Author Topic: Uttarakhand Suffering From Disaster - दैवीय आपदाओं से जूझता उत्तराखण्ड  (Read 70114 times)

सत्यदेव सिंह नेगी

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उत्तराखण्ड में बारिश का कहर, अबतक 50 मरेभारी बारिश से टिहरी डैम ओवर फ्लोगंगा हुई विकराल
उत्तराखंड में भारी बारिश से 60 से ज़्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।
उत्तराखंड में 60 से अधिक मरे
राज्य के ज़्यादातर हिस्से बारिश कीचपेट में हैं। राज्य के मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने बारिश और बाढ़ से आई आपदा से निपटने के लिये केंद्र से मदद मांगी है। उन्होंने स्कूल और कॉलेजों को तीन दिन के बंद करने के भी आदेश दे दिये हैं। साथ ही सरकारी कर्मचारियों की छुट्टियां रद्द कर दी गई हैं।
टिहरी डैम ओवर फ्लो
राज्य में लगातार हो रही बारिश से टिहरी बांध ओवर फ्लो कर रहा है। पानी बांध के उच्चतम स्तर 830 मीटर को पार कर चुका है। अब नौबत ये आ गई है कि बांध के स्पिल-वे से पानी छोड़ा गया है क्योंकि झील में इतना पानी जमा हो चुका है कि उसे रोकना ख़तरे से खाली नहीं।
हमारे सहयोगी न्यूज़ चैनल सहारा समय उत्तर प्रदेश/ उत्तराखंड ने बांध की तस्वीरें पहली बार लीं। दक्षिण एशिया का ये सबसे बड़ा बांध पहली बार इस तरह पानी उगल रहा है।
टिहरी झील लबालब भरी हुई है और स्पिल-वे से पानी छोड़ा जा रहा है। पानी का इतना तेज़ बहाव टिहरी के लोगों ने पहले कभी नहीं देखा था। ये बांध अब तक शांत था और झील में कभी इतना पानी नहीं रहा कि उसे स्पिल- वे से छोड़ने की नौबत आई हो। लेकिन इस साल राज्य में इतनी बारिश हुई है कि हर बांध लाचार साबित हो रहा है।
कोटेश्वर में बर्बादी
मैदानी इलाकों की तरफ बढ़ता पानी अपने साथ बर्बादी ले कर जा रहा है। टिहरी बांध के पानी ने पहला नुकसान कोटेश्वर में कर दिया है। टिहरी बांध से 20 किलोमीटर दूर बन रहे कोटेश्वर बांध के पावर हाउस में पानी भर गया है और 400 मेगावाट के कोटेश्वर प्रोजेक्ट पर फिलहाल काम बंद हो गया है।
पावर हाउस की अरबों की मशीनों के खराब होने की आशंका जताई जाने लगी है। यहां कई रास्ते बंद हो गए हैं और छह किलोमीटर लंबी एक झील बन गई है। यहां की बिगड़ती हालत को देखते हुए आगे के इलाकों में भी अलर्ट जारी कर दिया गया है।
कोटेश्वर डैन के आसपास के इलाकों में रहने वाले मज़दूरों को चेतावनी देकर हटवा दिया गया है। इलाके में जैसे ही सायरन बजा स्थानीय लोगों में हड़कंप मच गया। हाई अलर्ट जारी होने के बाद से यहां अफरा- तफरी का माहौल है और लोग सुरक्षित स्थानों पर जा रहे हैं।
हरिद्वार में पानी ही पानी
भारी बारिश से उत्तराखंड की सभी नदियां ख़तरे के निशान के ऊपर बह रही हैं। बांधों से बेतहाशा पानी छोड़ा जा रहा है। टिहरी बांध से छोड़ा गया पानी हरिद्वार शहर में कई जगहों पर प्रवेश कर गया है। हालत अब ये हो गई है कि मशहूर हर की पैड़ी पूरी तरह पानी में डूब गई है।
यहां रेल यातायात पूरी तरह ठप हो गया है। मंसा देवी की पहाड़ियों पर हो रहे भूस्खलन का मलबा रेल ट्रैक पर गिर रहा है जिससे रेल यातायात प्रभावित हुआ है। इस कारण यहां रेल यातायात फिलहाल रोक दिया गया है और यहां से गुज़रने वाली ट्रेनों को रद्द कर दिया गया है। हालांकि मलबा हटाने का काम जारी है, लेकिन भारी बारिश के कारण इस काम में बाधाएं आ रही हैं।
 उत्तराखंड में बस सेवाएं स्थगित  पौड़ी ज़िले में दिक्कतें
उत्तराखंड के पौड़ी में भारी बारिश की वजह से लोगों को अनेकों तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। आम जनजीवन लगभग ठप सा हो गया है। शहर में बिजली गुल है और नदियों का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। अलकनंदा नदी का जलस्तर बढ़ने से पेयजल योजना का संयंत्र डूब गया है।
भारी मात्रा में पानी आने से ऋषिकेश, लक्ष्मण झूला, श्रीनगर, अलकनंदा, सतपुतली पश्चिमी के रहने वालों को अलर्ट कर दिया गया है। अधिकांश लोग अब घरों की छतों पर रहने को मजबूर हैं। आने- जाने के रास्ते भी पानी में डूब गए हैं। एसएसबी अकादमी समेत कई आवासीय कॉलोनियों में पानी घुस गया है।
http://www.samaylive.com/regional-hindi/uttarakhand-hindi/99066.html

