Author Topic: Water Crisis Rising In Uttarakhand - उत्तराखंड मे हो रही है पानी की समस्या  (Read 32445 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Rachna Ji.

Well said. There is role of individual as well as the Govt and other oganizations to think serioulsy on this isse.


Batai Myor Pahad wale kaise es mai pehal kaar sakte hain, we all will try our best.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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अल्मोड़ा की पेयजल समस्या पीएम को बताईJan 02, 02:16 am

अल्मोड़ा। भाजपा के कार्यकर्ताओं ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मुलाकात कर नगर की पेयजल समस्या से अवगत कराया। शिष्टमंडल का नेतृत्व अल्मोड़ा इकाई की नेत्री दया जोशी ने किया।

शिष्टमंडल ने प्रधानमंत्री निवास पर उनसे मुलाकात की। प्रधानमंत्री ने पेयजल सहित अन्य समस्याओं को गंभीरता से सुना। प्रधानमंत्री से मुलाकात करने गए लोगों ने उन्हे पिंडारी परियोजना के बारे में जानकारी दी। शिष्टमंडल का नेतृत्व कर रही दया जोशी का कहना है कि प्रधानमंत्री ने अल्मोड़ा की पेयजल समस्या का शीघ्र निराकरण का भरोसा दिया है। उन्होंने यह भी बताया कि प्रधानमंत्री ने इस संबंध में उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री से इस संबंध में बात करने का आश्वासन दिया।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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पेयजल अव्यवस्था को लेकर नगर वासियों का आक्रोश फूटाJan 04, 02:24 am

पिथौरागढ़। नगर की चरमराई पेयजल व्यवस्था को लेकर गुरुवार को लोगों का आक्रोश फूट पड़ा। टकाना क्षेत्र के लोगों ने जल संस्थान के अधिशासी अभियंता को घेर लिया और नगर सेवा समिति ने जिलाधिकारी के सामने विरोध जताया। जिलाधिकारी ने तत्काल जल संस्थान के ईई को तलब कर आपूर्ति सामान्य करने के निर्देश दिये।

मालूम हो जिला मुख्यालय में पिछले एक पखवाडे़ से पेयजल आपूर्ति चरमराई हुई है। नलों में नाम मात्र का ही पानी आ रहा है, कई मोहल्लों में तो आपूर्ति पूरी तरह ठप पड़ी हुई है। पेयजल अव्यवस्था से खिन्न नगरवासियों का धैर्य गुरुवार को जवाब दे गया। पूल्ड आवास कालोनी के लोगों ने जल संस्थान कार्यालय पहुंचकर ईई एचके श्रीवास्तव को घेर लिया और जमकर नारेबाजी की। कालोनी के लोगों ने ईई के सम्मुख पेयजल समस्या रखी और कहा कि कालोनी के लिए बिछायी गयी पृथक लाइन से आम जनता को संयोजन बांटे जा रहे है इससे भी आपूर्ति प्रभावित हो रही है। ईई ने शीघ्र आपूर्ति सामान्य करने और कालोनी के लिए बिछायी गयी पृथक पेयजल लाइन से आम लोगों को संयोजन देने की जांच का आश्वासन दिया। इस पर कालोनी के लोगों ने घेराव समाप्त किया।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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पांच हैण्डपम्प खराब, गंगोलीहाट में पेयजल के लिये हाहाकारFeb 15, 02:17 am

गंगोलीहाट(पिथौरागढ़)। नगर की पेयजल किल्लत को दूर करने के उद्देश्य से विभिन्न स्थानों पर लगाये गये पांच हैण्डपम्प पिछले सप्ताह भर से खराब पड़े है। हैण्डपम्पों पर निर्भर लोगों को पेयजल आपूर्ति के लिये भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। विभाग द्वारा खराब पम्पों को सुधारे जाने के लिये कोई प्रयास नहीं किये जाने को लेकर क्षेत्रवासियों में गहरा आक्रोश व्याप्त है।

