Author Topic: Water Crisis Rising In Uttarakhand - उत्तराखंड मे हो रही है पानी की समस्या  (Read 33569 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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पेयजल संकट से त्रस्त लोगों ने लगाया जाम


जागरण प्रतिनिधि, गोपेश्वर: नगर में पेयजल संकट से गुस्साए लोगों ने सुभाष नगर में गोपेश्वर-चमोली मोटर मार्ग जाम लगाकर विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान जलसंस्थान के अधिकारी कार्यालय से नदारद रहे।
 नगर पालिका परिषद के सुभाष नगर, हल्दापानी क्षेत्रवासियों का कहना था कि एक सप्ताह से उनके घरों में पानी नहीं आ रहा है। यही नहीं जल संस्थान ने टैंकरों की भी व्यवस्था नहीं की है। नतीजन लोगों को प्राकृतिक स्रोतों से पानी लाना पड़ रहा है। जाम की सूचना मिलते ही नगर पालिका अध्यक्ष संदीप सिंह रावत मौके पर पहुंचे। उन्होंने भी इस अव्यवस्था के लिए जल संस्थान जम कर कोसा। जब कोई अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचा तो आक्रोशित लोग जल संस्थान के कार्यालय पर पहुंच गए, लेकिन वहां भी कोई अधिकारी मौजूद नहीं मिला।
 स्थानीय लोगों ने जल संस्थान को मंगलवार शाम छह बजे तक पानी सप्लाई सुचारू करने की हिदायत दी है। नगर पालिका अध्यक्ष संदीप रावत कहा कि जल संस्थान की घोर लापरवाही से पेयजल संकट है।
 प्रदर्शनकारियों में मनोरमा बिष्ट, दीपा चौहान, प्रेमलता, शकुंतला, संदीप झिंक्वाण आदि मौजूद रहे।
http://www.jagran.com/uttarakhand/chamoli-10370178.html

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Now this is the situation of water crisis in Dwarahat.

बूंद-बूंद पानी को तरसे द्वाराहाट के कई गांव

द्वाराहाट: विकासखण्ड के कई गांव पेयजल संकट से जूझ रहे हैं। गगास से बीटीकेआइटी व समीपवर्ती क्षेत्रों के लिए बनी पंपिंग पेयजल योजना बार-बार क्षतिग्रस्त होने से इस योजना से जुड़ी हजारों की आबादी बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रही है। यही हाल किरौली व द्यौलाड़गूंठ क्षेत्रों का भी है। भारी मात्रा में पेयजल किल्लत से निजात दिलाने के लिए विभाग ने एकमात्र टैंकर लगाया है, जो ऊंट के मुंह में जीरा साबित हो रहा है।

बिपिन त्रिपाठी कुमाऊं प्रौद्योगिकी संस्थान के लिए गगास से बनी पंपिंग पेयजल योजना के लगातार क्षतिग्रस्त रहने के कारण संस्थान अपनी आपूर्ति तो टैंकरों से पानी ढोकर पूरी कर ले रहा है, लेकिन इसी योजना से जुड़ा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, ब्लाक मुख्यालय, राजकीय पॉलीटेक्निक के अतिरिक्त धरम गांव, डढोली, भौंरा, मायापुरी आदि क्षेत्र में पानी की बूंद नहीं टपक रही है। विशेषकर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में पानी का दंश मरीजों को झेलना पड़ रहा है। व्यवस्था सुचारु करने के लिए ग्रामीण संबंधित विभाग से शिकायत करते-करते थक चुके हैं, लेकिन योजना उचित देखभाल के अभाव में लगातार क्षतिग्रस्त होने से पेयजल संकट बढ़ता जा रहा है। जिससे ग्रामीणों में भारी रोष व्याप्त है।

उधर किरौली व द्यौलाड़गूंठ क्षेत्रों में भी गंभीर पेयजल संकट गहराया हुआ है। किरौली के लिए घटगाड़ से बनी पेयजल योजना खीरोगंगा में पानी सूख जाने के कारण बंद पड़ी है। जिस कारण ग्रामीणों को कई किमी दूर जाकर गाड़-गधेरों से गंदा पानी पीने को मजबूर होना पड़ रहा है। यही हाल द्यौलाड़गूंठ पेयजल योजना का भी है। जो स्रोत सूख जाने के कारण मात्र शोपीस बनी हुई है। पानी के संकट वाले क्षेत्रों के लिए जल संस्थान टैंकरों से पानी वितरण के दावे तो कर रहा है, लेकिन पानी के बगैर सूखे पड़े इन क्षेत्रों के लिए मात्र एक टैंकर से आपूर्ति की जा रही है। ग्रामीणों के अनुसार टैंकर से भी मुश्किल से घंटों इंतजार करने के बाद बहुत कम पानी मिल रहा है। ग्रामीणों का आरोप है कि स्रोतों में पानी कम तो हुआ है, विभागीय लापरवाही के चलते कई योजनाएं मरम्मत के अभाव में ठप पड़ी हैं, तो कई स्थानों स्वीकृत योजनाओं पर ईमानदारी से कार्य नहीं हो रहा है। जिस कारण पेयजल संकट बढ़ता जा रहा है।

