"जब लालू प्रसाद याधाव जी, I.I.M में भाषण और दे सकते हैं पढाई की निति बता सकते" तो गांवों अशिक्षित महिला प्रधान क्यों नहीं बन सकती है, गाँव में कुछ महिलाएं ऐसी भी हैं जो की अशिक्षित होने के बावजूद भी पड़ी लिखी महिन्लाओं से अच्छा विकास करने की क्षमता रखती है !
और अशिक्षित महिलाओं को प्रधान की कुर्शी पर कौन बिठाता है,उनका ही पति,वो शिक्षित पति ही अपनी अशिक्षित पत्नी को प्रधान के उमीद्वार के रूप में आगे पेश करता है क्योंकि वो शिक्षित होने बावजूद भी प्रधान की कुर्शी पर नहीं बैठ सकता है !
अशिक्षित महिलाएं चाहे किसी से भी पड़ने लिखने का काम करवाती हो विकास तो फिर भी होता है,मेरे गान में जो प्रधान जी हैं वो भी कोई ख़ास पड़े लिखे नहीं है !
और न ही उनकी पत्नी पड़ी-लिखी है,लेकिन गाँव का विकास तो हो ही रहा है लेकिन राज शाम को घर दो तीन ब्योड़े बैठे होते हैं,रोज प्रधान जी के घर मों पार्टी होती हैं,पत्नी बिचारी भी वही अशिक्षित स्टैम्प हैं ,जैसा पति कटा है वैसे ही स्टैम्प मार देती है !