मालूम हो कि गंगोलीहाट नगर और ग्रामीण क्षेत्रों में पर्याप्त जल स्त्रोत और योजनाएं नहीं है। इसको देखते हुये जल संस्थान द्वारा कुछ समय पूर्व नगर सहित आसपास के विभिन्न गांवों में पांच हैण्डपम्प लगाये गये। परन्तु इन हैण्डपम्पों के आये दिन खराब होने के कारण लोगों को और अधिक परेशानी का सामना करने को मजबूर होना पड़ता है। हाट के ग्राम प्रधान शंकर लाल ने बताया कि जल संस्थान द्वारा लगाये गये पांचों हैण्डपम्प पिछले एक सप्ताह से भी लम्बे समय से खराब पड़े है। जिसमें नगर के दो पम्प और कफलाड़ी व सेराघाट में लगाये गये पम्प खराब पड़े हैं। पम्प लगने के बाद जलापूर्ति के लिये इन्हीं पम्पों पर निर्भर लोगों को अब भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने विभाग पर नये खोदे गये हैमण्डपम्पों को सुचारु नहीं करने पर भी रोष जताया है। ग्राम प्रधान ने शीघ्र खराब पड़े पम्पों को ठीक नहीं किये जाने पर आंदोलन की चेतावनी दी है।

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पेयजल मंत्री के क्षेत्र में पानी को तरसे ग्रामीणMar 03, 02:15 am

रुद्रप्रयाग। विकासखंड जखोली के कई गांवों में पेयजल संकट बना हुआ है। पानी के टैक और पेयजल लाइन जगह-जगह पर क्षतिग्रस्त होने से सप्लाई बाधित हो रही है। गर्मी शुरू होते ही प्राकृतिक स्त्रोतों के सूखने से मुसीबत और भी बढ़ गई है।

जखोली प्रखंड के ग्राम विराणा गांव, जाखाल, बरसूट, लडियासू में पेयजल संकट गहरा गया है। पेयजल लाइन के क्षतिग्रस्त होने से पानी की सप्लाई बाधित है, जिसके चलते क्षेत्रीय जनता को पर्याप्त पानी नहीं मिल पा रहा है। इसको लेकर क्षेत्रीय जनता में रोष व्याप्त है। विराणा गांव के सामाजिक कार्यकर्ता राजेंद्र सिंह पंवार ने अवगत कराया कि ग्रामीण जनता ने कई बार विभाग को अवगत कराया, लेकिन विभाग कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है। कहा कि ग्राम सभा के प्राकृतिक स्त्रोत भी सूख चुके है। पेयजल योजना पर लाखों रुपये खर्च होने के बावजूद भी ग्रामीण एक बूंद पानी के लिए तरस रहे है। उन्होंने कहा कि यदि विभाग पेयजल लाइनों को ठीक नहीं करता है तो ग्रामीण जनता आंदोलन के लिए बाध्य होगी।

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'Uttarakhand Koop' fast becoming lifeline of hilly states
« Reply #35 on: May 20, 2008, 04:57:53 PM »
'Uttarakhand Koop' fast becoming lifeline of hilly states
 
Dehra Dun, May 20: An indigenous device for tapping potable water, 'Uttarakhand Koop', which has bagged the prestigious National Urban Water Award for 2008 is fast becoming a hit in other hilly states as well.

"So far, we have installed nearly 1077 such Koops in the state, all of which are working very well. Neighbouring Hiamachal Pradesh would be employing the device shortly," said H P Uniyal, Chief General Manager of Uttarakhand Jal Sansthan and the brain behind the device.

The device, which consists of a hollow cylindrical steel pipe with radial perforated pipes, is now being widely used by the Uttarakhand Jal Sansathan in the hill state where water scarcity remains perennial.

During his recent trip to some European countries, Uniyal said, he presented the idea about the device to some scientists there who appreciated the technique and are studying it further.

The innovative device is based on indigenous technology and taps the sub-surface flow of a stream in all those water-starved areas where handpumps and other water supply machines do not work.

The designing of the Uttarakhand Koop, which is easily transportable, cost-effective and involves less maintenance, has been approved by the Indian Institute of Technology -Roorkee.

Connected with a welded outlet socket at the middle of vertical cylinder for joining outlet pipe, a 1 to 1.5 metre long pipe is placed vertically 3 to 4 metre below the bed of the stream with the bottom end open and the closed end at the top.

The scheme is designed in such a way that it works even during the minimum discharge in streams in the summer and winter months.

This water supply scheme in hilly regions is mostly constructed from rivulets locally known as 'Gadhera' as the water source, which are damaged in the rainy season due to flash floods and landslides.

