Author Topic: Your Dream State Uttarakhand - आपके सपनो का राज्य उत्तराखंड  (Read 35147 times)

हेम पन्त

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नरेन्द्र नेगी जी ने अपने चर्चित गाने "नौछमी नरैन" में एक पंक्ति गायी है..

जनता सुपन्या दिखणि छ,
हुनि-हुनस्यारि का सुपन्या आस-विकास का सुपन्या
रंगिला सुपन्या पिंगला सुपन्या
सुपन्या ही सुपन्या..

वास्तव में आम जनता को उम्मीद थी कि राज्य बनने के बाद "अपने लोग" राज्य को चलायेंगे तो चहुंमुखी विकास होगा. लेकिन अपना सिक्का ही खोटा निकला. परिसीमन के मामले में पहाङी जनता ठगी गयी, और राजधानी का मुद्दा गले की फांस बना हुआ है.  शहीदों की आत्माएं जरूर स्वर्ग में उत्तराखण्ड की यह दशा देखकर दुखी हो रही होंगी.

अब तो ऐसा लग रहा है कि जनता का गुस्सा एक नये आन्दोलन का रूप लेकर एक बार फ़िर सङकों पर ही दिखेगा.

हेम पन्त

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उत्तराखण्ड राज्य निर्माण प्राप्ति के संघर्ष के दौरान लोगों के दिलों में एक आदर्श राज्य का सपना था. राज्य की प्राप्ति के लिये लगभग 40 लोगों ने अपने प्राण न्यौछावर किये. अन्ततः राज्य तो बन गया, लेकिन 7 साल बीतने पर भी आन्दोलनकारियों के सपनों का राज्य एक सपना ही बना हुआ है.शराब के ठेकेदारों, भू माफियाओं और एन.जी ओ. के नाम पर चल रहे करोड़ों के व्यवसाय के बीच आम उत्तराखण्डी मानस ठगा सा महसूस कर रहा है.

सपना देखा गया था ऐसे राज्य का जिसमें चारों ओर खुशहाली हो. समाज के हर वर्ग की अपनी अपेक्षाएं थीं. नरेन्द्र सिंह नेगी जी की इस कविता के माध्यम से समाज के सभी वर्गों की आक्षांकाएं स्पष्ट होती हैं. भगवान से यही प्रार्थना है कि राज्य के नीतिनिर्धारकों के कानों तक नेगी जी का यह गीत पहुँचे, और वो हमारे सपनों का राज्य बनाने के लिये ईमानदारी और सच्ची निष्ठा से काम करें.


बोला भै-बन्धू तुमथैं कनू उत्तराखण्ड चयेणू छ्
हे उत्तराखण्ड्यूँ तुमथैं कनू उत्तराखण्ड चयेणू छ्
जात न पाँत हो, राग न रीस हो
छोटू न बडू हो, भूख न तीस हो
मनख्यूंमा हो मनख्यात, यनूं उत्तराखण्ड चयेणू छ्

बोला बेटि-ब्वारयूँ तुमथैं  कनू उत्तराखण्ड चयेणू छ्
बोला माँ-बैण्यूं तुमथैं  कनू उत्तराखण्ड चयेणू छ्
घास-लखडा हों बोण अपड़ा हों
परदेस क्वी ना जौउ सब्बि दगड़ा हों
जिकुड़ी ना हो उदास, यनूं उत्तराखण्ड चयेणू छ्

बोला बोड़ाजी तुमथैं  कनू उत्तराखण्ड चयेणू छ्
बोला ककाजी तुमथैं  कनू उत्तराखण्ड चयेणू छ्
कूलूमा पाणि हो खेतू हैरयाली हो
बाग-बग्वान-फल फूलूकी डाली हो
मेहनति हों सब्बि लोग, यनूं उत्तराखण्ड चयेणू छ्