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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दुःख की इस घडी में मेरापहाड़ शोकाकुल परिवारों के प्रति अपनी संवेदना प्रकट करता है!

कुदरत की अजीब मार उत्तराखंड झेल रहा है, वही मई के महीने में लोगो के एक-२ बूद पानी के लिए तरसना पड़ रहा था वही अभी भारी वरिश से जिन्दगी अस्त- व्यस्त है!

ऊपर वाले से प्रार्थना है .. अब तो रहम करो!


सत्यदेव सिंह नेगी

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सबसे बड़ी बात जो ये है की सबको बचने वाले ३३ करोड़ देवी देवता भी पहाड़ में ही वास करते हैं फिर भी जलप्रलय इसे भाग्य की बिडम्बना न कहें तो क्या कहें अब

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Joshi ji

Absolutely there are human errors which are also the one of reasons of such situation in Uttarakhand at present. Deforestation is another factor. Our Disaster Management seems to be helpless particular they don’t have such equipments or facilities like Helicopters etc to reach the spot and render the assistance / start rescue operation fast.

At present, life has totally derailed in hill areas. There is no road connectivity, no power and no communications facilities. God save!

 


पर्वतीय क्षेत्र में बारिश या भारी बारिश कोई नई बात नहीं है. पर अब बारिश का कहर बढ़ गया है-उसका कारण है जल निकासी मार्गों का अवरुद्ध हो जाना. हम सब जानते हैं की पर्वतीय ढलानों पर मकान बनते ए हैं और बनते रहेंगे. पर्वतीय क्षेत्र के मुनिसिपल एक्ट में जल निकासी के ऊपर काफी जोर है. पर अफ़सोस हम अपना घर बना लेते हैं मगर घर का जल और बारिश का जल कहाँ जाएगा इसकी चिंता नगर निगम के ऊपर छोड़ देते हैं. आबादी का दबाव नित्य बढ़ता जा रहा है. नित्य नये घर बन रहे हैं और वह भी जरूरी हैं. नये घर बनाने में लोग अक्सर थोड़ी सी जमीन और हथियाने के चक्कर में या फिर मजबूरी में जैसे कैसे गाड़ गधेरों पर घर बना लेते हैं. समस्या फिर वही -जल निकासी. हमारा हिमालय विश्व में सबसे कम आयु के पर्वतों में है. अतेव इसकी चट्टाने अभी भी पूरी तरह ठोस नहीं हैं. काफी मात्रा में बारिश का जल फाड़ के अंदर चला जाता है. उस भूमि गत जल को भी निकलने का रास्ता चाहिए! इसीलिये घर के पिछवाड़े जहाँ कहीं भी  खड़ा पहाड़ होता है वहां पर दीवार में 'वीप होल' छोड़ने का कायदा है. इसके द्वारा बारिश का भूमिगत जल बाहर निकल जाता है. फिर किनारे किनारे नाली बना कर इस जल के निकलने का इंतजाम किया जाता है. अब अक्सर मैंने देखा है की लोग इन छोटी बातों को नजरंदाज़ कर देते हैं और गम्भीर प्रणाम भुगतते हैं. पर मैं यह जरूर कहूंगा की सारा दोष लोगों का ही नहीं है. सरकार को भी चाहिए की म्युनिसिपल बाई लाज का ठीक से अम्ल किया जाये, लोगों को घर बनाने में सुरक्षा के तरीके बताये जाएँ.
पर यह समय दोष मढने का नहीं है. यह समय है समाजसेवी संस्थाओं को आगे आकर मुसीबत में फंसे लोगों की मदद करने का.

