Author Topic: Uttarakhand Suffering From Disaster - दैवीय आपदाओं से जूझता उत्तराखण्ड  (Read 70076 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Natural calamities continue in Uttarakhand.

चट्टान खिसकने से दो मजदूरों की मौत, एक घायलSep 06, 11:55 pm


धारचूला (पिथौरागढ़)। तहसील मुख्यालय से 45 किलोमीटर दूर गर्बाधार से तिब्बत सीमा लिपूलेख तक निर्माणाधीन सड़क में गर्बाधार से लगभग डेढ़ किमी आगे चट्टान खिसकने से दो मजदूरों की दब कर मौत हो गयी और एक मजदूर घायल हो गया। दोनों मृतक स्थानीय हैं और इनमें एक का शव बरामद नहीं हुआ है।

सीमा सड़क संगठन की 67 आरसीसी यूनिट द्वारा गर्बाधार से लिपूलेख तक मोटर मार्ग का किया जा रहा है। सोमवार को गर्बाधार से डेढ़ किमी दूर सड़क निर्माण का कार्य चल रहा था। पूर्वाह्न दस बजे के आसपास अचानक पहाड़ से एक विशाल चट्टान खिसक गयी। चट्टान की चपेट में आने से शंकर राम पुत्र दलीप राम निवासी सिमखोला बुंगबुंग की मौके पर ही मौत हो गयी जबकि तांकुल निवासी दलीप राम पुत्र मक्खन राम मलबे के ढेर में दब गया। चट्टान की चपेट में आया तीसरा मजदूर गोपाल सिंह पुत्र दरपान सिंह घायल हो गया। घटना के तुरंत बाद सीमा सड़क संगठन के कर्मियों और मजदूरों ने मलबा हटा कर शंकर राम का शव निकाल लिया पर दलीप राम का कुछ भी पता नहीं चल सका है। घटना की सूचना 67 आरसीसी कार्यालय धारचूला को मिलते ही लेफ्टिनेंट कर्नल घटनास्थल को रवाना हो गये। घायल मजदूर गोपाल सिंह को धारचूला लाया गया जहां उसे उच्चीकृत सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में भर्ती किया गया है।

http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_6703981.html

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बादल फटने से क्वीरीजीमिया गांव में व्यापक नुकसान

मुनस्यारी (पिथौरागढ़)। सीमांत तहसील मुनस्यारी से लगभग 18 किलोमीटर दूर स्थित क्वीरीजीमिया क्षेत्र में बादल फटने से व्यापक नुकसान हुआ है। पूर्व से ही सचेत ग्रामीणों ने गांव की सीमा पर एक छोटे से मैदान में खुले आसमान के नीचे शरण ली है। आपदा में गांव में दस मकान ध्वस्त हो गये हैं। शेष मकान क्षतिग्रस्त होने से रहने योग्य नहीं बचे हैं। राजमा और आलू के खेत मय फसल के बह गये हैं। गांव के चारों तरफ पहाड़ों से हो रहे भूस्खलन से गांव एक खाई के रूप में तब्दील हो चुका है। प्रशासन को भी इसकी सूचना काफी देर बाद मिली। इसके बावजूद अब तक प्रशासनिक अमला गांव तक नहीं पहुंचा है।

सीमांत क्षेत्र में कई दिनों से वर्षा का कहर जारी है। शनिवार की रात से तेज बारिश शुरू हुई जो रविवार पूरे दिन रही। इसी दौरान बादल फटने के कारण क्वीरीजीमिया क्षेत्र में चारों ओर से मलबा आ गया जिससे गांव के दस मकान ध्वस्त हो गये। शेष पचीस मकानों में चौड़ी दरारें आ चुकी हैं जो अब रहने योग्य नहीं हैं। शनिवार की रात से ही विनाशकारी बारिश के रूप को देखकर गांव के पैंतीस परिवारों ने मकान छोड़ दिये थे। सभी ग्रामीण गांव के निकट स्थित एक छोटे से मैदान में पालीथिन का टेंट बना कर रह रहे हैं।