बोला भुलुऔं तुमथैं  कनू उत्तराखण्ड चयेणू छ्
बोला नौल्याळू तुमथैं  कनू उत्तराखण्ड चयेणू छ्
शिक्षा हो दिक्षा हो जख रोजगार हो
क्वै भैजी भुला न बैठ्यूं बेकार हो
खाना कमाणा हो लोग यनू उत्तराखण्ड चयेणू छ्

बोला परमुख जी तुमथैं  कनू उत्तराखण्ड चयेणू छ्
बोला परधान जी तुमथैं  कनू उत्तराखण्ड चयेणू छ्
छोटा छोटा उद्योग जख घर-घरूँमा हों
घूस न रिश्वत जख दफ्तरूंमा हो
गौ-गौंकू होऊ विकास यनू उत्तराखण्ड चयेणू छ्!!

पंकज सिंह महर

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मुझे याद है जब आरक्षण आन्दोलन की आग दोबारा धधकी और उत्तराखण्ड को २७ % आरक्षण दिये जाने की मांग को लेकर हमारे छात्र आक्रोशित हो रहे थे, उसी समय उत्तराखण्ड के गांधी स्व० श्री इन्द्रमणि बड़ोनी जी पौड़ी में और श्री काशी सिंह ऎरी जी नैनीताल में २७% आरक्षण और पृथक उत्तराखण्ड राज्य की मांग को लेकर अनशन पर बैठे...धीरे-धीरे यह आन्दोलन अपने चरम पर पहुंच गया और उत्तराखण्ड के हर गांव-गांव से आवाज आने लगी "आज दो, अभी दो, उत्तराखण्ड राज्य दो"। उत्तराखण्ड की जनता का यह स्वतः स्फूर्त आन्दोलन था...हम लोग इस समय इण्टर में पढ़ रहे थे, स्कूल का बस्ता किनारे रखकर हम लोग भी आन्दोलन में कूद पड़े.....हमारे शिक्षक भी अपनी नौकरी दांव पर लगा कर आन्दोलन में शामिल हो गये। गांव की औरतों ने खेती-बाड़ी बंद कर दी, सरकारी कर्मचारी सड़को पर उतर आये.....पूरा उत्तराखण्ड आन्दोलनमय हो गया।
       महिलायें, बच्चे, कर्मचारी और आम जनता, सबकी आंखों में एक ही सपना कि हमारा नया राज्य बनेगा....फिर हमें दूसरे राज्य में नौकरी की तलाश में नहीं जाना पड़ेगा, हमारी अपनी ही सरकार होगी, हर घर को बिजली, पानी और सड़क मिलेगी, हर हाथ को काम मिलेगा, सुनहरे उत्तराखण्ड के भविष्य का सपना लिये ये लोग प्रशासन की भद्दी-भद्दी गाली, डंडे खाकर भी आन्दोलनरत रहे, प्रवासी उत्तराखंडियों ने भी अपने-अपने स्तर पर आन्दोलन किये, इस सपने को देखकर कि जब हमारा अपना राज्य होगा तो हम क्यों दूसरे शहरों में बेगाने रहेंगे?
       प्रशासनिक दमन चक्र भी चलता रहा, लाठी-डंडे के बाद गोली भी खानी पड़ी, कई घरों के चिराग बुझे, कितनों के सिर से मां-बाप का साया उठा और कितनी ही मांगें उजड़ गई....इस दमन के हम लोग यहां तक शिकार हुये कि शांतिपूर्ण आन्दोलन कर रही महिलाओं के साथ बदतमीजी, अभद्रता और अंत में चौराहे (मुजफ्फर नगर कांड) में हमारी मां बहनों के साथ बलात्कार तक किया गया। दमन की सारी सीमायें पार कर दी गईं, ऎसे दमन का उदाहरण तो हिटलर और मुसोलिनी ने भी नहीं दिया कि विरोध कर रही महिलाओं के साथ बलात्कार किया गया हो।       आन्दोलन बदस्तूर जारी रहा.......लम्बे संघर्ष मे बाद ९ नवम्बर, २००० को जब हमारी आंखें खुली तो हमने अपने सपने को बिखरता हुआ महसूस किया, जब हमें उत्तराखण्ड की बजाय उत्तरांचल और गैरसैंण के बदले देहरादून दिया गया।  फिर हमारे सपने रोज ही कुचले जाने लगे.....शराब, खनन माफिया ही हमारे नीति नियंता बनने लगे, बार-बार हमारी ही आंखों के सामने वह हमारे सपने को तोड़ने, धमकाने और कुचलने लगे...और हम लोग विवश होकर अपने सपनों को रोज टूटते और अब दम तोड़ते देखने के आदी होते रहे.....और अब तो हमने सपने देखने ही बंद कर दिये हैं, क्योंकि सपने सच नहीं होते और अगर कोई हमारे सपने को हमारे सामने ही रोज कुचले और हम कुछ न कर पायें तो रोना आता है, धौंकार (आक्रोश...लेकिन कुछ न कर पाने की विवशता) आता है।

