशी। पांच दिनों से अवरुद्ध गंगोत्री राजमार्ग को अभी तक न खोलने तथा गंगा के प्रति आस्था के चलते अवरुद्ध हिस्से को पैदल पार कर गंगोत्री यात्रा करने के इच्छुक तीर्थयात्रियों को गंगोरी से वापस लौटाने पर मंदिर समिति ने रोष जताया है। समिति के अध्यक्ष संजीव सेमवाल, सचिव दीपक सेमवाल ने प्रशासन से सैंज में वैकल्पिक व्यवस्था तथा अलग-थलग पड़े गंगोत्री क्षेत्र में जरूरत के सामान की आपूर्ति कराने की मांग की है। भारी  बारिश से आफत में निजमुला घाटी के ग्रामीण गोपेश्वर। पिछले डेढ़ माह से रुक-रुककर हो रही बारिश से निजमुला घाटी के ग्रामीण आफत में हैं। घाटी के लिए जाने वाला एकमात्र संपर्क मार्ग पिछले दस दिनों से अवरुद्ध पड़ा हुआ है, जिससे रसोई गैस, खाद्यान्न और मिट्टी तेल की आपूर्ति बाधित हो गई है। मार्ग अवरुद्ध होने से ग्रामीणों को करीब 18 किमी की दूरी पैदल नापनी पड़ रही है। स्यूंरपानी नामक स्थान पर मार्ग अवरुद्ध हुआ है। इससे ग्राम पंचायत गाड़ी, सैंजी, निजमुला, मोली, मानुरा, गौंणा, दुर्मी, पगना, पाणा, ईराणी सहित दर्जनों गांवों का अन्य जगहों से संपर्क कट गया है। मार्ग पर वाहन भी फंस गए हैं। प्रधान गाड़ी जसवंती देवी, क्षेत्र पंचायत सदस्य सुरेशी देवी, गजेंद्र सिंह रावत, गौरव फरस्वाण और रघुवीर बिष्ट का कहना है कि मार्ग बंद होने से ग्रामीणों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।  इधर, लोनिवि के ईई रमेशचंद्र पाल का कहना कि मार्ग पर अभी भी कई जगहों पर मलबा और पत्थर आ रहे हैं, जिससे मार्ग खोलने में दिक्कत आ रही है। मार्ग पर डोजर कार्य कर रहा है। •घाटी का एक मात्र संपर्क मार्ग दस दिनों से पड़ा है अवरुद्ध epaper.amarujala

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मोलधार गांव में बादल फटा एक ही परिवार के पांच मरे
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टिहरी जनपद के जौनपुर प्रखंड की पट्टी पालीगाड के मोलधार गांव में शुक्रवार तड़के बादल फटने से एक ही परिवार के चार लोगों समेत पांच लोगों की मौत हो गई। मृतकों में परिवार के मुखिया के साथ ही दो बेटियां और पुत्रवधू और समधी हैं। मुखिया की पत्‍‌नी गंभीर रूप से घायल हो गई। भूस्खलन से आए मलबे में यहां 21 मवेशी भी दफन हो गए। उधर, नैनबाग से 25 किलीमोटर दूर स्थित ग्राम सिंदौल में भूस्खलन से एक गौशाला ध्वस्त होने से छह मवेशी मर गए।

 ग्राम जियाकोटी में एक मकान ध्वस्त हो गया। जिला प्रभारी मंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, काबीना मंत्री खजानदास के साथ ही डीएम ने थत्यूड़ जाकर मोलधार हादसे के पीड़ित परिवार को सांत्वना दी। डीएम ने उन्हें राहत राशि के चेक भी दिया। मुख्यमंत्री डा. रमेश पोखरियाल निशंक, राज्यपाल माग्र्रेट आल्वा ने घटना पर दुख व्यक्त किया।