क्वीरीजीमिया गांव चारों तरफ पहाड़ों से घिरा है। पहाड़ों से भूकटाव होने से गांव खाई के रूप में तब्दील हो गया है। गांव में अब कृषि योग्य भूमि शेष नहीं रह गयी है। राजमा की फसल मय खेतों के बह चुकी है। इस घटना की जानकारी ग्राम प्रधान द्वारा तहसील प्रशासन को दी गयी थी परंतु प्रशासन इस हादसे में जनहानि नहीं होने के कारण गंभीर नहीं हुआ। ग्राम प्रधान देवेन्द्र सिंह ने बताया कि शीघ्र गांव में राहत कार्य नहीं चलाये जाने पर स्थिति बिगड़ सकती है। प्रधान का कहना है कि दुधमुंहे बच्चों से लेकर अस्सी वर्ष के बूढ़े तक मैदान में खुले आसमान के नीचे शरण लिये हुए हैं। उन्होंने प्रशासन से गांव में अविलंब टैंट, खाद्यान्न और दवा भेजने की मांग की है। इसके अलावा धारचूला के ग्वाल गांव में पांच मकान क्षतिग्रस्त हो गये हैं। उपजिलाधिकारी नवनीत कुमार पांडेय ने मौके का मुआयना कर राजस्व कर्मियों को प्रभावित पांच परिवारों को अन्यत्र शिफ्ट करने के आदेश दिये हैं।


http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_6703952.html

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गुनाल गांव में भूधंसाव चार भवन क्षतिग्रस्त


-रनाड़ी देवीधार मार्ग पूर्ण रूप बाधित

-स्कूली बच्चों भी जान जोखिम डालकर आना पड़ रहा स्कूल

डुण्डा, निज प्रतिनिधि: मूसलाधार बारिश से जगह-जगह हो रहे भूधंसाव से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। गुनालगांव में चार भवन भूधंसाव की जद में आने व गांव के ऊपर से दरार आने से लोग दहशत के माहौल में जी रहे हैं। भूस्खलन से रनाड़ी-देवीधार मोटरमार्ग भी एक हफ्ते से बंद है। ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से शीघ्र मदद की गुहार लगायी है।

डुण्डा प्रखंड के अस्तल, देवीधार, गुनालगांव भकड़ा, सिंगुणी व पुजार गांव आदि गांव में बारिश से हो रहे भूधंसाव से लोग को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। गुनालगांव में भूधंसाव से शिवदास, चंदन लाल, चंदन सिंह व दिनेश लाल के आवासीय भवन पूर्ण रूप से क्षतिग्रस्त होने से वह घर से बेघर हो गये हैं। वहीं भूधंसाव की जद में आये रनाड़ी देवीधार मोटरमार्ग पूर्ण रूप बंद पड़ा हुआ है। इससे जूनियर हाईस्कूल हिटाणू में पठन पाठन करने वाले छात्र-छात्राओं व स्थानीय लोगों को आवागमन में करने में काफी कठिनाईयों का सामना करना पड़ रहा है। अस्तल प्रधान ममता भट्ट ने बताया कि रनाड़ी देवीधार मार्ग बंद होने से स्कूली बच्चों को जान जोखिम में डालकर स्कूल में जाना पड़ रहा है। उन्होंने ने जिला प्रशासन से शीघ्र मार्ग खुलवाने की माग की है। क्षेत्रीय पटवारी विनोद पंवार ने बताया कि प्रभावित परिवारों के भवनों का निरीक्षण कर लिया गया है। सभी परिवारों को सुरक्षित स्थानों भेज दिया है।

फोटो- 10 यूटीकेपी 1- डुण्डा प्रखंड में रनाड़ी-देवीधार मोटर मार्ग मलबा आने के कारण एक हफ्ते से बंद है। जागरण


http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_6712245.html

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वज्रपात की गर्जना से ग्रामीण की मौत
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अस्कोट/जौलजीवी/धारचूला: पिथौरागढ़ जिले के अधिकतर भू-भाग में जहां वर्षा का वेग थम चुका है वहीं अस्कोट-जौलजीवी क्षेत्र में तेज गर्जना के साथ बारिश हो रही है। वर्षा के दौरान तेज गरज के साथ हुए वज्रपात से घबरा कर यहां एक ग्रामीण की मौत हो गयी। क्षेत्र में लगातार हो रहे वज्रपात से लोग सहमे हुए हैं। वहीं धारचूला के खेत क्षेत्र में भूस्खलन से उतीस के सैकड़ों पेड़ धराशाई हो गए। सोबला और क्वीरीजीमिया में हालात अब भी असामान्य बने हुए हैं।