हां....! सपना ही था, एक सपना ही था, उत्तराखण्ड राज्य हमारे लिये और हम यह भूल गये कि सपने को कभी पूरे ही नहीं होते हैं, इसलिये मैंने अब सपने देखने बंद कर दिये हैं।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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My grievance on state development is 100 % matching with the lines of the under mentioned song .

प्रहलाद सिह मेहरा का उत्तराखंड वर्तमान सिथिति पर यह गाना (गाने मे उत्तराखंड का नाम उत्तराँचल है क्योकि तब राज्य का नाम उत्तराखंड नही हुवा था  :

प्रहलाद सिह मेहरा : नारायणा यो कस है रो अत्याचार
कोरस  : यो उत्तराखंड मे
प्रहलाद सिह मेहरा : नारायणा किले है रे मारा मार 
कोरस  : यो उत्तराखंड मे

प्रहलाद सिह मेहरा :
महंगाई बेरोजगारी दिन दुगुनी रात चगुनी
मन समान कैक नी रैयो सब है रे अपुनी अपुनी

नारायणा फर्जी है गयी अखबार
कोरस  : यो उत्तराखंड मे 

प्रहलाद सिह मेहरा : नारायणा यो कस है रो अत्याचार
कोरस  : यो उत्तराखंड मे
प्रहलाद सिह मेहरा : नारायणा किले है रे मारा मार 
कोरस  : यो उत्तराखंड मे

प्रहलाद सिह मेहरा :
 
हत्या और बलात्कार, घूस खोरी लूटपाट
उत्तराखंड आन्दोलन, बंद है गयी विकास बाट

नारायणा शासन है रो बीमार
कोरस  : यो उत्तराखंड मे

प्रहलाद सिह मेहरा : नारायणा यो कस है रो अत्याचार
कोरस  : यो उत्तराखंड मे
प्रहलाद सिह मेहरा : नारायणा किले है रे मारा मार 
कोरस  : यो उत्तराखंड मे

प्रहलाद सिह मेहरा :

जैकी जाठी, वीकी भैस, कब तलक चलल यस
कास चाछी परदेश हमीके, राम शिवो यो बनो कस

नारायणा चमचो की है रै बहार .
कोरस  : यो उत्तराखंड मे

प्रहलाद सिह मेहरा : नारायणा यो कस है रो अत्याचार
कोरस  : यो उत्तराखंड मे
प्रहलाद सिह मेहरा : नारायणा किले है रे मारा मार 
कोरस  : यो उत्तराखंड मे

नारायणा चमचो की है रै बहार
कोरस : यो उत्तराखंड में
नारायणा : फर्जी है गयी अखबार
कोरस यो उत्तराखंड मे

मेरा पहाड़ / Mera Pahad

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Mehta ji aaapne Prahalad ji ke gaane ke maadhyam se kaafi had tak Uttarakhand ki sateek tasveer kheenchi hai. Lekin mera yeh maanana hai ki 100% barbaadi bhi nahi hui hai bahut jagahon pai kaam bhi hua hai. Road network khaas taur pai highways ka kaafi strong hua hai. Pradhanmantri Sadak Yojna se gaanvo tak sadak aur logon ko rojgaar dono mila hai. Telecommunication ke kshetra main mobile se kraanti aa gai hai.

