444 गांव व तोक प्यासे Nov 17, 10:33 pm बताएं
The mail below is the evidence how much development has taken place in Uttarakhand. If this is the condition in Winter, you can imagine the situation in Summer.
Development point of view, hill areas are neglected very poor development there.
============== 444 गांव व तोक प्यासे
अल्मोड़ा : प्राकृतिक एवं पारंपरिक स्रोतों से लबरेज पहाड़ में लोग प्यासे! जी हां, पुनर्जन्म की राह तक रहीं 191 पेयजल योजनाएं कुछ ऐसी ही भयावह तस्वीर पेश कर रही हैं। हालात इतने विकट हैं कि अल्मोड़ा जिले के 444 गांव व तोकों में करीब दो लाख की आबादी पानी को तरस गई है। हैरत की बात है, आपदा मद से मरहम के दावों के उलट ध्वस्त योजनाओं में जान फूंकने को बजट ही नहीं है। जाहिर है, सर्दी में हाल ऐसे हैं तो गर्मी में हलक आसानी से तर होगा, कहना मुश्किल है।
प्राकृतिक प्रकोप की पीड़ा से अभी पहाड़वासी उबरने की जुगत में लगे ही थे कि अब पेयजल संकट की नई चुनौति मुंह बाये खड़ी हो गई है। बीते वर्ष की त्रासदी, फिर इस साल आपदा में ध्वस्त पेयजल योजनाओं की मरम्मत न होने से सुदूर गांवों में संकट गहरा गया है।
आंकड़ों पर गौर करें तो जनपद के तीन डिवीजन अल्मोड़ा, रानीखेत व रामनगर की सल्ट शाखा में कुल 805 पेयजल वितरण योजनाएं हैं। आपदा में 191 योजनाएं नेस्तनाबूद हो गई थीं। ऐसे में इन योजनाओं पर निर्भर करीब 444 गांव एवं तोक पानी की बूंद को मोहताज हो गए हैं।
मगर अफसोस कि शासन-प्रशासन पर्वतीय अंचल की प्यास बुझाने का कतई गंभीर नहीं है। यही वजह है संबंधित विभागीय अधिकारियों के क्षति का एस्टीमेट भेजने के बावजूद आपदा मद से धनराशि देने के बजाय कंजूसी की जा रही है। कहना गलत न होगा, जनप्रतिनिधियों व अफसरशाही का रवैया यही रहा तो निश्चित तौर पर प्रभावित गांवों के दो लाख लोग पेयजल के लिए तरस जाएंगे।
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जरूरत 2.94 करोड़ की, 34 लाख में इतिश्री
अल्मोड़ा डिवीजन को योजनाएं ध्वस्त होने से 1.50 करोड़ की चपत लगी। विभागीय स्तर पर बजट मांगा गया तो प्रशासन ने आपदा मद से 34 लाख देकर पल्ला झाड़ लिया। रानीखेत डिवीजन में 1.05 करोड़ तो रामनगर डिवीजन की सल्ट शाखा में योजनाएं क्षतिग्रस्त होने से जल संस्थान को 40 लाख की चपत लगी है। हैरत की बात है, अब तक दोनों डिवीजनों को योजनाओं की मरम्मत को धेला तक नहीं मिला।
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संकट का सूरत-ए-हाल
डिवीजन कुल योजनाएं ध्वस्त
-अल्मोड़ा 353 108
-रानीखेत 337 53
-सल्ट शाखा 115 30
======इंसेट बॉक्स====
कुल गांव-तोक संकट
-अल्मोड़ा- 582 194
-रानीखेत- 749+279 170
-सल्ट शाखा- 230 80
(आंकड़े विभागीय हैं, वास्तविकता इससे भी ज्यादा खराब है।)
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धन मिलते ही युद्धस्तर पर होगा काम: ईई
अधिशासी अभियंता (जल संस्थान) वीके मिश्रा ने कहा, क्षति का एस्टीमेट प्रशासन को भेजा गया है। आपदा मद में धन मिलते ही क्षतिग्रस्त योजनाओं की मरम्मत का कार्य युद्धस्तर पर शुरु कर दिया जाएगा।
=====इंसेट=======
जिला पंचायत ने शुरुआती चरण में एक दर्जन क्षतिग्रस्त पेयजल योजनाओं के पुनर्निर्माण को 60 लाख का एस्टीमेट प्रशासन को दिया है। मगर हीलाहवाली में अभी तक आपदा मद से धन ही नहीं मिला है। सुदूर गांवों में संकट गंभीर है। इससे निपटने को प्रशासन पर पूरा दबाव बनाया जाएगा।
मोहन राम आर्या, जिपं अध्यक्ष
(Dainik Jagran)