मोलधार गांव से करीब पांच किमी की दूरी पर स्थित डांडा में ग्रामीणों ने पशुओं को रखने के लिए छानी बनाई हुई है। इसी में रहकर वे लोग पशुओं की देखभाल करते हैं। शुक्रवार तड़के दो बजे इस इलाके में बादल फटने से भूस्खलन हो गया। मलबे से गबरूलाल की छानी जमींदोज हो गई। चीख पुकार सुनकर एक दूसरी छानी में सो रहे मदनलाल वहां पहुंचे।
मध्यरात्रि की इस घटना की सूचना मिलने के बाद सुबह करीब दस बजे तहसीलदार मनवीर सिंह कंडारी आपदा प्रबंधन की टीम सहित मौके पर पहुंचे। प्रशासन की टीम और ग्रामीणों ने मलबे में दबे ग्रामीणों को बाहर निकाला। तब तक 57 वर्षीय गबरूलाल पुत्र चंदरू, 20 वर्षीय बबीता पत्नी मंजीत, 12 वर्षीय कु. उर्मिला पुत्री गबरूलाल, 9 वर्षीय कु. मीला पुत्री गबरू लाल , 55 वर्षीय भरतू पुत्र बख्तारू निवासी ग्राम सीरा की मौत हो चुकी थी। भरतू गबररूलाल के समधी थे, वह बेटी से मिलने आए थे।

हादसे में गबरूलाल की पत्‍‌नी शांति देवी गंभीर रूप से घायल हो गई। उसे प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र थत्यूड़ में भर्ती कराया गया। शाम को उसे यहां से मसूरी के लिए रैफर कर दिया गया। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में पोस्टमार्टम कराने के बाद शव परिजनों को सौंप दिए। गबरू के परिवार के अन्य सदस्य गांव में रह रहे थे।

http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_6279082.html

Anil Arya / अनिल आर्य

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कुदरत का कहर, आठ जिंदा दफन
धनोल्टी के सौण गांव में बादल फटने से परिवार के पांच लोगों की मौत
मलबे में दबी महिला को किसी तरह बचाया
मृतक आश्रितों को एक-एक लाख की मदद
घटना में कई मवेशी भी बन गए काल के ग्रास
अमर उजाला ब्यूरो
मसूरी/नई टिहरी।
पहाड़ में मौसम जानलेवा बन गया। टिहरी जिले की धनोल्टी तहसील अंतर्गत बादल फटने से एक ही परिवार के पांच लोग जिंदा दफन हो गए। पूरा घर मलबे में तब्दील हो गया। एक महिला को ग्रामीणों ने किसी तरह मलबे से निकाल कर बचाया। सरकार ने मृतकों के परिजनों को एक-एक लाख रुपये देने और घायल महिला का मुफ्त उपचार करने की घोषणा की है। शुक्रवार तड़के हुए इस दर्दनाक हादसे में तीन दर्जन मवेशी भी काल का ग्रास बन गए।
धनोल्टी तहसील के सैण गांव में बृहस्पतिवार रात लोग चैन की नींद सो रहे थे। अचानक तड़के तीन बजे बादल फट पड़े। कुछ ही देर में गोबरु, पुत्र चंदर (65) का परिवार मलबे में तब्दील हो गया। गोबरु के अलावा उनकी बेटी उर्मिला (13) और मीला (11), बहू बबीता , पत्नी मंजीत (21) और सीरागांव (उत्तरकाशी) निवासी रिश्तेदार भरत लाल (50) की मलबे में दबकर मौत हो गई। रात के अंधेरे में ही वहां इकट्ठा हुए ग्रामीणों में से एक मदन सिंह को मलबे में से चिल्लाने की आवाज आई। वहां मृतक गोबरु की पत्नी शांति देवी दबी थी। किसी तरह उसे बाहर निकाला गया। सूचना पाकर एसडीएम ए नासिर खान के नेतृत्व में पहुंची आपदा प्रबंधन की टीम मौके पर पहुंची। कड़ी मशक्कत के बाद पांच लोगों को बाहर निकाला गया, लेकिन तब तक सभी दम तोड़ चुके थे।
शांति देवी को थत्युड ़ में प्राथमिक उपचार के बाद उसे देहरादून रेफर किया गया है। घटना की सूचना मिलने पर सैकड़ों की संख्या में क्षेत्रवासी पहुंचे। सूचना पर पहुंची मंत्री खजानदास ने अपनी देखरेख में सभी शव थत्युड़ पहुंचवाए। बाद में आपदा प्रबंधन मंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और जिलाधिकारी टिहरी राधिका झा भी पहुंची। पोस्टमार्टम के बाद शवों का अंतिम संस्कार कर दिया गया।
क्षेत्र की जिला पंचायत सदस्य सरतमा देवी ने बताया गया कि छनियों में बंधी 15 गाय, 15 बकरियां, तीन भैंस, दो भेड़ और एक कुत्ता भी दबकर मर गए। शिक्षा मंत्री खजान दास और आपदा प्रबंधन मंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मृतकों के परिजनों को एक-एक लाख रुपये देने की घोषणा की है। डीएम राधिका झा ने बताया कि प्रभावित परिवार के परिजनों को दीन दयाल आवास दिया जाएगा। परिजनों को अनुमन्य सहायता राशि दी गई है। मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक का हेलीकॉप्टर खराब मौसम के कारण शुक्रवार को सैण गांव में नहीं उतर पाया।