अस्कोट क्षेत्र में पिछले कुछ दिनों से तेज गरज के साथ वर्षा हो रही है। इस दौरान तीव्र गर्जना के साथ आकाशीय बिजली गिर रही है। शनिवार को प्रात: छ: बजे के करीब पातलीगांव निवासी दिनेश लाल पुत्र नंद लाल घर से बाहर निकला ही था कि उसके सीढि़यों से उतरते ही तीव्र गर्जना के साथ आकाशीय बिजली गिरी, जिसकी चमक और गर्जना से भयभीत दिनेश घर के अंदर लौट गया और कुछ ही पलों में उसकी मौत हो गयी।

अस्कोट से जुड़े जौलजीवी और तल्ला बगड़ क्षेत्र में भी विगत तीन-चार दिनों से वर्षा के साथ रात भर जंगलों में गिर रही आकाशीय बिजली से कई वृक्ष धराशायी हो गये हैं। लगातार आकाशीय बिजली गिरने से क्षेत्रवासी दहशत में हैं। धारचूला तहसील क्षेत्र में कैलास-मानसरोवर यात्रा मार्ग खुल गया है पर खेत के पास अभी इसके बंद होने से सोबला मार्ग नहीं खुल पाया है। खेत के पास लगातार भूमि धंसने से उतीस के सैकड़ों पेड़ धराशायी होने के साथ ही बह चुके हैं। मुनस्यारी के आपदा प्रभावित क्वीरीजीमिया गांव में सभी मकान ध्वस्त हो चुके हैं। प्रकृति की विनाशलीला के कारण यहां पर जनजीवन सामान्य नहीं हो पा रहा है।

http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_6715165.html

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        पिथौरागढ़ में भूस्खलन,41 मकान तबाह   उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में भारी भूस्खलन से 41 मकान पूरी तरह से ध्वस्त हो गए।
उत्तराखंड के पिथौरागढ़ के मुनस्यारी तहसील के क्वीरीजीमिया गांव में भारी भूस्खलन से 41 मकान पूरी तरह से ध्वस्त हो गए हैं। साथ ही कई मकानों में दरारें आ गई हैं।
हालांकि इस घटना में काई जनहानि नहीं हुई है लेकिन इस घटना से इलाके के लोग सहमे हुए हैं।
घटना की सूचना मिलने पर तत्काल स्थानीय प्रशासन के इलाके का दौरा कर आवश्यक राहत का कार्य शुरू कर दिया है।
मालूम हो इस इलाके में पिछले साल भी भूस्खलन से दो गांव हमेशा के लिए जमींदोज़ हो गए थे।
इस इलाके में करीब 100 गांव ऐसे हैं जो आपदा की दृष्टि से बेहद संवेदनशील माने जाते हैं। प्रशासन इन्हें विस्थापित करने के लिए कई बार योजना बना चुका है लेकिन इस क्षेत्र से यहां के लोगों के भावनात्मक जुड़ाव के कारण ये संभव नहीं हो सका।
फिलहाल जिला प्रशासन ने हालात की गंभीरता को देखते हुए पीड़ितों को राहत देने की बात कही है।
 
http://www.samaylive.com/regional-hindi/uttarakhand-hindi/98361.html

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उत्तराखंड में आज और एक भयानक दैवीय घटना घटी है ये घटना उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिल्ले के बाड़ी गाँव में हुई है,कल रात को बदल फटने से ये घटना हुई है अल्मोड़ा के बाड़ी गाँव में बादल फटने से १२ माकन द्वस्त हो गए हैं और लम से कम २० लोग लापता हैं !
इन प्राकिर्तिक दैवीय आपदाओं से झूझता हवा उत्तराखंड अभी भी नहीं उभरा और दिनप्रतिदिन ये दैवीय घटना घाट रही है,बाड़ी गाँव हुई घटना में राहत कार्यों में बहुत बड़ी कठिनाइयों का सामना करनी पद रही हैं क्योंकि उतराखंड में काफी जोरों से बारिस हो रहीहै

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Heavy rain, landslides kill 17 in Uttarakhand

New Delhi:  At least 17 people were killed and 10 others were trapped in debris as landslides triggered by heavy rains wreaked havoc in Uttarakhand, sweeping away scores of houses in several villages of the hill state.