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जिन क्षेत्रों में पेयजल संकट चल रहा है, वहां विभाग टैंकर से पानी वितरित कर रहा है। द्वाराहाट के लिए अतिरिक्त टैंकरों के लिए उच्च अधिकारियों को पत्र भेजा गया है। शीघ्र ही टैंकर उपलब्ध होने पर पानी की मात्रा बढ़ा दी जाएगी।

-पवन कुमार जोशी, अवर अभियंता, जल संस्थान, द्वाराहाट

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मीलों दूर से ढो रहे लोग पानी

Rudraprayag | अंतिम अपडेट 26 मई 2013 5:30 AM IST पर
तिलवाड़ा। शीशौं गांव में दो माह से पेयजल आपूर्ति नहीं होने से लोगों को मीलों दूर से पानी ढोना पड़ रहा है। वहीं रोड कटिंग के कारण तीन साल से सिंचाई गूल पर भी पानी नहीं चला है, जिससे लोगों की सिंचित भूमि बंजर होने की कगार पर पहुंच गई है।
शीशौं गांव के काश्तकार लस्तर-बंदरतोली-शीशौं गूल की बदौलत अच्छी फसल उगा लेते थे, लेकिन तीन वर्ष से नहर सड़क के मलबे से टूट गई है, जिससे सिंचित भूमि बंजर होने की कगार पर पहुंच गई है। सिलगढ़ विकास समिति महासचिव ओपी बहुगुणा, प्रधान हर्षपति भट्ट का कहना है कि छह जून 2012 को तहसीलदार की मौजूदगी में लोनिवि ने दो फसलों का मुआवजा देने का आश्वासन दिया था, लेकिन वह आजतक नहीं मिल पाया है।

दो माह से योजना पर नहीं चला पानी
विगत दो माह से ग्रामीण कई किमी पैदल चलकर मंदाकिनी नदी से पानी ढो रहे हैं। जल संस्थान द्वारा निर्मित पेयजल योजना के पाइप हेड पर चोरी होने से पानी नहीं चल रहा है। अनुसूचित बस्ती में लगाया गया हैंडपंप भी खराब पड़ा है।

तीन साल से सूखी पड़ी है गूल
तीन साल पूर्व सिंचाई नहर सूर्यप्रयाग-बंदरतोली-मवाणगांव मोटर मार्ग के मलबे से टूट गई थी। इस संबंध में सिंचाई विभाग का कहना है कि उन्होंने नहर के पुनर्निर्माण का आगणन लोनिवि को भेज दिया है। फसल के नुकसान का भी ग्रामीणों को मुआवजा नहीं मिल पाया।

शीघ्र पाइप लाइन जोड़ दी जाएगी। एक-दो दिन में हैंडपंप ठीक करने टीम पहुंच जाएगी।
-आरसी खंडूरी, ईई जल संस्थान

लोनिवि को आगणन भेजा जा चुका है। धन उपलब्ध होते ही नहर की मरम्मत कर दी जाएगी।
-सुधाकर पुरोहित, एई, राजकीय सिंचाई विभाग

जखन्याल में गहराया पेयजल संकट
रुद्रप्रयाग। जखन्याल गांव में आपूर्ति करने वाली दो पेयजल योजनाएं क्षतिग्रस्त पड़ी हैं, जिससे गांव में आपूर्ति ठप पड़ी है। उपभोक्ता पेयजल एवं स्वच्छता उप समिति जखन्यालगांव रघुवीर सिंह, प्रकाश सिंह बुटोला, सत्ये सिंह, मान सिंह बुटोला और रूप चंद्र बुटोला ने बताया कि गांव को पेयजल आपूर्ति के लिए दो पेयजल लाइन निर्मित हैं, लेकिन दोनाें क्षतिग्रस्त होने से ग्रामीण पानी के लिए तरस रहे हैं। उन्हाेंने बताया कि निर्माणाधीन तिमली-बष्टा-किरोड़ा मोटर मार्ग के कार्य से एक पेयजल योजन एक माह पूर्व क्षतिग्रस्त हो गई थी, जबकि दूसरी योजना गत वर्ष बरसात के दौरान क्षतिग्रस्त हो गई थी। ग्रामीणाें ने चेतावनी दी कि यदि शीघ्र क्षतिग्रस्त पेयजल लाइन की मरम्मत कर आपूर्ति सुचारु नहीं किए जाने पर उग्र आंदोलन किया जाएगा।