मिट्टी के ढेर में दबकर तीन मजदूरों की मौत
कंडीसौड़ (टिहरी)। थौल धार प्रखंड के नगुण-भवान मोटर मार्ग पर कार्य कर रहे मजदूरों के लिए शुक्रवार काला दिन साबित हुआ। मार्ग पर कार्य के दौरान मिट्टी के टीले में दबने से महिला समेत तीन मजदूरों की मौत हो गई। शुक्रवार सुबह 11 बजे हुए इस हादसे के मृतकों के शव तीन घंटे बाद बाहर निकाले जा सके। शुक्रवार को नगुण-भवान मोटर मार्ग पर बिकोल गांव के पास नारदाना के निर्माण में लगे मजदूरों रोज की तरह यहां काम कर रहे थे। सुबह करीब 11 बजे अचानक ऊपर से मिट्टी का बड़ा टीला मजदूरों के ऊपर गिर गया। जिसमें दबने से गीता (30 वर्ष) पत्नी वीर बहादुर, तेग बहादुर (42 वर्ष) और गणेश बहादुर (36 वर्ष) की ही मौत हो गई। विकोल के प्रधान गुलाब सिंह ने बताया कि तीनों मजदूरों पर ऊपर मिट्टी का बड़ा टीला इतनी तेजी से गिरा कि उन्हें संभलने तक का मौका नहीं मिला। मलबे का बड़ा ढेर लगने पर जेसीबी मशीन बुलाई गई, इस बीच श्रमिक और बड़ी संख्या में मौके पर पहुंचे ग्रामीण भी मिट्टी हटाने में जुट रहे। बावजूद इसके शवों को निकालने में तीन घंटे लग गए। सूचना पर स्थानीय पटवारी सुनील चमोली और बालम सिंह रावत ने मौके पर पहुंच कर शवों का पंचनामा भरा। शवों को पोस्टमार्टम के लिए जिला चिकित्सालय भेजा गया है।
संघनित बादलों का नमी बढ़ने पर बूदों की शक्ल में बरसना बारिश कहलाता है। पर अगर किसी क्षेत्र विशेष में भारी बारिश की संभावनाओं वाला बादल एकाएक बरस जाता है, तो उसे बादल का फटना कहते हैं। इसमें थोड़े समय में ही असामान्य बारिश होती है।
हमारे यहां बादल फटने की घटनाएं तब होती हैं, जब बंगाल की खाड़ी या अरब सागर से मानसूनी बादल हिमालय की ऊंचाइयों तक पहुंचते हैं और तेज तूफान से बने दबाव के कारण एक स्थान पर ही पानी गिरा देते हैं।
रोकथाम
बादल को फटने से रोकने के कोई ठोस उपाय नहीं हैं। पर पानी की सही निकासी, मकानों की दुरुस्त बनावट, वन क्षेत्र की मौजूदगी और प्रकृति से सामंजस्य बनाकर चलने पर इससे होने वाला नुकसान कम हो सकता है।