The worst affected was Almora district, where an alert has been sounded by the administration. Sitarganj received a maximum rainfall of 193 mm, followed by Haldwani at 160 mm, Pantnagar (116.2 mm), Nainital (108 mm) and Almora (89 mm)

The torrential rains have also disrupted the annual Chardham pilgrimage with national highways and roads linking them hit by landslides at a number of places.

Nineteen more people have died in north India as incessant rains lashed the region triggering landslides and rising levels of major rivers.

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Two people lost their lives in rain-related incidents in Uttar Pradesh, where flood situation continued to remain grim in several districts due to rise in water level of major rivers at a number of places.

Flood situation in trans-Ganga areas of Farrukhabad district turned grim affecting a population of over one lakh with water being discharged in Ganga at Narora.

Ganga is flowing above the danger mark at Fatehgarh and Ballia. Yamuna continued to flow above the red mark at Mathura and Auriaya.

The minimum temperature plummeted in higher hills and tribal areas of Himachal Pradesh with monsoon remaining weak in the region.

Kalpa was the coldest with a maximum of 9.6 deg C, while Una was the hottest with a high of 32.6 deg C. Shimla recorded a low of 13.9 deg C.

The maximum temperature in most parts of Punjab, Haryana and Chandigarh settled between two to three degree Celsius below normal.

Hisar was hottest in plains of Punjab and Haryana with a high of 32.5 deg C, which was three notches below normal.

Ambala settled at a high of 32 deg C, two notches below normal, while Amritsar recorded a high of 31.6 deg C, two degrees below normal.

Chandigarh recorded a high of 31.5 deg C, two notches below normal.


Read more at: http://www.ndtv.com/article/india/heavy-rain-landslides-kill-17-in-uttarakhand-53077?cp

Devbhoomi,Uttarakhand

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बारिश का कहर 31 लोगों की मौत
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छत्ताीस घंटे से अनवरत चल रही बारिश ने उत्ताराखंड में जमकर कहर बरपाया। बारिश के कहर से राज्यभर में अलग-अलग हादसों में 31 लोग हताहत हो गए, जबकि स्कूली बच्चों समेत 50 को बचा लिया गया। कुमाऊं मंडल में सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है। कुमाऊं के नैनीताल जनपद में आठ और अल्मोड़ा में 18 लोगों की मरने की सूचना है। आपदा प्रबंधन मंत्री खजानदास ने इन मौतों की पुष्टि की है, जबकि पुलिस मुख्यालय के नियंत्रण कक्ष में रात बारह बजे तक इस तरह की किसी भी घटना की जानकारी नहीं थी। राज्य आपदा न्यूनीकरण केंद्र ने रात बारह बजे तक राज्यभर में 19 लोगों की मौत और दो के बहने की पुष्टि की है। गढ़वाल मंडल में कुल मिलाकर पांच लोगों तथा कुमाऊं मंडल में 26 लोगों के मरने की खबर है। कुमाऊं मंडल के अल्मोड़ा जिले के बाल्टा तोक में बादल फटने से बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ है। यहां तीन लोगों को मलबे से जिंदा निकाला लिया गया और 30 लोगों के मलबे में दबे होने की आशंका है। देर रात को राहत व बचाव कार्य जारी था। समूचे प्रदेश में राजमार्ग और संपर्क मार्ग भू-धंसाव के कारण अवरुद्ध हो गए हैं। रात को अचानक गंगा समेत तमाम नदियों का जलस्तर अचानक बढ़ गया, इससे आसपास की बस्तियों को खतरा मंडराने लगा है। श्रीनगर गढ़वाल में गंगा का जलस्तर बढ़ने से प्रशासन ने निचले वाले इलाकों को खाली करने की निर्देश दिए। यहां देर रात को मुनादी लगाई जा रही थी। हरिद्वार में भी गंगा का पानी बढ़ने से भीमगोडा बैराज का एक गेट टूट गया। इधर, मौसम के तेवर को देखते हुए प्रदेशभर में हाई अलर्ट घोषित कर दिया गया है। सरकार ने सभी सरकारी कर्मियों व अफसरों की छुंिट्टयां अगले आदेशों तक निरस्त कर दी है। मौसम विभाग के आंकड़ों के मुताबिक अब तक इस सीजन में 2848 मिलीमीटर बारिश हो चुकी है। मौसम विज्ञानियों के अनुसार अभी बारिश का कहर जारी रहेगा।