When water sources are filled with water during rainy season, the intake chamber gets washed away leading to acute water crisis. In such a scenario, Uttarakhand Koop, which is also being appreciated by engineers and scientists, works as lifeline for the people of hilly states.

The device, which can also reduce faecal coliforms by 75 per cent, is placed over impermeable strata of the streams tapping entire alluvial fill. After placing it, the dug space is filled up with graded filter media enveloping the Koop up to the natural bed level of stream.

The base flow of the stream rises inside the cylindrical pipe through its open end and perforated radial pipes due to hydrostatic pressure of the submerged surface and maintains a static level in the cylindrical pipe.
 

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लोहाघाट, चानमारी व ठाड़ाढुंगा में पेयजल संकटAug 19, 11:34 pm

लोहाघाट (अल्मोड़ा)। पिछले एक सप्ताह से बादल लगातार बरस रहे है। लेकिन लोहाघाट नगरवासियों को भारी बरसात के बीच भी पेयजल संकट से जूझना पड़ रहा है। नगर सहित चानमारी क्षेत्र में पिछले आठ दिनों से पेयजल आपूर्ति ठप रहने से अब लोगों का गुस्सा भड़कने लगा है। विभिन्न संगठनों ने शीघ्र व्यवस्था ठीक न होने पर जल संस्थान के दफ्तर में तालाबंदी का ऐलान किया है। नगरवासियों का कहना है कि उन्हे हर मौसम में पेयजल समस्या से जूझना पड़ता है। गर्मियों में विभागीय अधिकारी जल स्तर कम होने का व जाड़ों में पाले व बर्फ के कारण पाइप लाइनें फटने तथा बरसात में लाइनें क्षतिग्रस्त होने का दुखड़ा रोकर अपने कार्यो की इति श्री समझ लेते है। क्षेत्र में पिछले आठ दिनों से लगातार हो रही बारिश के बीच लोगों को पेयजल समस्या से दो चार होना पड़ रहा है। लोगों में अब विभाग के खिलाफ आक्रोश तेज हो गया है। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि बनस्वाड़ योजना क्षतिग्रस्त हो जाने के कारण पेयजल संकट गहरा हुआ है। दूसरी तरफ कर्मचारियों की कमी का रोना भी विभागीय अधिकारी अलाप रहे है। पर स्थानीय लोगों का कहना है कि करोड़ों की लागत से बनी अन्य योजनाओं से नगर व अन्य क्षेत्रों में पेयजल आपूर्ति सुचारु रूप से क्यों नहीं की जा रही है। क्षेत्र के विभिन्न संगठनों ने शीघ्र पेयजल आपूर्ति सुचारु न होने पर विभाग के खिलाफ सड़कों में उतरने का निर्णय लिया है। साथ ही जिला प्रशासन से भी मामले में हस्तक्षेप की मांग की है।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Every day there is news on sacricity of water from various parts of Uttarakhand. It is unfortuate to lean that state from where Ganga river orginate is facing water crisis.

लोहाघाट, चानमारी व ठाड़ाढुंगा में पेयजल संकटAug 19, 11:34 pm

लोहाघाट (अल्मोड़ा)। पिछले एक सप्ताह से बादल लगातार बरस रहे है। लेकिन लोहाघाट नगरवासियों को भारी बरसात के बीच भी पेयजल संकट से जूझना पड़ रहा है। नगर सहित चानमारी क्षेत्र में पिछले आठ दिनों से पेयजल आपूर्ति ठप रहने से अब लोगों का गुस्सा भड़कने लगा है। विभिन्न संगठनों ने शीघ्र व्यवस्था ठीक न होने पर जल संस्थान के दफ्तर में तालाबंदी का ऐलान किया है। नगरवासियों का कहना है कि उन्हे हर मौसम में पेयजल समस्या से जूझना पड़ता है। गर्मियों में विभागीय अधिकारी जल स्तर कम होने का व जाड़ों में पाले व बर्फ के कारण पाइप लाइनें फटने तथा बरसात में लाइनें क्षतिग्रस्त होने का दुखड़ा रोकर अपने कार्यो की इति श्री समझ लेते है। क्षेत्र में पिछले आठ दिनों से लगातार हो रही बारिश के बीच लोगों को पेयजल समस्या से दो चार होना पड़ रहा है। लोगों में अब विभाग के खिलाफ आक्रोश तेज हो गया है। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि बनस्वाड़ योजना क्षतिग्रस्त हो जाने के कारण पेयजल संकट गहरा हुआ है। दूसरी तरफ कर्मचारियों की कमी का रोना भी विभागीय अधिकारी अलाप रहे है। पर स्थानीय लोगों का कहना है कि करोड़ों की लागत से बनी अन्य योजनाओं से नगर व अन्य क्षेत्रों में पेयजल आपूर्ति सुचारु रूप से क्यों नहीं की जा रही है। क्षेत्र के विभिन्न संगठनों ने शीघ्र पेयजल आपूर्ति सुचारु न होने पर विभाग के खिलाफ सड़कों में उतरने का निर्णय लिया है। साथ ही जिला प्रशासन से भी मामले में हस्तक्षेप की मांग की है।