Anil Arya / अनिल आर्य

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95 साल की बीमार वृद्धा की वेदना सुन छलके सबके आंसू
कख गैन मेरु परिवार का लोग....
• अमर उजाला ब्यूरो
मसूरी। सैण गांव में बादल फटने से हुए दर्दनाक हादसे से हर कोई गमजदा है। खेती और पशु पालन कर परिवार का भरण-पोषण करने वाले मुखिया गोबरु समेत पांच लोगों के काल का ग्रास बनने से दुखी उनकी 95 वर्षीय वृद्ध और चार साल से बीमार मां जुनो देवी सकपकाते हुए जब बोलती हैं कख गए मेरु परिवार का सब लोग तो वहां मौजूद हर व्यक्ति के आंखों में आंसू छलक पढ़ते हैं।
भरा पूरा परिवार चले जाने के बाद घर पर जुनो देवी, गोबरु के बड़ा बेटा महावीर और उसकी पत्नी और उनके बच्चे, दूसरा बेटा मंजीत जो हादसे के वक्त दूसरे घर में थे, मलबा हटाने में लगे हुए थे। तीसरा बेटा संजीत देहरादून में छोटी-मोटी नौकरी करता है। वह तब तक पहुंचा नहीं था। गंभीर घायल शांति देवी अस्पताल में जिंदगी और मौत से जूझ रही है। गोबरु की घर की हालत तंग है। बृहस्पतिवार रात को जिस घर में हादसा हुआ, वह सैण गांव से कुछ ही दूरी पर स्थित है। गांव का घर जर्जर है। हल्की बारिश में ही घास-फूस से ढंके घर की छत टपक रही थी।
शुक्रवार को शिक्षा मंत्री खजानदास, आपदा मंत्री त्रिवेंद्र रावत ने घर खाली कर परिजनों को पंचायत भवन में शिफ्ट करने के आदेश दे गए लेकिन पंचायत घर की हालत भी रहने लायक नहीं थी, तो ग्रामीणों ने अपने घरों में रखने का भरोसा दिलाया।
खजानदास ने अटल आवास योजना के तहत पीड़ित परिवार को शीघ्र घर बनवाने के आदेश एसडीएम को दिए। 21वीं सदी में उत्तराखंड में लोगों की स्थिति इतनी दयनीय है, यह सवाल सबको चौंकाने वाला है।
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एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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उत्तराखंड के टिहरी में बादल फटने से एक ही परिवार के चार व्यक्तियों सहित पांच की मौत हो गई.


उत्तराखंड के टिहरी में बादल फटने से एक ही परिवार के चार व्यक्तियों सहित पांच की मौत हो गई.
उत्तराखंड के टिहरी जिले के धनोल्टी के पास मोलधार ग्राम सभा के थाती डांडा में शुक्रवार को इस मानसून सत्र में पहली बार बादल फटने की घटना में एक ही परिवार के चार सदस्यों सहित पांच व्यक्तियों की मौत हो गई जबकि एक अन्य घायल हो गया.
आधिकारिक सूत्रों ने आज पांच व्यक्तियों के मरने की पुष्टि करते हुए बताया कि सुबह करीब दो बजे बादल फटने की घटना हुई. सूत्रों के अनुसार बादल फटने से एक ही परिवार के चार सदस्यों की मौत हो गयी. जिसमें तीन महिलाएं शामिल हैं जबकि एक अन्य व्यक्ति उस परिवार का रिश्तेदार है.
सूत्रों ने बताया कि मृतकों में 55 वर्षीय गोबरू, उसकी 21 वर्षीय पुत्रवधू बबीता, 15 वर्षीय और 10 वर्षीय दो पुत्रियां मेला और उर्मिला शामिल हैं. इस घटना में गोबरू के एक रिश्तेदार 50 वर्षीय भरतू की भी मौत हो गई.
सूत्रों के अनुसार गोबरू की पत्नी 50 वर्षीय शांति देवी गंभीर रूप से घायल हैं जिसे थत्यूण अस्पताल में भर्ती कराया गया है. सूत्रों के अनुसार अब तक पांचों शवों को बरामद किया जा चुका है जबकि अन्य संभावित लापता लोगों की तलाश की जा रही है.
स्थानीय लोगों ने प्रशासन को सूचना दी है कि पांच लोग अब भी लापता हैं. बादल फटने की घटना के बाद गांव में कई घर ध्वस्त हो गए.सूत्रों ने बताया कि आपदा राहत और बचाव दल की टीमें पुलिस बल के साथ पहुंच गई हैं और बचाव कार्य जारी है.
टिहरी के पुलिस अधीक्षक राजीव स्वरूप ने बताया कि पुलिस ने मौके पर पहुंच कर बचाव कार्य शुरू कर दिया है. लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया जा रहा है.
मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने पीड़ितों को तुरंत एक लाख रुपए की सहायता की घोषणा की है. जिला प्रशासन ने मौके पर पहुंच कर पीड़ित परिवार के लोगों को चेक भी दे दिया है.
राज्यपाल माग्रेट आल्वा ने इस घटना पर गहरा दुख व्यक्त किया है.

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