Yeh mere apne vichaar hain.

दिनेश मन्द्रवाल

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मुझे याद है जब आरक्षण आन्दोलन की आग दोबारा धधकी और उत्तराखण्ड को २७ % आरक्षण दिये जाने की मांग को लेकर हमारे छात्र आक्रोशित हो रहे थे, उसी समय उत्तराखण्ड के गांधी स्व० श्री इन्द्रमणि बड़ोनी जी पौड़ी में और श्री काशी सिंह ऎरी जी नैनीताल में २७% आरक्षण और पृथक उत्तराखण्ड राज्य की मांग को लेकर अनशन पर बैठे...धीरे-धीरे यह आन्दोलन अपने चरम पर पहुंच गया और उत्तराखण्ड के हर गांव-गांव से आवाज आने लगी "आज दो, अभी दो, उत्तराखण्ड राज्य दो"। उत्तराखण्ड की जनता का यह स्वतः स्फूर्त आन्दोलन था...हम लोग इस समय इण्टर में पढ़ रहे थे, स्कूल का बस्ता किनारे रखकर हम लोग भी आन्दोलन में कूद पड़े.....हमारे शिक्षक भी अपनी नौकरी दांव पर लगा कर आन्दोलन में शामिल हो गये। गांव की औरतों ने खेती-बाड़ी बंद कर दी, सरकारी कर्मचारी सड़को पर उतर आये.....पूरा उत्तराखण्ड आन्दोलनमय हो गया।
       महिलायें, बच्चे, कर्मचारी और आम जनता, सबकी आंखों में एक ही सपना कि हमारा नया राज्य बनेगा....फिर हमें दूसरे राज्य में नौकरी की तलाश में नहीं जाना पड़ेगा, हमारी अपनी ही सरकार होगी, हर घर को बिजली, पानी और सड़क मिलेगी, हर हाथ को काम मिलेगा, सुनहरे उत्तराखण्ड के भविष्य का सपना लिये ये लोग प्रशासन की भद्दी-भद्दी गाली, डंडे खाकर भी आन्दोलनरत रहे, प्रवासी उत्तराखंडियों ने भी अपने-अपने स्तर पर आन्दोलन किये, इस सपने को देखकर कि जब हमारा अपना राज्य होगा तो हम क्यों दूसरे शहरों में बेगाने रहेंगे?
       प्रशासनिक दमन चक्र भी चलता रहा, लाठी-डंडे के बाद गोली भी खानी पड़ी, कई घरों के चिराग बुझे, कितनों के सिर से मां-बाप का साया उठा और कितनी ही मांगें उजड़ गई....इस दमन के हम लोग यहां तक शिकार हुये कि शांतिपूर्ण आन्दोलन कर रही महिलाओं के साथ बदतमीजी, अभद्रता और अंत में चौराहे (मुजफ्फर नगर कांड) में हमारी मां बहनों के साथ बलात्कार तक किया गया। दमन की सारी सीमायें पार कर दी गईं, ऎसे दमन का उदाहरण तो हिटलर और मुसोलिनी ने भी नहीं दिया कि विरोध कर रही महिलाओं के साथ बलात्कार किया गया हो।       आन्दोलन बदस्तूर जारी रहा.......लम्बे संघर्ष मे बाद ९ नवम्बर, २००० को जब हमारी आंखें खुली तो हमने अपने सपने को बिखरता हुआ महसूस किया, जब हमें उत्तराखण्ड की बजाय उत्तरांचल और गैरसैंण के बदले देहरादून दिया गया।  फिर हमारे सपने रोज ही कुचले जाने लगे.....शराब, खनन माफिया ही हमारे नीति नियंता बनने लगे, बार-बार हमारी ही आंखों के सामने वह हमारे सपने को तोड़ने, धमकाने और कुचलने लगे...और हम लोग विवश होकर अपने सपनों को रोज टूटते और अब दम तोड़ते देखने के आदी होते रहे.....और अब तो हमने सपने देखने ही बंद कर दिये हैं, क्योंकि सपने सच नहीं होते और अगर कोई हमारे सपने को हमारे सामने ही रोज कुचले और हम कुछ न कर पायें तो रोना आता है, धौंकार (आक्रोश...लेकिन कुछ न कर पाने की विवशता) आता है।