 

दीपक पनेरू

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हल्द्वानी रेलवे स्टेशन से 05 मीटर दूर का हाल



हल्द्वानी रेलवे स्टेशन से 05 मीटर दूर का हाल






















हेम पन्त

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Aaj pahado me barish rukne se thoda rahat mili hai, lekin aane wale dino me fir se barish aane ki sambhavna hai.

अरुण/Sajwan

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Deepak Ji,
Ye tasviren dekh ke samjha ja sakta h ki is samay hamare pahad ki kya halat h,
Sare pahadi ilako ka shahar se sampark toot gaya h, Hamare yaha se Kotdwar, Ramnagar or Pouri jane sabhi raste poori tarah toot chuke hain, Kuch din or agar yahi halat rahi to Khane peene tak ki samasya paida ho jayegi. Khud mere parents ek hapte se kisi or ke gaon me rah rahe hain. Mere bagal ke gaon me teen goshala toot gai jis se sare ke sare Gay, Bhaise dab ke mar gai. Maine apni jindagi me shayad pahle bar hi itna bada vinash dekha h.
Bhagwan se prarthna h ki, ab aap hi kuch madad karen.

दीपक पनेरू

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हाँ अरुण जी बिलकुल बहुत ही बुरी हालत है हमारे उत्तराखंड की, पूरे रस्ते,   सड़के, घर, खेत, फसल सब बारिश की भैट चढ़ चुके है, पता नहीं ऐसे क्या कर्म   हम लोगो ने कर दिए, रुड़ियों का गुलाम है हमारा समाज सर, वैज्ञानिक तथ्यों   की और कोई ध्यान ही नहीं देता पता नहीं क्यों, पेड़ काटना, जंगलो में आग   लगाना, बेतुका खदान करना, खेतों में रसायनों का प्रयोग आदि सब से वातावरण   में परिवर्तन होना लाजमी है, कुदरत से छेड़छाड करना कही न कही तो नुकसान   होगा ही, हम हिमालय के ज्यादा करीब रहते है इसलिए सबसे ज्यादा प्रभावित हम   ही होते है, चीन भी इस प्रकार की त्राशदी को झेल चुका है.....कारन एक ही   है..जो हिमालय के ज्यादा करीब है उससे ज्यादा ही नुक्सान होना संभव है

Devbhoomi,Uttarakhand

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सताने लगी आशियाने की चिंता
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बारिश के कहर से बेघर हुए लोगों को अब आशियाने की चिंता सताने लगी है। अतिवृष्टि ने चंद मिनटों में ही गरीबों की छत छीन ली और उन्हें खुले आसमान में लाकर छोड़ दिया। नया भवन बनाना उनके लिए आसान नहीं है, क्योंकि इतना पैसा आएगा कहां से। पुश्तैनी घरों को उजड़ता देख उनकी आंखें भर आई हैं। इनकी आंसुओं की धारा बारिश पर भारी पड़ रही है।