पंकज सिंह महर

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कितना दुर्भाग्यपूर्ण और शर्मनाक है कि पूरे देश की आधे से ज्यादा आबादी को पानी देने वाली गंगा और यमुना का उद्गम उत्तराखण्ड में है। लेकिन गंगा-यमुना के मायके वाले ही प्यासे हैं, पौड़ी, टिहरी, अल्मोड़ा, पिथौरागढ सभी जगहों में लोग कन्स्तर लिये पानी के टैंकर की बाट जोहते रहते हैं।
     आजादी के ६० साल और अपने राज्य मिलने के ८ साल बाद भी हमारी सरकारें 53,483 वर्ग कि०मी०  क्षेत्रफल के सापेक्ष मात्र 18,089 वर्ग कि०मी० बसावट वाले क्षेत्र को पानी उपलब्ध नहीं करा पा रही है। गंगा, यमुना के साथ-साथ कोसी, महाकाली, रामगंगा, पिंडर जैसे बड़ी नदियां भी इस क्षेत्र में हैं। आखिर कारण क्या है कि नदी किनारे रहकर भी हम प्यासे हैं, आज भी हमारी मां-बहनें ५-६ मील से पानी ढोकर लाने को मजबूर हैं। आखिर सरकार कब चेतेगी, इन प्यासे गांवों में नल लगवायेगी, भगवान भरोसे ही है सब।

पंकज सिंह महर

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रामनगर: वर्षा न होने के कारण जीवनदायिनी कोसी नदी सूखने के कगार पर पहुंच चुकी है। अगर एक सप्ताह तक वर्षा न हुई तो पेयजल की जबरदस्त किल्लत बन सकती है। कोसी नदी सूखने से विभाग के माथे पर बल पड़ने लगे है। कोसी में अनावश्यक रूप से इधर-उधर जा रहे पानी को भी काटकर रॉ वाटर टैंक में लाने में जुटे हुए है। मालूम हो कि रामनगर में जीवनदायिनी कोसी नदी पूरे नगर व ग्रामीणों को पेयजल व सिंचाई के लिए जल उपलब्ध करवाती है। लेकिन इस बार वर्षा न होने के कारण कोसी नदी सूखने के कगार पर पहुंच चुकी है। अगर एक सप्ताह के भीतर वर्षा न होने से कोसी का जलस्तर नही बढ़ा तो क्षेत्र में पानी की जबरदस्त किल्लत बन सकती है। इन सब समस्याओं को देखते हुए जल संस्थान के अधिकारियों के माथे पर चिंता की लकीरें उभरने लगी है। विभाग इन दिनों जेसीबी मशीन से इधर-उधर बह रहे पानी को भी काटकर नाले के द्वारा रा वाटर टैंक में पहुंचा रहा है। विभाग ने इसके लिए नाले के किनारों पर बड़ी-बड़ी पालीथिन बांध कर रिसाव रोकने का प्रयास में जुटा हुआ है। गुरूवार को जल संस्थान के अधिशासी अभियंता जेआर गुप्ता व जेई जेपी यादव ने कोसी नदी का निरीक्षण किया। विभागीय अधिकारियों ने बताया कि पानी का रिसाव रोकने के लिए सीली मिट्टी व रोड़ी नाले के किनारे डाली जायेगी। जिससे पानी का रिसाव न हो तथा पानी सीधे रा टैंक में पहुंचे। उन्होंने बताया कि इस समय क्षेत्र की जनता को 9.5 एमएलडी पानी की आवश्यकता है लेकिन कोसी नदी सूखने से अब केवल पांच एमएलडी पानी ही जनता को मिल पायेगा।

 

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