हां....! सपना ही था, एक सपना ही था, उत्तराखण्ड राज्य हमारे लिये और हम यह भूल गये कि सपने को कभी पूरे ही नहीं होते हैं, इसलिये मैंने अब सपने देखने बंद कर दिये हैं।


सत्य वचन, भाई साहब,
     यही स्थिति आज हर सच्चे उत्तराखण्डी की है, मुझे आज तक कोई ऎसा आन्दोलनकारी या शहीद का परिवारीजन नहीं मिला, जिसने कहा हो कि हमारा या हमारे बच्चों का बलिदान सार्थक हुआ। सब यही कहते हैं कि सब बेकार गया।

पंकज सिंह महर

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Mehta ji aaapne Prahalad ji ke gaane ke maadhyam se kaafi had tak Uttarakhand ki sateek tasveer kheenchi hai. Lekin mera yeh maanana hai ki 100% barbaadi bhi nahi hui hai bahut jagahon pai kaam bhi hua hai. Road network khaas taur pai highways ka kaafi strong hua hai. Pradhanmantri Sadak Yojna se gaanvo tak sadak aur logon ko rojgaar dono mila hai. Telecommunication ke kshetra main mobile se kraanti aa gai hai.

Yeh mere apne vichaar hain.


सर जी, आप भी ऎसा कह रहे हैं,
      प्रधानमंत्री सड़क योजना में पूरी फंडिंग केन्द्र सरकार की होती है, उसकी टेंडरिंग की प्रक्रिया तक केन्द्र के अधिकारियों की देख-रेख में होती है, राज्य सरकार का कोई योगदान इसमें नहीं होता, बल्कि बाध्यता होती है कि अगर इस पैसे का उपयोग नहीं हुआ तो अगले साल यह धनराशि कम हो जाती है।
२- अब बात आयी है हाई-वे की, इसमें केन्द्रीय बजट ७५% और राज्यांश २५ प्रतिशत होता है, हाई वे बनाना ही है, नहीं तो अगले साल से केन्द्र पैसा रिलीज नहीं करेगा।
३- मोबाइल कनेक्टिविटी की देन पूरी और पूरी भारत सरकार की है, राज्य सरकार का इसमें कोई रोल नहीं, क्योंकि टेलीफोन एक्सचेंज के कर्मचारियों की तनख्वाह भी केन्द्र सरकार देती है, इसका लाभ हमें अगर मिल रहा है तो केन्द्र सरकार की बदौलत और बाजार की प्रतिस्पर्धा की बदौलत ही है।

गांव, पहाड़ जस के तस हैं, सड़क किनारे बसा गांव उत्तराखण्ड नहीं है, देहरादून, हरिद्वार, उधम सिंह नगर और नैनीताल जनपद के विकास को हम उत्तराखण्ड का विकास नहीं मान सकते। इन जनपदों में भी आप थोड़ा दूरस्थ और ग्रामीण क्षेत्रों में जाइये वहां भी आपको हालत बदतर ही मिलेगी। उत्तराखण्ड बनने के बाद एक ही फायदा हुआ है कि जिस उत्तराखण्ड के पैसे को पहले उत्तर प्रदेश वाले ही लूट रहे थे, उसे अब हमारे उत्तराखण्ड के लोग और अफस्र दोनों हाथों से लूट पा रहे हैं।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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sir JI,

Namaskar..

Thanx for giving your views also. On road issue, my submission that the progress of roads on Uttarakhand under PMGSY is also very  also very poor. I agree that in some places highways have been metteled but if we go to remote areas constructions of road have been pending even for 10 yrs.