तीन दिन से हुई लगातार बारिश ने ग्रामीण क्षेत्रों का पूरा ताना-बाना ही बिगाड़ दिया। बारिश के बाद हुए भूस्खलन के कारण कई लोगों के घर ध्वस्त हो गए तथा कई लोगों के मकानों पर दरार आ गई है, जिस कारण इनमें रहना खतरे से खाली नहीं है। बारिश ने प्रभावितों का सब कुछ छीन लिया। कई मकानों से प्रशासन ने लोगों को सुरक्षित जगहों पर पहुंचाया तो कई लोग स्वयं अपने मकान छोड़कर अन्य लोगों के घरों में शरण लिए हुए हैं। कई लोग ऐसे हैं जिनके परिवारों में सदस्यों की संख्या काफी है ऐसे में उन्हें अन्यत्र रहने में खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। सबसे बड़ी समस्या मासूम बच्चों की है। लोगों को जहां शिफ्ट भी किया गया वहां पर भी उन्हें अनेक समस्याओं से जूझना पड़ रहा है। कई लोग ऐसे हैं जो भारी बारिश में भी तिरपाल के नीचे रात गुजारने को मजबूर हैं। थौलधार प्रखंड के चौपड़ियाल गांव के तैल्वाड़ी नामे तोक में रहने वाले वीरू, कौंरू, सुंदर सिंह, प्रेम सिंह, जीत सिंह का परिवार नेशनल गंगोत्री हाईवे के किनारे तिरपाल लगाकर रात गुजार रहरी है। बेघर हुए इन लोगों के सम्मुख अब सबसे बड़ी चिंता छत की है। बेघर हुए लोगों में कई ऐसे हैं जो मजदूरी कर बमुश्किल से परिवार का भरण-पोषण करते हैं ऐसे में नया घर बनाना इनके लिए सपना सरीखा है। भविष्य को लेकर इनके माथे पर चिंता की लकीरें साफ दिखाई दे रही हैं। प्रखंडवार यदि प्रभावित परिवारों का आंकलन करें तो चम्बा में करीब 30, भिलंगना 23, प्रतापनगर में 35, थौलधार मे 100 के करीब परिवार बेघर हुए हैं।

पंचायत घर व मिलन केन्द्र में रह रहे प्रभावित उम्मेद सिंह, चमन सिंह, बसंत लाल, जमन सिंह आदि का कहना है कि यहां पर एक ही कमरा होने के कारण उन्हें अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

Jagran news

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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मौसम ने लील लीं पांच की जान, कई घायलSep 21, 03:03 amबताएं

देहरादून। पर्वतीय अंचलों में मौसम लगातार कहर बरपा रहा है। गढ़वाल व कुमाऊं में आज मौसम ने चार जिंदगियां लील लीं। उधर, हरिद्वार में स्कूल की इमारत की दीवार ढहने से एक बच्चे की मौत हो गई। राज्य के कई राजमार्ग आज भी यातायात के लिए अवरुद्ध रहे। हरिद्वार के लक्सर क्षेत्र में बाढ़ के हालात हैं।

बारिश का कहर अभी भी थम नहीं रहा है। टिहरी जिले के चाका में मकान ढहने से एक बुजुर्ग महिला की मौत हो गई, वहीं टिहरी-मलेथा मार्ग पर फंसे यात्री दल में शामिल एक महिला ने दम तोड़ दिया। उधर, चमोली में हेलंग के समीप चट्टान टूटकर सड़क पर जा गिरी। इससे सड़क किनारे लगा सुरक्षा गार्डर उखड़ गया। इसकी चपेट में आने से एक साधु व तीन आईटीबीपी जवानों समेत 11 लोग घायल हो गए। उधर, चारों धामों के राजमार्ग चार दिन बाद भी नहीं खोले जा सके। मार्गो पर सैकड़ों यात्री फंसे हुए हैं।