पीने के पानी को तरस रहे हैं लोग
गोपेश्वर। चढ़ते पारे के साथ ही नगर के लोग पीने के पानी के लिए तरसने लगे हैं। मुख्यालय के मुर्गी फार्म, मंदिर मार्ग, टेलीफोन कॉलोनी, सुभाषनगर, नैग्वाड़ और हल्दापानी मोहल्ले में भारी पेयजल किल्लत है। नवल भट्ट, अंकोला पुरोहित, संजय नेगी आदि का कहना है कि जलसंस्थान द्वारा पेयजल लाइनों का सही रखरखाव नहीं किए जाने से दिक्कत हो रही है। पीपलकोटी अगथला, गढ़ी, मायापुर आदि क्षेत्रोें में भी पेयजल आपूर्ति ठप पड़ी है। होटल व्यवासीय अशोक हटवाल ने बताया कि उन्हें 15 सौ रुपये में टैंकर से पानी खरीदना पड़ रहा है।

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23 लाख की योजना से एक दिन नहीं टपका पानी

पिथौरागढ़ : तहसील पिथौरागढ़ के अंतर्गत कटियानी गांव में स्वजल परियोजना के तहत 23 लाख की लागत से बनी पेयजल योजना में एक बूंद पानी नहीं टपकी है। पानी के अभाव में भैंसखोला के ग्रामीण 8 सौ मीटर नीचे गधेरे से पानी लाकर प्यास बुझा रहे हैं। वहीं विद्यालय में बच्चों को पीने का पानी नहीं मिल पा रहा है और नहीं मिड डे मील बन रहा है।

खोला कटियानी के लिए स्वजल परियोजना के तहत 23 लाख की लागत वाली पेयजल योजना स्वीकृत थी। तीन वर्ष पूर्व स्वीकृत पेयजल योजना का कार्य पूरा भी नहीं हुआ था कि उसे ग्राम पंचायत को हस्तान्तरित कर दी गई । ग्राम पंचायत को हस्तान्तरित होने के बाद ग्रामीणों को पानी आने की आस बनी थी, परंतु नलों में तीन माह बीतने के बाद भी पानी नहीं बहा है। इसी योजना से राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय चौखाल को भी पेयजल संयोजन दिया गया है। पानी नहीं आने से विद्यालय में छात्र-छात्राओं को पीने को पानी नहीं मिल रहा है। विद्यालय के प्रधानाचार्य कई बार इसकी शिकायत जिलाधिकारी से लेकर जल संस्थान अधिकारियों से की जा चुकी है।

कटियानी गांव के ग्रामीण एक दर्जन से अधिक बार जिला मुख्यालय पहुंच कर योजना की जांच की मांग कर चुके हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि बिना ग्रामीणों को सूचित किए ही ग्राम प्रधान और क्षेत्र पंचायत सदस्य द्वारा पेयजल योजना अपने कब्जे में ली गई है। इस संबंध में बात करने पर प्रधान और सदस्य एक दूसरे पर आरोप लगाते हैं। ग्रामीणों का यह भी कहना है कि तीन किमी लंबी पेयजल लाईन के मूल स्रोत में चैम्बर से ही पानी नहीं आ रहा है। लाइन में पहले एक इंच और बाद में डेढ़ इंच के पाइप बिछाए गए हैं। इस संबंध में ग्रामीणों ने शुक्रवार को भी जिला मुख्यालय पहुंच कर ज्ञापन जिलाधिकारी कार्यालय में दिया है। ज्ञापन में ग्रामीणों द्वारा अविलंब पेयजल योजना की जांच कराने की मांग की गई है। शीघ्र जांच नहीं होने पर ग्रामीणों ने जिला मुख्यालय पहुंच कर धरने पर बैठने की चेतावनी दी है।

इनसेट ::

बलतिर-थल पेयजल योजना में दस दिन से नहीं आया पानी

थल (पिथौरागढ़): बलतिर से थल बाजार के लिए बनी पेयजल योजना में विगत दस दिनों से पानी की आपूर्ति ठप है। नलों से कभी कभार दुर्गधयुक्त पानी आ रहा है। थल बस स्टेशन से लेकर पेट्रोल पम्प तक के सैकड़ों परिवारों को पेयजल समस्या से जूझना पड़ रहा है।