अल्मोड़ा के बल्टा गांव में बादल फटने से तबाही, 7 लोगों के मलबे में दबे होने की आशंका

- सेना के जवानों ने देर रात पांच लोगों को जीवित निकाला

जागरण कार्यालय, अल्मोड़ा/नैनीताल : अतिवृष्टि ने कुमाऊं में कहर बरपा दिया है। अल्मोड़ा जिले में प्रलयकारी स्थिति हो गई है। पिल्खा क्षेत्र में अतिवृष्टि से पांच लोगों की मौत हो गई, जबकि जिला प्रशासन ने लोधिया के पास देवली में एक व्यक्ति की मौत की पुष्टि की है। नैनीताल जनपद के पर्वतीय अंचल के विभिन्न ग्रामीण क्षेत्रों में मकान ढहने व नालों में बहने से करीब चार लोगों की मौत हो गई, जबकि तीन बालिकाओं समेत नौ लोग लापता हैं। ऊधमसिंह नगर में बारिश ने 40 साल का रिकार्ड तोड़ दिया है।

अल्मोड़ा जिले के बल्टा के बाड़ी तोक में शनिवार को बादल फटने से 6 मकान बह गए। लगभग 7 लोगों के दबे होने आशंका है। बचाव कार्य के लिए आईटीबीपी, पुलिस व सेना के जवानों को बल्टा, देवली, पिल्खा में लगा दिया गया है। जवानों ने देवली में मलबे में दबी दो महिलाओं को जिंदा निकाल लिया है। देर रात बल्टा गांव से भी तीन लोगों को जीवित निकाल लिया गया है। पूरे जिले में लगातार हो रही वर्षा से सैकड़ों मकान जमींदोज हो गए हैं, हजारों मकान खतरे की जद में हैं। लोगों ने गांव छोड़कर सुरक्षित स्थानों में शरण ली है। कोसी व सुवाल नदी भयंकर उफान पर हैं। दोनों किनारों में रहने वाले लोगों ने गांव खाली कर दिए हैं।

भूस्खलन के खतरे को देखते हुए लोधिया के लगभग 25 परिवार पास के पंचायत घर में शरण लिए हुए हैं। जैंती क्षेत्र में 15 मकान ध्वस्त हो गए हैं। ल्वाली व बिशौदकोट के 5 पैदल पुल बह गए हैं। जैंती के देवली गांव के 34 परिवारों को अन्यत्र सुरक्षित स्थानों में पहुंचाया गया है। जिलाधिकारी सुव‌र्द्धन ने खत्याड़ी, दुगालखोला, फलसीमा में रह रहे लोगों को घर खाली करने के निर्देश दे दिए हैं।

शनिवार को ओखलकांडा विकास क्षेत्र के रमोला गांव में बादल फटने से लाल सिंह रमोला का मकान तहस-नहस हो गया। इसमें लाल सिंह की तीन बालिकाएं पूनम , बबिता और दो वर्षीय दीपा लापता हैं। इसके अलावा गांव के पूर्व प्रधान देव सिंह का भी पता नहीं चल पा रहा है। भवाली प्रतिनिधि के अनुसार रामगढ़ रोड पर ओमप्रकाश चौधरी शिप्रा नदी के किनारे टिनशेड डालकर रह रहा था। सुबह नदी के तेज बहाव में ओमप्रकाश चौधरी और उसका 18 वर्षीय पुत्र तीरथ चौधरी टिनशेड बह गए। इसमें मौके पर मौजूद कुछ ग्रामीणों ने जैसे-तैसे ओमप्रकाश को तो बचा लिया, तीरथ का कैंची के पास शव बरामद हुआ है। रामगढ़ ब्लाक के छयोड़ी धुरा गांव में तो बारिश तबाही बनकर आई। यहां चंदनराम के मकान पर मलबा गिरा। घटना के दौरान मकान में 11 लोग मौजूद थे। इनमें चंदनराम (62), मीना (28) पत्नी महेश, काजल (5), रक्षित (डेढ़ वर्ष) व श्वेता (5) पुत्री भूपाल लापता है। मलबे में इनकी तलाश की जा रही है। जबकि शाम को महेश (33) की मौत हो गई। भीमताल प्रतिनिधि के अनुसार पद्मपुरी गांव में भारी बारिश के चलते निर्माणाधीन पद्मपुरी-अकस्यूड़ा मोटर मार्ग की दीवार हरीश सिंह के मकान पर गिर गई। जिससे मकान भरभराकर धराशायी हो गया। मकान में मौजूद गीता देवी (34) पत्नी हरीश सिंह और सास बचुली देवी (70) की मलबे में दबकर मौके पर ही मौत हो गई। जबकि गीता देवी का पुत्र देवेंद्र सिंह (17) और देवरानी जानकी देवी (40) पत्नी चंदन सिंह गंभीर रूप से घायल हो गई।