टिहरी-मलेथा मोटरमार्ग पर कीर्तिनगर के नजदीक दुगड्डा में भूस्खलन के चलते सैकड़ों यात्री रविवार दोपहर से फंसे हुए थे। रविवार देर रात यहां फंसे गुजराती यात्री दल में शामिल महिला मणिबेन पटेल पत्नी दिखालाल पटेल निवासी जिला भड़ूच, गुजरात ने दम तोड़ दिया। चमोली में ऋषिकेश-बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर हेलंग के समीप सड़क पर एक बोल्डर के सड़क किनारे लगे सुरक्षा गार्ड से जा टकराया, जिससे वह उखड़ गया। इसकी चपेट में आकर वहां खड़े यात्री हरिराम यादव पुत्र कन्हैया लाल यादव निवासी भौंएरा जिला छतरपुर मध्यप्रदेश, गुरूपद भट्टाचार्य पुत्र गौरी शंकर निवासी इनाड़बनी जिला पश्चिमी मिदनापुर पश्चिम बंगाल, लल्ली (50 वर्ष) पुत्र भैय्यालाल निवासी सड़कला पडराय जिला छतरपुर मध्यप्रदेश, हजारी पाल (50 वर्ष) निवासी करली बड़ामलहेर जिला छतरपुर मध्यप्रदेश, सुरेन्द्र सिंह (23 वर्ष) पुत्र कुन्दन सिंह निवासी सौंणी कमेड़ा घाट चमोली, साधू योगावृत्तानन्द (53 वर्ष) निवासी रामकृष्ण मिशन बेलूरमठ कलकत्ता हावड़ा, प्रेम सिंह (63 वर्ष) पुत्र गौर सिंह निवासी अपर बाजार जोशीमठ चमोली, जबकि एक साधू (उम्र 70 वर्ष) समेत आईटीबीपी के जवान कांति प्रसाद डिमरी (44 वर्ष) पुत्र आत्माराम निवासी रविग्राम जोशीमठ चमोली, सत्यबाबू (25 वर्ष) पुत्र यंगटरामना जिला विशाखापट्टनम आन्ध्रा प्रदेश व रंजीत सिंह (22 वर्ष) पुत्र तरसेम सिंह निवासी बंदराल जिला सांबा जम्मू घायल हो गए।

उधर, गंगोत्री राजमार्ग धरासू, नालूपाणी, भटवाड़ी, थेरांग व यमुनोत्री राजमार्ग कल्याणी, डामटा व सारीगाड के समीप बंद रहा। ऋषिकेश-बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर कर्णप्रयाग के समीप चट्वापीपल, नन्दप्रयाग और केदारनाथ राजमार्ग पर गौरीकुंड के नजदीक मलबा आने से आवाजाही बाधित है।

हरिद्वार कार्यालय के अनुसार हरिद्वार जनपद में सबसे बुरी हालत लक्सर की है। शहर के अलावा देहात क्षेत्र के दर्जनों गांवों में पानी ही पानी नजर आ रहा है। गंगा और बाणगंगा ने यहां जमकर कहर बरपाया है। लक्सर क्षेत्र में राहत कार्यो के लिए सेना के जवानों को जुटाया गया है। हरिद्वार-देहरादून रेल मार्ग आज भी सुचारु नहीं हो सका। तीर्थनगरी में बारिश और जलभराव से भारी क्षति हुई है। तीर्थनगरी में स्कूल बंदी के आदेश के बाद भी खुले एक स्कूल में प्रार्थना के दौरान दीवार गिरने से एक छात्र की मौत हो गयी।

लक्सर में बाढ़ से जहां दर्जनों मवेशी मरे हैं, वहीं बड़ी संख्या में झोंपड़िया बह गई हैं। शहर तक में पानी भरा हुआ है। लक्सर की दुकानें बंद हैं। रेलवे का एक ट्रैक पानी में डूब चुका है। सिर्फ एक ट्रैक से ट्रेनों का आवागमन जारी है। आठवीं बीएन नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी (एनडीआरएफ) के अधिकारी, सेना, बीईजी, पीएसी, आईटीबीपी सहित सैकड़ों जवान हर संभव मदद कर रहे हैं। बाढ़ में फंसे सैकड़ों लोगों को निकाल लिया गया है, जबकि सैकड़ों अभी फंसे हुए हैं। लक्सर ओवर ब्रिज के नीचे तीन फुट पानी बह रहा है। गंगदासपुर, पंडितपुरी, हबीबपुर, महाराजपुर, महाराजपुर खुर्द, गिद्दोवाली, रायसी, बालावाली, कुडी, कलसिया गांवों में दस फुट से अधिक पानी है।