बलतिर से थल तक बनी पेयजल योजना से थल बाजार के पूर्वी हिस्से में बस स्टैण्ड से पेट्रोल पम्प तक की आपूर्ति होती है। दस दिन पूर्व से इस योजना में पानी नहीं बह रहा है। जलापूर्ति बाधित होने पर जनता द्वारा इसकी शिकायत जल संस्थान डीडीहाट से की गई। दस दिन बीतने के बाद भी विभाग द्वारा कोई सुध नहीं ली गई है। विगत दो दिनों से नलों में कभी कभार गंदा दुर्गधयुक्त पानी आ रहा है। उपभोक्ताओं का कहना है कि नलों से इस पानी के टपकने पर पूरे घर में दुर्गध फैल रही है। आशंका जताई जा रही है कि पाईप लाइन में पक्षी या मेढक फंस कर मर गया है।

प्रभावित लोगों ने जल संस्थान से 24 घंटों के भीतर पेयजल लाईन खोल कर उसकी सफाई की मांग की है। उपभोक्ताओं का यह भी कहना है कि जल संस्थान द्वारा योजना के मूल टैंक की कभी साफ सफाई तक नहीं की जाती है और नहीं दवाईयों का छिड़काव किया जाता है। उपभोक्ताओं का कहना है कि यदि संस्थान द्वारा दो दिन के भीतर टैंक और लाईन की सफाई नहीं होने पर विभाग के खिलाफ सड़कों पर उतरने की चेतावनी दी है।

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पीठ पर पानी ढोने को मजबूर हैं ग्रामीण

उत्तरकाशी। सीमांत विकासखंड भटवाड़ी के सबसे दूरस्थ पिलंग गांव में जून की बाढ़ से क्षतिग्रस्त पेयजल लाईन छह माह बाद भी ठीक नहीं हो पाई। ग्रामीण कई बार प्रशासन एवं जल संस्थान से लाइन ठीक करने की गुहार लगा चुके हैं, लेकिन अधिकारी सुनने को तैयार नहीं हैं। मजबूरन ग्रामीण आधा किलोमीटर दूर प्राकृतिक स्रोत से पीठ पर पानी ढोने को मजबूर हैं।
सड़क से 18 किलोमीटर दूर पिलंग के 97 परिवारों को पानी की आपूर्ति करने वाली पेयजल योजना जून माह की बाढ़ में तबाह हो गई थी। योजना के हेड के साथ ही पाइप लाइन भी जगह-जगह से क्षतिग्रस्त हो गई थी। ग्रामीण तब से लगातार प्रशासन और जल संस्थान के अधिकारियों से पेयजल योजना को दुरुस्त करने की मांग कर रहे हैं, लेकिन अभी तक लाइन ठीक नहीं हो पाई। ऐसे में प्रशासन की लापरवाही का खामियाजा ग्रामीणों को भुगतना पड़ रहा है। उन्हें आधा किलोमीटर दूर प्राकृतिक स्रोत से पीठ पर पानी ढोना पड़ रहा है।

मिड डे मिल में भी मुसीबत
उत्तरकाशी। पिलंग गांव की पेयजल लाइन क्षतिग्रस्त होने से न केवल ग्रामीणों को पानी के लिए तरसना पड़ रहा, बल्कि गांव के बेसिक एवं जूनियर हाईस्कूल में भी मध्याह्न भोजन बनाने में भोजन माताओं को दिक्कतें आ रही हैं। उन्हें आधा किमी दूर प्राकृतिक स्रोत से पानी ढोना पड़ रहा है।
कोट.....
आपदा के बाद से ग्रामीण विभिन्न समस्याओं से जूझ रहे हैं। डेढ़ माह पूर्व तत्कालीन डीएम डा. पंकज कुमार पांडेय ने गांव आकर ग्रामीणों के हालचाल जानने का वादा किया था। लेकिन न तो डीएम गांव आए और न ही अभी तक समस्याएं दूर हो पाई।
-बचन सिंह राणा, पूर्व प्रधान पिलंग गांव
कोट...
पिलंग गांव की पेयजल योजना को दुरुस्त करने के लिए ढाई लाख रुपये का प्रस्ताव प्रशासन को भेजा गया हैै। एक सप्ताह के अंदर विश्व बैंक से बजट मिलने की संभावना है। बजट मिलते ही पेयजल लाईन पर काम शुरू कर दिया जाएगा।
-आरएस नेगी, अधिशासी अभियंता जल संस्थान।

 

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