दीवार गिरने से पांच की मौत

हरिद्वार/रुड़की, जागरण संवाददाता: हरिद्वार जनपद में बारिश कहर बनकर टूटी। रुड़की क्षेत्र के इब्राहीमपुर देह गांव में दीवार गिरने से छप्पर के नीचे सो रहे एक ही परिवार के पांच लोगों की मौत हो गई, दो अन्य लोग घायल हो गये। हरिद्वार के कनखल स्थित रजवाहे के तेज बहाव में केन्द्रीय विद्यालय भेल की कक्षा 11 की एक छात्रा बह गई। मंशा देवी की पहाड़ी से रेलवे सुरंग के पास ट्रैक पर मलबा आने से कुछ देर के लिए हरिद्वार-देहरादून रेल मार्ग बंद करना पड़ा। इससे मसूरी और जनता एक्सप्रेस प्रभावित हुईं। जनशताब्दी और श्री गंगानगर एक्सप्रेस दो दिन के लिए रद्द कर दी गयी हैं, जबकि देहरादून गोरखपुर एक्सप्रेस छह घंटे विलंब से चल रही है। चंडीदेवी मंदिर की पहाड़ी गिरने से हरिद्वार-बिजनौर मार्ग अवरुद्ध हो गया। हरिद्वार-रुड़की हाईवे पर शांतरशाह के पास करीब आठ मीटर सड़क बह गई। शांतरशाह से पथरी रौ का पानी आने से दो बच्चों सहित आठ लोग बह गये, लेकिन इन्हें बचा लिया गया। बारिश में कई कच्चे-पक्के मकान भी गिरे हैं। उधर पहाड़ों में हुई बारिश के चलते गंगा भी खतरे के निशान की ओर बढ़ रही है। फिलहाल वह निशान से आधा मीटर नीचे है।

रुड़की के इब्राहीमपुर देह गांव में कलीराम का परिवार मकान में पानी टपकने के कारण पास में एक छप्पर के नीचे सो गया था। रात में पड़ोसी की दीवार छप्पर पर जा गिरी, जिससे सभी लोग दब गये। सुबह गांव वालों की नजर इस तरफ गई। उन्होंने दीवार का मलबा हटाया तो सात लोग दबे मिले। सभी को सिविल हॉस्पिटल लाया गया, जहां चिकित्सकों ने पांच को मृत घोषित कर दिया और दो गंभीर घायलों को हायर सेंटर के लिए रैफर कर दिया। मृतकों में कलीराम की पत्‍‌नी संजोगिता (37), बेटा आशीष (12), कमल (2) व बेटी शशी (9) तथा साले का बेटा शुभम (8) पुत्र सिताब सिंह निवासी तलहेडी (देवबंद) शामिल हैं। कलीराम और उसकी चार वर्षीय बेटी अंजली को हायर सेंटर के लिए रैफर किया गया है।

चार धाम यात्रा मार्ग बंद

गढ़वाल, जागरण टीम: भारी बारिश के चलते पहाड़ में चारों राजमार्ग अवरुद्ध हो गए। लिंक मार्गो पर भी आवाजाही ठप है। चमोली, रुद्रप्रयाग, पौड़ी और टिहरी जिलों में बड़ी संख्या में मकान बारिश क्षतिग्रस्त हो गए। मलबा आने से कई नाली कृषि भूमि तबाह हो गई है। लैंसडौन में रिखणीखाल प्रखंड स्थित बनगड़ प्राथमिक विद्यालय के चौबीस बच्चों समेत दो शिक्षक विद्यालय के दोनों ओर गदेरों में पानी आ जाने से विद्यालय में ही फंस गए। देर शाम उन्हें सुरक्षित निकाल लिया गया। सिरोगाड़ प्रावि में भी सत्रह बच्चों समेत एक शिक्षिका व शिक्षक विद्यालय में फंस गए।