इधर हरिद्वार में सोमवार को खड़खड़ी स्थित एक प्राइवेट स्कूल की दीवार ढहने से कक्षा चार के छात्र की मौत हो गई। पुलिस के मुताबिक हिल बाईपास मार्ग पर खड़खड़ी स्थित पंडित प्रेमचंद मेमोरियल जूनियर हाईस्कूल सोमवार को खुला था। प्रार्थना के समय स्कूल की दीवार ढह गई, जिससे कक्षा चार का छात्र नीरज बिष्ट चपेट में आ गया। इलाज के दौरान देहरादून में उसकी मौत हो गई।

हल्द्वानी (नैनीताल) कार्यालय के अनुसार अतिवृष्टि से कुमाऊं के सुदूरवर्ती क्षेत्रों में भी व्यापक तबाही मची है। सैकड़ों ग्रामीण घर छोड़ कर अन्यत्र शरण लिए हुए हैं। सोमवार को दो युवकों की उफनाई नदी-नालों में बहकर मौत हो गई।

चार दिन हुई मूसलाधार बारिश से कुमाऊं में काफी नुकसान हुआ है। नैनीताल जिले के ओखलकांडा निवासी कुंदन राम (18) पुत्र बची राम सोमवार को लूगड़ नाले में बह गया। काफी देर बाद ग्रामीणों को करीब सौ मीटर दूर कुंदन का शव बरामद हुआ। उधर रुद्रपुर में मछली पकड़ने गया युवक भाखड़ा नदी में बह गया। लोगों ने काफी मशक्कत के बाद उसे नदी से बाहर निकाला। लेकिन अस्पताल ले जाने तक उसकी मौत हो गई। आसपास के लोगों ने बताया कि अजय सरकार (19) पुत्र विजय निवासी तिरफुल नगर गुलरभोज भाखड़ा नदी से मछली पकड़ रहा था। अचानक पैर फिसलने से वह नदी में जा गिरा।

उधर, अल्मोड़ा जिले के द्वाराहाट क्षेत्र में जामड़ सलालखोला सहित कई गांवों में भूस्खलन व भूमि धंसने से 100 से अधिक परिवारों ने अन्यत्र शरण ली है। अल्मोड़ा-पिथौरागढ़ मोटर मार्ग बंद होने से समूचे तहसील क्षेत्र का जिला मुख्यालय से सम्पर्क भंग हो गया है।

नैनीताल के बेतालघाट विकासखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में कई दर्जन मकान भूस्खलन व जमीन धंसने से क्षतिग्रस्त हो चुके हैं। क्षेत्र की सारी सड़कें भूस्खलन से बाधित हो गई है। भूस्खलन के चलते बेतालघाट-रामनगर, बेतालघाट-भतरोंजखान, बेतालघाट-गरमपानी व रातीघाट समेत सभी सड़कों पर यातायात पिछले चार दिनों से बंद पड़ा है। चंपावत, पिथौरागढ़ जिले के सभी मार्ग सोमवार को भी बंद रहे। भू स्खलन से कई मकान खतरे की जद में आ चुके हैं। तराई क्षेत्र में बाढ़ से कई इलाके जल मग्न हैं। शारदा नदी, किरोड़ा, जगबूढ़ा, देवहवा, सूखी, बैगुल आदि नदियों से जबरदस्त भू कटाव हो गया है। बाढ़ से कई मकान टूट चुके हैं। सैकड़ों एकड़ धान व गन्ने की फसल बर्बाद हो चुकी है।

http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_6741409.html

 

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