I hail from Disttrict Bageshwar and my village Jarti (Reem area). We have been following a proposal of construction of road for about 6-7 yrs. The proposal have been vetted by former CM ND Tiwari. We have written enumerable times for the concerned authorities and had even filed RTI but no again. We have already run pillar to post but road connectivity is yet to come.

As regards of telecommunication, the credit should directly go to Pvt Telecommunciation Companies and BSNL too. So Govt can not take any credit of this. The telecommunication revolution is all over the India. We talk of Fixed Telephone, there are several villages in UK which do not have the direct lines.

So this is also a failure.

Little a bit development work whatsoever is going on in UK these were even taking place when Uttarakhand not separated and was part of UP.

See the condition of education. Though some schools have been upgradated but the vacancies of teachers are yet to be filled.

The condition of medical facilites is more worse. 108 facility is only working in city area what about the villages ?

There are several questions whose answer Govt would not have .

Mehta ji aaapne Prahalad ji ke gaane ke maadhyam se kaafi had tak Uttarakhand ki sateek tasveer kheenchi hai. Lekin mera yeh maanana hai ki 100% barbaadi bhi nahi hui hai bahut jagahon pai kaam bhi hua hai. Road network khaas taur pai highways ka kaafi strong hua hai. Pradhanmantri Sadak Yojna se gaanvo tak sadak aur logon ko rojgaar dono mila hai. Telecommunication ke kshetra main mobile se kraanti aa gai hai.

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एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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अभी तक के विकास से तो लगता है की हमारे शहीदों अमर शहीदों की आत्मा को शान्ति नही मिलेगी !

हेम पन्त

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उत्तराखण्ड राज्य आन्दोलन के दौरान लिखे गये, समाज के हर तबके के सपने को दर्शाने वाले नरेन्द्र सिंह नेगी जी के इस गाने पर हमारे नीति-नियंताओं की नजर शायद अब तक नहीं गयी है...

बोला भै-बन्धू तुमथैं कनू उत्तराखण्ड चयेणू छ्
हे उत्तराखण्ड्यूँ तुमथैं कनू उत्तराखण्ड चयेणू छ्
जात न पाँत हो, राग न रीस हो
छोटू न बडू हो, भूख न तीस हो
मनख्यूंमा हो मनख्यात, यनूं उत्तराखण्ड चयेणू छ्

बोला बेटि-ब्वारयूँ तुमथैं  कनू उत्तराखण्ड चयेणू छ्
बोला माँ-बैण्यूं तुमथैं  कनू उत्तराखण्ड चयेणू छ्
घास-लखडा हों बोण अपड़ा हों
परदेस क्वी ना जौउ सब्बि दगड़ा हों
जिकुड़ी ना हो उदास, यनूं उत्तराखण्ड चयेणू छ्

बोला बोड़ाजी तुमथैं  कनू उत्तराखण्ड चयेणू छ्
बोला ककाजी तुमथैं  कनू उत्तराखण्ड चयेणू छ्
कूलूमा पाणि हो खेतू हैरयाली हो
बाग-बग्वान-फल फूलूकी डाली हो
मेहनति हों सब्बि लोग, यनूं उत्तराखण्ड चयेणू छ्

बोला भुलुऔं तुमथैं  कनू उत्तराखण्ड चयेणू छ्
बोला नौल्याळू तुमथैं  कनू उत्तराखण्ड चयेणू छ्
शिक्षा हो दिक्षा हो जख रोजगार हो
क्वै भैजी भुला न बैठ्यूं बेकार हो
खाना कमाणा हो लोग यनू उत्तराखण्ड चयेणू छ्

बोला परमुख जी तुमथैं  कनू उत्तराखण्ड चयेणू छ्
बोला परधान जी तुमथैं  कनू उत्तराखण्ड चयेणू छ्
छोटा छोटा उद्योग जख घर-घरूँमा हों
घूस न रिश्वत जख दफ्तरूंमा हो
गौ-गौंकू होऊ विकास यनू उत्तराखण्ड चयेणू छ्!!

 

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