टिहरी जिले में ऋषिकेश-गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग मलबा आने से बंद हो गया है। वहीं, ऋषिकेश बदरीनाथ मार्ग पर शिवपुर व कीर्तिनगर-देवप्रयाग के मध्य कई स्थानों पर मलबा आने से मार्ग बंद हैं। गंगोत्री राजमार्ग पर उत्तारकाशी के थेरांग, गंगनाणी, नालूपाणी के बीच भारी मलबा आने से यातायात ठप है। यमुनोत्री राजमार्ग पर डामटा व सारीगाड़ में यातायात ठप है। बदरीनाथ राजमार्ग पर गोपेश्वर से आगे टय्या पुल, लामबगड़ व हनुमानचट्टी में लगातार पहाड़ी से मलबा गिर रहा है। रुद्रप्रयाग में केदारनाथ राजमार्ग पर मुनकटिया, भटवाड़ीसैण व सौड़ी के नजदीक मलबा आने से आवाजाही ठप है।

पौड़ी जनपद में पिछले तीन दिन में 12 भवन क्षतिग्रस्त हो गए हैं। श्रीनगर में डेढ़ दर्जन मकानों पर खतरा बना हुआ है। गढ़वाल विवि का उपाधि अनुभाग का भवन भी धंस गया है। कर्णप्रयाग में तीन मकान, नारायणबगड़ में तीन दुकानें क्षतिग्रस्त हुई हैं। थराली में दो दुकानें पिण्डर नदी में बह गई।

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गरुड़ के पांच परिवारों ने घर छोड़ा


गरुड़: तहसील के अंतर्गत ग्राम बज्वाड़ के तोक कुड़खेत में पांच परिवारों ने अपने घर छोड़कर अन्यत्र शरण ले ली है। बहादुर सिंह, उमेद सिंह, सुंदर सिंह, भगवत सिंह व हरुली देवी ने मवेशी छोड़कर दूसरे के घरों में शरण ले ली है। ग्राम मथुरों में भी दो मकान क्षतिग्रस्त हो गये हैं कुंवर राम के दो मवेशी दब गये हैं। ग्राम दुदिला में प्रशासन ने कई घर खाली करवा दिये हैं। लमचूला में 20 परिवारों को गंभीर खतरा उत्पन्न हो गया है। प्राथमिक विद्यालय माल्दे में मलबा घुस गया है। अधिकांश मोटर मार्ग बंद हो गये हैं। बागेश्वर तहसील के अंतर्गत ग्राम कराला पालड़ी में कई मकानों को खतरा हो गया तथा गांव के पैदल रास्ते ध्वस्त हो गये हैं। उपजाऊ जमीन मलबे में तब्दील हो गयी है। चंदन सिंह व बसंती देवी के मकानों के पीछे मलबा आ गया है तथा बिजली के खंबे गिर गये हैं। प्रधान रवि करायत व हरीश करायत ने प्रभावितों को राहत प्रदान करने की मांग प्रशासन से की है।

http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_6733143.html

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Cloudburst in Uttarakhand, 30 killed in heavy rain
« Reply #59 on: September 19, 2010, 12:07:41 PM »
Cloudburst in Uttarakhand, 30 killed in heavy rain
Almora, Sep 19: After Leh, now cloudburst hit Uttarakhand and twelve houses have been washed away in Bari village.

Buzz up!Eighteen   people have died in landslides in Almora's Devli village in Uttarakhand   and more than 30 people have been killed due to heavy rain.

Over 300 mm of rainfall has been recorded in the last 24 hours on Sep 19.

Kosi began to swell after a sudden cloud burst in Almora.

From   one lakh 15 thousand cusecs early morning on Saturday, Sep 18, the   water level rose to one and a half lakh cusecs by evening.

OneIndia News

http://news.oneindia.in/2010/09/19/cloudburst-in-uttarakhand-30-killed-in-heavy-rain.html

 

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